Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

प्रेस कान्फ्रेंस 27 जून, 2018 - प्रातः 11.30 बजे

दिनांक
27/06/2018
स्थान
जयपुर


· इतिहास में पहली बार राजस्थान के किसानों को आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। किसान सड़कों पर अपने हक के लिए जूझ रहे हैं। सरकार की आंख नहीं खुल रही है। राज्य सरकार ने एमएसपी पर लहसुन की खरीद में आपाधापी करी। हल्की क्वालिटी के नाम पर बडी मात्रा में लहसुन बाजार के हवाले कर किसानों को लुटवा दिया गया। ये ही हाल गेहूं एवं सरसों के समय हुआ था। कर्ज माफी के नाम पर यह सरकार मात्र राजनीति करने में लगी हुई है, अब तक किसानों का कर्जा माफ नहीं किया गया है। मात्र वोटों के लिये कर्ज माफी कैम्प लगाये जा रहे है।

· सरकार किसानों की कर्ज माफी को लेकर बडी-बड़ी बातें कर रही है। लेकिन सरकार के खजाने मंे पैसा तो है ही नहीं। गौर करने वाली बात है कि कर्ज माफी में केवल 26 लाख किसानों को ही फायदा देने को चुना गया, ये वे किसान हैं जिन्होंने सहकारी बैंकों से लोन ले रखा है। क्या प्रदेश मे केवल 26 लाख ही किसान हैं। बाकी जिन किसानों ने अन्य बैंकों या केसीसी से लोन ले रखा है, उनका कर्ज क्यों नहीं माफ किया जा रहा है।

· कर्ज माफी के नाम पर सरकार का किसानों से मजाक जारी है। ‘‘घर में नहीं हैं दाने और अम्मा चली भुनाने‘‘ की तर्ज पर काम कर रहे हैं। चाहिये आठ हजार करोड और हैं दो हजार करोड़। कैसे होगा कर्ज माफी का वादा पूरा? जिन 26 लाख किसानों का कर्जा माफ करने के दावे किए जा रहे हैं उनके लिए धन की अभी तक कोई व्यवस्था नहीं है। इनकी कर्ज माफी को भी 8 हजार करोड़ रुपये चाहिए होंगे। वित्त विभाग ने केवल 2 हजार करोड़ देने को मंजूरी दी है। इसमें भी गौर करने वाली बात है कि ये राशि भी मार्च 2019 तक वित्त विभाग देगा, मतलब चुनाव खत्म हो जाएंगे और नई सरकार आ जाएगी, तब तक किश्तों मंे वित्त विभाग ये राशि जारी करेगा। मतलब साफ है ये 2 हजार करोड़ भी सरकार किसानों को चुनाव से पहले देने वाली नही है।

· इसके अलावा 6 हजार करोड़ की अभी तक कोई व्यवस्था नही है। कहां से पैसा आएगा, इन 26 लाख किसानों का भी सरकार कैसे कर्जा माफ करेगी, अभी तक कुछ अता- पता अभी तक नही है।

· सरकार के संरक्षण में पनप रहा है बजरी माफिया। सुप्रीम कोर्ट में पैरवी के अभाव में मजूदर, मिस्त्री, निर्माण करने वाले एवं करवाने वाले सब परेशान हो रहे हैं।

· बजरी पर अभी तक प्रतिबंध के चलते 50 लाख लोग बेरोजगार हो गए हैं। जिनमें मजदूर, कारीगर, ठेकेदार, बजरी का ट्रांसपोर्ट करने वाले ट्रक ड्राइवर्स, बजरी खनन मे लगे मजदूर, बजरी ना आने से बिल्डिंग मैटेरियल सप्लाई करने वाले लोग, इत्यादि शामिल हैं। प्रदेश में सभी निर्माण कार्य ठप्प हो गए हैं। सरकारी प्रोजेक्ट को भी बजरी नहीं है, वे भी बंद पड़े हैं। सरकार को रोजाना करोड़ों का राजस्व नुकसान हो रहा है वो अलग।

· खास बात ये है की बजरी माफिया फल फूल रहा है। पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत से रोजाना अवैध खनन हो रहा और बजरी को ये चार गुना कीमत बढ़ा कर बेच रहे हैं। लेकिन सरकार सोई हुई है। बजरी माफियाओं की मिलीभगत से सरकारी लापरवाही के चलते सुप्रीम कोर्ट में बजरी खनन पर रोक लगी है।

· शराब से 500 करोड़ की अवैध वसूली किसके माध्यम से हो रही है।

· पेट्रोल/डीजल की आसमान छूती कीमतों और बढ़ती महंगाई से सरकार को कोई सरोकार नहीं। जब मोदीजी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो पेट्रोल की कीमतों की बात करते नहीं थकते थे। आज पेट्रोल/डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं। जिसकी वजह से महंगाई बढ़ रही है जबकि यूपीए सरकार के समय से कम दर पर क्रूड ऑयल मिल रहा है। परंतु मोदीजी को अब अपनी बात याद नहीं आ रही।

· मार्च 2011 में जब क्रूड ऑयल 125 डॉलर प्रति बैरल था तब डीजल 41रू. एवं पैट्रोल 64रू. प्रति लीटर मिलता था। अब जब क्रूड ऑयल 78 डॉलर प्रति बैरल है तब भी डीजल 77रू. एवं पैट्रोल 81रू. प्रति लीटर मिल रहा है। गैस सिलेण्डर 687 रू. हो गया जो यूपीए के समय 347 रू था। घरेलू गैस सिलेण्डर पर दी जा रही सब्सिडी में धीरे-धीरे कमी की जा रही है।

· 7 जुलाई को प्रधानमंत्री जी का जयपुर कार्यक्रम राज्य सरकार द्वारा प्रशासनिक रैली के रूप में आयोजित किया जा रहा है। अधिकारियों को भीड़ लाने एवं गाड़ियों के लिए टारगेट दिये गये हैं। सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों के नाम पर भाजपा कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटाने के लिए प्रशासनिक मशीनरी एवं धन का खुला दुरूपयोग किया जा रहा है।

· पीएम की चहेती स्मार्ट सिटी परियोजना का भी राजस्थान में हाल-बेहाल है। राजधानी जयपुर सहित उदयपुर, अजमेर और कोटा को स्मार्ट सिटी बनाया जा रहा है। वे कितनी स्मार्ट बनीं हैं, इसका पता तो प्रधानमंत्री को इन शहरों में जाकर ही लग सकता है। सूर्यनगरी जोधपुर राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है, लेकिन उसको स्मार्ट सिटी योजना में शामिल नहीं किया गया है, क्यों? इसका जवाब प्रधानमंत्री को अपने जयपुर प्रवास के दौरान देना चाहिए।

· राज्य में सरकार नाम की कोई चीज नहीं है। मुख्यमंत्री और मंत्री सचिवालय में बैठते नहीं। अपने दुःख-दर्द लेकर जयपुर आने वाली जनता परेशान होकर लौट जाती है। कोई सुनने वाला नहीं है।

· यही हाल कानून-व्यवस्था का है। रोज हत्याएं और महिला-मासूम बच्चियों से बलात्कार और उनकी हत्याएं हो रही है। पुलिस नाम की कोई चीज कहीं दिखती नहीं।

· यही हाल दलित अत्याचारों का है। पिछले दिनों राज्य की यात्रा पर आए राष्ट्रीय एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष श्री राम शंकर कठेरिया ने ऐसे मामलों में पुलिस जांच से असंतुष्ट होने की बात कहकर सरकारी दावों की पोल खोल दी।

· डा. किरोडी को पानी पी-पी कर कोसने वाली वसुन्धराजी ने उनके बीजेपी में आने पर कहा कि ‘‘मेरा सक्षम-समर्थ बलवान भाई आया है‘‘, पर असहाय, गरीब, असमर्थ और कमजोरों के प्रति आपके ऐसे उद्गार न होकर उनसे आपको नफरत क्यों है?

· ‘‘हमने चूडियां नहीं पहन रखी है‘‘। लोकतंत्र में आप कब तक जनता को डराकर बात करोगे। किसानों को ऐसे डराने की मिसाल आजादी के बाद आज तक कभी नहीं देखी गयी।

· बजट भाषण में मीडिया को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री खुद कह चुकी हैं कि सभी घोषणाएं पूरी होने की गारन्टी नहीं है। इनकी मंशा इसी कथन से ही उजागर हो गयी थी।

· शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग में हो रहे स्थानान्तरणों में भ्रष्टाचार की शिकायतें लगातार आ रही हैं।

· मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना - दवाओं की संख्या में कमी, बजट में कमी (700 करोड़ से 400 करोड़ कर दिया), एक्सपायरी दवायें, दवाएं मानक पर खरी नहीं। हालात यहां तक खराब हो गये हैं कि अस्पतालों में सैनेटरी नेपकीन एवं मास्क जैसी अत्यावश्यक चीजें भी उपलब्ध नहीं हो पा रही है।

· आरटीडीसी की होटलों को निजीकरण के नाम पर औने-पौने दामों पर चहेतों को देने की मंशा रखती है सरकार।

· रोडवेज, आरएफसी, आरटीडीसी एवं बीज निगम बंद होने के कगार पर।

· मुख्यमंत्री चार-चार दिन जिलों में रहकर भी आम आदमी से दूरी बनाये हुये रहती है। आमजन को मुख्यमंत्री से मिलने की इजाजत तक नहीं है। आने वाले चुनाव में जनता करेगी उनकों सत्ता से दूर। केवल सरकार चुनावी दौरों मे व्यस्त है या फिर इनकी पार्टी मे जो अंदरूनी घमासान चल रहा है, दो माह से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी बीजेपी को प्रदेश अध्यक्ष नही मिल पाया है। शाह-मोदी और वसुंधरा आमने-सामने हैं। जनता पिस रही है।

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