Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

PC at residence..

दिनांक
17/04/2019
स्थान
जयपुर


अभी जो अंधड़ और जो चला है, प्रकृति का प्रकोप हुआ है उससे जो स्थिति बनी है किसानों की बर्बादी बहुत ज्यादा हुई है, उसको लेकर चिंता है। मैंने अधिकारियों को बार-बार कहा है और कल भी मैंने Chief secretary को कहा है कि आप तत्काल आंकलन करवाओ जिलों के अंदर की क्या स्थिति बनी है, कितना नुकसान हुआ है सर्वे हो जाए तो कम से कम टाइम पर उनको मुआवजा मिल जाए। किसान इतनी मेहनत करके फसल बोता है और जब बिकने का समय आता है या कटाई का समय आता है उस वक्त अगर यह स्थिति बनती है तो हम सोच सकते हैं की क्या बीतती होगी?, किसानों पर, किसानों के परिवारों पर कोई कल्पना नहीं कर सकता, आज वो स्थिति बनी है। इसलिए सरकार का फर्ज है कि वो तत्काल ऐसी कार्यवाही करे की समय पर मुआवजा मिल सके, समय पर आंकलन हो सके यह काम मैंने किया है। यह जो आचार संहिता की बात है कोड ऑफ कंडक्ट का हम सब आदर करते हैं और करना भी चाहिए जिससे की equal footing पर आप चुनाव के मैदान में उतर सके यहां तक तो ठीक है, परंतु दुर्भाग्य से कोड ऑफ कंडक्ट के नाम पर कुछ भी नहीं कर पाओ ऐसे वक्त में तो सरकारों को छूट होनी चाहिए की वह अपने फैसले ले, जो सरकार सत्ता में होगी वह तो कार्रवाई करेगी, उसका कोई ऐसा नहीं है कि श्रेय मिल जाए अलग से, जनता बहुत समझती है यह इनका कर्तव्य है, हमने इनको चुनकर भेजा है तो यह इन्होंने यह कार्यवाही इन्होने हमारे लिए की है। वोट देने के अंदर माइंड बनाने में कोई फर्क नहीं पड़ता है, ऐसी बंदिशे हो गई देश के अंदर की कोड ऑफ कंडक्ट के बारे में भी एक रिव्यू होना चाहिए, जिससे कि सरकार चाहे किसी भी पार्टी की हो, सरकार बनते ही पार्लियामेंट चुनाव फिर पंचायत चुनाव, फिर नगर निगम के चुनाव एक बार या दो फेज में उसके चक्कर में आप जो है गवर्नेंस नहीं कर पाते हो और लोगों में धारणा बनती है कि सरकार को हमने इतनी उम्मीद से बदला, सरकार नई आई और कुछ काम कर नहीं पा रही है। यह खाली बात कोई कांग्रेस शासन कि नहीं कर रहा हूं, कोई भी सरकार किसी भी पार्टी की हो यह जो दुविधा आज बनी हुई है राजस्थान में भी और अन्य राज्यों में भी, इसके ऊपर इलेक्शन कमिशन को कुछ विचार करना चाहिए जो कि मेरे जैसा व्यक्ति कहीं दौरे कर रहा है मन में एक संवेदना की भावना रहती है उससे थोड़ा दुख भी होता है कि अपन चाहते हुए भी क्यों ना कुछ कर पा रहे हैं, यह स्थिति आज है मुख्य रूप से आप को मुझे याद करने का वही मकसद था।
धन्यवाद।

सवाल: सुप्रीम कोर्ट को हनुमान जी की तरह शक्ति याद दिलानी पड़ रही है चुनाव आयोग को, दूसरा प्रधानमंत्री ने तो गुजरात के लिए दो लाख के मुआवजे की घोषणा कर दी है चार जो मरे हैं उनके लिए और पचास हजार आर्थिक सहायता....

जवाब: प्रधानमंत्री जी का रवैया मेरी तो समझ में नहीं आया 5 साल में, अगर बाढ़ बहुत भयंकर आई थी गुजरात के अंदर राजस्थान के जालौर जिले के अंदर, सिरोही के पार्ट के अंदर भी आई , प्रधानमंत्री का हेलीकॉप्टर उड़ता है घूमता है गुजरात की सीमा तक यह पहला मैंने देखा है कि इसमें भी आप भेदभाव करो, 3 मिनट लगते उनको अंदर घुसने में राजस्थान की सीमा में, अगर वह जब हवाई सर्वेक्षण किया तो गुजरात के साथ में अगर वह जालौर सिरोही की तरफ भी कर लेते तो एक कॉन्फिडेंस बढ़ता राजस्थान सरकार का, जो उन्हीं की सरकार थी कि प्रधानमंत्री जी ने हवाई सर्वेक्षण राजस्थान के अंदर भी किया है। वहां पर भी उनका दिल नहीं पसीजा और वह अंदर नहीं आये जबकि राहुल गांधी जी ने दौरा बनाया तो वो राजस्थान में भी और गुजरात में भी गए। गुजरात में कुछ इनकी पार्टी के लोगों ने जो इनका नेचर है कि किस प्रकार से डिस्टर्ब करें, कुछ लोगों ने पत्थरबाजी भी की जो मालूम है, मैं खुद गाड़ी में बैठा हुआ था राहुल गांधी जी के साथ में, पत्थर लगा गाड़ी पर, इश्यू बना हमारे लोगों ने धरना दिया मुश्किल से कुछ लोग अरेस्ट हुए थे। अब यह घोषणा प्रधानमंत्री जी कुछ भी कर सकते हैं, लोग तो यहां तक कहते हैं कि रामनाथ कोविंद, राष्ट्रपति जी का जो चुनाव हुआ, कल ही में एक आर्टिकल पढ़ रहा था की चुनाव गुजरात के आ रहे थे वो पहले घबरा चुके थे कि हमारी सरकार गुजरात में नहीं बनने जा रही है तो एक के बाद एक अमित शाह जी के हथकंडे सामने आए, उन्होंने सलाह दी होगी मेरा ऐसा मानना है की रामनाथ कोविंद जी को बनाया राजनीतिक समीकरण बिठाने के लिए और आडवाणी साहब छूट गए , बनना आडवाणी साहब को था, देश उम्मीद कर रहा था कि कम से कम अब आडवाणी साहब को वह सम्मान मिलेगा जिसके वह हकदार है, नया नाम आ गया, वह उनकी पार्टी का फैसला है मेरा व्यक्तिगत कमेंट नहीं है पर कल में एक आर्टिकल पढ़ रहा था उसमें यह बात लिखी हुई थी, की वोटों का समीकरण बैठाने के लिए इतने घबराए हुए थे मोदी जी और उसकी पुष्टि ऐसे होती है उसके बाद में प्लेन को पानी में उतार रहे हैं, कभी मणिशंकर अय्यर की टिप्पणी थी जो एक व्यक्तिगत टिप्पणी व्यक्ति के लिए थी, मोदी जी खुद के लिए थी हो सकता है मैं उससे सहमत नहीं हूं कि वह जो प्रधानमंत्री जी पर टिप्पणी करी उसके खुद के लिए भी करी हो सकता है मैं सहमत नहीं हूं मान लीजिए तब भी वह व्यक्तिगत टिप्पणी थी, क्या वो व्यक्तिगत टिप्पणी को पूरी जाति, वर्ग का बता देना, भावुक होना , गुजरात के समाज की और गुजरातवासियों की बेज्जती की है और फिर इतना झूठ बोलना, क्या कोई ऐसी स्थिति 70 साल के अंदर आई है देश के अंदर? जब प्रधानमंत्री स्तर के व्यक्ति को यह बातें बोलनी पड़े जिसमें कोई सच्चाई नहीं हो, सच्चाई का अंश मात्र नहीं हो जो उन्होंने बोली थी और मामूली मुश्किल से सरकार बन पाई उनकी। उस चुनाव में ना बीजेपी की जीत हुई और न कांग्रेस की हार हुई थी मेरा मानना है। इस प्रकार से आप कहते हो की घोषणा कर दी तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है,वो कुछ भी कर सकते हैं यह तो इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया को लेना चाहिए कि वह किस रूप में इसको देखते हैं, प्रधानमंत्री को भी छूट नहीं होनी चाहिए और ना मुख्यमंत्री को होनी चाहिए, सबके लिए समान रूप से फैसले होने चाहिए।

वह कुछ बोले वह उनकी मर्जी है, अगर पाकिस्तान के प्राइम मिनिस्टर यह कह सकते हैं कि मोदीजी जीतते हैं चुनाव तो संभावना ज्यादा है हिंदुस्तान पाकिस्तान में समझौते की, कश्मीर समस्या के हल की तो यह उनको सूट करता है अगर उनको लगता है कि इससे कंफर्टेबल रहेंगे हम तो, तो यह उनकी सोच है। चिंता इस बात की है कि देश का जो माहौल है लोकतंत्र को बचाने का वक्त आ गया है। इस चुनाव को हम यह मानते हैं कि यह लोकतंत्र बचाने का चुनाव है, देश के संविधान को बचाने का चुनाव है और देश को बचाने का चुनाव है। देशवासियों को घुटन महसूस हो रही है पूरे मुल्क के अंदर किसी को कम किसी को ज्यादा, मैं बार-बार कहता हूं उनके बारे में तो कोई मेरी व्यक्तिगत, मैं तो मीडिया फ्रेंडली माना जाता हूं 50 साल से तब भी मुझे कहना पड़ रहा है कि मीडिया के मालिक लोग जो है, जो संपादक है, जो एंकर है उनमें क्या बीतती होगी जब वह चाहते हुए भी सच नहीं दिखा पाते? और हालत यह हो गई वो क्या क्या सोचते होंगे आई डोंट नाउ, पर यह मैं कह सकता हूं कि इतने दबाव में है सीबीआई, इनकम टैक्स, ED क्योंकि टारगेट करके एनडीटीवी पर हमला किया गया था पहले एक हमला इसलिए किया गया पहले ताकि बाकी लोग मैसेज ले लेवे । एंकर को निकालने के लिए पीएमओ से आदेश आते हैं इसको निकाल दीजिए और निकालना पड़ता है मालिक को, तो डेमोक्रेसी है क्या देश के अंदर? घनश्याम तिवाड़ी कहते हैं अघोषित इमरजेंसी, जो आदमी आम इमरजेंसी में जेल गया हुआ है 50 साल का कार्यकर्ता बचपन से रहा है आज उस पर क्या बीत रही होगी जब उसने बीजेपी छोड़ी होगी, कांग्रेस ज्वाइन की होगी आप कल्पना कर सकते हैं उस व्यक्ति पर क्या बीत रही होगी? 50 साल की जिंदगी बिता दे कोई आदमी किसी पार्टी में और जिसका कद उस रूप में था कि कभी मुख्यमंत्री बन सकता था वह, वो आदमी पार्टी छोड़ें और यह कहे कि आज अघोषित इमरजेंसी है उसके बाद मैं क्या कह सकता हूं? यह स्थिति आज देश में बनी हुई है। अब जो Intellectuals जो है वो तो अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं और जो मैं पढ़ता हूं आर्टिकल बाकायदा खुलकर लिख रहे हैं। एनएसएसओ, हर अखबार में संपादकीय लिखे हैं कि यह हो क्या रहा है देश के अंदर यह वो आंकड़े हैं जिनको आधार बनाकर आगे की योजनाएं बनती थी, उसको छिपाने की सरकार ने हिम्मत कर ली है। और भी मेरे पास में नॉट है जो मैं आपको शाम को भिजवा दूंगा जो मैं पढ़ता हूं वही है नया तो मैं ला नहीं सकता, बताइए कि यह जो आंकड़े छुपाने का इसलिए बेरोजगारी की दर जो है वह ज्यादा हो गई लोग क्या कहेंगे, उसको छुपाया जा रहा है तो यह डेमोक्रेसी में हर समय चिंता लगी रहती है लोग क्या कहेंगे और इसलिए कांग्रेस के राज में लोग क्या कहेंगे उसकी चिंता करके सही चलते थे। यह लोग क्या कहेंगे उस भय से यह बातें छुपाते हैं, उनको छिपाना नहीं चाहिए उनको, transparency होनी चाहिए। इनकी गवर्नमेंट में भी transparency नहीं है, यह बातें करते हैं कि कोई स्कैम नहीं हुआ मैं इनको पूछना चाहूंगा कि आपने जो स्कैम बताया 2G स्पेक्ट्रम, कॉलगेट स्पेक्ट्रम, लोकपाल लाओ यह सब एक थे और उन्होंने आगे किया अन्ना हजारे जी को, केजरीवाल जी को सब को आगे किया और 5 साल तक आपने लोकपाल क्यों नहीं बनाया? अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से दबाव में बनाया गया है। तो जो इश्यू बने थे यूपीए गवर्नमेंट के खिलाफ में बनाए थे और देश उनकी बात में आ भी गया कि वास्तव में इतने बड़े घोटाले हुए थे। मैं पब्लिक अकाउंट कमिटी का मेंबर रहा हुआ 80 के अंदर एमपी बनते ही, सीएजी का काम अलग होता है एक संख्यिकी होती है संस्था की, मिस्टर रॉय ने उसको बर्बाद करके रख दिया। उसका काम पीएसी को बताना होता है यह मैं समझता हूं बयान देने पड़ते हैं, अपने देश को कह दिया काल्पनिक सवाल कि कोल के allocation में एक लाख पचास हजार करोड़ का नुकसान हो गया है माहौल उस वक्त में ऐसा बना हुआ था कंट्री के अंदर कितना भी बड़ा झूठ बोल दो सच माना जाता था, एक माहौल बन गया डॉ मनमोहन सिंह जी की शराफत थी और शराफत का फायदा उठाया। लोगों ने आरोप लगा दिया अनावश्यक और उनके राज जैसी ट्रांसपेरेंसी कभी हो ही नहीं सकती, इतने Transparent आदमी वह खुद थे दुनिया मानती है और देश मानता है। उसके बावजूद भी है सब कुछ किया गया और उसके नतीजे हम भुगत रहे हैं कि ना तो कोलगेट में कोई कार्यवाही हुई, और 2जी में तो डी राजा और कनिमोझी सब छूट गए, निर्दोष साबित हो गए तो कहां तो मिस्टर रॉय की बातें गई और कहां आरोप थे विपक्ष के जो आज सत्ता में है उस पर, मोदी जी क्यों नहीं बोलते हैं? मोदी जी काला धन ले आऊंगा उस पर क्यों नहीं बोलते हैं, 2 करोड नौजवानों को नौकरी मिलेगी प्रतिवर्ष उस पर क्यों नहीं बोलते हैं, मोदी जी उस पर क्यों नहीं बोलते हैं कि महंगाई मैं कम कर दूंगा।

उस वक्त भी उन्होंने आरोप लगाया था जब वह दो हजार की किस्ते बांटने आए थे, दो हजार प्रति परिवार 6 हजार रुपए की एक किस्त, दो हजार की राजस्थान की लिस्ट नहीं आई और जहां जहां सरकारे बीजेपी है वहां झूठे आंकड़े भेज दिया बना करके। जब आप कहोगे तो स्टेट गवर्नमेंट की ब्यूरोक्रेसी वो उस काम को कैसे रोक सकती है? इसका जवाब मोदी जी दे, मोदीजी भी 12 साल तक सीएम रहे हैं कि कोई फैसला केंद्र सरकार करती है, उसका सर्वे होकर आधार कार्ड और सब कुछ formality होकर तो नाम जाएंगे और आपको जल्दी बाजी में आप को दिखाना था कि इतनी बड़ी योजना, राजनीतिक लाभ उठाना था इसलिए आपने फर्जी आंकड़े मंगा लिए, उनको थोड़ी बाद में पैसा मिल पाया? पैसा तभी मिलेगा जब आप आधार कार्ड से जुड़ जाओ पूरी formality हो जाए, तभी तो उनके खातों में जाएगा। यह उन का तरीका है. अब सोयल टेस्टिंग के लिए, सरकार बनती है आप याद करो उस वक्त में स्टेटमेंट दिया था मैंने, वह काम मैं राजस्थान में पहले ही कर चुका हूं पिछली सरकार में मृदा परीक्षण कार्ड, और मोदी जी को लाया गया सूरतगढ़ के अंदर और देश के अंदर सोयल टेस्टिंग का जो काम है उनकी शुरुआत की लॉन्चिंग भी इन्ही से करवा दी, अरे मोदी जी मैंने उनको कहा यहां तो पहले हो चुका है क्या आप यह करने आ रहे हो , वो उनका तरीका यह है। अनुभव तो है नहीं इन लोगों को, एनडीए सरकार में अधिकांश लोग वह सरकार में मंत्री बन गए जो किसी रूप से बीजेपी के लोग हैं 5-7, 10 लोगों को छोड़ दीजिए बाकी उनका अनुभव नहीं है, इसीलिए तो सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर आप कूद रहे हो । सर्जिकल स्ट्राइक हर प्राइम मिनिस्टर के वक्त में हुई है पर कभी कहा नहीं जाता है, कई बातें ऐसी होती है पाकिस्तान भी करता है वो कहते नहीं है। जब पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए नई पीढ़ी को तो मालूम नहीं है, आप में से तो कई सीनियर बैठे हुए हैं पर यह बात तो 71 की है, 48 साल हो गए मैं तो गया हूं बॉर्डर पर उस वक्त में सेवा करने के लिए शरणार्थियों की एक करोड़ शरणार्थी आ गए थे उस वक्त देश में , क्या दृश्य थे वहां पर। उस वक्त पाकिस्तान के साथ में हमारी फौजों ने सरेंडर करवा दिया उनके 93000 कर्नल, जनरल, सैनिक और हथियार सहित, इतनी बड़ी घटना तो दुनिया में कभी नहीं हुई होगी उसका जिक्र कभी मोदी जी ने किया है? आलोचना भी करते हैं पर साथ में कहते। वाजपेई जी ने पार्लियामेंट में उनको दुर्गा कहा तो कुछ सोच कर कहा उनको, मोदी जी प्रधानमंत्री पद की गरिमा के अनुरूप बात करते तो पंडित नेहरू के अच्छे कामों को जो आधारभूत ढांचा तैयार किया, इंदिरा गांधी के खालीस्थान नहीं बनने दिया जान चली गई उनकी, चर्चा तो करते एक बार कोई कॉमेंट नहीं, राजीव गांधी शहीद हो गए। 70 साल में क्या किया यह भी जुमला है उनका, यह जुमले उनको ले डूबेंगे गवर्नमेंट को ले डूबेंगे। जो संस्थाओं को कमजोर किया देश के अंदर वह बड़ा कारण रहेगा, जुमलेबाजी बड़ा कारण रहेगा और सब लोग समझ रहे हैं धीरे-धीरे यह जुमलेबाज सरकार है और आप देखना इस चुनाव में इनका सफाया हो जाएगा।
पानी को लेकर संकट है बहुत बड़ा हमने पहले तैयारी करी थी शुरू से ही जब से सरकार बनी है पहली प्रायोरिटी दी थी इसी को , चाहे टैंकर के टेंडर करने हैं वर्क ऑर्डर देने हैं सब किए हैं पर पानी वास्तव में इस बार बहुत बड़ा संकट है संकट रहेगा उसको कुछ तो पब्लिक को सहन करना पड़ेगा सरकार की तरफ से कोई कमी नहीं आएगी, यह मैं कह सकता हूं। और जो इसमें कोताही बरतेगा किसी भी लेवल पर अधिकारी, इंजिनियर लेवल पर उसको बख्शा नहीं जाएगा यह मैं कह सकता हूं।

यही कहना है कि यह लोग इतने घबरा गए है , पहले मोदी मोदी मोदी का माहौल आप और हम लोग टीवी पर देखते थे वह अब कहां है? इनको मालूम है हमारी विदाई है, इनकी अब जो यात्राएं हो रही है वह विदाई यात्रा हो रही है, ऐसा मैंने आपको कहा था वसुंधरा जी के वक्त में, वसुंधराजी की यात्रा जो है उन्होंने कोई नाम दिया था उस वक्त में, पता नहीं क्या नाम दिया..सुराज संकल्प यात्रा, मैंने कहा कहां का सुराज संकल्प है क़ुराज था आपका, आपकी विदाई यात्रा है और वही हुआ। और मैं फिर कह रहा हूं आपको यह मोदी जी की कोई सुशासन नहीं दिया, जुमलेबाजी करी यह इनकी विदाई यात्रा है।

इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया की जो भूमिका है, जुडिशरी स्वयं हो, आरबीआई हो जो शाम को बैंकों के हिसाब किताब होते हैं बचपन से देखते आ रहे हैं, जब तक हिसाब किताब पूरा नहीं मिले बैंक का कर्मचारी घर नहीं जाता आना पाई का हिसाब होता है। 2 साल लगा दिए आप ने नोटबंदी के बाद में आंकड़े देने को, यह देश देख भी रहा है और समझ भी रहा है कुछ लोग बोल भी रहे हैं सब लोग बोल नहीं पाते हैं, ऐसा कोई जवाब इनसे देने को बनता नहीं है, सवाल बहुत तरह के है इनके सामने सुनवाई करे तब तो दे जवाब। प्रेस से मिलना नहीं इनको, 5 साल में क्या प्रधानमंत्री जी की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं हो सकी क्या मतलब हुआ, पूरा देश देखता है कि भाई आप क्या पूछते हो, वो क्या जवाब देते हैं, वो क्यों नहीं किया इन्होंने? तो आप सोच सकते हो कि यह लोग डेमोक्रेसी को मानते ही नहीं है, उसके हिसाब से चल नहीं रहे हैं यह लोग, इनसे उम्मीद ही मत करो आप लोग।

अब मैं कहूंगा डेथ जिनकी हुई है ऐसा मैंने कहा आज ही चार लाख का मुआवजा उनको वितरित कर देंगे और पता नहीं यह कोड ऑफ कंडक्ट में आएगा या नहीं आएगा, मुझे नहीं मालूम मुझे जो इतला मिली है। गंगानगर हनुमानगढ़ के कुछ हिस्सों में ओलावृष्टि भी हुई है, तो मेरा मतलब है कि जो कुछ भी सरकार कर सकती है वह करेगी और चिंता इस बात की है कि क्या बीत रही है किसानों पर जिनकी फसलें उनकी आंखों के सामने नष्ट हो गई , कटाई के वक्त में या कटाई के बाद में।
शेखावत जी ने कहा मैं उल्टा लटका दूंगा तो अभी तो पब्लिक जो है उनकी सरकार को उल्टा लटकाने जा रही है देश के अंदर ठीक है नंबर 1, अभी वो बौखलाए हुए हैं मैंने कहा ना कि चारों मंत्री संकट में है इनके केंद्रीय मंत्री एक का टिकट कट गया, बाकी चारों मंत्री संकट में है राजस्थान के अंदर कैसे जीतेंगे चुनाव, दूसरा गजेंद्र सिंह शेखावत से यह उम्मीद नहीं थी कि वह इतनी कड़ी भाषा का प्रयोग करेंगे यह मुझे उम्मीद नहीं थी क्योंकि जब मिलते हैं तो गले मिलते हैं, अच्छी बात बोलते हैं, अच्छा लगता है पर चुनाव के मैदान में इंसान जब उतरता है तो उसको कई टेंशन रहती है, जब हार सामने दिख रही हो तो कई बार आदमी के मुंह से ऐसे शब्द निकल जाते हैं।

मोदी के एंटी वेव चल रही है इतना मैं कह सकता हूं
धन्यवाद।

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