Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

Talked to Media in Delhi

दिनांक
26/05/2019
स्थान
Delhi


लोकसभा चुनाव के परिणाम आए हैं सबको मालूम है कि हमें सेटबैक लगा है पूरी कांग्रेस पार्टी को और ऐसे वक्त में दिल्ली हेड क्वार्टर में आए बातचीत करें यह स्वाभाविक है मेरा ही नहीं बल्कि जितने भी सीनियर नेता है वो भी आ रहे हैं, जा रहे हैं एकजुटता दिखाते हैं ऐसे वक्त में यह आवश्यक होता है। आज इतना बड़ा डिबेकल हुआ है हमारी जिम्मेदारी बनती है कि ऐसे वक्त में जिस पार्टी ने लंबे समय से हमें अवसर दिए काम करने के, लंबे अरसे से हम पार्टी की सेवा करते आ रहे हैं ऐसे वक्त में एकजुटता दिखाना आवश्यक है, इसीलिए दिल्ली में ऐसे वक्त में आना स्वभाविक होता है कोई नई बात नहीं होती है। पहले भी ऐसे वक्त आए हैं तब भी हम लोग आते थे पार्टी उबरी भी है और वापस सत्ता में भी आई है। मुझे याद है कि इंदिरा गांधी जी के जमाने के वक्त के अंदर एक वक्त आया था इंदिरा जी भी चुनाव हार गई थी परंतु हिम्मत नहीं हारी थी और पूरे देश के अंदर ऐसा मैसेज दिया उनकी आंधी चली वापस सत्ता में आए और 25 साल तक हम लोगों ने शासन किया देश के अंदर। 1998 के अंदर पार्टी बिखर रही थी उस वक्त के अंदर भी एक वक्त आया था सोनिया गांधी जी के हाथ में कमान दी गई उसके बाद में 20 साल तक वह अध्यक्ष रही, 10 साल तक हम लोग सरकार में रहे दिल्ली के अंदर, 17 राज्यों में सरकार हमारी बनी उस वक्त में भी इसलिए हार और जीत तो चलता रहता है लोकतंत्र में स्वाभाविक होता है।
हमारी लड़ाई विचारधारा की लड़ाई है जो बार-बार राहुल गांधी जी कहते हैं कि हमारी किसी से दुश्मनी नहीं है, अदावत नहीं है यह इश्यू बेस राजनीति लोकतंत्र में होनी चाहिए उससे हटके राजनीति की गई मोदी जी के द्वारा और किस प्रकार ध्रुवीकरण किया गया, हिंदुत्व की बात, राष्ट्रवाद की बात, पाकिस्तान के अंदर फौजो ने जो शौर्य और पराक्रम दिखाया उसका सब को गर्व है पर उसका भी श्रेय लेने की बात... तो ऐसा माहौल बना दिया पूरे देश में, हम घर में घुस के मारते हैं अरे इंदिरा गांधी के जमाने में तो घुस के नहीं मारा पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए, बांग्लादेश बन गया और हमारी फौजों ने पराक्रम और शौर्य दिखाया उस वक्त में भी हम लोग युद्ध को जीते थे और 93000 मेजर जनरल कर्नल सैनकों को, सब को हथियारों के साथ सरेंडर करवा दिया था वह वक्त भी था देश के अंदर और अटल बिहारी वाजपेई जी को हाउस के अंदर कहना पड़ा की इंदिरा गांधी दुर्गा का रूप है वह वक्त भी हमने देखा है....इस प्रकार से यह चुनाव लड़ा गया है यह कोई विचारधारा के आधार पर नहीं लड़ा गया है। प्रोग्राम, पॉलिसी, प्रिंसिपल क्या है गरीबों के लिए, किसान के लिए, पिछड़ों के लिए, दलितों के लिए युवाओं के लिए क्या आपके पास प्लान है उसके आधार पर नहीं लड़ा गया है, भावात्मक मुद्दे लेकर लड़ा गया उस पर वह कामयाब हो गए। कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता और नेता घबराने वाले नहीं है हमारे में दमखम है, देश को बचाना हम लोगों को है, लोकतंत्र की रक्षा करनी है जो कांग्रेस करती आई है 70 साल तक यह हमारा मानना है।

सवाल: ऐसा चला कि राहुल गांधी जी ने इस्तीफे की पेशकश करी?
जवाब: वह तो वर्किंग कमेटी में सबके सामने आ चुकी है उन्होंने पेशकश करी पर पूरी वर्किंग कमेटी ने एकजुट होकर के एक स्वर के अंदर उसको रिजेक्ट कर दिया उनकी विनती को और कहा गया कि आपको ही कमान संभालनी है और राहुल गांधी में ही दमखम है मोदी जी का और एनडीए का सामना करने का जो उन्होंने दिखाया 5 साल तक। हार से हम लोग कोई घबराने वाले नहीं है, हार सकते हैं पर हिम्मत में कोई कमी नहीं आई है कांग्रेसजनों के अंदर।

सवाल: कल बैठक है कोई समीक्षा के लिए?
जवाब: जब यहां आते हैं तो हम मिलते हैं, जुलते हैं आगे की प्लानिंग करते हैं ही करते है। हमें चिंता यह भी है कि अभी राजस्थान के अंदर टिड्डी दल आ गया है पाकिस्तान की तरफ से आता है और वह हमला करता है हमारे यहां पर और फसलों को नष्ट कर देता है, अभी हमला किया हुआ है जैसलमेर पर हमने अपने विभागों को कहा है कि आप केंद्र सरकार के नजदीक रहे क्योंकि केंद्र सरकार ही आगे आकर जो कदम उठाने पड़ते हैं उठाते हैं, पहले भी ऐसे हमले हुए हैं फसलें चौपट नहीं हो जाए किसानों की वह चिंता मुझे लगी हुई है वह बात थी मैंने अपने अधिकारियों से करी है वह संपर्क में है, जरूरत पड़ेगी और हम आगे कार्रवाई करेंगे।

सवाल: सर सीडब्ल्यूसी की बैठक में कहा गया कि राहुल गांधी जी नाराज है कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बेटों को लेकर इस तरह की खबरें छपी है दिल्ली के यहां अखबारों में।
जवाब: देखिए खबरें तो छपती रहती है और कौन सी बात किस संदर्भ में होती है वह संदर्भ बदल जाते हैं मीडिया के अंदर आकर, मीडिया में संदर्भ बदल जाते हैं और जब संदर्भ बदल जाता है तो जो न्यूज़ छपती है उसके दूसरे मायने निकलते हैं, यह पार्टी के अंदरूनी मामले होते हैं और राहुल गांधी जी को अधिकार है कहने का क्योंकि वह हमारे कांग्रेस अध्यक्ष है उनको सब अधिकार है कि किस नेता की कहां कमी रही कैंपेन के अंदर, किस नेता की कहा निर्णय में कमी रही वो ऐसे वक्त में जब पोस्टमार्टम हो रहा है तो स्वाभाविक है कि कांग्रेस प्रेसिडेंट का अधिकार है वह कमियां बताएंगे सबको, हम लोगों ने उस पर डिस्कशन किए हैं पर जो बातें अखबारों में आती है किस संदर्भ में कही है वह संदर्भ खत्म हो जाते हैं तो जो बात छपती है या सुनते हैं रेडियो पर, टेलीविजन पर देखते हैं संदर्भ को हटके जब बात होती है तब उसके मायने दूसरे हो जाते हैं उस पर मैं कोई कमेंट नहीं करना चाहता इतना ही मैं कह सकता हूं।

सवाल: कल रिव्यू बैठक के बाद कोई परिवर्तन संगठनात्मक?
जवाब: अभी तो राहुल गांधी जी को हमारी कमान संभालनी है कांग्रेस की, तमाम नेताओं द्वारा एक स्वर में उन से विनती की गई है। उन्होंने मुद्दा आधारित राजनीति इस देश में करी है आज देश उसको अप्रिशिएट करता है चाहे वोट हमें मिले हो या नहीं मिले हो पर हर व्यक्ति के जुबान पर है कि यह इंसान दिल से बोलता है, यह इंसान मुद्दा आधारित बात करता है, इस इंसान ने करप्शन पर जो घेरा मोदी जी को उसका जवाब आज तक नहीं आया है राफेल का, इन्होंने किसान की बात करी उसकी बात कोई की नहीं गई है, नौजवानों को नौकरियां नहीं मिल पाई है धोखा दिया गया देश को उसकी बात की गई है आज माहौल उनके पक्ष में है, जो हम बोलते हैं तो हमारी आलोचना ज्यादा होती है सोशल मीडिया पर हमले होते हैं हमारे ऊपर हम जानते हैं इस बात को, पर सच्चाई की अंतिम जीत होती है, झूठ जीत सकता है शॉर्ट टर्म के लिए पर अंतिम जीत सत्य जीत की होती है, अंतिम विजय सत्य की होती है, अंतिम विजय सत्य की ही होगी यह मैं कह सकता हूं।

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