Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

Talked to media at PCC:

दिनांक
19/11/2021
स्थान
जयपुर


देश के इतिहास में, आजादी के बाद में कभी नहीं सुना होगा कि एक साल तक कोई संघर्ष चले सड़कों पर, किसानों को बैठना पड़े जिनको हम अन्नदाता कहते हैं और उन्होंने जो इतिहास बनाया है जिस प्रकार से संघर्षशील होकर के और जिस भावना के साथ में पूरे देश के किसानों को रिप्रेजेंट कर रहे थे, मोदी जी व उनकी सरकार के लोग समझ नहीं पा रहे थे, जो बॉर्डर पर लोग बैठे हुए थे, पंजाब बॉर्डर पर हो, हरियाणा बॉर्डर हो, राजस्थान बॉर्डर हो, पर वो किसान एक प्रकार से पूरे देश के किसानों को रिप्रेजेंट कर रहे थे, उनकी भावनाओं को रिप्रेजेंट कर रहे थे, वो समझने में ये सरकार फेल रही, इसी कारण से एक साल गुजर गया और ये संघर्ष चलता रहा, सैकड़ों किसान मारे गए। राहुल गांधी जी को, विपक्ष की पार्टियों को राष्ट्रपति जी से मिलना पड़ा हो, चाहे लगातार संघर्ष में साथ देना पड़ा हो, जब विपक्षी पार्टियां बोलती हैं एकसाथ में, तब सरकार को समझना चाहिए कि लोकतंत्र है, लोकतंत्र में जब विपक्ष क्या चाहता है, पब्लिक क्या चाहती है, वो असेसमेंट नहीं कर पाए और जैसा कि इनकी प्रकृति के अंदर है, ये अहम-घमंड में रहे आज प्रधानमंत्री जी को मजबूर होकर आना पड़ा, देशवासियों को संदेश देना पड़ा, तीन काले कानूनों को जिनको हमारी विधानसभा ने तो पहले ही खारिज कर दिया था, उनके ऊपर उनको वापस लेने की घोषणा करनी पड़ी, ये मैं समझता हूं कि देश के किसानों की बहुत भारी, शानदार विजय है। मैं अपनी ओर से, प्रदेशवासियों की ओर से, किसानों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उनके संघर्ष के व्यक्तित्व को सलाम करता हूं और उम्मीद करता हूं कि किसानों की जो एकता बनी है, ये अन्नदाता है और भविष्य में भी सरकार, जैसा कि अध्यक्ष जी कह रहे थे, जो वादे इनसे किए हुए हैं, उसमें ज्यादा ध्यान देगी, कब इनकी इनकम दोगुनी होगी, वादा तो वो था और तीन काले कानून लेकर आ गए, जो उनको बर्बाद करने वाले थे और ये आभास हमें कल रात को ही मिल गया था, जब यूपी के अंदर अगर मानलो प्रधानमंत्री तीन दिन जाकर डेरा डाले आज से ही चुनाव जीतने के लिए, प्रधानमंत्री खुद जाएं और उनके जो राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं जेपी नड्डा जी, पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह जी और केंद्र के गृहमंत्री अमित शाह जी, तीन लोगों को वहां पर जो जिम्मेदारी सौंपी गई है संभागवाइज बूथ मैनेजमेंट की, उससे अंदाज लगा लीजिए कि ये आज का फैसला भी यूपी चुनाव को देखकर हो रहा है। उनको मालूम है कि यूपी में अगर हम चुनाव हार गए, तो फिर 2024 के अंदर इनको सपने आएंगे कामयाब होने के अंदर, ये अहसास इनको है भली-भांति, ये जो पूरी ताकत झोंक रहे हैं, जैसे पश्चिम बंगाल में झोंकी थी, वैसे ही झोंक रहे हैं और पता नहीं पश्चिम बंगाल की तरह अगर झटका लग गया इनको, मैं समझता हूं कि उसी भय के कारण से ये सबकुछ कल, जो फैसले किए इन्होंने बूथवाइज मैनेजमेंट की जिम्मेदारी केंद्रीय गृहमंत्री को, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को और पूर्व मुख्यमंत्री रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी को मिले और डेरा डालें प्रधानमंत्री खुद, उससे अंदाज कर लीजिए कि कितनी घबराहट इनके अंदर है। उस घबराहट का परिणाम है कि इनको आज ये फैसला करना पड़ा है, जैसे इन्होंने 5 रुपए, 10 रुपए कम किए थे पेट्रोल-डीजल के अंदर, वो भी जब इन्होंने देखा कि जेपी नड्डा जी का खुद का राज्य है हिमाचल प्रदेश, चारों सीटें वहां पर, लोकसभा की 1 सीट, 3 सीट विधानसभा की, सफाया हो गया। राजस्थान में इनकी जमानत जब्त हो गई और तीसरे-चौथे नंबर पर रहे ये लोग इनके उम्मीदवार दोनों बाय इलेक्शन में, एकसाथ में इनको घोषणा करनी पड़ी 5 रुपए, 10 रुपए कम करने की जो कि बहुत कम है। आज भी ये मांग करते हैं कि महंगाई की मार बहुत भारी है देश के अंदर, बहुत भारी है, बेरोजगारी बहुत भयंकर बढ़ती जा रही है, नौजवानों में आक्रोश है क्योंकि 3/4 से आबादी नौजवानों की है। जिस प्रकार राजस्थान सरकार नौकरियों का रास्ता खोल चुकी है, लगभग 1 लाख नौकरियां दे चुकी है और 70 हजार नौकरियों का कार्य चल रहा है, प्रोसेस चल रहा है, उसी प्रकार से भारत सरकार को आगे आना चाहिए, ये मेरा मानना है, महंगाई की मार बहुत भयंकर है, इनको 10 रुपए, 15 रुपए और कम करने चाहिए, ये कम करेंगे तो साढ़े 3 हजार करोड़ रुपए और कम होंगे हमारे, वो हमें मंजूर है, पब्लिक इंटरेस्ट में महंगाई कम हो ये बहुत बड़ा मुद्दा है, मैं मोदी जी को कहना चाहूंगा कि आप इस बात को समझो और समय रहते हुए अभी और आप फैसला करो, ये बात हमें कहनी है।

सवाल- सारे किसान नेता यही कह रहे हैं कि जब तक लिखित में हमारे पास कुछ नहीं आएगा, तब तक हम हटने वाले नहीं हैं? भरोसा नहीं है किसानों को?
जवाब- बात सुनिए, बिलकुल अध्यक्ष जी ठीक कह रहे हैं, देखिए जब सरकार की क्रेडिबिलिटी खत्म हो जाती है, तब ये आशंकाएं पैदा होती हैं जो ये आप बोल रहे हो मीडिया वाले। जब मीडियावाले बोलते हैं इसका मतलब आम आदमी बोल रहा होगा, उनके मन में ये आशंकाएं हैं, तो क्रेडिबिलिटी का संकट पैदा हो गया है इस सरकार के सामने, ये भी जो भावना पैदा हो रही है कि पता नहीं है क्या करेंगे अभी तक भी, घोषणा करने के बावजूद भी, प्रधानमंत्री घोषणा कर दें, उसके बावजूद भी देशवासियों के दिमाग में अगर ये बात आए कि पता नहीं क्या करेंगे, कोई रास्ता निकाल देंगे, पता नहीं पार्लियामेंट में क्या करेंगे, ये क्रेडिबिलिटी के संकट की बात है, इसको भी इनको समझ जाना चाहिए, तो आज ये किस दिशा में जा रहे हैं। इसलिए हम बार-बार कह रहे हैं कि देश किस दिशा में जाएगा, किस दिशा में जा रहा है, ये कोई नहीं जानता है क्योंकि सारी संस्थाओं पर ज्यूडीशियरी पर, इनकम टैक्स, ईडी, सीबीआई पर जो दबाव है, कोई कल्पना नहीं कर सकता है, उस दबाव में देश चल रहा है, पूरे देश में एक प्रकार से कहना चाहिए कि बहुत ही माहौल है घबराहट का माहौल है, असहिष्णुता का माहौल बन गया है और जो भाईचारा, प्रेम, मोहब्बत, विश्वास होना चाहिए, वो कम होता जा रहा है और ये देश के लिए बहुत खतरनाक है, हमें बहुत चिंता लगी हुई है इस बात की।

सवाल- कोविड की मीटिंग की है....
जवाब- कोविड की मीटिंग हम करके आए हैं अभी, कोविड पर डॉक्टर्स की राय भी ली है हम लोगों ने, प्रेजेंटेशन देखे और हम लोग राजस्थान में पूरी तैयारी कर रहे हैं। यूरोप में बहुत भयंकर फैल रहा है ये, बेड नहीं मिल रहे हैं वहां पर, जर्मनी और रूस के अंदर और डब्ल्यूएचओ जो है, डब्ल्यूएचओ अगर ये कहे कि आने वाले महीनों में 5 लाख लोग मर सकते हैं यूरोप के अंदर, तो पूरे विश्व के लोगों का चिंतित होना स्वाभाविक है और ये भी कहावत बनी हुई है कि जब यूरोप में आता है ये कोरोना महामारी, उसके 2 महीने बाद में एशिया में आती है, एशिया में हमारा मुल्क भी आता है। तो बहुत चिंता है, कुछ संख्या बढ़ी है, राजस्थान में बढ़ी है, देश में बढ़ी है कोरोना की, इसलिए हमने उचित समझा कि एक बार इसका रिव्यू कर लें और आज हमने फैसला किया है, प्रधानमंत्री जी को आज ही पत्र जाएगा कि आप देश के अंदर, राजस्थान के अंदर हमें तीसरी डोज, बूस्टर डोज कहते हैं जिसको, वैक्सीन की, सालभर होने को आ गया है, तो सालभर के बाद में 30 मुल्कों में तीसरी डोज लगने लग गई है बूस्टर डोज के रूप में। तो हम ये मांग कर रहे हैं कि आप कृपा करके इस पर विचार करो और तीसरी डोज जो बूस्टर डोज है, उसको अलाऊ करो देशवासियों के लिए, जिससे कि तीसरी लहर आने की नौबत ही नहीं आए, हम भुगतें नहीं, ये बात है।

सवाल- स्कूलों में केस आ रहे हैं?
जवाब- हम जानते हैं इसीलिए हमने मीटिंग बुलाई है, स्कूलों में आना ही खतरनाक है छोटे बच्चों के लिए भी और तीसरी लहर आनी ही नहीं चाहिए राजस्थान के अंदर, देश के अंदर, ये हम सबकी सोच होनी चाहिए।

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