Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

प्रेस कान्फ्रेंस

दिनांक
22/10/2018
स्थान
जयपुर


मौसमी बीमारियां

प्रदेश में मौसमी बीमारियों के मरीज तेजी से बढ़ रहे है लेकिन उनके इलाज के लिये पर्याप्त व्यवस्था नहीं की जा रही है। सरकारी अव्यवस्थाओं एवं प्लानिंग के अभाव में ये बीमारियां व्यापक स्तर पर फैल गई हैं। मौसमी बीमारियों में देशभर में राजस्थान प्रथम स्थान पर है। स्वाइन फ्लू, डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के सैंकड़ों मरीज प्रतिदिन राजकीय चिकित्सालयों में आ रहे है।

प्रदेश में इस वर्ष में स्वाइन फ्लू से 196, डेंगू से 5, स्क्रब टाइफस से 30 तथा मलेरिया से 1 व्यक्ति की मौत हुयी है। मौसमी बीमारियों से कुल 232 व्यक्तियों की मृत्यु हो गई है।

जीका वायरस के फैलने से राजधानी जयपुर में हड़कम्प मचा हुआ है। अनुमानतः 500 से अधिक मरीज जीका के है, जिसमें गर्भवती महिलाओं की संख्या ज्यादा है।

सरकार ने वेबसाईट पर जीका, स्वाइन फ्लू, डेंगू के मरीजों के आंकड़ों को अपडेट करना बंद कर दिया गया है ताकि आमजन वास्तविक स्थिति नहीं जान सके।

प्रदेश के अनेक जिलों के चिकित्सालयों में मौसमी बीमारियों के इलाज के लिये आवश्यक दवाईयां भी उपलब्ध नहीं है। मरीजों को आवश्यकतानुसार पैसे देकर निजी दवा विक्रेताओं से दवाईयां और इंजेक्शन आदि खरीदने पड़ रहे हैं। यहां तक कि कफ सीरप भी उपलब्ध नहीं हो पा रही है।

गांव, गरीब एवं किसान


आज गांव, गरीब एवं किसान सरकारी उपेक्षा के कारण परेशान और बेबस है। भाजपा सरकार के दौरान राजस्थान में पहली बार उपज के सही मूल्य नहीं मिलने और कर्ज के दबाव के कारण किसानों को आत्महत्या के लिये मजबूर होना पड़ रहा है। फसल बीमा योजना के नाम से किसानों को लूटा जा रहा है और बीमा कम्पनियों को ही फायदा पहुंचाने का कार्य किया गया है।

सरकार द्वारा आचार संहिता लागू होने के एक घंटे पहले किसानों के लिये की गई मुफ्त बिजली की घोषणा का कोई औचित्य नहीं रह जाता। इस हेतु निकाले गये आदेश में बिजली बिलों पर जो सब्सिडी दी जायेगी वो किसानों को मिल ही नहीं सकती क्योंकि अधिकतर कनेक्शन संयुक्त नाम से है और लाखों की संख्या में कनेक्शनधारी किसानों की मौत हो चुकी है।

प्रदेश के कई गांव अकाल की चपेट में है, जिस और मुख्यमंत्री का कोई ध्यान नहीं है। वे तो केवल थोथी घोषणाएं करने में ही आत्ममुग्ध हो रही है। भले ही जनता बिजली, पानी और अकाल की समस्याओं से परेशान हो।

राजस्थान में कर्ज माफी के नाम पर किसानों के साथ धोखा किया गया है, असल में किसानों का कर्ज माफ तो यू.पी.ए. के समय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी द्वारा किया गया था, जिसमें किसानों के बहत्तर हजार करोड़ रूपये के कर्ज माफ किये गये थे।

प्रदेश में पेयजल व्यवस्था पूर्णतया चरमराई हुयी है। सर्दियों में भी पर्याप्त जलापूर्ति नहीं हो रही है। सरकार ने समय रहते कोई तैयारी भी नहीं की है। यह समस्या हमारे लिये छोड़ कर जा रहे है। हम इसकी समुचित व्यवस्था करेंगे।

आचार संहिता का खुला उल्लंघन

भाजपा सरकार द्वारा आचार संहिता का खुला उल्लंघन किया जा रहा है। भाजपा के चुनाव चिन्ह् कमल के फूल वाली पर्ची उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से 1.4 करोड़ परिवारों को बांटी जा रही है। पी.ओ.एस. मशीन पर भी कमल का चिह्न बना हुआ है।

भामाशाह कार्ड पर भाजपा के झण्डे के रंग के साथ श्रीमती वसुंधरा राजे का फोटो लगा हुआ है जो सीधे तौर पर आचार संहिता की अवहेलना है।

भामाशाह डिजिटल परिवार योजना के अन्तर्गत सरकार द्वारा जो मोबाईल उपलब्ध करवाये जा रहे है उनके रैपर पर श्रीमती राजे का फोटो आज भी लगा हुआ है।

गृहमंत्री श्री गुलाब चंद कटारिया द्वारा कोटपूतली में 8 अक्टुबर, 2018 को लोगों को शॉल बांट कर आचार संहिता का उल्लघंन किया गया। उपखण्ड अधिकारी द्वारा इस पर आपत्ति उठाकर इनका वितरण रूकवाने की नौबत गृह मंत्री के लिए शर्मनाक है।


कानून व्यवस्था

भाजपा शासन में अब तो पुलिसकर्मी भी सुरक्षित नहीं है। लूट के आरोपी पर कार्रवाई के दौरान फतेहपुर शहर के कोतवाल मुकेश कानूनगो और एक कॉन्स्टेबल को गोली मारकर हत्या कर दी गई। शेखावाटी में अपराधियों द्वारा अनेकों बार गोलीबारी की घटनाओं को अंजाम दिया गया।

भाजपा सरकार के दौरान आमजन का कानून के शासन के प्रति इकबाल खत्म सा हो गया है। आये दिन दुष्कर्म, डकैती, चोरी, लूट एवं चेन स्नैचिंग की घटनायें घटित होना तो आम बात है। दलितों पर उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ी है। इन वर्गो के प्रति अधिक अपराध हो रहे है। प्रतिदिन प्रदेश में दुष्कर्म की 10 घटनाएं और गैंगरेप हो रहे है। प्रदेश में 3-4 साल की बच्चियों तक से दुष्कर्म होने की घटनाओं से प्रदेश शर्मसार है। चित्तौड़गढ़ में तो नाबालिग बच्ची के साथ हुई दरिंदगी के बाद उसका जीवन बचाने के लिये गर्भाशय (न्जमतने) तक निकालना पड़ा। अब वो जीवनभर मां नहीं बन सकेगी।

धौलपुर में पुलिस और बजरी माफिया के बीच मुठभेड़ हुई। बजरी माफियाओं को रोका तो फायरिंग करते हुए पुलिसकर्मियों पर ट्रैक्टर चढ़ाने का प्रयास किया। दौसा में भी अवैध खनन रोकने गई टीम को बंधक बनाकर दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया।

दलितों पर उत्पीड़न की घटनायें बढ़ी है। इन वर्गो के प्रति अधिक अपराध हो रहे है। हाल ही में चूरू जिले के सातड़ा गांव में दलित युवक आशाराम मेघवाल के साथ मारपीट कर हत्या कर दी गई।


अर्थव्यवस्था का बंटाधार

मुख्यमंत्री दावे तो राजस्थान की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का करती हैं लेकिन सच्चाई यह है कि उन्होंने राज्य की अर्थव्यवस्था का बंटाधार कर दिया है। पांच साल पहले जिस राजस्थान पर 1,17,809 करोड़ रुपए का कर्ज था, आज वह 3,08,033 करोड़ रुपए हो गया है। जब इन 5 वर्षों में राजस्थान में विकास का कोई बड़ा काम नहीं हुआ तब यह कर्ज क्यों बढ़ा? किस मद में खर्च हुआ, यह उन्हें राज्य की जनता को बताना चाहिए।

मंहगाई

पैट्रोल-डीजल की कीमतें लगातार बढ़ती ही जा रही है। जिससे महंगाई में हो रही बेतहाशा वृद्धि से आमजन त्रस्त है। सरकार ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया है। जब भाजपा सरकार शासन में आई थी तब क्रूड की कीमतों में आई गिरावट से पैट्रोल-डीजल के भाव में हुयी कमी को लेकर प्रधानमंत्री स्वयं को भाग्यशाली बताते थे अब जब कीमतें आसमान छू रही है तो स्वयं के लिये क्या कहेंगे?

राज्य सरकार ने पैट्रोल-डीजल पर वर्ष 2014 में 4 प्रतिशत वेट बढ़ाया था, हाल ही में चुनाव को देखते हुए कीमतों में राहत देने के नाम पर इसे वापस लिया गया। वास्तविकता में राज्य सरकार के वेट कम करने से कोई राहत नहीं मिली उल्टे सैस पर 2013 में जो 54 पैसे की रिबेट थी उसे खत्म कर अब 1 रूपया 75 पैसे का सैस और लगा दिया गया।

ठीक इसी तरह केन्द्र सरकार ने डीजल पर एक्साइज ड्यूटी जो यूपीए के समय 3.46 रुपये थी वो आज 15.33 पैसे एवं डीजल पर 9.20 पैसे थी उसे 19.48 पैसे तक बढ़ा दिया गया ।

राज्य एवं केन्द्र सरकार इस बढ़ी हुई सैस एवं एक्साइज ड्यूटी को भी वापस ले ले तो उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिल सकती है।

घरेलू गैस सिलेण्डर जो 2013 में 334 रुपये में सरकार द्वारा उपलब्ध करवाया जाता था वह आज 816 रुपये में उपलब्ध हो रहा है। कांग्रेस सरकार के समय हमने राज्य स्तर पर प्रत्येक सिलेण्डर पर 25 रुपये की सब्सिडी उपलब्ध करवाई थी।

राज्य कर्मचारियों की हड़ताल

राज्य के 122 विभागों से जुड़े कर्मचारियों की हड़ताल को आचार संहिता की प्रतीक्षा में लटकाये रखा और इसकी आड़ में उसे कुचल दिया गया। राज्य कर्मचारी सरकार के अंग है। उनकी समस्याओं पर संवेदनशीलता से विचार कर उचित निर्णय लेना सरकार की जिम्मेदारी है। कांग्रेस सरकार बनने पर हम कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान करेंगे।

राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम एवं बिजली कम्पनियों के कर्मचारियों की हड़ताल का भी यही हश्र किया गया। रोड़वेज कर्मियों के साथ कई बार समझौते किये गये किन्तु उन्हें ईमानदारी से लागू नहीं किया गया।

सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों से संबंधित वेतन विसंगति की मांगों का भी समाधान नहीं होने से कर्मचारियों में आक्रोश रहा। इसके लिये सावंत कमेटी तो गठित की गयी पर वो इस संबंध में अपनी सिफारिशें भी नहीं दे सके। मंत्रिमण्डलीय उप-समिति भी इस संबंध में असफल रही।
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