Talked to media at Secretariat:
दिनांक
22/01/2020 |
स्थान
जयपुर
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सवाल- सर नाबार्ड की स्टेट क्रेडिट सेमिनार है।
जवाब- देखिए नाबार्ड की भूमिका हमेशा ग्रामीण विकास में और कृषि में बहुत महत्वपूर्ण रही है। नाबार्ड ने हमेशा आगे बढ़कर के सहयोग किया है राज्य का। और ये बहुत अच्छी परंपरा है कि नाबार्ड की जो सोच है उसमें कृषि विकास भी और गांवों का विकास भी, चाहे वो Infrastructure हो, चाहे कृषि हो, चाहे डेयरी हो या अन्य योजनाएं हों, उसमें हमेशा सहयोग रहा है। सवाल इस बात का है कि जो हालात देश में हो गए हैं आर्थिक रूप से, वो मंदी का दौर इतना खतरनाक है कि सरकार जब तक नीतियां नहीं बदलेगी, अर्थव्यवस्था मजबूत नहीं करेगी तब तक देश का विकास ठप्प हो जाएगा, राज्यों का विकास ठप्प हो जाएगा। अभी भी राज्यों की जो कटौती हो रही है केंद्र से, जो उनका हिस्सा मिलना चाहिए संविधान के अंतर्गत भी, चाहे वो टैक्स का हिस्सा हो चाहे ग्रांट हो, वो रुक रही है। राजस्थान को भी करीब-करीब 10-11 हजार करोड़ रुपए कम मिलेंगे, तो सब राज्यों में यही स्थिति बनेगी तो विकास कैसे होगा देश का, यही चिंता का विषय बना हुआ है। तो मैं चाहूंगा कि केंद्र सरकार भी आगे आकर के अपना एजेंडा बदले, जिस एजेंडा पर अभी काम कर रही है उससे देश का भला नहीं होगा, लोग सड़कों पर आए हुए हैं। प्रायोरिटी होनी चाहिए कि देश की अर्थव्यवस्था कैसे मजबूत हो, युवाओं को रोजगार मिले, महंगाई कम हो, एक्सपोर्ट बढ़े हमारा। हर क्षेत्र में देखते हैं हम लोग तो चिंता लग जाती है। क्योंकि बगैर रोजगार के, बगैर महंगाई कम होने के, रुपए का अवमूल्यन अलग हो रहा है। हर क्षेत्र में हम पिछड़ते जा रहे हैं, इसलिए ऐसे वक्त में नाबार्ड की भूमिका और बढ़ जाती है, बैंकों की भूमिका बढ़ जाती है, कि कैसे हम काश्तकारों को, आर्टिजन्स को, गरीबों को, छोटे उद्योगों को कैसे समय पर और सुविधा से लोन मिले। ये तमाम बातें बैठकर के हमने करी हैं, तो मुझे उम्मीद है, जो माहौल मैंने देखा मीटिंग के अंदर भी, आने वाले वक्त के अंदर हम लोग और ज्यादा मजबूती से किसानों के लिए भी और ग्रामीण विकास के लिए भूमिका अदा कर पाएंगे। नीतियां जो हमने बनाई हैं, एग्रो प्रोसेसिंग की बनाई है, एग्री एक्सपोर्ट की बनाई है, उद्योग की बनाई है, सोलर की बनाई है, विंड की बनाई है, हर सेक्टर में नीतियां बन चुकी हैं राजस्थान के अंदर, नीतियां जितनी लागू होंगी उतनी ही ज्यादा लोन की मांग आएगी, बैंकों से भी और नाबार्ड से भी। तो हमने ये अनुरोध किया कि जितना विकास हम करना चाहेंगे, जितनी पॉलिसी बनी हैं हमारी हर क्षेत्र की, जो जमीन पर ले जाएंगे चाहे वो ड्रिप इरिगेशन भी क्यों नहीं हो, फव्वारा खेती भी क्यों नहीं हो, जितना फैलाव करेंगे उतनी मांग बढ़ेगी लोन की। इनको चाहिए कि सुविधा के साथ में और पर्याप्त और समय पर लोन दें, यही मैंने अपील करी है।