Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

दांडी मार्च की 91वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित मार्च के दौरान मीडिया से बातचीत:

दिनांक
12/03/2021
स्थान
जयपुर


आजादी की 75वीं वर्षगांठ पूरे मुल्क में मनाने की शुरुआत हुई है और मैं उम्मीद करता हूं कि पूरे मुल्क में, लोगों में जज़्बा पैदा होगा और विशेष रूप से नई पीढ़ी के अंदर। जिस प्रकार से आज ही के दिन महात्मा गांधी ने 1930 में जो दांडी यात्रा शुरू की थी, वो अंग्रेजों के साम्राज्यवाद के खिलाफ बिगुल बजाया था, उसमें वो कामयाब हुए और 6 अप्रैल को समाप्त हुई दांडी के तट पर, पूरा देश एकजुट हो गया था। अब जो अमृत महोत्सव मनाने की शुरुआत हुई है, राजस्थान में भी फ्रीडम फाइटर्स एक से बढ़कर एक थे हर संभाग में, हर जिले के अंदर चाहे शेर-ए-राजस्थान जयनारायण व्यास हों, माणिक्य लाल वर्मा हों, हीरालाल शास्त्री हों, बारहठ बंधू हों, रामनारायण चौधरी हों, राजबहादुर जी हों भरतपुर के अंदर, कोई कमी नहीं रही है। सैकड़ों नाम होंगे जहां राजस्थान के लोगों ने उस जमाने के अंदर जब अंग्रेजों से लोहा लिया जा रहा था, सामंती प्रथाएं थीं, उस वक्त में बढ़-चढ़कर जो हिस्सा लिया, वो इतिहास के स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है। ये मुल्क आजाद हुआ और 75 साल के अंदर जो 15 अगस्त से शुरू होगा, पूरे देश के अंदर 75वां आजादी का जश्न, उसकी पहले से ही तैयारी शुरू हो चुकी है आज से ही। मैं उम्मीद करता हूं कि नई पीढ़ी को इतिहास की जानकारी मिले, ये भी इसमें बहुत बड़ी थीम होनी चाहिए, जिससे कि आने वाली पीढ़ियां भी याद रख सकें, किस प्रकार हमारे पूर्वजों ने त्याग किए, बलिदान किए, जेलों में बंद रहे, लाठियां खाईं, गोलियां खाईं अंग्रेजों की, फांसी के फंदे पर चढ़े, इतिहास से नई पीढ़ी सीखेगी तो इतिहास बनाने के काबिल बनेगी देश के लिए। पंडित नेहरू जैसे व्यक्तित्व, गांधी जी का तो पूरे विश्व के अंदर आज संदेश है अहिंसा का, पूरा विश्व 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाता है, परंतु पंडित नेहरू जैसे लोग भी 10-10 साल तक जेलों में बंद रहे 10-10 साल तक टुकड़ों में बंद रहे जेलों के अंदर, कितने लोगों ने त्याग किए, बलिदान किए, सरदार पटेल हों, मौलाना अबुल कलाम आजाद हों, अंबेडकर साहब ने बनाया संविधान, एक नया पूरा इतिहास बन गया है और इतिहास गर्व करने वाला है। सबसे बड़ी बात है कि हमारे मुल्क का इतिहास आजादी का भी और आजादी के बाद में 75 साल की उपलब्धि जो है, जहां सुईं नहीं बनती थी, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पानी, बिजली पहले कुछ नहीं था देश के अंदर, सुईं बाहर से आती थी, आज यहां सबकुछ है। विज्ञान में, तकनीकी के अंदर, पानी, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़कें देख रहे हो, आधुनिक भारत दिख रहा है, वो 75 साल की देन है, ये गर्व करने वाली बातें हैं। मैं उम्मीद करता हूं कि नई पीढ़ी आगे बढ़कर इसमें हिस्सा लेगी और ये आयोजन बहुत कामयाब होंगे। आज जो ये शुरुआत हुई है उसके लिए जयपुर नागरिक समिति को सरकार के साथ मिलकर जो अभियान शुरू किया है, मैं उनको साधुवाद देता हूं। उम्मीद करता हूं कि आने वाले वक्त में आपको और प्रोग्राम देते जाएंगे। मेरी बहुत शुभकामनाएं हैं।
सवाल- कृषि कानून जो केंद्र सरकार लाई है, वापस नहीं ले रही है तीनों कृषि कानूनों को?
जवाब- ये दुर्भाग्य है देश का कि जिन किसानों ने आजादी की जंग में हिस्सा लिया हो, अन्नदाता हो, सबकुछ हम उनके लिए कहते हैं और हम लोग जिद पकड़कर बैठे हुए हैं। मैं बार-बार कहता हूं कि सरकारों को कभी जिद नहीं करनी चाहिए, सरकारों को हमेशा नतमस्तक होना चाहिए जनता के सामने, जनता जनार्दन के सामने, मतदाताओं के सामने, जिनके पैरों को हम हाथ लगाते हैं, आशीर्वाद मांगते हैं, उनके कोई गलतफहमी हो गई है मान लीजिए, क्या फर्क पड़ने वाला है, एकबार आप वापस ले लीजिए कानून को 4-6 महीने में आप बुलाकर बात कर लीजिए किसानों से भी, राज्य सरकारों से भी, विपक्ष की पार्टियों से भी, नया कानून लेकर आ जाइए। कुछ नहीं करना है, सिर्फ ये फैसले करने की बात है, जो मोदी जी को करना है, सरकार को करना है। मैं उम्मीद करता हूं कि अब भी, आज के दिन जो गांधी जी ने अंग्रेजों से लोहा लिया था, आज के दिन एनडीए सरकार को, उनके नेताओं को एक सोचने का अवसर दिया है गांधी जी ने, आज के दिन आप सोचें, आज 4 महीने के लगभग होने आए हैं किसानों को, क्या अब भी वो इतनी हठधर्मिता दिखाएंगे? संवेदनहीनता की पराकाष्ठा हो चुकी है देश के अंदर, पूरा मुल्क देख रहा है, इतना आक्रोश है लोगों के अंदर कि कोई कल्पना नहीं कर सकता। उनको अभी ये महसूस नहीं हो रहा है, उनको महसूस नहीं हो रहा है, पर पूरे देश में बहुत ज्यादा गुस्सा है, किसानों में तो है ही है, आम लोगों के अंदर भी है। ये सरकार ने क्यों इतना हठ कर रखा है, सरकारें कभी भी जिद नहीं करती हैं, हठ नहीं करती हैं, पब्लिक कर सकती है। हमारा काम है उनको समझाइश करना, उनको मनाना, उनको कन्वींस करना या कन्वींस होना। मैं समझता हूं कि इस पूरे जो बड़ा मुद्दा है उसके अंदर 4 महीने से ठंड में बैठे रहें लोगबाग, क्या बीतती होगी, छोटे बच्चे थे, बुजुर्ग थे, महिलाएं थीं, 200 से अधिक लोग तो मारे गए हैं, क्या बीत रही होगी उनके परिवारों पर? मुझे बहुत दुःख है, मुझे उम्मीद है कि आज के दिन दांडी मार्च के उपलक्ष्य में नरेंद्र मोदी जी खुद भी साबरमती आश्रम से इसको रवाना कर रहे हैं, मुझे उम्मीद है कि आज शाम तक उनको अंतर्मन के अंदर गांधी जी का संदेश उनको झकझोरेगा, हो सकता है कि शाम तक वो कोई फैसला करें, तो मुझे बहुत खुशी होगी, देशवासियों को खुशी होगी।
सवाल- आप गांधी जी के सिद्धांतों की बात करते हैं लेकिन देश में मौजूदा समय को देखते हुए लगता है कि गांधी जी के सिद्धांतों को जिंदा आज रखा जाएगा?
जवाब- इसीलिए तो हम इस प्रोग्राम को ज्यादा महत्व दे रहे हैं कि जो हालात देश के बन चुके हैं, डेमोक्रेसी को ढूंढना पड़ रहा है, खतरे हैं डेमोक्रेसी के सामने, सारी एजेंसियां काबू में आ गई हैं सरकार के, जो स्वायत्तशासी संस्थाएं हैं, चाहे ज्यूडीशियरी हो, चाहे इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया हो, चाहे सीबीआई हो, इनकम टैक्स हो या ईडी हो, जो शिकंजा कसा हुआ है एक्टिविस्ट्स को, पत्रकारों को, एनजीओ को, आप देशद्रोही करार दे रहे हो। सरकार से असहमत है कोई, वो देशद्रोही है, आलोचना कर दो सरकार की, वो देशद्रोही है। पूरी दुनिया के देशों में इतनी भयंकर बदनामी हो रही है देश की, आप मीडिया वाले अगर इंटरनेट पर देखते होंगे, अमेरिका क्या कह रहा है, दुनिया के यूरोपियन मुल्क क्या कह रहे हैं, आपकी आंखें खुल जाएंगी। मोदी जी जो पूरी दुनिया में घूम-घूमकर खूब प्रचार कर लिए, अब स्थिति उलटी हो गई है, अब मैं समझता हूं कि विदेश मंत्रालय और विदेश मंत्री प्रधानमंत्री जी को दुनिया के मुल्कों में क्या प्रतिक्रियाएं हो रही हैं किसान आन्दोलन को लेकर, क्या कहा जा रहा है डेमोक्रेसी के बारे में, इसके बारे में विदेश मंत्रालय और विदेश मंत्री मैं उम्मीद करता हूं कि सही सलाह देंगे प्रधानमंत्री जी को जिससे कि उनको वापस सोचने के लिए मजबूर होना पड़े कि मुझे वास्तव में क्या स्टेप उठाना है किसानों के हित के अंदर।
सवाल- कोरोना को लेकर आपको लगता है कि कहीं न कहीं लोग अवेयर?
जवाब- कोरोना को लेकर लापरवाही काम की नहीं है, आज महाराष्ट्र में अगर नागपुर में लग गया लॉकडाउन, महाराष्ट्र के 5-6 शहरों में लॉकडाउन लग चुका है, पूरे महाराष्ट्र में 7 दिन में 70 हजार नए पेशेंट्स आ चुके हैं, संख्या राजस्थान में भी बढ़ी है, 100 से 200-250 तक आ गई है, मैं चाहूंगा कि लोगों को चाहिए कृपा करके जब जंग जीती हमने, कोरोना की जंग जीती राजस्थान ने, तो कहीं हम जंग जीती हुई हार नहीं जाएं, इस लिहाज से सबको प्रिकॉशन्स रखने चाहिए। सरकार ने छूट दी है लोगों पर विश्वास करके, अगर उसके बावजूद लापरवाही हुई, तो सख्ती के कदम भी उठाए जा सकते हैं।
सवाल- आपने कहा था वैक्सीनेशन के मामले में भी राजस्थान नंबर 1 बनेगा, पूरी तैयारी हो गई थी?
जवाब- अभी कल तक जो है, कल तक के आंकड़ों में 25 पर्सेंट के पार हम पहुंच चुके हैं, 25 लाख वैक्सीन हो चुका है, देश में सबसे प्रथम हम लोग हैं, फिर भी वैक्सीन हमें मिल नहीं रही थी, मुझे वहां नीति आयोग में बात करना पड़ा मिस्टर पॉल से, हमारे चीफ सेक्रेटरी ने बात की वहां के अधिकारियों से हेल्थ मंत्रालय में, हमारे स्वास्थ्य मंत्री ने बात की स्वास्थ्य मंत्री भारत सरकार से और अब जाकर परसों इतना करने के बाद में वैक्सीन आने लगी है, पर फिर भी हमारे विपक्ष के साथी, जिनके लिए हम हमेशा कहते हैं कि हमें विपक्ष के साथियों का पार्टियों का, धर्मगुरुओं का, सामाजिक संगठनों का, सबका सहयोग मिला, हम तो एक तरह से सबको साथ लेकर चलना चाहते हैं और फिर भी कुछ लोग आलोचना करने से बाज नहीं आते हैं। कोरोना में कोई आलोचना होनी ही नहीं चाहिए, अगर हमने मांग की थी वैक्सीन की उनसे, इसलिए की थी कि हमारा मंगलवार के बाद में वैक्सीनेशन प्रोग्राम बंद होने वाला था, सीएचसी, पीएचसी में बंद हो चुका था फर्स्ट डोज लगाना, तो हमने सही बात की सही समय पर। फिर भी हमारे बड़बोले नेता कुछ ऐसे हैं राजस्थान के अंदर विपक्ष में, उनको कोई न कोई कमेंट करना ही होता है, जनता सब समझती है।

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