Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

Talked to media in jaipur:

दिनांक
06/12/2019
स्थान
Jaipur


सवाल- हैदराबाद में पुलिस ने एनकाउंटर किया है, हालांकि जांच का विषय है लेकिन चारों को एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया है, जिन्होंने रेप किया था....

जवाब: एनकाउंटर किस रूप में हुआ वो तो वहां की पुलिस, वहां की सरकार बता सकती है पर पूरे मुल्क में जो हालात बने हैं जिस रूप में, रेप की घटनाएं बढ़ रही हैं वो चिंताजनक हैं, कल लड़की को जला दिया जमानत पर बाहर आते ही रेपिस्ट्स ने वह बड़ी मार्मिक घटना है पूरा देश हिल जाता है ऐसी घटनाओं से सभी सरकारों को उस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। टोंक में घटना हुई राजस्थान के अंदर तो 12 घंटे में मुजरिम पकड़ा गया, रेपिस्ट पकड़ा गया।
आज जो माहौल पूरे मुल्क में बना है शिकायत इस बात की है कि एक तो मनमोहन सिंह जी ने ठीक कहा, आरबीआई ने कुछ कमेंट किए हैं अभी जीडीपी के बारे में, डॉ. मनमोहन सिंह जी जो विशेषज्ञ हैं इस बात के वो कह चुके हैं कि आज जीडीपी गिरती जा रही है वो चिंता का विषय बन गया है, कहां तो 8% थी, 6% हो गई, 5% हुई, 4.5% हो गई वो आंकड़े गलत बताए जा रहे हैं उस पर संदेह है, इस सरकार की हर एक्टिविटी पर संदेह होता है क्योंकि काम ऐसे ही करते हैं लोग। अब आप बताओ कि जब चुनाव चल रहे थे तो एनएसएसओ, जो इतनी क्रेडिबल संस्था है, आजादी के बाद उसके आंकड़ों के आधार पर विभागों की सब योजनाएं बनती हैं, चाहे केंद्र हों या राज्य हों, उसके आंकड़े जब उसने कहा कि अनएंप्लॉयमेंट की दर बढ़ गई है जो कि 40 साल में सबसे अधिक है, तो सिर्फ इसलिए कि चुनाव में उसका असर नहीं पड़े सरकार ने वो आंकड़े रोक दिए, छिपा दिए। तो NSSO के चेयरमेन ने इस्तीफा दे दिया, मेंबर ने भी, आज तक इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ आंकड़ों को आप राजनीतिक दृष्टिकोण से रोको यह बहुत गंभीर बात थी। एक भी हिंदुस्तान का बड़ा अखबार नहीं होगा जिसने इस बात को लेकर के संपादकीय नहीं लिखे हों, चुनाव खत्म हुए और आंकड़े बाहर आ गए, आंकड़े वही थे जो पहले मीडिया में लीक हुए थे, वही आंकड़े थे। तो ये चाहे जीडीपी हो चाहे वो बेरोजगारी के आंकड़े हों, हर आंकड़े को सरकार छिपाना चाहती है, छिपाकर शासन करना चाहती है, हम कहते हैं कि सरकार भी अगर छिपाने का काम करेगी तो आप बाकि लोगों को क्या कहोगे? जो सरकार से जो उम्मीद करते हैं कि सरकार की क्रेडिबिलिटी बनी रहे वो ही खुद गिरा रहे हैं अपनी क्रेडिबिलिटी को इसीलिए कल चिदम्बरम साहब को बोलना पड़ा।
अब प्याज के दाम बढ़ रहे हैं, प्याज मिल नहीं रहा है, अब उनके मंत्री कहता है मुझे पता ही नहीं है मैं प्याज खाती ही नहीं हूं, कोई कहता है प्याज खाना कम कर दो, ये इनके आर्ग्यूमेंट हैं। यही लोग वो हैं जो कांग्रेस सरकार थी तो बढ़ा-चढ़ा के बातें करते थे...अब इनकी उल्टी गिनती शुरु हो गई है।
ये बात मैं इसलिए कह रहा हूं कि समझना चाहिए कि महाराष्ट्र में, हरियाणा में जो ट्रेंड आये है, राष्ट्रभक्ति की बात इन्होंने करी, राष्ट्रवाद की करी, 370 के बाद चुनाव पहली बार हुए थे सब देख लिया इन्होंने कर-करके तब भी जनता ने इनका साथ नहीं दिया। जनता जानती है कि राष्ट्रवाद की जगह राष्ट्रवादी हम सब हैं पर राष्ट्रवाद के नाम पर वोट आप कब तक मांगते जाओगे, कब तक आप गुमराह करते जाओगे। ये बातें धीरे- धीरे जनता समझ रही है, और एक के बाद एक स्टेट इनके हाथ से निकलते जा रहे है पहले निकला राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ अब निकला है महाराष्ट्र, अब निकलेगा झारखंड, ये स्थिति बनने वाली है इनकी।

सवाल- गुड गवर्नेंस की दिशा में सरकार गंभीर है। कल आपने कड़ा संदेश दिया कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी चाहे कितना ही बड़ा अधिकारी हो और उसके बाद एक्शन भी हो गया।

जवाब- देखिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग जो की हम लोगों ने ये हर माह होगी और जो आम पब्लिक की सर्विस डिलिवरी है गांवों तक उसकी पूरी मॉनिटरिंग की जाएगी, स्टेट लेवल पर चीफ सेक्रेटरी करेंगे, जिला स्तर पर जिला कलेक्टर करेंगे, हमारे प्रभारी मंत्री जाकर के पूरा उस पर वाच रखेंगे, 21 प्रोग्राम की मीटिंग रेग्युलर होगी, विजिलेंस कमेटी की मीटिंग रेग्युलर होगी जिसकी अध्यक्षता कलेक्टर करते हैं। तमाम तरह से कैसे गुड गर्वेंनस हो कैसे जो हम बार-बार कहते हैं संवेदनशील, पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन हो वो खाली मेरे कहने से नहीं होता है वो जब तक मेरे मंत्रिमण्डल के साथी लोग, तमाम हमारे विधायक, तमाम अधिकारी लोग सब मिलकर जनता की सेवा करेंगे तो ही तो सुशासन हो पाएगा। सुशासन करने की प्रतिबद्धता हमारी सबकी है और उस प्रतिबद्धता के अंतर्गत ही कल वीसी की थी और मैं उम्मीद करता हूं कि तमाम जिला प्रशासन के अधिकारी, या ब्लॉक के या गांव के सब समझ जाएंगे मेरी भावना क्या है, मेरी भावना वही है जो आम जनता की भावना है उनकी सेवा करने के लिए हम प्रथम सेवक के रूप में यहां खड़े हुए हैं हमारा खुद का कोई एजेंडा नहीं है, हमारा एजेंडा वहीं है जो आम गरीब का एजेंडा है तो आप समझ लीजिए उस पर सहयोग कौन करेगा, अधिकारी हमारा वो प्यारा है, सहयोग नहीं करेगा तो कानून अपना काम करेगा, नियम अपने काम करेंगे। कल भी हमने जो पांच-छह एग्जाम्पल दिए गए जो सीएमओ के अंदर जनसुनवाई में आए थे उनके बारे में जो जवाब आया वहां से, बहुत ही दुख हुआ कि इन छोटे कामों के लिए भी मूल निवास प्रमाण पत्र बनाने के लिए भी बजट नहीं है, आप सोच सकते हो एनआरसी का जो सर्वे हुआ तो फिर क्या होगा फिर जब बजट होगा ही नहीं तो सर्वे कैसे होगा? जो सर्वे किया असम के अंदर उसने सुप्रीम कोर्ट की मानिटिरिंग के बाद भी जिस प्रकार अमित शाह की देखरेख में सर्वे किया गया उसकी धज्जियां उड़ गई। वहां पर कांग्रेस भी हल्ला कर रही है, बीजेपी भी हल्ला कर रही है उसमें 19 लाख लोग हिन्दू हैं, ये हिन्दू और मुसलमान में जो भेद किया जा रहा है देश के अंदर और यह संविधान के दिवस पर 26 नवंबर पर प्रधानमंत्री जी कह रहे हैं कि आप सभी विधानसभाएं विशेष सत्र बुलाकर संविधान दिवस मनाएं और तो किसी ने किया ही नहीं इक्के-दुक्के लोगों ने किया होगा, वो हमने किया है। आप बताइए प्रधानमंत्री की इच्छा है कि संविधान दिवस मनाओ और संविधान की धज्जियां इन्हीं की पार्टी के लोग उड़ा रहे हैं। देश बड़े नाजुक दौर से गुजर रहा है कोई माने या ना माने, कुछ लोग मान रहे हैं और कुछ लोग मान जाएंगे आने वाले वक्त में, क्योंकि नौकरियां जा रही हैं नौकरियां नहीं लग रही है, अर्थव्यवस्था चौपट हो रही है, चौपट हो रही है अर्थव्यवस्था, पूरी तरह से काम धंधे बंद हो रहे हैं और बंद हो जाएंगे यह स्थिति है। अमीरी-गरीबी की खाई बढती जा रही है फिर भी, कुछ जो अमीर लोग हैं बड़े उद्योगपति खाली उन पर आंच नहीं आ रही है बाकि सब पर आंच आ रही है यह स्थिति है और मुझे अफसोस इस बात का भी होता है काम धंधे ठप पड़े हैं तो भी उनके पास ब्लैकमनी बहुत है अभी तक लगता है मुझे, दीपावली पर देखते हैं, शादी-ब्याहों पर देखते हैं बड़े बड़े गिफ्ट लेकर आते हैं तो लगता है कि ये पैसा आ कहां से रहा है? जो कार्ड छप सकता है 15-20 रुपए में वो 2500 हजार, तीन हजार, पांच हजार का कार्ड बांटते हैं तो पैसा कहां से आ रहा है तो इनकम टैक्स के छापे पड़ते हैं, एसीबी आती है और सीबीआई भी आती है आप सोच सकते हैं वो कार्यवाही क्या कर रहे हैं पैसा तो वो का वो चल रहा है।
नोटबंदी के माध्यम से, जीएसटी को गलत तरीके से लगाने के कारण से आज पूरी तरह से रेवेन्यू कम हो गई है केन्द्र की और राज्यों को कम पैसा मिल रहा है कम मिलेगा तो विकास कैसे होगा पूरे देश का तो पूरे जाल में ये सरकार एनडीए गवर्नमेंट फंसती जा रही है यह चिंता का विषय बना हुआ है यह स्थिति है। इनकी जिम्मेदारी समझें यह लोग, क्योंकि इनको जिताया है पब्लिक ने इनकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है, अहम घमंड छोड़ें हकीकत का सामना करें और कुछ ऐसे कदम उठाएं जिससे देश का भला हो।

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