Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

मंत्रिमण्डल विस्तार हो या ना हो कोई फर्क नहीं पडता, अपना हश्र सामने देख कोई नेता मंत्री बनने से पहले दस बार सोचेगा | जिला और ब्लाक स्तर तक ऐसा कमजोर पुलिस व प्रशासन पहले कभी नहीं देखा, जेल जाने से डरी हुई ब्यूरोक्रेसी सचेत, ऐसा माहौल भाजपा को ले डूबेगा| समय आ गया है कि तबादला नीति बने - गहलोत

दिनांक
13/10/2016
स्थान
जयपुर


जयपुर, 12 अक्टूबर। पूर्व मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा है कि राजस्थान में हालात बहुत खराब हैं, मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे खुद ही मान बैठी दिखती हैं, इसलिए उनको कोई परवाह नहीं है। मंत्रिमण्डल विस्तार हो या ना हो कोई फर्क पडने वाला नहीं है। कोई भी मंत्री बनने से पहले दस बार सोचेगा कि मैं मंत्री बनू या नहीं। ऐसे मंत्रियों की क्या दुर्गति होगी अगले चुनाव में, ये सब जानते हैं।

श्री गहलोत ने 11 माह गुजर जाने के बावजूद भाजपा कार्यकारिणी का गठन नहीं हो पाने के सवाल पर कहा कि यह मुख्यमंत्री और उनके पार्टी अध्यक्ष दोनों को रास आ रहा है। ये उनकी पार्टी का अन्दरूनी मामला है, उनके फैसले उनको मुबारक।

श्री गहलोत ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आज एक कार्यक्रम में शिरकत करने के बाद मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए कहा कि तबादलों को लेकर हर सरकार में तबादला उद्योग के आरोप लगते रहे हैं। अब समय आ गया है कि तबादलों की कोई नीति बननी चाहिए, जिससे कम से कम तबादलों के हकदार (मानवीय दृष्टिकोण) लोगों के ही तबादले हों। किसी के परिवार में कोई समस्या है या फिर स्वास्थ्य कारण हो। ताकि शिकायतें बंद हों।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार संघ से संचालित हो रही है इसलिए संघ से जुडे लोगों को सामने रखकर सही लोगों को भी बाहर स्थानान्तरित किया जा रहा है, जबकि कांग्रेस सरकार कभी विचारधारा के आधार पर ऐसा नहीं करती। कांग्रेस शासन में तो पार्टी के कार्यकर्ताओं से शिकायतें सुननी पडती हैं, मगर हमने हमेशा मानवीय आधार को सामने रखा।
श्री गहलोत ने आरोप लगाया कि जिला एवं ब्लाक स्तर पर इतना ढीला पुलिस प्रशासन उन्होंने पहले कभी नहीं देखा। जिला प्रशासन हो या पुलिस प्रशासन बिना पैसे दिये कहीं कोई काम नहीं होता। कांग्रेस के लोगों के साथ अन्याय हो रहा है। जिला कलक्टर और पुलिस अधीक्षक सुनवाई भी नहीं करते, इतने घबराये हुए हैं कि अगर सुनवाई कर ली तो उन्हें खुद के तबादले का डर सताता है। अधिकारी वर्ग भयग्रस्त है, क्योंकि मुख्यमंत्री ने खुद कलेकटर-एसपी कान्फ्रेन्स बुला-बुलाकर उनके साथ जिस प्रकार का व्यवहार किया है उससे वे डरे हुए हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अधिकारियों और राजनीतिज्ञों के खिलाफ जिस प्रकार बदले की भावना से कार्यवाही शुरू की उससे ब्यूरोक्रेसी इतनी सचेत हो गयी कि आज हम जो फैसला करेंगे तो हो सकता है दो साल बाद हमारे खिलाफ भी कोई जांच हो जायेगी, हमें भी जेल जाना पड सकता है, राजस्थान में ऐसे हालात बन गये हैं और ये माहौल इनको ले डूबेगा।

श्री गहलोत ने जन सुनवाई के सवाल पर कहा कि यह एक बड़ा नाटक है। तीन साल के बाद डिवीजनवाइज नये-नये प्रयोग किये, पहले 15 दिनों के लिए सरकारें भरतपुर, बीकानेर और उदयपुर गयी। फिर चार दिन तक एक-एक जिले में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम हुए। नये नाटक में अब कभी जयपुर डिवीजन तो कभी बीकानेर डिवीजन। प्रदेश की पूरी जनता कष्ट में है, वो जब चाहे आ सकती है।

श्री गहलोत ने संघ द्वारा गणवेश बदलने जाने पर कहा कि सत्ता में रहने के लिए ये कुछ भी कर सकते हैं। समय के साथ उचित लगने पर ये अपनी विचारधारा भी बदलेंगे। आज दिखाई देता है कि प्रधानमंत्री जो टिप्पणियां करते हैं वो संघ को पसंद नहीं आती। ये सब इनकी मिलीभगत है। इनकी कथनी व करनी में बहुत अन्तर है। जागरूक नागरिकों को चाहिए कि वो इनकी चालों को समझें जिससे वे धोखा नहीं खा सके।

जयपुर मेट्रो के दूसरे फेज को लेकर किये गये प्रश्न पर श्री गहलोत ने कहा कि सीतापुरा से अम्बाबाडी तक 22 किमी का जो मेट्रो फेज आना चाहिए था, उसको रोक दिया गया, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। इसी प्रकार रिफाइनरी पूरे प्रदेश के भले के लिए थी, उसे रोक दिया, आदिवासी क्षेत्र की डूंगरपुर-बांसवाडा-रतलाम रेलवे लाइन बिछनी थी, उसको अधूरा छोड दिया गया, परबन सिंचाई योजना से झालावाड-बारां-कोटा को फायदा होना था, उसको शुरू नहीं किया। इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ मुख्यमंत्री का पूर्वाग्रह है।

उन्होंने कहा कि सरकार बनते ही कांग्रेस सरकार के फैसलों की समीक्षा के लिए श्री गुलाबचन्द कटारिया की अध्यक्षता में समिति बनाई गयी थी, अब वो तीन साल से समीक्षा ही कर रहे हैं।

पाठ्यक्रमों में छेडछाड के सवाल पर श्री गहलोत ने कहा कि फासिस्ट प्रवृति की यह सरकार पंडित जवाहरलाल नेहरू जैसे व्यक्तित्व, जिन्होंने आजादी के संघर्ष के दौरान दस साल जेल में गुजारे हों, का चरित्र हनन करने तक में संकोच नहीं है। इनकी मानसिकता ही जब गिर गयी तो फिर क्या बचता है। इतिहास को तोडा-मरोडा जा रहा है, ये इनकी सोच में है। यही सोच इनको ले डूबेगी।

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी की रहनुमाई में पंडित नेहरू, मौलाना आजाद, सरदार पटेल, डाक्टर अम्बेडकर जैसे नेताओं ने मिलकर जो संघर्ष किया, बलिदान दिये, उस इतिहास को ये लोग समाप्त करना चाहते हैं। ये चाहते हैं कि नई पीढी को यह मालूम नहीं पडेगा, लेकिन नई पीढी बहुत होशियार है, आईटी का जमाना है, धीरे-धीरे उनके समझ में आयेगी तो उनको वास्तविकता पता चल जायेगी।
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