Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (राजीविका) द्वारा ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से आयोजित 'जयपुर सरस राष्ट्रीय क्राफ्ट मेला -2021' (10 मार्च से 21 मार्च) का वर्चुअल उद्घाटन

दिनांक
10/03/2021
स्थान
जयपुर


जयपुर सरस राष्ट्रीय क्राफ्ट मेले के इस शुभ अवसर पर मुझे खुशी है कि आज बहुत विभिन्न राज्यों से जो हमारे साथी आए हैं यहां पर और 150 से अधिक स्टॉल्स लगाए गए हैं, 300 महिलाओं के एसएचजी ग्रुप आए हैं, सब भाग ले रहे हैं इसके अंदर। ये बहुत ही अच्छा मुबारक मौका है जहां पूरे देश के जो राज्य हैं वहां के जो अलग-अलग रीजन्स हैं, सामाजिक सरोकार है वहां का, वहां का हैंडीक्राफ्ट, वहां का हैंडलूम, वहां की दस्तकारी सबसे रूबरू होने का मौका मिलता है आपस के अंदर एक-दूसरे को और उसी से हमारे देश की जो पुरानी परंपराएं हैं, पुराने संस्कार हैं, पुरानी संस्कृति है, उससे रूबरू होने का मौका मिलता है। समय के साथ-साथ मैं समझता हूं कि बहुत प्रोग्रेस हुई है हैंडीक्राफ्ट-हैंडलूम आइटम्स के अंदर क्योंकि मुझे भी करीब 30 साल पहले केंद्र सरकार में टैक्सटाइल मिनिस्टर रहने का सौभाग्य मिला, वस्त्र मंत्रालय। वहां पर हैंडलूम डवलपमेंट को-ऑपरेशन्स चाहे हैंडीक्राफ्ट डवलपमेंट को-ऑपरेशन्स के माध्यम से ऐसे मेले हम पूरे देश में लगाया करते थे। आज मुझे खुशी है कि उस वक्त मेले लगते थे, वो परंपरा बराबर चली आ रही है और उसी के अंतर्गत जयपुर सरस राष्ट्रीय क्राफ्ट मेला का आयोजन हुआ, जिसमें भारत सरकार का ग्रामीण विकास मंत्रालय और राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद् ने मिलकर जयपुर सरस राष्ट्रीय क्राफ्ट मेले का आयोजन किया है। 10 दिन का मेला बहुत कामयाब हो, ये मेरी शुभकामनाएं हैं, प्रचार-प्रसार अधिक से अधिक हो, जिससे कि अधिक से अधिक लोग इसमें आकर देखें और आइटम्स को वो लोग खरीद सकें। पूरे आम लोगों के लिए भी एक अवसर होता है जहां वो हैंडीक्राफ्ट-हैंडलूम के नए-नए आइटम्स को देख सकता है, पसंद कर सकता है, खरीद सकता है और सरकार भी आपको आपके साथ खड़ी मिलेगी हमेशा कि आपका हैंडीक्राफ्ट-हैंडलूम, आपकी कलाकृतियां तमाम किस प्रकार से उन्नति करें और इसकी मार्केटिंग अच्छी हो। पूरा खेल मार्केटिंग का है, जितनी अच्छी मार्केटिंग होगी, उतना ही अच्छा डवलपमेंट होगा हैंडीक्राफ्ट में, हैंडलूम के अंदर। अभी मैंने कुछ आइटम देखे यहां पर त्रिपुरा के भी, नगालैंड के भी, बंगाल के भी, उदयपुर के भी, इन तमाम आइटमों को मैंने देखा, किस प्रकार से बनाए गए हैं वो, एक से एक सुंदर हैं और मैं समझता हूं कि उसमें बहुत बड़ा वेल्यू एडिशन भी था। मूल्य संवर्धन होना बड़ी बात है, एक चीज बनती है और अपनी अक्ल-होशियारी से अगर हम और कुछ बातें उसमें ऐसी ऐड करते हैं जिससे कि उसकी वेल्यू बढ़ जाती है, तो इस प्रकार एक तरफ तो आमदनी बढ़ती है, दूसरी तरफ उन आइटम्स को समाज स्वीकार कर लेता है तो और ज्यादा मार्केटिंग होती है, धीरे-धीरे कुटीर उद्योग के रूप में नहीं रहकर बड़े उद्योग के रूप में सामने आ सकते हैं। मैंने देखा कि गुलाल के आइटम थे यहां पर, होली का गुलाल जो मक्के के आटे से बने हुए थे और इतने सुंदर थे वो कि जो स्वास्थ्य के लिहाज से भी ठीक हैं, पर्यावरण के लिए भी ठीक हैं और उसमें वो बहुत खुशबूदार भी थे, अच्छे कलर थे, अच्छे ढंग की पैकिंग थी, इसका मतलब है कि मार्केटिंग अच्छी होगी, तो हो सकता है कि वो आइटम धीरे-धीरे पूरे जिले में, पूरे प्रदेश में, पूरे देश में चलन में आएं, जिसका एग्जाम्पल मैंने दिया आपको। इस रूप में आज 2 लाख के आसपास एसएचजी बने हुए हैं और जो अभी बता रहे थे कि साढ़े 940 करोड़ का तो रिवॉलिंग फंड और अन्य जो बैंकों से ऋण मिलते हैं, उनको मिलाकर 2500 करोड़ रुपए का स्वयं सहायता समूह के माध्यम से राजस्थान में जो इन्वॉल्वमेंट है हैंडीक्राफ्ट-हैंडलूम का, ये इस बात का शो करता है कि किस प्रकार से हम लोग काफी कुछ प्रगति कर चुके हैं। पर मुझे इस बात की बहुत प्रसन्नता, मैं तमाम जो राज्यों से आए हैं हमारी बहनें और भाई लोग, उनका मैं राजस्थान सरकार की तरफ से, राजस्थान प्रदेशवासियों की तरफ से यहां पर हार्दिक स्वागत करता हूं और मुझे उम्मीद है कि आपको यहां पर कोई कष्ट नहीं होगा। आप यहां पर आराम से इस काम को अंजाम देंगे। आपसे आपके इलाके के अधिक से अधिक आइटम यहां बिक भी सकें और उनका प्रचार-प्रसार भी हो सके। ज्यादा इम्पॉर्टेंट है प्रचार-प्रसार होना, किस प्रकार से लोग समझें कि वास्तव में त्रिपुरा, या बंगाल, या नगालैंड, मिजोरम, या चेन्नई का, या बेंगलूरु के कैसे-कैसे आइटम यहां पर आए हैं और यही हमारी अनेकता में एकता की निशानी है, जिस मुल्क में अलग-अलग धर्म हैं हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी, जैन, अलग-अलग भाषाएं बोलते हैं लोग, समझ में आती नहीं है कि बंगाली, तेलुगु, तमिल, मलयालम, पंजाबी, गुजराती, मराठी कि क्या लिखा हुआ है। ये अनेकता में एकता की जो हमारी खूबी है देश में, ये हमारी बहुत बड़ी ताकत है दुनिया के सामने और उसी ताकत को हम बनाए रखें, जिससे कि मुल्क एक रहे, अखंड रहे और मजबूती से आगे बढ़े और सबका विकास हो, सभी इलाकों के, सभी क्षेत्रों के सभी राज्यों में ये तो एक सेक्टर है आपका हैंडलूम का, हैंडीक्राफ्ट का, कला का, संस्कृति का, इसमें कलाकार भी आए होंगे और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, राष्ट्रीय ग्रामीण आर्थिक रूपांतरण परियोजना, ये जिस रूप में इम्प्लीमेंट की जा रही है, मैं उम्मीद करता हूं कि उससे आमदनी बढ़ेगी, रोजगार मिलेगा और आने वाले वक्त में और ज्यादा महिलाएं जुड़ सकेंगी। कोई सेक्टर हो, डेयरी का सेक्टर भी क्यों नहीं हो, कृषि या कृषि क्षेत्र में भी कई समूह बने हुए हैं। एक ब्लॉक, एक उत्पाद का जो नारा दिया गया है स्किल डवलपमेंट के साथ में, मैं समझता हूं कि उसका अपना एक असर पड़ेगा और मुझे बताया गया कि लेदर भी, बूंदी बंधेज, बांस के प्रोडक्ट्स, जूट, शहद का उत्पादन, कई कार्य किए जाते हैं। इस प्रकार से जो एक्टिविटी बढ़ी है, उससे मुझे संतोश है कि ये सेक्टर बहुत पनप रहा है, आगे बढ़ रहा है और कपड़े की रंगाई-बुनाई, ठप्पे से छपाई, सूती-रेशमी-ऊनी धागों के कई प्रकार के कपड़ों की बुनाई का काम बरसों पुराना है, सब जानते हैं। बंधेज, जरी, सलमा-सितारा, आरी-तारी और गोटा किनारी, कांच कशीदाकारी आदि का जो हुनर है ये बड़े-बड़े उस वक्त के जो हमारे सदियों से बरसों से चले आ रहे हैं। किस प्रकार से अपना दिमाग लगाया होगा, किस प्रकार से आइटम तैयार किए होंगे, किस प्रकार से इसमें मास्टर क्राफ्टमेन बने होंगे, ये सोचकर लगता है कि इस देश में कितनी महान परंपराएं, कितनी संस्कृति, कितने संस्कार सदियों से चले आ रहे हैं। इसलिए मुझे विश्वास है कि राजस्थान में जो दस्तकार हैं जो तैयार करते हैं गलीचे, कालीन, दरियां, लोइयां, जयपुरी रजाइयां, रेगिस्तानी जिलों में कांच कशीदाकारी उनके काम जितना कहें उतना कम है, चमड़े से बनी जूतियां, कशीदा व जरी के काम की मोजड़ियां, वर-वधू की पोशाकें, लाख एवं कांच की चूड़ियां, पेपरमेशी के उत्पाद, प्लास्टर ऑफ पेरिस, बलुआ पत्थर, संगमरमर, ग्रेनाइट आदि पत्थरों पर कारीगरी, उस्ता कला, फड़ चित्रकला का विशेष स्थान है। तो बहुत ही अनेकता में एकता वाला ये बहुत बड़ा गुलदस्ता है। हमारा मुल्क जो है, अभी आप जब देख रहे थे, दिखा रहे थे मुझे अलग-अलग वीडियो के माध्यम से स्टॉल, रंग-बिरंगे सब आइटम्स थे उसके अंदर। अब आप कल्पना करो कि रंग-बिरंगे हैं इसलिए शानदार गुलदस्ता है। गुलदस्ते में, बगीचे में अलग-अलग रंग के फूल होते हैं, इसलिए वो बगीचा दिखता है, गार्डन अच्छा दिखता है, खूबसूरत दिखता है। उस बगीचे में अगर एक ही रंग के फूल हों, तो उसमें मजा नहीं आएगा, चाहे वो फूल किसी कलर का क्यों नहीं हो, चाहे वो गुलाबी हो गुलाब की तरह, चाहे वो व्हाइट हो चमेली की तरह, कोई हो, वो बगीचा नहीं कहला सकता। बगीचे का मतलब है कि अलग-अलग कलर हों। उसी प्रकार से इस देश के अंदर जो आपने अभी जो अपने आइटम रखे हैं अलग-अलग कलर के, ये सब आइटम एक ही कलर के हों तो वो कोई बहुत बड़ी विशेषता नहीं दिखती है, पर अलग-अलग कलर, अलग-अलग आइटम के रंग-रूप वो एक पूरी जो देश की हमारी हैंडीक्राफ्ट और हैंडलूम में जो हमारी खासियत है उसको दुनिया के सामने रखने के लिए बहुत बड़ी खूबसूरती वाली चीज है, यही हमारी खूबी है। उसी ढंग से हम लोग देश में लोगों को साथ लेकर चलें, ये हमारी ख्वाहिश होनी चाहिए और अभी बजट में जो बताया गया, तो मुझे खुशी है कि हम लोगों ने इसबार बजट में जो है एक तरफ तो हमने कुछ फैसले किए हैं। सन 2000 तक की विभिन्न योजनाओं में जो बकाया राशि थी, ऋण थे बुनकरों के, कुटीर उद्योग वालों के, लघु उद्योगों के, दस्तकारों के, उन तमाम ऋणों को हमने माफ करने का फैसला किया है, 3 हजार लोग उससे लाभान्वित होंगे आपके इसमें। दिल्ली हाट बहुत पॉपुलर हाट है दिल्ली की, उसी दिल्ली हाट की तर्ज पर जयपुर में एक जयपुर हाट विकसित करने का निर्णय किया है, उसमें आधुनिक म्यूजियम भी होगा। सीकर जिला हमारा, यहां पर अरबन हाट का काम अधूरा पड़ा है, उसको पूरा करवा रहे हैं हम लोग। 1 लाख रुपए तक की सीधी खरीद का जो प्रावधान किया है अमृता सोसायटी की तर्ज पर, उससे राजीविका के ग्रामीण महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा निर्मित चीजें जो होंगी, उसको एक प्रकार से सरकार की खरीद मिल जाएगी बिना कोई टेंडर के और हैंडलूम क्षेत्र में जो कार्डधारक बुनकर हैं उनको 1 लाख रुपए तक के ऋण पर बिना ब्याज ऋण मिलेगा 1 लाख रुपए तक का और ब्याज जो है वो सरकार भरेगी, पुनर्भरण करेगी सरकार करेगी और हैंडीक्राफ्ट के अंदर जो दस्तकार हैं उनके लिए 3 लाख रुपए तक का जो लोन होगा उसका भी शत प्रतिशत ब्याज सरकार द्वारा भरा जाएगा। हैंडलूम-हैंडीक्राफ्ट का जो काम करते हैं, उनको दस्तकारों को कोई पैसा देने की आवश्यकता नहीं रहेगी ब्याज का। मैं उम्मीद करता हूं कि ये जो कलाकार, दस्तकार, शिल्पकार यहां पर आए हैं, वो सब आने वाले वक्त में और ज्यादा मजबूती के साथ देश में जहां कहीं भी ऐसे मेले लगेंगे, वहां आप लोग जाएंगे और राजस्थान सरकार भी मैं आपसे कहना चाहूंगा कि कोई कमी नहीं रखेगी, इन तमाम जो हमारे उद्यमी बैठे हुए हैं, जो दस्तकार बैठे हुए हैं कलाकार हैं और जो हैंडलूम है हैंडीक्राफ्ट है, उसको प्रोत्साहन देने में हम कमी नहीं रखेंगे। यही बात कहता हुआ मैं पुनः आप सबका यहां स्वागत करता हूं, बहुत कामयाबी के साथ में आपका ये कार्यक्रम सम्पन्न हो, मेरी शुभकामनाएं आपके साथ रहेंगी, यही बात कहता हुआ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, धन्यवाद, जयहिंद, धन्यवाद।

Best viewed in 1024X768 screen settings with IE8 or Higher