Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

Talked to media at Central Park, Jaipur (28th November)

दिनांक
28/11/2021
स्थान
जयपुर


नई पीढ़ी गांधी को खोती जा रही है, जबकि पूरी दुनिया मान रही है। अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस अगर 2 अक्टूबर को गांधी जयंती पर दुनिया के सभी मुल्क मनाने लग गए हैं, संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रस्ताव पास हुआ, डॉ. मनमोहन सिंह जी के वक्त में, सोनिया गांधी जी के वक्त में अंतर्राष्ट्रीय कॉन्क्लेव हुआ दिल्ली के अंदर जिसमें दुनियाभर के लोग आए थे, शताब्दी वर्ष था वो। उसके बाद में पूरी तरह यूएन के अंदर चर्चाए हुई और गांधी जी के 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में रिकॉग्नाइजेशन किया, आज पूरी दुनिया मना रही है। तो हमारा मुल्क जो है गांधी जैसे महापुरुष जिनको आइंस्टीन ने कहा था, दुनिया के वैज्ञानिक ने कि आने वाली पीढ़ियों को विश्वास भी नहीं होगा कि गांधी नाम का कोई हाड़-मांस का आदमी इस धरती पर चला भी है क्या। तो ये जो भाव हों आइंसटीन के, वो व्यक्तित्व कैसा महापुरुष होगा, आने वाली पीढ़ियां अगर भूल जाएंगी तो आप सोचो क्या होगा। इसलिए हमारे मुल्क की वर्तमान पीढ़ी की जिम्मेदारी है, हम वो सब काम करें जिससे कि गांधी जी के जो सत्य-अहिंसा का जो आधार था, उसको आधार को आगे रखकर हम चलें, उसमें सब बातें आ जाती हैं। सत्य-अहिंसा का अगर कोई मार्ग अपना ले, तो संविधान की रक्षा भी उसको करनी पड़ेगी, मुल्क में प्रेम, मोहब्बत, भाईचारा, सद्भाव सब कायम रहेगा और मैं समझता हूं कि जो आज की समस्याएं हैं चुनौती के रूप में, वो हमारे सामने नहीं रहेंगी। तो गांधी गांधी है, उनको मैं समझता हूं कि नई पीढ़ी तक उनके विचारों को पहुंचाना आवश्यक है। यह जो छोटा सा प्रयास किया गया है, इसका मैं स्वागत करता हूं गांधी दर्शन समिति ने भी और जो हमने सरकार के आधार पर शांति व अहिंसा का निदेशालय बना दिया, देश के अंदर मेरे ख्याल से संभवतः राजस्थान एकमात्र राज्य है जहां पर शांति और अहिंसा का अलग से डायरेक्ट्रेट बन गया है, हम चाहेंगे इसको और मजबूत करें, बाकायदा संस्थागत तरीके से जिलों में, ब्लॉक में, गांवों तक गांधी पहुंचें, यह हमारा प्रयास है। गांधी का म्यूजियम बन रहा है, संस्थान खड़ा हो रहा है, यह इंस्टीट्यूट अलग खड़ा हुआ है, जो सोशल वर्कर्स गांधीमय विचारों के कैसे बन सके, वो प्रयास करेंगे। तो ये तमाम काम हाथ में लिए गए हैं और बहुत उत्साह है लोगों के अंदर मनीष शर्मा जी और बीएम शर्मा जी सब लगे हुए है इस काम मे। तो मैं समझता हूं कि इस काम को करने में हम लोग बहुत कामयाब होंगे, मुझे पूरा यकीन है।

सवाल- गांधी जी को राजनीति में बांट दिया, जबकि आइंसटीन ने भी कहा या सबने कहा गांधी जी तो सबके हैं, फिर क्या कारण है कि गांधी जी को राजनीति में बांट दिया गया जैसे वो केवल नामलेवा मान रहे हैं और इधर एक पार्टी में न बांधकर गांधी जी को आम आदमी तक पहुंचाएं? गांधी जी के चश्मे को सिंबल के रूप में काम में लेते हैं और लेकिन गांधी जी के दर्शन की झलक नहीं देखने को मिलती?
जवाब- सत्य व अहिंसा पर चलो, सब ठीक हो जाएगा... नमस्कार।

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