Talked to media in Udaipur..
दिनांक
15/05/2022 |
स्थान
Udaipur
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सवाल- उदयपुर से बड़ा संदेश गया है, बड़े रिफॉर्म पार्टी में लंबे समय के बाद हो रहे हैं?
जवाब- देखिए बहुत ही क्रांतिकारी फैसले हुए हैं और अब तो इसको लागू करने की बात है और फॉलोअप करने की बात है। तो मैं समझता हूं कि जो माहौल देखा हमने सभी डेलिगेट्स का, पूरे देश के लोग आए थे, इत्मिनान से अपनी बातें कहीं सबने, निष्कर्ष निकाले, रिपोर्ट बनी और उदयपुर डिक्लेरेशन के नाम से घोषणा हुई है। थोड़ा इंतजार करें आप लोग भी क्योंकि अब देखना ये है कि ये किस रूप में लागू फेजेज में होगा, कुछ प्रोग्राम भी दिए हैं, पदयात्राओं के दिए हैं, जो प्रोग्राम दिए हैं उनको भी देखेंगे आप लोग, तो एक्टिविटीज बढ़ जाएंगी और सबसे बड़ा फायदा है कि पूरे कार्यकर्ता देशभर के लोग हैं गांव-गांव के भी, उन सबमें एक उत्साह का संचार भी हुआ है, नेताओं का कमिटमेंट बढ़ा है कि जिम्मेदारी हमारी भी है, देश में हालात बन रहे हैं कि आज यहां से कहना पड़ा कि 'भारत जोड़ो', इसका मतलब है कि भारत कहीं न कहीं कमजोर हो रहा है, जोड़ने की बात तो आप समझ सकते हो कि क्या मायने हैं उसके। तो आज स्थिति, कमजोर भारत नहीं होना चाहिए, जिसके लिए इंदिरा गांधी जी ने जान दे दी, राजीव गांधी जी शहीद हो गए, सरदार बेअंत सिंह जी शहीद हो गए, पर नेस्तेनाबूत कर दिया आतंकवाद को। तो वो देश में हम तो ये हत्याएं देख चुके थे बचपन से, बचपन से क्या जबसे मेंबर ऑफ पार्लियामेंट बने तबसे ही। तो क्या उस वक्त में हालात थे इस मुल्क में, क्या बन गए थे, पर जान देकर इस देश को एक रखा, अखंड रखा और आतंकवाद को पनपने नहीं दिया। आज जो जिस प्रकार के हालात बन रहे हैं, कल मैं यूएन का कोई एक्सपर्ट या कोई है, उसका मैं आर्टिकल देख रहा था, तो वो आशंका प्रकट कर रहे हैं कि पता नहीं इस मुल्क में आने वाले वक्त में कितनी हिंसा हो सकती है, कल्पना नहीं कर सकते। अगर ये स्थिति अगर विदेश में बैठे हुए लोग कल्पना कर रहे हैं यहां के हालात से, यहां के व्यवहार से सरकारों के, कानून का राज नहीं होगा तो कैसा होगा व्यवहार आप समझ सकते हो, बुलडोजर चल रहे हैं खाली पब्लिक को मैसेज देने के लिए कि देखो हम कितने दबंग आदमी हैं, उसमें गरीब की झोंपड़ी भी उजड़ रही है साथ के अंदर। तो कानून की कार्रवाई करनी है तो कानून के नियमों से करो, कौन मना करता है आपको ? करना भी चाहिए। तो जो हालात, मैं बार-बार कहता हूं कि संविधान की धज्जियां उड़ रही हैं, या लोकतंत्र खतरे में पड़ रहा है, मैं नहीं कह रहा हूं, इतने लेखक-पत्रकार सब कह रहे हैं लिखने वाले। तो ये हालात में यहां जो निर्णय हुआ है और मैं समझता हूं कि जो सारांश उसका यही है कि कांग्रेस आह्वान करे सभी जातियों के, सभी धर्मों के, सभी वर्गों के से, सभी लैंग्वेज बोलने वाले लोगों से कि भई मिलकर आप सब एकजुट रहो, देश एक रहे, अखंड रहे ये हमारी थीम होनी चाहिए और राहुल गांधी ने भी कहा था कि मैं अपनी जिंदगी लगा दूंगा इस काम के लिए, पर आरएसएस और बीजेपी के मंसूबे जो हैं धर्म के नाम पर राजनीति करने के, ध्रुवीकरण करने के, आज तो लोगों को अच्छा लग रहा है धर्म के नाम पर ध्रुवीकरण हो रहा है तो, नौजवान नहीं समझ पा रहे, उनको भी अच्छा लगता है, हिंदुत्व की बात कर रहे हैं, पर आज हमारे डिक्लेरेशन में कहा गया है कि असली राष्ट्रवाद हम अपनाना चाहते हैं और अपना रहे हैं। देशवासियों से आह्वान करते हैं कि राष्ट्रवाद हम सबके लिए बहुत सर्वोपरि है, पर जो इनका छद्म राष्ट्रवाद है इनका कि चुनाव में वोट लेने के लिए राष्ट्रवाद का नाम लेते हैं, वो खतरनाक है, हिंसा का कोई अंत हो सकता है कभी कोई? हिंसा पर लोग उतर जाएंगे तो दंगे भी इतने भड़केंगे कि आप कहां-कहां रोकोगे ? चाहे सरकार बीजेपी की हो, या कांग्रेस की हो, तो देश इकबाल से चलता है, पुलिस का इकबाल होता है तो गांव में शांति-सद्भावना रहती है, पुलिस आती है काम, 2 पुलिस वाले होते हैं, तब भी इकबाल से गांव की चाहे 2 हजार लोगों की आबादी भी है तो वो समझते हैं कि पुलिस आ गई है, मुकदमा बन जाएगा, ये भय होता है, तब कानून का राज स्थापित रहता है। वरना तो आप देखते हो कि जो कानून तोड़ने वाले हैं, एंटी-सोशल एलिमेंट तो सब जगह होते हैं। तो तमाम तरह की स्थिति हैं जो राजस्थान में अभी देखा आपने कि 3 जगह दंगे भड़क गए और सबका बैकग्राउंड मालूम है आपको, जो माने हुए लोग हैं बीजेपी के नेता, वो उसमें इन्वॉल्व थे, चाहे करौली का हो, राजगढ़ में तो उन्हीं का बोर्ड था और बदनाम करने लग गए कांग्रेस को, जोधपुर में आप देख लो, मूर्ति को लेकर क्या तमाशा हुआ। ये तो अभी जांच चल रही है, देखेंगे कि क्या स्थिति बनती है, क्या सच्चाई सामने आती है। तो स्थिति ये है कि ये शिविर हमारे लिए मैं समझता हूं कि कांग्रेस के लिए, कांग्रेस को मजबूत करने के लिए संगठन के तौर पर कि ब्लॉक तथा मंडल इकाई की बात की गई है पहली बार कि मंडल इकाई बनेंगी अब, तो बूथ इकाई, फिर मंडल इकाई, अगर नए सिरे से काम शुरू हो रहा है और टाइम बाउंड किया गया है। तो तमाम जो फैसले हुए हैं, वो फैसले, अब जरूरत इस बात की रहेगी कि ऊपर से नीचे तक सब लागू करने के लिए अपना कमिटमेंट रखें बस, और कुछ नहीं करना है।
सवाल- राहुल गांधी का जो भाषण था उसकी काफी चर्चा है और एक तरह से उन्होंने संकेत ये दिया कि लड़ाई मैं लड़ूंगा आगे रहकर, परिवार के साथ रहकर, तो ये तो संकेत दिए हैं कि अब वो फिर से लीड करेंगे पार्टी को?
जवाब- देखिए राहुल गांधी इतने अच्छे इंसान हैं जो देश और देशवासियों के लिए कुछ भी तरह की कुर्बानियां करने के लिए तैयार रहते हैं, ये मैंने पहले कई बार कहा आपको क्योंकि मैं उनके साथ में लगभग सालभर था में गुजरात के अंदर, आज वो लड़ाई लड़ रहे हैं मोदी जी के साथ में, या एनडीए के साथ में, इश्यू बेस्ड लड़ रहे हैं। आपने देखा होगा हर इश्यू पर बात करते हैं वो, अटैक करते हैं तो इश्यू बेस्ड करते हैं, उनकी छवि खराब करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है बीजेपी-आरएसएस सोशल मीडिया के माध्यम से, जबसे राजनीति में आए हैं, राहुल गांधी के नाम से इतनी घबराहट है कि लाखों-करोड़ों रुपए खर्च कर रहे हैं सोशल मीडिया के माध्यम से, जो आप देख रहे हो, इसकी नौबत क्यों आई भई ? इतना डर क्यों सता रहा है ? पर राहुल गांधी ने अपना जो 7 साल का जो मुकाबला किया है मोदी जी की गवर्नमेंट से, आज पूरा देश मान रहा है कि अगर कोई तर्क के साथ में कोई राजनीति कर रहा है इनके साथ में, विपक्ष की भूमिका निभा रहा है, उनका नाम राहुल गांधी है। ये कम बात नहीं है कि वो आप देखेंगे कि खाली न्यूज देने के लिए नहीं देते हैं, जो इश्यू बनते हैं उन पर वो बोलते हैं, चाहे चीन का हो, चाहे कोरोना का हो, चाहे कोई इश्यू हो। ये पूरी मीडिया को समझना पड़ेगा कि जो इश्यू बेस्ड बात कर रहा है उसको किस प्रकार से हम उसको दिखाएं, या उसको कवरेज दें, वो उनके ऊपर है।
सवाल- एक महत्वपूर्ण बात भी कही कि पब्लिक से जो कांग्रेस का कनेक्शन था, वो टूट गया है, वापस अब?
जवाब- बहुत महत्वपूर्ण बात तो यही है, कनेक्शन टूटा नहीं है, कमजोर हो गया है, तो जब सरकार नहीं होती है तो स्वाभाविक है कि, अब मानव स्वभाव होता है कि थोड़ा एक टैम्पो बदल जाता है कि भई क्या हो रहा है ? तो ये कनेक्ट करने की बात के मायने ये हैं कि कनेक्ट करके आप किस प्रकार से लोगों का दिल जीतो और हम खुद ही हमेशा कहते हैं कि भई सुख-दुःख में काम आओ लोगों के, हर परिवार के, ये हमारा धर्म कहता है राजनीति में काम करने वाले कार्यकर्ताओं का, चाहे किसी पार्टी के हों, पहला काम है कि वो आम जनता के सुख-दुःख में भागीदार बनें, उनकी समस्याओं का समाधान करें, यही तो है, तो कनेक्ट अपने आप हो जाते हैं जब काम कर रहे हैं उनके लिए, उन सबसे मिलें, बातचीत करें और समस्याओं का समाधान करें, तो ये भावना उनकी थी। मैं समझता हूं कि वो भावना अब काम करेगी ज्यादा तरीके से, अच्छे तरीके से काम करेगी।
सवाल- आपकी सरकार के 2 फैसले अभी हुए हैं, एक तो कृषि बजट अलग से पेश करना, एक एससी-एसटी के बजट को कानूनी प्रावधान देना, यही दोनों बातें आज संकल्प में भी थीं, तो ये माना जाए कि राजस्थान रोल मॉडल जिसकी आप बात कर रहे थे, उसी रोल मॉडल को कांग्रेस भी आगे बढ़ा रही है ?
जवाब- देखो किसानों का बजट हमने पेश किया, वो भी किया है, हम चाहते हैं कि हैल्थ सर्विसेज सुधरें, या जो-जो हमने फैसले किए हैं, वो सब तो यहां आ नहीं सकते थे, चर्चा में आए हैं, पर डिक्लेरेशन में नहीं आ सकते थे, उसमें कई विचार-विमर्श चलते रहते हैं, पर ओल्ड एज पेंशन लागू हमने की है, अंग्रेजी स्कूलें खोली हैं गांव-गांव में, आज उनमें लॉटरी खुल रही है एडमिशन के लिए, बड़ा काम है, चिकित्सा के लिए क्रांति की है, पूरे देश में कहीं नहीं है कि प्रदेशवासियों का बीमा हो गया 10 लाख रुपए का और बाकी जो ऑर्गन ट्रांसप्लांट होने हैं, उसके तो 10 लाख रुपए क्या 20 लाख रुपए तक हो सकता है, वो भी फ्री कर दिया है। तो ये जो फैसले हमने किए हैं, आईपीडी-ओपीडी फ्री किया है, ये भी हम मांग करते हैं भारत सरकार से भी कि पूरे देश में लागू करना चाहिए। तो ये जो फैसले कई किए हैं, जिनका जिक्र आप कर रहे हैं, मैं समझता हूं कि एससी-एसटी का जो एक्ट बना है, 4-5 राज्य पहले बना चुके थे, और राज्य बनाएं सब लोग तो उम्मीद की जाती है कि आने वाले वक्त में और राज्य सरकारें बनाएं।
सवाल- ओवरऑल कैंप को कैसे देखते हैं 3 दिन के?
जवाब- बहुत ही शानदार तरीके से, 500 डेलिगेट्स, साढ़े 400 डेलिगेट्स आए हैं और सभी खुश होकर गए हैं, वो कैंप की सफलता का प्रतीक है और आपने देखा होगा किसी से भी बात कर लीजिए, सब आपको यही कहेंगे कि अच्छे ढंग से संपन्न हुआ कैंप और आपस में मिलना हो गया सबका, विचार-विमर्श हो गए, व्यूज एक्सचेंज हो गए और मैसेज मिल गया कि कैंप के माध्यम से कांग्रेस हाईकमान और कांग्रेस के कार्यकर्ता से लगाकर नेता तक कि हमारी अप्रोच क्या होनी चाहिए देश के लिए, देशवासियों के लिए। तो सब तरह से मैं समझता हूं कि कैंप बहुत कामयाब रहा।
सवाल- महाराणा प्रताप की धरती से मिशन 2023 के लिए कार्यकर्ता नया संदेश लेकर जा रहा है ?
जवाब- वैसे तो पब्लिक फैसला करती है कि कौन पार्टी जीते, कौन विजय प्राप्त करे, पर हमारी कोशिश रहेगी कि इस बार सरकार हमारी बने। हम आप देख रहे हैं कि गुड गवर्नेंस दी है हमने कोरोना के अंदर भी, कितने लोग मारे गए देश के अंदर, राजस्थान में हमने बचाने का प्रयास किया पूरा, रात-दिन एक कर दिया, सारी सुविधाएं दीं, सारा इलाज फ्री किया, कोई भूखा नहीं सोएगा तो वो ही रहा, सबने मदद की, पूरी आम जनता आगे आ गई मदद करने के लिए, एनजीओ आगे आ गए, एक्टिविस्ट्स आगे आ गए, पॉलिटिकल कार्यकर्ता भी आगे आए, तो ये तमाम देखा आपने। उसके अलावा जो फैसले हमने करीब 800 फैसले मैंने अभी किए हैं बजट के अंदर, 200-250 तो उसके अंदर आदेश जारी हो गए हैं। तो अभी मैं 1-2 तारीख को जो कर रहे हैं हम लोग रिव्यू कर रहे हैं, पूरे बजट की घोषणाओं का कर रहे हैं 2 दिन लगातार, उसमें आप देखेंगे कि किस रूप में प्लानिंग बनती है एडवांस में कि कितने महीने में कौनसे फैसले होने जरूरी हैं, लाजिमी हैं। तो बहुत बड़ा ये भी एक निर्णय है कि बजट को रिव्यू करके हर डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी ब्रीफ करेंगे पूरी कैबिनेट को कि उनकी खुद की प्लानिंग क्या है डिपार्टमेंट की, जो संबंधित मंत्री हैं उनके साथ चर्चा करके अपना कैलेंडर बनाएंगे कि हमारे डिपार्टमेंट की अमुक-अमुक घोषणाएं हैं, ये घोषणाओं का अगर कैलेंडर बनाते हैं लागू करवाने का, तो ये बहुत बड़ा फैसला है। मैं समझता हूं कि वो लागू होगा तो पूरे बजट की जो घोषणाएं हैं, टाइम पर पूरा होगा तो उसका लाभ मिलेगा जनता को उसका।
सवाल- आपका शिविर हो गया, बीजेपी का भी शिविर हो रहा है जयपुर के अंदर, नड्डा जी भी कुछ दिनों पहले आए थे?
जवाब- वो तो अभी क्या है कि घबरा गए हैं वो और मोदी को देखा नहीं आप कि चुनाव जीते यूपी का और सीधे गए वहां पर गुजरात के अंदर 3 दिन तक, फिर 20-25 दिन बाद में फिर चले गए 3 दिन के लिए, तो अपने खुद के घर को संभालने के लिए बार-बार जाना पड़ रहा है उनको, तो नेचुरल है कि राजस्थान में तो नड्डा जी भी आएंगे, मोदी जी भी आएंगे, अमित शाह जी भी आएंगे और जो इनके तमाशे होते हैं और जो इनकी एजेंसियां हैं सीबीआई, इनकम टैक्स, ईडी, उनको एक्टिव करने का काम भी साथ चलता है इनका, पूरा होम मिनिस्ट्री के अंदर हमने सुना है कि कोई प्रकोष्ठ बना दिया है, मॉनिटरिंग वहीं से होती है कि किस-किसके खिलाफ में कार्रवाई करनी है, क्या कार्रवाई करनी है, नोटिस की लैंग्वेज क्या होगी, किस दिन बुलाना है गवाही देने के लिए, तमाम फैसले योजनाबद्ध तरीके से कर रहे हैं। ये तीनों एजेंसियों के लोग इतने घबराए हुए हैं कि जब ये आते हैं किसी के घर पर घुस जाते हैं, 7 दिन तक बाहर नहीं निकलते हैं और घरवाले कहते हैं कि आपको कुछ मिला ही नहीं है मेरे यहां पर, तो आप क्यों बैठे हो यहां पर ? तो कहते हैं कि भई हम तो तब निकलेंगे जब ऊपर से आदेश आएगा, तो आप सोच लीजिए कि कहां जा रहा है देश। तो हालात बड़े गंभीर हैं देश के अंदर, सब जगह छापे पड़ रहे हैं और बीजेपी के लोग तो जैसे कोई दूध में नहाए हुए हों, पूरे देश के अंदर मैंने तो एक भी नहीं देखा कि बीजेपी वालों के छापे पड़ रहे हों, ये कहते हैं कि बड़े कड़ाह में दूध रखकर नहाकर फिर निकले हुए हैं ये लोग, तो कोई तरह का उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है, पूरे देशभर के अंदर जहां-जहां सरकारें जिस पार्टी की हैं, चाहे शिवसेना हो, कांग्रेस हो, एनसीपी हो, सपा हो, जितनी भी पार्टियां हैं रीजनल पार्टियां, कोई हों, उन सबको डराकर, धमकाकर राज करना चाहते हैं, ऐसे लोग आकर राज में बैठ गए हैं और ध्रुवीकरण के नाम पर, धर्म के नाम पर, हिंदुत्व के नाम पर लोग जुड़े हुए हैं। कल मैंने बात कही, वापस रिपीट करके बात खत्म कर रहा हूं कि 31 पर्सेंट वोट आए थे मोदी जी के 2014 के अंदर, जब 31 पर्सेंट वोट आए हैं तो 69 पर्सेंट वो खिलाफ थे उनके, वो वोट कहां गए ? तमाम बंट गए आपस के अंदर, कांग्रेस सहित रीजनल पार्टियों में बंट गए, ठीक है ? तो मोदी जी उस वक्त दिल बड़ा रखते कि भई मैं तो 31 पर्सेंट पर ही प्राइम मिनिस्टर बना हूं, 69 पर्सेंट वोट मेरे खिलाफ पड़े हैं, वोट पड़े हैं न, ऐसा नहीं है कि घर पर बैठे रहे वो, एब्सेंट नहीं रहे थे, वोट पड़े हैं यानि खिलाफ पड़े हैं, तब भी प्राइम मिनिस्टर वो बने थे, उस वक्त बड़ा दिल रखकर सबको साथ लेकर चलते वो कि विपक्ष की बात सुनते, फैसला खुद को करना होता है मुख्यमंत्री हो या प्राइम मिनिस्टर हो, पर आप सबकी बात सुनो, तो कम से कम उसके बाद निष्कर्ष निकलने के बाद में फैसले करने में आसानी रहती पब्लिक इंटरेस्ट के अंदर। इन्होंने तो ये तो दुश्मन हैं, जैसे दुश्मन हो गए सब लोग इतना घमंड आ गया कि मैं कांग्रेस मुक्त भारत बनाऊंगा, किसी को कुछ समझ नहीं रहे थे और फिर धर्म के नाम पर 7-8 पर्सेंट वो और ज्यादा पड़ गए, और ज्यादा घमंड आ गया। तो घमंड आने वाला व्यक्ति जो है कभी कामयाब नहीं हो सकता, इतिहास वो ही बनाता है जो इतिहास को याद रखता है, अच्छे सेंस में याद रखता है, आप पुराने इतिहास को उसकी धज्जियां उड़ाओ, उसकी आलोचना करो, तो वो फिर कभी इतिहास बनाने में सफल नहीं हो सकते। तो मेरा मानना है कि ये जो माहौल बना है देश में, न इनके हित में है, न देश के हित में है।
सवाल- विक्ट्री साइन की बड़ी चर्चा है आपके ?
जवाब- हमने अखबार देखा ही नहीं अभी!
सवाल- सोनिया गांधी जी ने कहा कि वक्त अब कर्ज चुकाने का है, कांग्रेस ने नेताओं को बहुत कुछ दिया है, एक बड़ा बयान दिया है ?
जवाब- वो तो बयान का मैं कल कह चुका न, मैं उसके बारे में कह चुका हूं कि बहुत बड़ा बयान है और हर कांग्रेस कार्यकर्ता को सोनिया गांधी जी की बात को पूरी तरह ज़ेहन में उतार लेना चाहिए, विशेष रूप से उन लोगों को जो कोई न कोई पद पर रहे जिंदगी के अंदर, बल्कि कोई पद पर नहीं रहा है, तब भी कांग्रेस के नाम पर पहचान होती है आदमी की कि भई ये कांग्रेस कार्यकर्ता है, उसका भी मान-सम्मान होता है। तो तमाम कांग्रेसजनों को चाहिए जो सोनिया जी ने कहा कि भई पार्टी ने आपको सम्मान दिया है, या पद दिया है, अब वक्त आ गया है वापस चुकाने का, बहुत बड़ी बात कह दी।
सवाल- बेणेश्वर धाम पर...
जवाब- तैयारी चल रही है पूरी वहां पर, आदिवासियों में भी, जनरल कास्ट के अंदर भी, सब कास्ट में बहुत ही उत्साह है वहां पर, पहली बार सोनिया जी गई थीं, राहुल जी भी गए थे, हम लोग जाते रहते हैं वहां, बड़ा धार्मिक पावन स्थल है वहां पर और वहां जो नदी चल रही है, उसके अंदर बहुत तकलीफ होती थी, जब बरसात होती थी, रास्ते रुक जाते थे। अब करीब 134 करोड़ रुपए की लागत से ओवर ब्रिज बन रहा है वहां पर, तो एक बड़ा काम भी हो जाएगा उपलब्धि के रूप में और मीटिंग भी हो जाएगी। तो कल बहुत शानदार बड़ी मीटिंग होगी वहां पर और राहुल जी भी आ रहे हैं, हम लोग सब वहीं रहेंगे और वहीं पर संबोधित करेंगे आदिवासियों को भी और पूरे प्रदेशवासियों को भी, ठीक है।