Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

रिफाइनरी के संबंध में पूर्व मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत द्वारा प्रेस कान्फ्रेंस के बिन्दु

दिनांक
19/04/2017
स्थान
जयपुर


1. रिफाइनरी को लेकर मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे एवं पेट्रोलियम मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान के कल के वक्तव्य से मुझे बेहद निराशा हुई। मुझे लगता है कि इनको रिफाइनरी के संबंध में पूरी जानकारी नहीं है। अब तक तो इनकी इसमें विशेषज्ञता हो जानी चाहिए थी।

2. अब हम पूछते हैं कि (मुख्यमंत्री ने कहा था तेल हमारा, जमीन हमारी एवं पानी हमारा फिर 26 प्रतिशत ही हिस्सेदारी क्यों?) नये एमओयू में हिस्सेदारी क्यों नहीं बढ़ायी गई है।

3. सत्ता में आते ही रिफाइनरी को सिर्फ इसलिए रोक दिया ताकि कांग्रेस को श्रेय ना मिले। इन लोगों की नियत साफ नहीं है। कन्सलटेन्ट नियुक्ति के लिए भी ईओआई एक साल बाद जारी किया। नियत साफ होती तो आते ही ये काम तो कर देते।

4. चार साल तक राज्य को रिफाइनरी एवं पेट्रोकेमिकल इकाईयों से मिलने वाले लाभों से वंचित कर दिया।

o रिफाइनरी की स्थापना के समय निर्माण तथा अन्य गतिविधियों से हजारों लोगों को होने वाले लाभों में विलम्ब हुआ है।

o रिफाइनरी के चालू होने से अर्जित होने वाली आय में विलम्ब हुआ है तथा साथ ही रिफाइनरी से जुड़े सहयोगी उद्योगों से होने वाली आय में भी विलम्ब हुआ है।

o राजस्व में भी विलम्ब हुआ है।

o रोजगार सृजन में भी विलम्ब हुआ है।

o आधारभूत संसाधनांे को विकसित करने से होने वाले लाभों, व्यापार में वृद्धि, विज्ञान और तकनीकी, बैंकिंग तथा बीमा में भी विलम्ब हुआ है।

5. इन्सेंटिवज् में जो कमी की बात की जा रही है, उसके अनुपाल में समय पर रिफाइनरी लगने से जो उपरोक्त लाभ प्रदेश को मिल सकते थे उनकी कीमत कई गुणा ज्यादा है।


(a) क्रूड ऑयल की कीमतें 115 डॉलर प्रति बैरल से घटकर 45 डॉलर प्रति बैरल हो गई।

(b) एचआरआरएल को प्रतिवर्ष 9 एमएमटीपीए उत्पादन maintain करना आवश्यकथा। किसी वर्ष इससे कम उत्पादन होगा तो अगले वर्ष ऋण (interest free loan of rs. 3736 cr.) उसी अनुपात में कम होगा। इस आशय के आदेश राजस्थान सरकार के माइन्स एवं पेट्रोलियम विभाग द्वारा दिनांक 18-9-2013 को जारी कर दिये गये थे जो इस प्रकार हैं -

"commercial production of atleast 9 mmtpa of finished products will be maintained by hrrl during the 15 year period of availing the interest free loan. in case the commercial production in a particular year, during the 15 years period of availing the interest-free loan, is less than 9 mmtpa, the quantum of interest free loan in the next year will be reduced proportionately. "

(c) एचआरआरएल को 4.5 एमएमटीपीए राजस्थान से तथा 4.5 एमएमटीपीए क्रूड ऑयल आयात (import) कर फिनिस्ड ऑयल का उत्पादन करना था। यदि स्वदेशी क्रूड का उत्पादन 4.5 एमएमटीपीए से बढ़ जाता है तो ब्याज मुक्त ऋण (interest free loan of res. 3736 cr.) कम करने का प्रावधान किया गया था। आज स्वदेशी क्रूड का उत्पादन 9 एमएमटीपीए से भी ज्यादा है इस प्रकार यदि इस प्रावधान को ध्यान में रखा जाता तो ऋण देने की भी जरूरत पडती। इस आशय के आदेश राजस्थान सरकार के माइन्स एवं पेट्रोलियम विभाग द्वारा दिनांक 18-9-2013 को जारी कर दिये गये थे जो इस प्रकार हैं -

"in case at any time the production/availability of indigenous crude oil in rajasthan is more than 4.5 mmtpa, then the amount of interest-free loan by the gor will be reduced. similarly in the event of the production/availability of indigenous crude oil in rajasthan being less than 4.5 mmtpa at any time during the first 15 years beginning from the year of commencement of commercial operations by the refinery for reasons beyond the control of hrrl., the interest-free loan by gor will be increased. the financial analysis on the quantum of interest-free loan in the above mentioned cases shall be done separately and agreed upon. thereafter, the formula/manner in which the above discussed revision in the interest-free loan from gor shall be agreed by the parties."

(d) इन्सेंटिवज् के रूप में जो 3736 करोड़ रूपये का ब्याज मुक्त ऋण दिया जा रहा था,वह present trade parity pricing principle for products के आधार पर दिया गया था, pricing mechanism में बदलाव होने पर review and rework का प्रावधान किया गया था।



6. हिस्सेदारी बढ़ी नहीं और रिफाइनरी की लागत 6000 करोड़ रुपये अधिक हो गई। पहले इसकी लागत 37,229 करोड़ रुपये की थी जो अब बढ़कर 43,119 करोड़ रुपये हो गई है। लागत में इस बढ़ोतरी की जिम्मेदार राज्य सरकार है।

7. प्रोजेक्ट की आईआरआर क्या रहेगी, यह एमओयू में पता नहीं। हमारे वक्त में प्रोजक्ट की 15 प्रतिशत आईआरआर थी। आईआरआर अगर कम होती है, तो सरकार को होने वाले लाभ में कमी आयेगी क्योंकि सरकार की 26 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

8. सरकार नया एमओयू एवं एग्रीमेंट सार्वजनिक करे।

9. आप अब कह रहे हैं कि कायापलट होगा। फिर अब तक रिफाईनरी क्यों लटकाये रखी? अगर सरकार की मंशा होती यही काम तीन साल पहले भी हो सकता था।

10. गुजरात सरकार को विलम्ब के कारण लगभग 1500 करोड़ रुपये वैट प्रतिवर्ष मिल रहा है।

11. जनता को गुमराह करने एवं अर्द्धसत्य का सहारा लेने की बजाय श्री धर्मेन्द्र प्रधान जो स्वयं पेट्रोलियम मंत्री हैं, एचपीसीएल भी उन्हीं के अधीन है तो जांच करवायें, दोनों एमओयू की सच्चाई सामने आ जायेगी।

12. 2004 में भी भाजपा सरकार ने केन्द्र की यूपीए पर आरोप लगाये थे कि राजस्थान की रिफाईनरी को भटिण्डा ले जा रहे हैं। जबकि हमारे प्रयास से ओएनजीसी ने राजस्थान में रिफाइनरी लगाने की उस वक्त इच्छा जाहिर की थी लेकिन भाजपा सरकार ने ओएनजीसी के पत्रों का जवाब देना भी उचित नहीं समझा था।

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