Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

नीति आयोग की गवनिर्ंग काउन्सिल की 5वीं बैठक मुख्यमंत्री ने मजबूती से रखा प्रदेश का पक्ष पीएम को याद दिलाया ईआरसीपी का वादा, राष्ट्रीय परियोजना घोषित करे केन्द्र

दिनांक
15/06/2019
स्थान
दिल्ली


जयपुर, 15 जून 2019। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने शनिवार को दिल्ली में हुई नीति आयोग की गवनिर्ंग काउन्सिल की पांचवीं बैठक में वर्षा जल संरक्षण, पेयजल, कृषि, सूखा प्रबंधन एवं चिकित्सा सहित राज्य के विकास से संबंधित विभिन्न अहम मुद्दों पर प्रदेश का पक्ष मजबूती से रखा। उन्होंने केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं में केन्द्र से उसके हिस्से की राशि समय पर उपलब्ध कराने की अपेक्षा करते हुए राज्य के वित्तीय प्रबंधन को मजबूत करने के लिए भी केन्द्र से सहयोग मांगा।

श्री गहलोत ने राज्य के 13 जिलों में वर्ष 2051 तक पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने तथा दो लाख हैक्टेयर क्षेत्र में नवीन सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करते हुए इसे शीघ्र स्वीकृति देने की मांग की। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को राजस्थान में एक जनसभा के दौरान इस परियोजना को लेकर किया गया उनका वादा याद दिलाया। प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया था कि उनकी सरकार इस परियोजना पर सहानुभूति विचार कर इसे शीघ्र स्वीकृति प्रदान करेगी। श्री गहलोत ने राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत चालू वित्त वर्ष हेतु 370 करोड़ रूपये की प्रथम किस्त भी शीघ्र जारी करने का आग्रह किया।

जल संग्रहण परियोजनाओं में पहले की तरह मिले केन्द्रीय हिस्सा
मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि एकीकृत जल संग्रहण परियोजना के तहत वर्ष 2013-14 एवं 2014-15 तक केन्द्र एवं राज्य का अंश 90 अनुपात 10 था। लेकिन केन्द्र सरकार ने इस परियोजना के तहत स्वीकृत 205 प्रोजेक्टों को पूरा करने का पूर्ण भार राज्य सरकार पर डाल दिया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार राज्य की जल संग्रहण की महती आवश्यकता को देखते हुए केन्द्र का अंश पूर्व की भांति अनुमत करे।

राजीव गांधी लिफ्ट कैनाल के तीसरे चरण के लिए 1454 करोड़ के प्रस्ताव को दें मंजूरी
श्री गहलोत ने राजीव गांधी लिफ्ट कैनाल परियोजना के तृतीय चरण के लिए 1454 करोड़ रूपए की बाह्य वित्त पोषण सहायता प्राप्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी देने की मांग की। इस योजना से जोधपुर, बाडमेर व पाली के 2014 गांवों तथा 5 कस्बों को वर्ष 2051 तक जल आपूर्ति की जा सकेगी। उन्होंने प्रदेश के चार जिलों जयपुर, अजमेर, टोंक एवं नागौर को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए बीसलपुर बांध को ब्राह्मणी नदी से जोड़ने की योजना के लिए भी बाह्य वित्त पोषण प्राप्त करने के लिए सहयोग मांगा।

बेहतर सूखा प्रबंधन के लिए एसडीआरएफ नियमों में हो संशोधन
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए एसडीआरएफ नियमों में कृषि आदान-अनुदान के लिए भूमि सीमा डेजर्ट डवलपमेंट प्रोग्राम के 12 जिलों में 2 हैक्टेयर से बढ़ाकर 5 हैक्टेयर की जाए। उन्होंने लघु एवं सीमान्त किसानों के अलावा अन्य किसानों एवं भूमिहीन कृषकों के पशुओं के लिए दी जाने वाली सहायता को भी एसडीआरएफ नॉर्म्स में शामिल किए जाने का आग्रह किया। साथ ही अभाव अवधि के दौरान गौशालाओं में संरक्षित सभी पशुओं को दी जाने वाली सहायता भी एसडीआरएफ नॉर्म्स में शामिल करने की मांग की।

एमएसपी पर दलहन एवं तिलहन की खरीद सीमा बढाई जाए
श्री गहलोत ने प्रदेश के किसानों के हितों की पुरजोर पैरवी करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में कई पेचीदगियां हैं, उन्हें दूर कर किसानों को इसका वास्तविक लाभ दिलाने के लिए आवश्यक सुधार किया जाए। साथ ही उन्होंने दलहन व तिलहन की समर्थन मूल्य पर खरीद कुल उत्पादन का 25 प्रतिशत के स्थान पर 40 प्रतिशत करने के साथ एक दिवस में दलहन-तिलहन की एक जिंस की खरीद सीमा 25 क्विंटल से बढाकर 40 क्विंटल तक करने की मांग रखी। उन्होंने आवश्यक वस्तु अधिनियम-1955 में राज्यों से चर्चा के बाद ही यथोचित संशोधन करने का अनुरोध किया।

लंबित रेल परियोजनाएं जल्द शुरू हों
उन्होंने प्रदेश की महत्वपूर्ण लंबित रेल परियोजनाओं पर भी नीति आयोग का ध्यान आकृष्ट किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि विशेष रेल परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण की लागत राज्य द्वारा तथा समस्त परियोजना लागत केन्द्र द्वारा वहन की जानी चाहिए। इसी आधार पर रतलाम-डूंगरपुर वाया बांसवाड़ा रेल लाइन परियोजना का कार्य शुरू किया जाए। उन्होंने धौलपुर-सरमथुरा के बीच गंगापुर सिटी तक विस्तार के साथ ब्रॉडगेज लाइन तथा अजमेर से सवाई माधोपुर वाया टोंक रेल लाइन परियोजना का निर्माण कार्य शीघ्र प्रारंभ करने का अनुरोध किया।

आयुष्मान योजना में हो बदलाव वरना वंचित रहेंगे प्रदेश के 40 लाख गरीब परिवार
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में राज्य में संचालित स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत एनएफएसए में पात्र करीब एक करोड़ परिवारों को स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिल रहा है। जबकि आयुष्मान भारत योजना में वर्ष 2011 की सामाजिक-आर्थिक एवं जाति आधारित जनगणना के अनुसार प्रदेश के केवल 59 लाख 71 हजार परिवारों को ही लाभ मिल सकेगा। ऎसी स्थिति में करीब 40 लाख परिवार स्वास्थ्य बीमा से वंचित हो जाएंगे। केन्द्र सरकार इन शेष परिवारों का ध्यान रखते हुए सामाजिक-आर्थिक एवं जाति आधारित जनगणना 2011 के मापदंडों की बजाय राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा (एनएफएसए) में पात्र परिवारों को योजना की परिधि में शामिल करे।

समय पर मिले केन्द्रीय योजनाओं की राशी
श्री गहलोत ने कहा कि केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं में विभिन्न प्रक्रियात्मक बाधाओं के कारण केन्द्रीय मंत्रालयों द्वारा केन्द्र के हिस्से की राशि समय पर उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। उन्होंने अनुरोध किया कि संघीय ढांचे को सुढ करने के लिए इन बाधाओं को दूर किया जाए और पूर्व अनुभवों के आधार पर विकसित मापदंडों के साथ लचीले रूप में केन्द्र के अंश को उपयोग करने की अनुमति दी जाए।

सकल उधार सीमा के आधार पर ऋण लेने की मिले अनुमत
मुख्यमंत्री ने आग्रह किया कि वित्त वर्ष 2019-20 के प्रथम 9 महीनों के लिए वित्त मंत्रालय के 16 जून 2016 के पत्र के अनुसार ही सकल उधार सीमा के आधार पर खुले बाजार से ऋण लेने की सहमति प्रदान की जाए। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय के 5 अप्रेल 2019 के नए पत्र के कारण प्रदेश को केवल प्रथम तीन महीनों के लिए शुद्ध उधार सीमा के आंकलन के आधार पर ही खुले बाजार से ऋण लेने की अनुमति प्रदान की गई है। इससे राज्य को विकास कायोर्ं एवं ऋण तथा ब्याज के भुगतान में काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

राजस्थान की तर्ज पर केन्द्र भी दे एमएसएमई इकाइयों को छूट
बैठक में मुख्यमंत्री ने राज्य की महत्वपूर्ण उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि राज्य सरकार ने उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए कानून बनाया है जिसमें एमएसएमई इकाइयों को तीन वर्ष तक राज्य के कानून में किसी प्रकार की अनुमति की आवश्यकता नहीं है। केन्द्र सरकार को इस तर्ज पर केन्द्रीय कानूनों में उद्यमियों को छूट देनी चाहिए। बैठक में मुख्य सचिव श्री डीबी गुप्ता भी मौजूद थे।

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