Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

गहलोत की बीकानेर में मीडियाकर्मियों से वार्ता

दिनांक
13/01/2018
स्थान
बीकानेर


जयपुर, 13 जनवरी। पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव श्री अशोक गहलोत द्वारा शनिवार को बीकानेर में मीडियाकर्मियों से की गई बातचीत का ब्यौरा -

तेल हमारा, पानी हमारा, बिजली हमारी, जमीन हमारी। अब मैं पूछना चाहता हूं 26 परसेंट भागीदारी ही क्यों आज भी? प्रधानमंत्री जी आ रहे हैं, कोई जवाब है। जिसको लेकर मुख्यमंत्री जी ने चार साल बरबाद कर दिये कि भागीदारी बहुत कम है हमारी तो फिर अब चार साल के बाद में भागीदारी वो ही क्यों रखी। उससे पूरी इनकी पोल खुल जायेगी। बाकी तो मैं प्रेस कान्फ्रेंस कर चुका हूं कि हमारा एमओयू कितना शानदार था। अभी तक रिफाईनरी बन जाती। प्रधानमंत्री जी इनके हैं, वो आते उद्घाटन के लिए और उसके बाद में आप कल्पना कर सकते हैं कि पेट्रो केमिकल कॉम्पलेक्स भी साथ में है, कितनी बड़ी रिफाईनरी लग सकती थी, कितने लोगों को काम मिल सकते थे। उन सबसे वंचित रह गये। रिफाइनरी बनने में लाखों लोगों को रोजगार मिलता, उससे वंचित रह गये। ये मुख्यमंत्री जी की जो सोच है अहम् और घमंड का, सामंती सोच जो उनका है, उसके कारण ही प्रोब्लम पैदा होती है राजस्थान के अंदर। कांग्रेस को श्रेय नहीं मिले, इसके कारण रिफाईनरी हो, ब्रॉडगेज हो, परवन नदी पर बांध हो, चाहे खुद के इलाके के किसान हो, झालावाड़, बारां का उसकी परवाह इन्होंने नहीं की। मेट्रो हो, कोच फैक्ट्री हो। और तो और शेखावाटी मंे स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी बनाई, बिल बन गया असेम्बली के अंदर, वाईस चांसलर नियुक्त हो गये। उसको बंद कर दिया गया। हरिदेव जोशी जी के नाम पर, वो खुद पत्रकार थे, उनके नाम से विश्वविद्यालय बना। और माखनलाल चतुर्वेदी के नाम का विश्वविद्यालय जो भोपाल के अंदर है, उसकी प्रतिष्ठा पूरे देश के अंदर है। राजस्थान का भी एक विश्वविद्यालय का नाम हो देश के अंदर, उसको पूरा बंद कर दिया एक्ट पास करके। मर्ज कर दिया यूनिवर्सिटी के अंदर। सैनिक स्कूल खोली थी हमने झुंझुनू के अंदर, अनाउंसमेंट किया अलवर में झुंझुनू में। ये जो पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर आप शासन कर रहे हो। तो मैं समझता हूं कि उसके कारण से फिर सुशासन नहीं दे सकते आप। अगर आप नेगेटिव सोच रखोगे तो आपका हर वक्त दिमाग चलेगा नेगेटिव सोच की तरफ तो फिर आप कभी भी गुड गवर्नेंस नहीं दे सकते हो। और यह हालत है राजस्थान में। लोगों में बहुत भयंकर आक्रोश है।

प्रश्न - सर, आपने पत्र में लिखा कि शायद मुख्यमंत्री ने आपको गुमराह किया, पूरी जानकारी नहीं दी, आपने जो पत्र मोदी जी को लिखा उसमें लिखा है, तो क्या वाकई ऐसी स्वाधीनता है क्या भाजपा में प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री के बीच....

उत्तर - देखिए जितना विश्वास है या भाईचारा है ये तो वो जाने परंतु परसेप्शन ये बना हुआ है देश के अंदर, प्रदेश के अंदर कि प्रधानमंत्री जी और मुख्यमंत्री जी के संबंध अच्छे नहीं है। पिछले 5 साल में मुख्यमंत्री जी उनसे मिल नहीं पा रही हैं। ये परसेप्शन बना हुआ है और मैं चाहूंगा जनहित के अंदर ये परसेप्शन दूर होना चाहिए। उनको आगे आकर कहना चाहिए हमारे बहुत अच्छे संबंध हैं। मैं जब चाहे मिल सकती हूं और राजस्थान के जितने प्रोजेक्ट हैं उन पर चर्चा कर सकती हूं और मुझे कोई दिक्कत नहीं है। ये स्पष्ट करना चाहिए मुख्यमंत्री को आगे आकर।

प्रश्न - बजरी के संबंध में

उत्तर - बजरी माफियाओं की भेंट चढ़ गई है। राजस्थान के अंदर बजरी माफियाआंे के भेंट चढ़ी हुई है और हिस्सा उपर तक पहुंच रहा है। बड़ा हिस्सा। इसके कारण से लोग दुखी हुए हैं। लोग लुट गये हैं राजस्थान के अंदर। निजी मकान बनाना हो, चाहे वो रियल एस्टेट वाले हो, पिछले चार साढ़े चार साल से जो स्थिति बनी है। ज्यूडिशियरी के नाम पर, उसके कारण कोई रास्ता निकाला नहीं गया और बजरी के लिए लोग तरस रहे हैं। दुगने-तिगने भाव देने पड़ रहे हैं। रॉयल्टी एक्सट्रा देनी पड़ रही है। समझ में आ नहीं रहा, दो दो रसीदें काट रहे हैं, बजरी के ठेकेदार, ये समझ से परे है।

प्रश्न - जैसा वो परसेप्शन है वैसा ही एक परसेप्शन यहां पर भी है कि मुख्यमंत्री पद को लेकर बहुत विवाद हो रहा है कांग्रेस में और आपका भी कल एक बयान सीकर में जो आया था, उसको लेकर भी तोड़ मरोड़कर काफी कहा जा रहा है।

उत्तर - राजस्थान के पत्रकारों को मैं बहुत उच्च कोटि का पत्रकार मानता हूं। चौथा स्तंभ जो देश में कहलाता है पत्रकार, मैं मालिकों की बात तो नहीं करता। परंतु मालिक तो मालिक होता है। पर जो लिखने वाला है, कुछ चंद लोगों को छोड़ दीजिए, जो पत्रकारिता करने लायक नहीं हैं। बाकी लोग, हमारे जो संबंध हैं, 45 साल से मैं देख रहा हूं कि पत्रकारों ने खुद ने चाय पिलाई होगी, ऐसे संबंध हमने रखे हैं और उससे ही काम चलता है। तोड़ मरोड़कर न्यूज देना ये जो लोग करते हैं वो वास्तव में पत्रकार है ही नहीं। जब मैंने कहा है, आज तो सोशल मीडिया का जमाना है, अगर आप मुझे फॉलो कर रहे हो, अगर नहीं कर रहे हो तो कृपा करके करना शुरू कर दो। मेरे फेसबुक पर और ट्वीटर पर एक-एक वर्बेटम मैंने क्या कहा है, वो सब उसके अंदर लिखा हुआ है। अगर किसी में ईमानदारी है, पूर्वाग्रह नहीं है, एंग्युलरिटी नहीं है तो यह क्वेश्चन आप मुझसे करते ही नहीं।

जानबूझकर के इस बात को कल से जैसे ही हमने प्रेस कान्फ्रेंस करी और मीडिया के और चारों ओर से फोन आने लग गये, पता नहीं हमने क्या कह दिया। और मीनिंग निकालने वाले मीडिया वाले कैसे बात करते हैं, मैं क्या कहूं, आप वर्बेटम छापो, पर आप उसके मीनिंग निकाल निकालकर आप गलतफहमी पैदा करोगे तो मैं समझता हूं उचित परम्परा नहीं रहेगी राजस्थान में।
राजस्थान में पूरी कांग्रेस एकजुट है। चार साल में राजस्थान वो राज्य रहा है, मेरा सौभाग्य है इस बात को कहते हुए, अन्य राज्यों के हालात भी आपको मालूम है। चार साल के अंदर किसी भी नेता ने, चाहे वो बी.डी. कल्ला हो, चाहे डॉ. चन्द्रभान हो, चाहे सीपी जोशी हो, चाहे रामेश्वर डूडी हो, चाहे अशोक गहलोत, चाहे सचिन पायलट हो, किसी भी नेता ने आपस में एक दूसरे के खिलाफ एक शब्द का प्रयोग नहीं किया, एक शब्द का। तो चार साल से हम कोई प्रयोग एक शब्द का कर नहीं रहे हैं, ऑफ दा रिकॉर्ड हम न्यूज छपा नहीं रहे हैं। उसके बाद में यह सवाल उठता है बार-बार, यहां गुटबाजी है, यहां दो खेमे बने हुए हैं, तीन खेमे बने हुए हैं। ये अच्छी परम्परा नहीं है। और ये कुछ मीडिया वाले जो हैं, वो खुश करने के लिए नेताआंे को, करते रहते हैं, जो नहीं करना चाहिए उनको। हम लोगों के संबंध में मीडिया के साथ फ्रेंडली रहे हैं। हमने जो प्रेस के लिए किया है, हिन्दुस्तान के इतिहास में किसी भी राज्य में नहीं होगा। और बिना लाग लपेट के बिना स्वार्थ के, बिना ये देखे हुए कि ये मीडिया वाला प्रो बीजेपी है, प्रो कांग्रेस है या निष्पक्ष है। हमने सब मीडियावालों के लिए जो योजना बनाई उसके लिए कोई चर्चा नहीं करता मीडिया वाला। वसुंधरा जी से पूछने की हिम्मत नहीं कर पा रहा है, क्योंकि वो मिलती नहीं उनसे। उनकी बेइज्जती हो रही है। बेइज्जती करवाना स्वीकार कर रहा है मीडिया वाला, जो कुछ लोग ऐसे हैं वो, पर वो चुप हैं। फिर भी कांग्रेस को लेकर उनके दिमाग में कोई भी बात आती रहती है। उनको पूछो, पेंशन हमने दी, बंद कर दी, प्लॉट हमने काट दिये, बंद कर दिये, उनको मेडिकल का हमने इंतजाम किया, वो बंद कर दिया। उसके लिए धरना चल रहा है, राजस्थान के अंदर, मैं खुद धरने पर जाकर आया हूं। उसकी चर्चा नहीं कर रहे हैं। कांग्रेस से इतना प्यार है मीडियावालों को कि वो कुछ ना कुछ कुछ करते रहते हैं। हमेशा खबर देते रहते हैं, अब नारे लग गये पांच सात, डूडी साहब जिंदाबाद के अति उत्साह में, क्या हो गया। और ये तो परम्परा बीकानेर की है मैं जब पहले आता था तो स्टेशन पर बी.डी. कल्ला, अगला मुख्यमंत्री कौन हो, बी.डी. कल्ला हो, अगला मुख्यमंत्री कौन हो, अशोक गहलोत हो। ये अति उत्साह में लगा देते हैं, उसकी हमें चिंता नहीं करनी चाहिए। उस कार्यकर्ता की भावना का सम्मान करना चाहिए जो नारे लगाते हैं, उनके दिल में भावना है।

प्रश्न - गुजरात में आपको कामयाबी मिली। राहुल गांधी का जो फार्मूला था गुजरात में कि दो बार जो चुनाव हार चुका है, उसे टिकट नहीं दिया जायेगा। क्या राजस्थान में भी वो ही चीज माने हम, ऐसा ही कुछ दोहराया जायेगा?

उत्तर - गुजरात में एक फार्मूला था, और आगे क्या फार्मूला बनेगा वो अभी नहीं कह सकते।

प्रश्न - बड़े जजेज ने ये कहा कि देश में लोकतंत्र खतरे में है।....

उत्तर - सुप्रीम कोर्ट का मामला बहुत सेंसेटिव मामला होता है। कल में प्रेस को बाईट दे चुका हूं। वो भी मेरे फेसबुक पर आई हुई है। राहुल गांधी जी खुद प्रेस कान्फ्रेंस कर चुके हैं। उन्होंने भी बहुत ही मैं समझता हूं कि एक मैसेज जो देश को देना था, देश के हित में, डेमोक्रसी के हित में, वो बहुत ही नाईसली दिया है। मैं समझता हूं उससे ज्यादा कहना नहीं चाहिए।

प्रश्न - कास्ट पोलीटिक्स को लेकर सवाल है मुख्यमंत्री अलवर, अजमेर झुंझुनू में जिस तरह से समाज के लोगों से अलग-अलग मिल रही है तो क्या राजस्थान की राजनीति में भी जातिवाद

उत्तर - मुख्यमंत्री जी ने राजस्थान को बरबाद करके छोड़ दिया है। क्योंकि आप बताईये, धौलपुर के अंदर क्या हुआ। धौलपुर महल के दरवाजे पहली बार खुले, चुनाव जीतने के लिए। धौलपुर महल के दरवाजे गरीबों के लिए कभी नहीं खुले, इतिहास के अंदर। इस बार चुनाव हुआ तो वहां पर हर जाति के लोगों को बुलाया गया, अलग-अलग, उनके लिए नाश्ते का प्रबंध, खाने का प्रबंध और मुख्यमंत्री जी ने बहुत भावुक होकर उनसे अपील की और महल के दरवाजे खोल दिये उनके लिए। कृपा करके महल के दरवाजे हमेशा के लिए खोल दो तो मैं समझता हूं ज्यादा उचित होगा। अब आप बताईये कभी अलवर गयी नहीं मुख्यमंत्री जी, चार साल में, कभी अजमेर गये नहीं।

राजस्थान में बीकानेर, भरतपुर, उदयपुर में 15-15 दिन का जो लवाजमा लेकर आये थे, बोरे भर भरकर पड़े हुए हैं अभी तक वहां सचिवालय के अंदर, एप्लीकेशनों के। गरीब बेचारा इंतजार कर रहा है कि मैंने मुख्यमंत्री जी को, खुद को तो क्या दिया होगा वो तो मिलती नहीं है, परंतु मंत्रियों को दिये होेंगे एप्लीकेशन्स वो ढेरों पड़े हुए हैं कोई कार्रवाई नहीं हुई है। कोटा का प्रोग्राम अगला था उनका 15 दिन का जो जमावड़ा होता, गायब हो गया, अभी तक कोटा वाले इंतजार ही कर रहे हैं। जोधपुर वाले हम भी इंतजार कर रहे हैं। अजमेर वाले इंतजार कर रहे हैं। तो अब जाकर जब आये बाई इलेक्शन तो, येन केन प्रकारेण सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग करो। धनबल का प्रयोग करो, उम्मीदवारों को बदनाम करो और उस रूप में ये चाहते हैं हम चुनाव जीत जायें। जैसा डूडी जी ने कहा पूरी कांग्रेस एकजुट है। हम सब मिलकर गये थे नामांकन भराने के लिए, अलवर भी, माण्डलगढ़ भी, अजमेर भी। उससे आपको समझ लेना चाहिए कि बीजेपी को भ्रम है कि कांग्रेस में आपस में गुटबाजी रहेगी, या गुटबाजी के कारण बीजेपी कामयाब हो जायेगी। इस भ्रम में उनको नहीं रहना चाहिए। तमाम कांग्रेस एकजुट रहेगी राजस्थान के अंदर। अगले चुनाव के अंदर देखेंगे आप, एकजुटता के साथ में मैदान में उतरेंगे और कांग्रेस इस कुशासन का अंत करके रहेगी।

प्रश्न - गुजरात में आप कांग्रेस को मंदिर लेकर गये सॉफ्ट हिंदुत्व पर आपने एक तरह से एक अलग बहस खड़ी कर दी। अलवर में जिस तरह की भाषा भाजपा के नेता बोल रहे हैं। वो यहां तक कह रहे हैं मुस्लिम हमें वोट देगा हिंदु उसे वोट देगा तो इस पर आप क्या कहेंगे, गुजरात में भले ही आप जीत ना पाये हैं पर आपने कहीं ना कहीं मोदी मैजिक को तोड़ा है।

उत्तर - देखिये कांग्रेस तो जहां से प्रिंसीपल, पॉलिसी, प्रोग्राम बने गांधी जी के वक्त से ही, उसी के आधार पर चलती आई है और यही कारण है कि इंदिरा गांधी ने अपनी जान देना मंजूर किया पर देश को एक रखा, अखण्ड रखा। आतंकवाद का मुकाबला किया और खालिस्तान नहीं बनने दिया। राजीव गांधी शहीद हो गये पर हमारी नीतियां, कार्यक्रम और सिद्धान्त वो ही रहे। उसका नाम है कांग्रेस जिसके लिए मोदी जी कहते हैं कि कांग्रेस मुक्त भारत। जिसकी धज्जियां उड़ गई हैं गुजरात के अंदर कि कांग्रेस मुक्त भारत की बात करने वाले कभी जिंदगी में नाम ही नहीं लेंगे, कांग्रेस मुक्त भारत का, गुजरात के बाद। और जहां तक मंदिर में जाने की बात है, मंदिर में तो हर हिन्दु जाता है। परंतु ये जो मंदिर को नहीं मानने वाले लोग थे, इनमें कई लोग बीजेपी के अंदर, जो राम को भी नहीं मानते हैं। उन लोगों ने राम का मुद्दा बनाया, मंदिर का मुद्दा बनाया और ऐसा माहौल पैदा कर दिया कि कांग्रेस तो मुसलमानों की पार्टी है। ये कर-कर के आपने डिवाईड किया हिन्दु मुसलमानों को। ये किसी भी कीमत पर देश के हित में नहीं है। कांग्रेस अपनी जो नीतियां हैं उस पर चलती आ रही है, चलती रहेगी आगे भी, कोई कम्प्रोमाईज नहीं करेगी। गुजरात के अंदर ये बात कही थी, ये कोई पहली बार मंदिर जाने की बात नहीं हुई है। सोनिया गांधी जी ने कैम्पेन शुरू किया था 2007 के अंदर तब मैं उनके साथ था और अम्बाजी के मंदिर से शुरूआत की थी। नम्बर दो उस वक्त में हेलीकॉप्टर में दौरे हुए थे, इस बार बस यात्रा के दौरे हुए हैं तो जो रास्ता था, जहां जहां मंदिर आते गये, हम गये, माथा टेकते गये, दर्शन करते गये।

प्रश्न - गुजरात में बड़ी सफलता मिली, कहां क्या चूक रही कि 77 पर आकर अटक गये, क्या कुछ और हो सकता था,

उत्तर - चुनाव तो कांग्रेस ही जीतने जा रही थी। ये माहौल पूरे गुजरात में बन चुका था। जनता तय कर चुकी थी। मोदी जी ने कार्ड खेला भावनात्मकता का, कि मैं गुजरात का बेटा हूं और बाहर के लोग आकर मेरी बेइज्जती कर रहे हैं। मैं हार गया तो कहां जाउंगा। ये कोई इलेक्शन के मुद्दे होते हैं क्या। राहुलजी ने जो मुद्दे उठाये थे। करप्शन का, कोई जवाब नहीं। विकास की बात करी, कोई जवाब नहीं। मेनीफेस्टो में जो पाईंट आये थे, उसकी बात करी, कोई जवाब नहीं। तो इन्होंने पूरा जो डायवर्ट किया, जो इश्यू होने चाहिए उनसे हटकर राजनीति करी और 9 सीटों से जीते हैं खाली। 150 से कम आयेगी एक भी तो हम कोई सेलीब्रेट नहीं करेंगे, जो कहने वाले थे, उनके मुंह पर ताले लग गये।

प्रश्न - राजस्थान में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव आते हैं हर बार तीसरे मोर्चे की बात उठती है। अब हनुमान बेनीवाल हुंकार रैली कर रहे हैं। क्या तीसरे मोर्चे की संभावनाओं को आप स्वीकार करते हैं। और क्या ऐसा हो रहा है, एक धु्रवीकरण हो रहा है किसी पर्टीकुलर कास्ट का।

उत्तर - तीसरा मोर्चा तो राजस्थान में कोई बनने वाला है नहीं। तीसरा मोर्चा नहीं बनने वाला है। एक बार जरूर चन्द्रभान जी के जमाने के अंदर, उसका फायदा उठा लिया, बीजेपी ने। जनता दल के नाम से जब राजनीति हुई थी, उस वक्त जरूर बड़ी संख्या में लोग जीतकर आये थे। वो जो मूवमेंट था उस मूवमेंट को भी बीजेपी ने बड़ी होशियारी से खत्म भी कर दिया और उसका लाभ उठा लिया खुद ने। वो तो मैंने देखा है। और बाकी डेमोक्रेसी के अंदर तो देखिए कोई भी रैली करे तो उनको रोक नहीं सकते। इतना कह सकते हैं कि तीसरा मोर्चा के नाम पर जो राजनीति की जायेगी उसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है, वो जरूर मिलीभगत भी हो सकती है। कांग्रेस को नुकसान करने के लिए प्रयास कर सकते हैं, मुझे पता नहीं कि उनके मन में क्या है, जो लोग ये प्रोग्राम कर रहे हैं। उनको चाहिए कि राजस्थान में कुशासन का अंत करने में भागीदार बने, बजाय कांग्रेस को नुकसान करने के।

आज के दिन कुछ नहीं कह सकता क्या है। पर मैं मानता हूं कि हर व्यक्ति को जो दुखी है राजस्थान की जनता, उसके दुखदर्द को समझना चाहिए और उसको दूर करने में कांग्रेस का साथ देना चाहिए।
----

Best viewed in 1024X768 screen settings with IE8 or Higher