Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

जाट समाज संस्थान की ओर से आयोजित ’समाज रत्न अवार्ड-2019’ तथा ’स्नेह मिलन एवं सर्वसमाज प्रतिभा सम्मान समारोह’ को संबोधित किया।

दिनांक
08/12/2019
स्थान
जयपुर


मुझे बहुत प्रसन्नता है कि आज यहां पर राजस्थान जाट समाज संस्थान की तरफ से हम सबको याद किया गया है प्रतिभाओं का सम्मान करने के लिए, समाज रत्न का अवार्ड देने के लिए और आज सब लोग साक्षी बन सकें इस प्रोग्राम के। समाज को सम्मानित करने का, किसी व्यक्ति विशेष को सम्मानित करने का, किसी महापुरुष को सम्मान देने का, ये परंपरा हमारे संस्कार में, संस्कृति में हमारी परंपरा में हमेशा रही है। भामाशाहों का सम्मान करना, जिससे की अन्य लोगों को प्रेरणा मिल सके। आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा मिल सके। अच्छे संस्कार होंगे, अच्छी परंपराएं स्थापित होंगी, उसका लाभ आने वाली पीढ़ियों को मिलता रहता है। और ये परंपरा निभाते-निभाते आज हम लोग यहां पर मौजूद हैं। मुझे खुशी है कि समाज ने ये बीड़ा उठाया और हम सबको याद किया और गरिमामय प्रोग्राम में आप सब लोग इस वक्त बैठे हुए हो उससे मैं बहुत प्रभावित हूं। मुझे खुशी है कि आने वाले वक्त में ये समाज और प्रतिभाओं को सम्मानित करने में आगे आएगा। प्रतिभाओं की खोज करनी पड़ती है। प्रतिभाएं कई फील्ड में अनवरत लगी होती हैं। समाज का काम है, समाज के अगुआ लोगों का काम है कि वो प्रतिभाओं की खोज भी करे। प्रतिभा खुद आकर नहीं कहती कि मैं प्रतिभा की धनी हूं। हमें देखना पड़ता है कि किस दिशा में, किस क्षेत्र में क्या टैलेंट है। अगर उसको हम लोग प्रोत्साहित करते हैं, तो मैं समझता हूं कि उसके माध्यम से हम समाज को मजबूत कर सकते हैं, प्रदेश की सेवा कर सकते हैं और देश की सेवा में हम भागीदारी निभा सकते हैं। जाट समाज के द्वारा ये प्रोग्राम किया जा रहा है, जिसके बारे में अभी कहा गया कि मैंने जाट समाज का हमेशा ध्यान रखा है। मैंने कितना रखा है, इसका फैसला जाट समाज करेगा। और मेरा जाट समाज ने कितना ध्यान रखा, इसका कोई मुकाबला नहीं है, ये मैं कहना चाहता हूं। मैं आज यहां पहुंचा हूं तो जाट समाज के कारण पहुंचा हूं। 5 चुनाव जीते पार्लियामेंट के मैंने तो जाट समाज के कारण जीते हैं। ये मैं आपको खुश करने के लिए नहीं कह रहा हूं। ये भ्रम नहीं होना चाहिए कि मैं आपको खुश करने के लिए ये बातें कह रहा हूं, जो लोग राजनीति में हैं उनको मालूम है कि मैं मारवाड़ से आता हूं। और मारवाड़ के जाट, वहां के विश्नोई, वहां की बिरादरियां अलग-अलग वो तमाम कांग्रेस के साथ रही हैं। और उसी कारण से मैं लगातार 5 बार एक बार छोड़कर एमपी बन सका। अवसर आया ऐसा, मैं प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष 3 बार बना, चंद्रभान जी मेरे साथ रहे हमेशा, और तीसरी बार बना मैं उसके बाद में मैं बना मुख्यमंत्री। मेरे ऊपर पहला हक किसी का था, तो जाट समाज का था। हमारा मुख्यमंत्री बन गया, कुछ गलतफहमियां पैदा कर दी गईं जान-बूझकर के आरक्षण के नाम पर, कोई जरूरत नहीं थी उसकी। कांग्रेस के मेनिफेस्टो में लिखा था, पर तब मदन लाल जी थे नेता प्रतिपक्ष, मैं तब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष। पार्टी लिखती है मेनिफेस्टो में कि हम चुनाव जीते तो क्या-क्या करेंगे। उस पर लिखा था कि हम चुनाव जीते तो जाट समाज को, किसान समाज को आरक्षण देंगे। और देश में पहली बार मैंने उस मेनिफेस्टो को, एक नई परंपरा कायम की, मेनिफेस्टो बनते ही, सरकारें बनती हैं, लोग भूल जाते हैं मेनिफेस्टो को, कोई याद नहीं रखता। न पब्लिक याद रखती है न बनाने वाले याद रखते हैं। मैंने मजबूर किया देश के अंदर लोगों को, मेनिफेस्टो का क्या महत्व होना चाहिए। मैंने पहली बार केबिनेट के अंदर, मेरी सरकार बनते ही, ये चंद्रभान जी मौजूद हैं, हमने मेनिफेस्टो को केबिनेट में स्वीकृत करके सरकारी कार्ययोजना का अंग बना लिया उसको। चीफ सेक्रेटरी के माध्यम से तमाम कलक्टर्स को, तमाम सेक्रेटरीज को भेज दिया गया, ये हमारे वादे किए हुए जनता से हैं, ये वादे हमें पूरे करने हैं। और विश्वास होना चाहिए जाट समाज को की जो व्यक्ति मेनिफेस्टो को आधार बनाकर शासन करना चाहता है, ये जो वादे किए गए, फिर तो होना निश्चित ही है आरक्षण होना, पर आप जानते हैं राजनीति में सब तरह के लोग होते हैं। कुछ लोगों ने गलतफहमियां पैदा कर दीं। उसके कारण से मैं जाट विरोधी घोषित हो गया 20 साल से जाट विरोधी घोषित हूं मैं। अब आपने मुझे बुलाया है, मैं आपका बहुत आभारी हूं। बुलाया आपने मुझे लगता है कम से कम आपने मुझे मालूम है आप लोगों के दिल में क्या है, मैं जानता हूं। मैं जानता हूं कि आप नहीं पूरा समाज मेरे संग रहा हमेशा, अपना आशीर्वाद देता रहा, मुझे मालूम है। पर चंद लोग ऐसे भी होते हैं, अपने राजनीतिक कारणों से ऐसा माहौल बनाते हैं और समाज के कुछ लोग गुमराह हो जाते हैं। और चश्मा लग जाता है, और लग गया, और मैं राजनीति में हूं, मैं कोई साधु-संत तो नहीं हूं। तो मुझे आता है कि कैसे उनके चश्मे को खत्म करना आता है मुझे। दिलों से लगाकर रखना पड़ता है, दिल जीतना पड़ता है, दिलों पर राज करना पड़ता है। दिलों से लगाकर रखना पड़ता है मतलब उनकी सेवा करनी पड़ती है। उन्हें एहसास करवाना पड़ता है कि मैं सबको साथ लेकर चलूंगा। मेरी ड्यूटी बनती है। डेमोक्रेसी के अंदर आज जो माहौल देश के अंदर है, वो लोकतांत्रिक माहौल नहीं है। हिंसा का माहौल, भय का माहौल, अविश्वास का माहौल है। वो चलता नहीं है लंबे समय तक। जाति के नाम पर, धर्म के नाम पर, राष्ट्रवाद के नाम पर, 370 के नाम पर सिर्फ राजनीति हो गई देश के अंदर, अब ये काम कि हम कितने समझदार हैं। ये जनता के ऊपर है, वो कानोंकान खबर नहीं लगने देती है कि क्या करेंगे हम लोग। ये हमारी देश की जनता की खूबी है, जो रोबर्ट कॉमनसेंस हमारा है, कि आप लोग जब है बात करेंगे, मोहब्बत से, प्रेम से, भाईचारे से तो वोट देने जाएंगे तो आप जानते हैं और आपका भगवान जानता है। इंदिरा गांधी जैसी महान नेता, जिसने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए, बांग्लादेश बना दिया, अटल बिहारी वाजपेयी को कहना पड़ा इंदिरा जी को लोकसभा में, ये इंदिरा गांधी दुर्गा का रूप है। पोकरण में बम विस्फोट किया, परमाणु विस्फोट किया, पूरी दुनिया देखती रह गई, इंदिरा गांधी ने एटमिक एक्सप्लोइटेशन कर दिया। खालिस्तान नहीं बनने दिया उन्होंने, कितने खून-खराबे होते थे आप तो सब जानते हो। रोज लोग मरते थे, पर इंदिरा गांधी वो महान नेता थीं, जान की परवाह नहीं करी, उनको मालूम था, मेरी जान जा सकती है, मैं उनका मंत्री था, मुझे उन्होंने कहा था। और मरने के एक दिन पहले कहा उन्होंने, एक महिला थी, महिलाओं का मान-सम्मान बढ़ाया उन्होंने, उन्होंने कहा उड़ीसा के अंदर मेरी जान भी जा सकती है। और मेरी जान जाएगी तो मेरे खून का एक-एक कतरा देश को मजबूती प्रदान करेगा, वो इंदिरा गांधी थीं। स्थिति ऐसी बनी, इमरजेंसी लग गई, उसको लोगों ने पसंद नहीं किया, नसबंदी को पसंद नहीं किया, जो भी हुआ एक लंबा इतिहास है। पर जब उनको चुनाव में हरवाया, तो कानोंकान खबर किसी को नहीं लगी। एक नाथूराम मिर्धा जीते नागौर में, बाकी कांग्रेस साफ हो गई। ये जनता वो है। और वाकई में आप लोगों ने ढाई साल में ही ऐसा माहौल बनाया, वो ही इंदिरा गांधी को जिस रूप में सम्मान दिया, स्वागत किया और आंधी में हम सब लोग जीतकर चले गए पार्लियामेंट में, उसमें मैं भी एक हूं, ये जनता वो है। राजीव गांधी कामयाब नहीं हो पाए, कई अवसर आए, जब जनता ने फैसला किया, कानोंकान खबर नहीं लगने दी किसी को। और मोदी जी को घमंड नहीं करना चाहिए, पता नहीं कब जनता का मूड बदल जाए, पता ही नहीं लगता है। ये लोकतंत्र में अहम, घमंड काम नहीं आता है। ये गांधी का दिया हुआ, पंडित नेहरू का दिया हुआ, ये सोशल मीडिया में नौजवानों को आगे पता नहीं क्या-क्या करवाया जा रहा है। नेहरू के लिए, जो 10-12 सालों तक जेल में बंद रहे थे। 10-12 साल तक जेल में बंद रहना उस जमाने के अंदर, पर जिस रूप में बदनाम किया गया, बदनाम किया जा रहा है, बल्कि महान राष्ट्रपिता के सानिध्य में पंडित नेहरू थे या सरदार पटेल थे या मौलान अबुल कलाम आजाद थे, जिस रूप में देश को आजाद करवाया, एक वोट का अधिकार सबको दिया चाहे वो राजा हो या रंक हो। आपको मालूम है कि अंग्रेजों का राज, राजा-महाराजाओं का राज, जागीरदारों का राज आपसे ज्यादा कौन समझ सकता है। ये कांग्रेस थी जिसने, जो किसान लोग थे खेत को जोतते थे, मालिक नहीं थे वो, एक झटके में इस कांग्रेस ने रात को सोए तो मालिक नहीं थे, सुबह उठे तो मालिक बन गए वो कांग्रेस से ही थे। कोई कम फैसले नहीं किए कांग्रेस ने 70 साल के अंदर। मोदी जी कह रहे हैं कांग्रेस ने क्या किया, मोदी जी कांग्रेस ने आपको प्रधानमंत्री बनाया। अरे लोकतंत्र जिंदा नहीं रहता 70 साल में, हिंदुस्तान- पाकिस्तान साथ में आजाद हुए थे, वहां लोकतंत्र कायम नहीं रहा, वहां सैनिकों के शासन हो गए, बार-बार सैनिकों के शासन, प्रधानमंत्रियों को जेल, भुट्टो को फांसी के फंदे पर चढ़ा दिया। हिंदुस्तान में फिज़ा बदलती है, आप लोग बदलते हो कानोंकान खबर नहीं लगती है। लोकतंत्र की जड़ें मजबूत हैं, इसीलिए मोदी जी प्रधानमंत्री बन पाए हो आप। ये नहीं कि आप प्रधानमंत्री बने 4 महीने में हिस्से हो गए, जो संविधान पंडित नेहरू ने स्थापित किया था बाबा के नाम से, और मंगल ग्रह पर ऊपर छोड़ा गया जैसे कि मोदी जी ऊपर छोड़ने लायक बन गए। ये भ्रम किसी को नहीं होना चाहिए। भई सोशल मीडिया, सत्ता का दुरुपयोग, धन का दुरुपयोग, पता नहीं धन कहां से आ रहा है, क्या-क्या नहीं हो रहा है देश के अंदर, कोई सोच नहीं सकता है। कल मैं था जोधपुर के अंदर हाईकोर्ट के नवीन भवन का उद्घाटन हो रहा था, मैंने अपनी स्पीच दी थी, आप लोग मुझे फॉलो करते होंगे, देखना उसके अंदर, कल मेरी स्पीच हुई थी वहां पर, फेसबुक पर होगी, एक-एक वर्ड पढ़ना आप, मेरी भावनाएं क्या हैं। दिल से बोलता हूं मैं, दिल से बात करता हूं कि ये क्या हो रहा है देश के अंदर। हालात बड़े भयावह हैं। मैं ये कहना चाहूंगा कि ये तमाम बातें अपनी जगह हैं, आपको तो मैं इसलिए कह रहा हूं कि आप आजादी के पहले से ही इस कांग्रेस का मजबूती का झंडा बुलंद करने वाले लोग हैं। अब 70 साल में कई गलतियां भी होती हैं, नेताओं से होती हैं, पार्टियों से होती हैं, तो नेचुरल है कि कई बार लोग पार्टी में आते हैं कई बार जाते हैं। वो टाइम था कि कोई व्यक्ति सोच नहीं सकता था कि कांग्रेस छोड़कर बीजेपी जॉइन करें, हम जनसंघ जॉइन करें, कल्पना के भी बाहर की बात थी। बाद में धीरे-धीरे, कुछ कमियां रही होंगी, कुछ गलतियां रही होंगी, अवसर कम मिले होंगे नौजवानों को, पार्टी छोड़ते गए, इधर-उधर आते गए अब तो निश्चिल मामला है, हमें मालूम है इस बात का, पर कोई बात नहीं, ये तो, डरने की कोई, दुश्मनी नहीं है किसी से, ना मोदी जी से है ना पार्टी से है किसी से, ना आरएसएस से ना मोदी जी से, ये लड़ाई लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए जरूरी है कि आप अपनी विचारधारा रखें। आपकी नीतियां जनता के लिए, आपके कार्यक्रम किसान के लिए, गरीब के लिए, गांव के लिए क्या हैं, बताओ देश को, जनता फैसला करेगी क्या करना है। इसलिए हम लोग में आज भी, मेरा मानना है कि ये कांग्रेस मुक्त भारत बनाने की बात करने वाले, अब ये चुनाव गए हरियाणा के अंदर, जो परिणाम आए हैं, उसके बाद कभी जिंदगी में नाम नहीं लेंगे कि कांग्रेस मुक्त भारत की बात करें। आप देख लेना कभी नाम लें तो। कोई नाम नहीं लेगा अब। और कांग्रेस मुक्त भारत की बात करने वाले खुद मुक्त हो जाएंगे, कोई आश्चर्य की बात नहीं है। आज का माहौल 40 साल पहले भी था जब मैं एमपी बना। उसके बाद एमएलए का इलेक्शन लड़ा, मैं हार गया चुनाव। कोई नई बात नहीं है हमारे लिए। यही माहौल था, कांग्रेस साफ हो गई थी पूरे उत्तर भारत के अंदर, तब लोगों ने कहा था, गया हुआ राज वापस कभी नहीं आता है। राज वापस भी आ गए, राज बदलते भी गए, ये प्रधानमंत्री बन गए, सब देखा है, देश ने देखा है, आप गवाह हैं। क्योंकि मैं कोई, मैं तो अपनी बात कह रहा हूं, कि मुझे लगता है कि आज आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई देश की, जीडीपी गिर रही है, साढ़े चार पर आ गई है, डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि इसका एक कारण ये भी है कि सामाजिक ताना-बाना कमजोर हो रहा है देश का, एक डॉ. मनमोहन सिंह जी के स्टेटमेंट से, राहुल बजाज के दो टूक बता करने अमित शाह के सामने, उससे पूरी सरकार हिल गई। और वो अन्य उद्योगपतियों को खड़ा कर रही है उनके सामने बोलने के लिए, ये स्थिति बन गई है। सवाल ये नहीं है, सवाल ये है कि हम आर्थिक स्थिति कमजोर होगी, व्यापार-धंधे ठप्प हो रहे हैं, ऑटोमोबाइल बर्बाद हो रहा है, टेक्सटाइल उद्योग बंद हो रहे हैं, लाखों मजदूर घर बैठ रहे हैं, व्यापार ठप्प हो रहे हैं, कालीचरण जी खुद जानते हैं, खुद इंडस्ट्री चलाते हैं, क्या हालात हैं, कोई सोच नहीं सकता। कई व्यापारी कई उद्योगपति संकट में हैं, कई आत्महत्याएं कर रहे हैं, कई लोग बोल नहीं रहे हैं, बोलेंगे तो और हमारी स्थिति बिगड़ जाएगी, व्यापार ठप्प हो जाएगा। कर्जदार मांगने घर आ जाएंगे, इसलिए बोल नहीं रहे हैं। सब धंधे चौपट हो रहे हैं, स्थिति खराब है। इसलिए आपके आशीर्वाद से मुझे तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य मिला है और मैं आपको कह सकता हूं कि आप निश्चिंत रहें हमेशा हम लोग आपके साथ, आपके सुख में, आपके दु:ख में खड़े मिलेंगे ये मैं आप सब से निवेदन करना चाहता हूं। और जो भी मेरे सामने आप लोग प्रस्ताव लाएंगे, कोई मांग होगी, कोई सुझाव होंगे तो उसका स्वागत रहेगा। अभी जमीन की बात की गई और मुझे बताया गया है कि पहले भी जमीन मैंने ही दी थी या मैंने ही लोकार्पण किया था। तो पहली मैं बार सीएम बना तब मेरी सोच थी, सवाल जाट समाज का नहीं है, सवाल है हर समाज का। हमने कोई जाति-बिरादरी हो, हमने सबको जमीन दी थी। क्योंकि जमीन के प्रति सरकार का मोह नहीं होना चाहिए। अगर मोह हो गया तो आप विकास नहीं कर सकते। सरकार का दृष्टिकोण होना चाहिए कि हम जो अनेकता में एकता वाला मुल्क है हमारा, अलग-अलग धर्म के लोग रहते हैं, जातियां अलग-अलग हैं, बोली अलग हैं उसको एक अखंड रखे हुए है कांग्रेस की सरकारों ने अपनी नीतियों से अपने कार्यक्रमों से, अपने सिद्धांतों से, ये कोई कम बात नहीं है। रशिया जैसा मुल्क, 16 टुकड़े हो गए उसके, किंतु हमें गर्व था, सुपर पॉवर थी दुनिया की अमरीका के साथ में, 16 टुकड़े हो गए, 16 राज्य बन गए वहां पर, इंदिरा गांधी की जान चली गई पर देश एकदम अखंड रहा। सरदार नैनसिंह जी थे, वे शहीद हो गए, आतंकवाद को निस्तेनाबूत कर दिया, आपको मालूम है किस रूप में उन्होंने काम किया, मुख्यमंत्री रहते हुए शहीद हो गए थे वो। प्रधानमंत्री रहते हुए इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई। एसपीजी बनी सिक्योरिटी के लिए इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, क्या मायने रखता है। उनको हटा दिया अभी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी, अरे जिनके परिवार के लिए एसपीजी बनी, 2 प्रधानमंत्री खोए जिन्होंने देश के लिए, एक प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए इंदिरा गांधी को, और एक प्रधानमंत्री बनने के 3 महीने बाद में राजीव गांधी को। इतने निम्न स्तर पर किसी को नहीं जाना चाहिए। पर देश के हालात ऐसे बन गए हैं जो आप सब देख रहे हो। इसलिए मैं कहना चाहूंगा सरकार का मोह जमीनों से नहीं होना चाहिए। सब समाज को जमीनें दी थीं तब भी, सस्ते दामों पर दी थीं। जिससे आराम से समाज के लोग भामाशाहों के सहयोग से सेवा के कामों में उस जमीन को उपयोग कर सकें। और निश्चिंत रहें, जो मुझे कहा गया है प्रस्ताव जमीन का, हमारी केबिनेट में कटारिया जी बैठे हुए हैं लालचंद जी, डोटासरा जी हैं, सब साथी संग बैठे हैं, इनके ऊपर मैं जिम्मेदारी डालता हूं आप जाके बात कीजिए धारीवाल जी से, कोई दिक्कत आए तो मुझ बताइए, और जमीन का अनुमोदन भी करेंगे। संयोग से मैं आया हूं जोधपुर से आज सुबह, तो जोधपुर में मुझे गंगाराम जी नागर साहब ने, जो हमारे वाइस चांसलर थे, मेरे साथ पढ़े हुए थे, और विश्वविद्यालय का छात्रसंघ इलेक्शन हम लोगों ने आमने-सामने लड़ा था, वो और नानाराम भेड़ा जी इसी काम के लिए आए थे। जोधपुर में छात्राओं के लिए हॉस्टल बने लड़कियों का, मुझे खुशी है लड़कियों के ऊपर चिंतन शुरु हुआ है समाज के अंदर, सब समाज को आगे आना चाहिए कि लड़कियों को कैसे हम सुविधा प्रदान करें लड़कों की तरह, गांव से लड़कियां शहरों में आकर रह सकें, पढ़ाई कर सकें, जिसके लिए कि आप हॉस्टल की मांग कर रहे हैं, जमीन की मांग कर रहे हैं। जोधपुर में भी मांग वही की जा रही थी और मैंने कहा है कि ये पढ़ाई ऐसी चीज है जो लड़कियों के जो अगर अनपढ़ रहती हैं, उनको घूंघट निकालना पड़ता है। घूंघट हटाओ, कब तक कैद रखोगे लड़कियों को, महिलाओं को घूंघट के अंदर कहां टेलीफोन, मोबाइल फोन आ गए है। इंटरनेट की सेवाएं आ गई हैं। और राजस्थान में सबसे अधिक घूंघट है और राज्य में नहीं है। गुजरात में बिल्कुल नहीं है महाराष्ट्र में नहीं है। राजस्थान में है क्योंकि सदियों से चला आ रहा है। घूंघट प्रथा है महिला घूंघट के कैद में रहती है क्या प्रगति कर सकती है वो, ना परिवार ना खुद। क्या बितती होगी उस पर क्या बितती होगी बताओ और पढ़ लिख जाती लड़की घूंघट निकालती है क्या बाद में, ना शादी से पहले ना शादी के बाद। इसपर विचार करने की आवश्यकता है, ये बहुत गंभीर सवाल मैंने उठाया है। जिसको आप सबको सपोर्ट करना चाहिए क्योंकि जाट समाज प्रगतिशील समाज है। आजादी के वक्त में भी आप लोगों ने अपनी भूमिका अदा की थी। आजादी के वक्त में भी संघर्ष करने वाली आपकी जाट कौंम है। घूंघट हटाने के काम में भी जाट समाज को आगे आना चाहिए। ये मैं कहना चाहता हूं आपसे, या तो राजीव गांधी ने एमिटमेंट किया 73-74 उससे पहले गांवों में महिला के सरपंच बनने का सपना ही नहीं आता था। उन्होंने दलितों को भी पिछडों को भी महिलाओं को भी सरपंच, प्रधान, प्रमुख, मेयर, सभापति बना दिया वार्ड पार्षद बना दिया। ये उनका सोच था। महिलाओं की भागीदारी होनी चाहिए। समाज के अंदर भी और सरकार के अंदर भी उस समय पाकिस्तान का एक इकॉनोमिस्ट था। उसने एक आर्टिकल लिखा जिसमें लिखा की राजीव गांधी जी का बहुत शानदार एतिहासिक फैसला है। जो 50 प्रतिशत महिलाएं है देश के अंदर लगभग उनकी भागीदारी सत्ता में होगी तो हिन्दूस्तान ज्यादा तेज गति से प्रगति कर सकेगा। ये उस वक्त में इस बात को लेकर बहस छिडी थी। इस बात को लेकर उसके बाद में मैंने देखा शुरू शुरू के अंदर जो महिला सरंपच बनी घूंघट निकालकर आ रही है मीटिंग में। हम लोग मीटिंग में जाते थे, हमारे पास आकर उनके पति बैठते थे। हम कहते भाई सरंपच आप हो क्या वो बोलते नहीं मेरी पत्नी है। वो नीचे बैठी हुई है। मैंने कहा भाई कमाल है, सरंपच को उपर आकर बैठना चाहिए था आपको नीचे बैठना चाहिए, नहीं साहब में सरपंच पति हूं। मैंने कहा- नई पोस्ट बना दी आपने, सरपंच पति, प्रधान पति, प्रमुख पति। ये जोरदार मामला है पर धीरे- धीरे वो महिला समझ गई और अपने पति जो मीटिंग में बैठते थे, पंचायती करते थे, घूंघट उपर हो गया और कहने लगी आप घर पधारो मैं अपन आप संभाल लूंगी। कितना फर्क पड़ गया तो घूंघट हटाने में अगर आप सत्ता में आते हो तो घूंघट हटता है, पढ़ाई करते हो तो घूंघट हटता है। तो मैं आपको मार्मिक अपील करना चाहूंगा आपके माध्यम से तमाम 36कौंमों के लोगों को ये घूंघट प्रथा है, बुर्का प्रथा है इसको हटाओ। खुली हवा में सांस लेने दो महिला को ये पुरूष प्रधान देश है। इसलिए पुरूषों के बगैर वो कुछ भी कर नहीं सकती अकेली तो पुरूषों को आगे आना पड़ेगा। महिलाओं का घूंघट हटवाने के लिए तब जाकर के वो घूंघट हटा पाएंगी। ताली जोरदार बजाओ, मुझे उम्मीद है कि मेरी भावना आप समझ रहे हो और आने वाले वक्त के अंदर हम जो सरकार आपने सौंपी है। तो संवेदनशील पारदर्शी जवाबदेही सरकार देनी की बात हमने की है।
17 तारीक को एक साल होंगे इस सरकार को पूरे 17 तारीख को अभी 17 दिसंबर को, हम चाहते है कि उस वक्त में लेखाजोखा हो सरकार का और एक प्रोग्राम हम शुरू करने जा रहे है। निरोगी राजस्थान अच्छा स्वास्थ्य रहे लोगों का बीमार नहीं पड़े दवाई लेने कि जरूरत ही नहीं पड़ेगी। राजस्थान के अंदर फ्री मेडिसिन की स्कीम जो मैंने लागू की थी पिछले टर्न में बहुत कामयाब रही देश के अंदर। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी उसकी तारीफ की। दवाईयां पहले 600 थी अब 900 हो गई हैं। टेस्ट फ्री कर दिए, खून की जांचें फ्री, सोनोग्राफी फ्री सबके लिए डायलेसिस फ्री, बुजुर्गों के लिए साठ साल का कोई है तो उसके लिए या बीपीएल के लिए एमआरआई फ्री, सीटी स्कैन फ्री। हमने उस वक्त में कई अच्छे फैसले किए थे। पशुओं की दवाईयां फ्री कर दी थी। पर सरकार चली गई फिर भी, खूब काम किए अरे मैंने कहा खूब घूम रहे थे हम लोग कहते हुए एक बार तो कर्मचारियों की स्ट्राइक हुई, पहली बार जब मैं मुख्यमंत्री बना याद होगा आपको और काम तो कर्मचारियों ने मेरे कहने से बहुत किए अकाल का प्रबंधन किया चार साल तक शानदार पर चुनाव आया तो पोलिंग पार्टियां अशोक गहलोत मुर्दाबाद का नारा लगाती हुई गई। सरकार चली गई हमारी। वसुंधराजी पहली बार आई थी उस वक्त में , दूसरी बार मोदीजी आ गए। बुखार चढ़ गया लोगों को मोदीजी का यही प्रधानमंत्री बनना चाहिए इस बार तो कब बनेगा जब राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ जीतेगी बीजेपी तो सरकारें चली गई दिल्ली की राजस्थान की दो सरकारें बच गई। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ पर मुझे बहुत समझ में नहीं आया हम लोगों को चंद्रभानजी हमारे प्रदेशाध्यक्ष थे। हम घूमे राजस्थान भर में इतना शानदार माहौल था सब जगह बहुत उत्साह था। मैंने कहा था सरकार हमारी ही वापस बनेगी। इतने अच्छे काम हमने किए हैं। और ये भी कहा अगर नहीं बनी तो आने वाली गवर्मेंट काम भी नहीं करेगी। वही हुआ वसुंधरा जी के पास लोग गए, एमएलए थे कि मैडम कोई काम नहीं हो रहे हैं, गांवों में जवाब क्या दें, तो पता है उन्होंने क्या कहा-सिविल लाइंस में जहां वो रहती थी उसके सामने मैं रहता था 49 के अंदर वो बोली पता है मेरे सामने कौन रहता है, कि साहब पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रहते हैं। जाओ वहां जाकर पूछ लो खूब काम करके देख लिए वो वहां बैठा हुआ है, मैं यहां बैठी हुई हूं। और जमकर काम नहीं किया पांच साल निकाल दिए वापस आपके आशिर्वाद से मौका मिल गया मुझे आने का। और तमाम आपके कारण आ पाया ऐसा माहौल बना राजस्थान के अंदर, ऐसा माहौल बना ऐसा मैंने मेरी जिंदगी में कभी नहीं देखा और राहुल गांधी ने सोनिया गांधी ने मुझ पर विश्वास किया एक बार पुन भेजा आपके बीच में।
इसलिए मैं कह सकता हूं कि जो स्कीम हम लोग ला रहे हैं निरोगी राजस्थान की पहला सुख निरोगी काया जो हमारी कहावत है। पहला सुख वहीं है आपका स्वास्थ्य अच्छा रहे तो हमने थीम बनाई है राजस्थान के अंदर कि सभी लोग निरोगी कैसे रहे, अच्छा पर्यावरण रहे, प्रदूषण नहीं फैले दवाईयों की जरूरत नहीं पड़े ये तमाम योजनाएं बडे रूप में मनाएंगे हम लोग, चर्चाएं शुरू हो गई हैं। 17 तारीख को आपको मालूम पड़ेगा, स्कीम किस प्रकार बनी है। मैं खाली आपको इसलिए कह रहा हूं, आपको सबको मेरा आव्हान है कि जो अच्छे काम सरकार के हैं, उसका लाभ उस तक पहूंचना चाहिए जो गरीब है या किसान है। कई बार अच्छी स्कीम होती है, पर पहुंचती नहीं है। उसमें आप लोग हमारी मदद करो यही मेरी आपसे गुजारिश रहेगी और यही कहता हुआ आपने मुझे याद किया, मैं आपका आभारी हूं मैं चाहूंगा कि हम सब मिलकर के राजस्थान की इस रूप में सेवा करें जिसका लाभ आने वाली पीढ़ियों को मिले। अच्छी परम्पराएं, अच्छे संस्कार, अच्छा भाईचारा रहा है। तेज गति से विकास कर रहा है राजस्थान ये हम सबका प्रयास रहेगा किसानों के लिए कृषि मंत्रीजी बैठे हुए हैं। 17 को पूरे राजस्थान के किसानों का मेला लगा रहें हैं ये, चर्चा करेंगे उसमें, उसके अंदर क्या- क्या कर सकते हैं। कई हमने कदम उठाए हैं। और किसान को क्या सुविधा मिल सकती है। कैसे उसको उपज का पूरा मूल्य मिले। क्या-क्या हम सरकार की तरफ से और ऑफर कर सकते हैं। सिंचाई की सुविधा कैसे बढ़ सकती है कई योजनाएं बनाई हैं। समय कम है, अब मैं उन पर दुबारा चर्चा नहीं करना चाहता आप सब यहां पधारे हम लोगों को याद किया, आपके आभारी हैं। यही बात कहता हुआ अपनी बात समाप्त करता हूं, धन्यवाद, जय हिंद, धन्यवाद

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