Media Talk
दिनांक
24/11/2021 |
स्थान
जयपुर
|
राहुल गांधी जी ने जो मांग की है कि 4 लाख रुपए कम से कम मिलें, जिन परिवारों में मृत्यु हुई है कोरोना को लेकर, मैं समझता हूं कि भारत सरकार की भी खुद की मंशा पहले ये थी, आदेश निकाला, विड्रॉ करने की बात समझ में नहीं आ रही है, उसके बाद में सुप्रीम कोर्ट में आप कह रहे हो कि 50 हजार रुपए देंगे सिर्फ, आज के जमाने में 50 हजार रुपए क्या होते हैं? मेरा मानना है कि पुनर्विचार करे केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री जी खुद देखें इसको और 4 लाख रुपए की तो घोषणा करें ही करें, साथ में जो राजस्थान सरकार ने पैकेज दिया है उनके लिए हमने एक्स-ग्रेशिया अलग से अमाउंट दिया है, चाहे कोई अनाथ बच्चे हैं उनके लिए भी, विधवा औरतों के लिए भी कि हमने उनके लिए मंथली पेमेंट करने का, पेंशन देने का निर्णय किया है, 5 लाख रुपए देंगे हम 18 साल से कम उम्र के बच्चों को, जिनको 18 साल पूरा होने पर 5 लाख रुपए मिलेंगे। तो इस प्रकार पैकेज अगर स्टेट गवर्नमेंट दे सकती है, तो केंद्र सरकार के लिए तो बड़ा आसान काम है उससे, उनको चाहिए कि ऐसे वक्त में कोई राजनीति नहीं हो, बल्कि आगे आकर उनको चाहिए कि कम से 4 लाख रुपए का तो पैकेज दें ही दें और पूरे देश में मांग यही उठ रही है, जिस प्रकार से एक शुरुआत हुई थी पहले, वो शुरुआत भारत सरकार ने खुद ने की, तो विड्रॉ करने का क्या तुक था, ये समझ के परे है। क्या-क्या स्थिति बिगड़ी होगी, कैसे परिवार बीपीएल के भी होंगे, एपीएल के भी होंगे, गरीब परिवारों के लोग भी होंगे, बहुत हालात खराब हैं देश के अंदर और मैं तो यहां तक कहना चाहूंगा कि जो मृत्यु हुई है, उसके आंकड़ों को लेकर जो विवाद पैदा हो रहा है देश के अंदर, भारत सरकार को खुद को चाहिए कि ऐसा कोई सिस्टम डवलप करे जिससे कि उस गरीब घर तक पहुंच सकें हम लोग, जहां पर मृत्यु हुई है और मृत्यु बताई नहीं गई है। कई राज्यों के बारे में बहुत आरोप लगे हैं, मेरा मानना है कि चाहे सब राज्यों को ही क्यों नहीं लें हम लोग, सच्चाई सामने आने से आगे फ्यूचर में क्या प्लानिंग हो स्टेट गवर्नमेंट की और केंद्र की, उसमें आसानी होती है। अगर सच्चाई सामने नहीं आएगी तो हम गफलत में रहेंगे और खुदा-न-खास्ता तीसरी लहर आ गई और वो नए वेरिएंट के साथ में आ गई, तो पता ही नहीं पड़ेगा कि कितना खतरनाक होगा। उस वक्त में अगर सच्चाई सामने अभी नहीं आएगी, उस वक्त हम लोग राहत देने में असफल रहेंगे। मेरा मानना है हमेशा कि जो आंकड़े आते हैं चाहे कोई संस्थाओं के हों, चाहे कोई सर्वे के हों, उनको हमें गंभीरता से लेना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि केंद्र सरकार एक आदेश जारी करे, सब राज्यों के ऊपर कोई सिस्टम डवलप करे, जिससे कि सच्चाई देश के सामने आ सके कि वास्तव में कितने लोगों की मौत हुई है, मेरा ये मानना है।