Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

प्रेस कान्फ्रेन्स

दिनांक
24/11/2018
स्थान
जयपुर


दिनांक 24 नवम्बर, 2018-सायं 5.00 बजे

- मुख्यमंत्री दावे राजस्थान की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का करतीं हैं लेकिन सच्चाई यह है कि उन्होंने राज्य की अर्थव्यवस्था का बंटाधार कर दिया है। पांच साल पहले जिस राजस्थान पर 1,17,809 करोड़ रुपए का कर्ज था, आज वह 3,08,033 करोड़ रुपए हो गया है।

- श्रीमती वसुधंरा राजे जब पहली बार सत्ता में आई तब भी भाजपा के ही बड़े-बड़े नेताओं (भैंरोसिंह शेखावत, कैलाश मेघवाल) ने करोड़ो के घोटालों के आरोप लगाये थे। स्व. भैंरोसिंह जी ने तो पत्र लिख कर जांच की मांग भी की थी। इस बार, डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने बिजली महकमे में 3500 करोड़ रूपये के घोटाले का आरोप लगाया, विद्युत मंत्री श्री पुष्पेन्द्र सिंह ने विद्युत निगमों में, परिवहन मंत्री श्री युनूस खान ने परिवहन विभाग में, भाजपा के ही विधायक श्री नरपत सिंह राजवी ने जयपुर नगर निगम में खुलेआम भ्रष्टाचार होने के आरोप लगाये एंव नगरीय विकास मंत्री श्री राजपाल सिंह शेखावत ने जे.डी.ए. को भ्रष्टाचार का अड्डा बताया।

- इस शासन काल में तो भ्रष्टाचार को संस्थागत रूप दे दिया। रिश्वत बिना कोई काम सम्भव नहीं है। यहां तक कि आयोगों एवं बोर्ड्स में भी पैसे लेकर नियुक्तियां करने के आरोप इन्हीं के कार्यकर्ताओं द्वारा लगाए जा रहे हैं। सचिवालय में चर्चा-ए-आम है कि अधिकारियों/कर्मचारियों की पोस्टिंग आदि करने में भी रूपयों का लेन-देन।

- खान महाघूसघोटाला जिसमें 653 खानों की जिस कदर बन्दर बांट की गई है वो सब जानते है। 45000 करोड़ के इस घोटाले की चिनगारी मुख्यमंत्री राजे तक पहुंची। सीबीआई से जांच कराने की बजाय जांच लोकायुक्त को सुपुर्द कर अपने चहते अधिकारियों, मंत्रियों एवं स्वयं को बचाने का ही काम किया।

- चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग-जनता एनआरएचएम घोटाले के सच को जानना चाहती है। चिकित्सा विभाग में सरे आम भ्रष्टाचार हो रहा है। स्थानान्तरण के नाम पर लूट-खसोट हो रही है। निजी नर्सिंग कॉलजों को मान्यता दिलाने के मामले में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री के पुत्र पर 20-20 लाख रूपये की डील करने का आरोप है। जयपुर का एक पैट्रोल पम्प भ्रष्टाचार का केन्द्र बना।

- भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना में निजी अस्पतालों द्वारा मरीज को दो-तीन बीमारियां बताकर इलाज के नाम पर बीमा कम्पनी से फर्जी बिलों द्वारा राशि उठा कर भ्रष्टाचार किया जा रहा है।

- आमजन का कानून के शासन के प्रति इकबाल खत्म सा हो गया है। प्रदेश में 3-4 साल की बच्चियों के साथ दुष्कर्म होने की घटनाओं से प्रदेश शर्मसार है। एक महिने की नवजात से रेप और छोटी-छोटी बच्चियों से गेंगरेप। सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इतना होने पर भी इस सरकार ने कुछ नहीं किया। सख्त कानून बनाने का ढिंढोरा मात्र पीटती रही। प्रतिदिन प्रदेश में दुष्कर्म की 10 घटनाएं और गैंगरेप हो रहे है। आये दिन दुष्कर्म, डकैती, चोरी, लूट एवं चेन स्नैचिंग की घटनायें घटित होना तो आम बात है। पति के सामने पत्नी का बलात्कार एवं डकैती।

- दलितों पर उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ी है। इन वर्गो के प्रति अधिक अपराध हो रहे है। हाल ही में चूरू जिले के सातड़ा गांव में दलित युवक आशाराम मेघवाल के साथ मारपीट कर हत्या कर दी गई। मॉब लिंचिंग की घटनाएं प्रदेश मंे पहली बार हुई है।

- भाजपा सरकार की लापरवाही एवं मिलीभगत के कारण प्रदेश में बजरी माफिया पनपा। निर्माण कार्यो के लिये बजरी खरीदने की मजबूरी के कारण आम जनता इनके हाथों लुटी जा रही है। करीब 25 लाख से ज्यादा लोग (बजरी खनन से जुड़े श्रमिक, बजरी ट्रक ड्राइवर, उनके मालिक, निर्माण मजदूर एवं कारीगर आदि) बेरोजगार हो गये है।

- प्रदेश में रोजाना लगभग पांच से सात हजार ट्रक बजरी की खपत। जयपुर में सात आठ हजार रूपये में उपलब्ध होने वाला बजरी का ट्रक बजरी माफियाओं द्वारा तीस-चालीस हजार रूपये में बेचा जा रहा है। अब तक जनता से बारह हजार करोड़ रूपये से अधिक की लूट हो चुकी है।

- शराब एम.आर.पी. से अधिक मूल्य पर बेची जा रही हैं। अवैध शराब का कारोबार लोगों के लिए जीवन का खतरा बन गया है।
- वर्ष 2014 में 20हजार किमी सड़कों का निर्माण प्रारम्भ कर 2017 तक प्रतिदिन 15 किलोमीटर सड़कों का निर्माण कर इस पूरा करने की घोषणा की गयी थी। लेकिन यह तो केवल घोषणा ही रही। धरातल पर कोई विशेष कार्य नहीं किया गया। बजट घोषणा के अनुरूप राजस्थान स्टेट हाइवे ऑथोरिटी का गठन नहीं किया गया।

- पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा राज्य कर्मचारियों को दी गयी सुविधाओं में कटौती।

- मंत्रालयिक कर्मचारियों में अपने पे-ग्रेड को लेकर भारी अंसतोष है। वायदे के अनुसार संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के लिये कोई नीति नहीं बनाई, कई स्तरों पर उनकी सेवाओं को भी समाप्त कर दिया गया। विभिन्न विभागों में लाखों पद रिक्त पड़े है, जिन पर भर्ती नहीं। कोर्ट में अटकी पड़ी है भर्तियां। पदोन्नति के पदों में कटौती।

- वैश्विक बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतों में लगातार गिरावट के बावजूद पैट्रोल और डीजल की कीमतों में भारी वृद्धि होने से मंहगाई में बेहताशा वृद्धि। केन्द्र सरकार द्वारा एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने से भी पैट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि।

- घरेलू गैस सिलेण्डर की कीमत दुगनी हुई। यूपीए सरकार के समय प्रति घरेलू गैस सिलेण्डर 414 रूपये में मिलता था जिसका वर्तमान में 927 रूपये मूल्य हो गया है।
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