Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

Talked to media at secretariat:

दिनांक
08/02/2020
स्थान
secretariat, Jaipur


सवाल- हर वर्ग के लोगों से आपने चर्चा की, किस तरह इनके सुझावों को चर्चा में शामिल किया जाएगा?

जवाब- ये प्री- बजट मीटिंग हमेशा होती है किसानों के साथ में, उद्यमियों के साथ में और जो सोशल वर्कर्स हैं, एक्टिविस्ट्स हैं, एनजीओ हैं, छात्र हैं, नौजवान हैं, अच्छी मीटिंग हुई। सबने अपने सुझाव दिए और प्री- बजट मीटिंगें पहले भी हुई हैं, अब भी हुई हैं और उसी रूप में हम लोग उन सुझावों को देखकर के बजट जब तैयार होगा, उस वक्त में किन-किन सुझावों को हम लोग स्वीकार कर सकते हैं, वो प्रक्रिया चलेगी।

सवाल- केंद्र सरकार के बजट का कितना असर पड़ेगा राजस्थान पर क्योंकि कटौतियां हुई हैं काफी?
जवाब- कटौतियां बहुत भयंकर कर रही है भारत सरकार, क्योंकि उनकी अर्थव्यवस्था डांवाडोल हो रही है, पूरे देश को पता है। जितने भी आर्टिकल्स आ रहे हैं अखबारों के अंदर भी, तमाम उसी तरफ भारत सरकार का ध्यान दिला रहे हैं कि हो क्या रहा है देश के अंदर। कोई वर्ग ऐसा नहीं है जो खुश हो। चाहे किसान हो, चाहे मजदूर हो, उद्यमी हो, व्यापारी हो, छात्र हो, नौजवान हो, नौकरियां जा रही हैं, लग नहीं रही हैं, तो सब लोग दु:खी हैं। भारत सरकार को भी चाहिए कि प्रायोरिटी इसको दे, अर्थव्यवस्था को दे। उसके आधार पर फ्यूचर डिपेंड करेगा देश का भी, नौजवानों का भी।

सवाल- ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय प्रोजेक्ट घोषित करने को लेकर भी आपने काफी मांग की थी?

जवाब- उसके लिए मैंने नीति आयोग की मीटिंग हुई थी वहां दिल्ली में, तब भी प्रधानमंत्रीजी मौजूद थे, मैंने उनको याद दिलाया, जब वो जयपुर आए थे पिछले चुनाव के पहले, तब उन्होंने पब्लिक मीटिंग में भी वादा किया था कि हम सरकार में वापस आएंगे तो योजना को लागू करेंगे। तो ये उनका मैं समझता हूं कि उनके ज़ेहन में रहना चाहिए कि मैंने जो वादा किया है पब्लिकली, उसको निभाएं वो और राष्ट्रीय परियोजना के रूप में इसको स्वीकार करें, ये मैंने मांग की थी वहां पर, उसका मैंने कल पत्र लिखा है।

सवाल- सर सेंट्रल स्पोंसर्ड स्कीम कई 90:10 की थीं उनको भी 60:40 कर दिया है, उसमें भी पैसा पूरा अभी तक नहीं आया है ?
जवाब- वो तमाम जो योजनाएं थीं, सीएसएस कहलाती हैं वो, उनका रेश्यो बदल दिया है या बंद कर दिया है इमदाद देना राज्यों को, तो ये जो बदलाव ला रहे हैं केंद्र सरकार उसको, उनको अहसास होना चाहिए कि अगर राज्य सरकार कमजोर होगी वित्तीय रूप से, तो वहां विकास रुक जाएगा। एक तरफ तो वो स्मार्ट सिटी की बात करते हैं और दूसरी तरफ ये जो संविधान के अंतर्गत फाइनेंस कमीशन बनता है। फाइनेंस कमीशन रिकमंडेशन देता है, उसके आधार पर पैसा मिलता है राज्यों को, उसको काटने का कोई तुक नहीं होता है। ये पूरी तरह से उनकी फेलियर है।

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