Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

Talked to media at AICC:

दिनांक
05/08/2022
स्थान
AICC


ये अप्रोच इनकी जो है इनको महंगी पड़ेगी, डेमोक्रेसी के अंदर हमेशा विपक्ष जो है, चाहे जब बीजेपी वाले विपक्ष में थे तब भी और उसके अलावा भी मैंने देखा है कि हमेशा धरने-प्रदर्शन के माध्यम से ही एक मैसेज देते हैं कि जनता की समस्याएं क्या हैं, जन समस्याएं क्या हैं और जनता जुड़ती भी है, उससे सत्ता पक्ष अंदाजा लगा लेता है कि जो हमारी नीतियां हैं किस दिशा में जा रही हैं, उसको सुधार करने का मौका मिलता है मेरा मानना है, ये पहली बार मैं देख रहा हूं गवर्नमेंट को कि सारे वो हथकंडे अपना रही है कि भीड़ इकट्ठी नहीं हो, भीड़ को कोई रोक सकता है क्या? जिस दिन जनता तय कर लेगी आंदोलन करने के लिए तो न इनकी पुलिस रोक पाएगी, न कोई पैरा मिलिट्री फोर्स रोक पाएगी, ये समझ नहीं रहे हैं, महंगाई की बहुत भयंकर मार चल रही है, रोजगार को लेकर हाहाकार मचा हुआ है देश के अंदर, जीएसटी लगा दिया है जिस रूप में दही और दूध और सब पर, लोगों में बहुत आक्रोश है, लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि हो क्या रहा है देश के अंदर। अग्निपथ और अग्निवीर अलग दे दिया इन्होंने प्रोग्राम, अब मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि अगर मान लीजिए कांग्रेस या कोई विपक्षी पार्टी आंदोलन कर रही है मान लीजिए और जनता साथ दे, युवा साथ दे, तो सरकार को अंदाजा हो जाता है तो हो सकता है कि वो करेक्शन के लिए कोई कदम उठाती। अब ये अहम और घमंड में जो मर रहे हैं, वो इनको ले डूबेगा क्योंकि अल्टीमेटली तो जनता माई-बाप होती है लोकतंत्र के अंदर और जनता का फैसला ही सुप्रीम होता है। ये पहली बार देख रहा हूं कि हमारी पार्टी ऑफिस के हैड क्वार्टर पर भी आप पाबंदी लगा रहे हो, अंदर नहीं जा सकते हो ऑफिस बियरर्स भी, क्या कांग्रेस ने 70 साल में कभी पॉलिटिकल पार्टी के, किसी पॉलिटिकल पार्टी के दफ्तर को सील किया है? या उसको छावनी बनाया है? या वहां पर किसी के आने पर कोई पाबंदी लगाई है? मेरा अनुभव कहता है कि आज तक मैंने कभी नहीं सुना किसी पॉलिटिकल पार्टी के, उसकी अलग सैंक्टिटी होती है हर पार्टी के लिए होती है, ये कल्पना नहीं कर सकते कि 24 नंबर हैड क्वार्टर जो है जबसे बना है हमारा और तबसे आज तक लाखों लोग यहां आए होंगे, गए होंगे, क्या वो बख्शेंगे इनको? कि आप हमारे हैड क्वार्टर की जो पवित्रता है, उसके ऊपर आपने हमला किया है कि आप अंदर नहीं जा सकते हो, आप बाहर नहीं निकल सकते हो, ये पहली बार तमाशे हो रहे हैं। तो इसको मैं अनुभव की कमी कहूं या क्या कहूं, मेरी समझ के परे है, पर मैं इनको कहूंगा कि ये अहम और घमंड में चल रहे हैं और जनता इनको कभी न कभी सबक सिखाएगी। मैंने खुद ने कल आह्वान किया है कि जितने भी एनजीओ हैं, सोशल वर्कर्स हैं, एक्टिविस्ट्स हैं, आमजन भी क्यों नहीं हो, या तो वो पॉलिटिकल पार्टी जो भी पार्टी है चाहे वो कांग्रेस है, सीपीआई है, सीपीएम है, जनता दल है जो भी हैं, या तो जो विपक्ष आंदोलन कर रहा है उसमें शामिल हों, या वो शामिल भी हो सकते हैं और अपने प्लेटफॉर्म पर अलग विरोध भी प्रकट कर सकते हैं, महंगाई को लेकर, बेरोजगारी को लेकर और जो कुछ भी देश में ये अग्निवीर और अग्निपथ जो है क्योंकि नौजवानों को डरा दिया गया है कि आपके अगर पुलिस केस बन गया तो आप फिर नौकरी में नहीं आ पाओगे, उस कारण से वो आंदोलन रुक गया है, पर ये नहीं भूलना चाहिए कि 4 साल की नौकरी देकर आप लाखों बच्चों को घर भेजोगे और 25 पर्सेंट को नौकरी दोगे, तो 75 पर्सेंट जो हैं वो क्या करेंगे? जो हथियार चलाना सीख चुके होंगे वो क्या करेंगे? वैसे भी आप देख रहे हो कि आज जो बेरोजगारी बहुत भयंकर है, महंगाई का जमाना है, उसमें आप देखते हो कि असामाजिक तत्व जो पनप रहे हैं, आज जो क्राइम बढ़ रहा है देश और प्रदेश के अंदर सब जगह, सभी तरह का क्राइम बढ़ रहा है और कानून व्यवस्था की स्थिति, धर्म के नाम पर हिंसा करवाने वाले तो आप जानते ही हो कि किनकी नीति में वो है, परंतु छोटी-छोटी बातों में झगड़े हो रहे हैं, तनाव और हिंसा बढ़ रही है, धर्म के नाम पर हो रहा है, ये तमाम जो माहौल बन रहा है, कहीं रेप हो रहे हैं बच्चियों के साथ में और बच्चियों का जबसे कर दिया है कि भई उसको फांसी की सजा मिलेगी निर्भया कांड के बाद में जो कर दिया है कि फांसी की सजा मिलेगी, उसके बाद में हत्याएं बहुत ज्यादा होने लग गई हैं बच्चियों की, रेप करने वाला देखता है कि ये तो गवाह बन जाएगी कल मेरे खिलाफ में, तो वो रेप भी करते हैं और हत्याएं भी कर देते हैं बच्चियों की, ये बहुत बड़ी चलन पूरे मुल्क में मैं देख रहा हूं जो रिपोर्ट आ रही है, वो बहुत खतरनाक ट्रेंड है। तो मैं समझता हूं कि तमाम बातें जो देश के अंदर हालात हैं, वो एक लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा संकट का समय है, हमने ऐसा समय कभी नहीं देखा और संविधान की शपथ लेते हैं हम लोग और संविधान की शपथ लेने के बाद में आप जो है जिस रूप में परीक्षा ले रहे हैं लोगों की, वो भी कोई अच्छी बात नहीं है, आज शपथ जो लेने वाले हम लोग हैं एमएलए, एमपी, मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, उनको चाहिए कि शपथ के जो शब्द हैं, उनको हम अगर आत्मसात् कर लें, तो आधी समस्या का समाधान हो जाएगा आपका, उसकी धज्जियां उड़ रही हैं संविधान की, असहमति कोई व्यक्त करता है पत्रकार, लेखक, साहित्यकार या कोई एक्टिविस्ट, जेल में बंद हैं वो लोग और कहां-कहां वकील लोग पैरवी करते फिरें, कहां-कहां एक्टिविस्ट आगे आकर उनको बचाएं? तो हालात बड़े गंभीर हैं देश के अंदर और मैं समझता हूं कि धर्म के नाम पर जो जर्मनी हो, चाहे वो तुर्की हो, जहां-जहां भी हिटलरशाही हुई है दुनिया के अंदर, वहां पर पहले धर्म के नाम पर राजनीति हुई, बाकी लोग चुप रहे, कोई विरोध करते थे तो भई ये तो राजनीतिक मामला है, जब बर्बाद हो गए मुल्क के मुल्क तब मालूम पड़ा कि ये क्या हो गया... तो ये आज जो तानाशाही कह दीजिए, हिटलरशाही कह दीजिए, आतंक मचा रखा है, ईडी ने तो मचा ही रखा है, एनडीए गवर्नमेंट ने खुद ने आतंक मचा रखा है, इतना भयंकर करप्शन हो रहा है देश के अंदर, ये कहते थे 2जी स्पेक्ट्रम, अब 5जी स्पेक्ट्रम का क्या हुआ? ये कहते थे कोलगेट, उस कोल गेट का क्या हुआ बाद में ? अन्ना हजारे साहब आ गए, पैदा कर गए केजरीवाल जी को, परंतु उस लोकपाल का क्या हुआ? कोई नाम लेता है लोकपाल का जो आरएसएस और बीजेपी का वो स्पॉन्सर्ड संघर्ष था अन्ना हजारे जी के नाम से, बैक में ये लोग सब थे उसके अंदर, उसका क्या हुआ, कोई जवाब है इनके पास में? कोई चर्चा ही नहीं होती है। ब्लैक मनी लेकर आएंगे सरकार बनते ही, सरकार बनते ही सुप्रीम कोर्ट के जज की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई, क्या मोदी जी कभी नाम लेते हैं उस ब्लैक मनी लाने का क्या हुआ? नौकरियों का क्या हुआ, 2 करोड़ नौकरियां देंगे हम लोग? अगर मोदी जी की स्पीच सुन लो आप 2014 की, जो कैंपेन बहुत शानदार किया था उन्होंने पूरी कंट्री के अंदर उनके जो पॉइंट जितने भी थे, अगर मीडिया हमारे ऊपर कृपा कर दे, उनको दिखा दे, तो ही मैं समझता हूं कि हमारा काम चल जाएगा, हमें कुछ कहने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। पर मीडिया इतना दबाव के अंदर है, आप लोगों को कुछ नहीं कहना चाहता, आपके मालिक लोग बहुत दबाव में हैं, ईडी, इनकम टैक्स, सीबीआई का उनको डर है और इसीलिए वो बोल नहीं पा रहे हैं दबाव में, प्रिंट हो चाहे वो डिजिटल मीडिया हो, कम और तेज सब दबाव के अंदर हैं, सीजेआई ने क्या कहा है आप देख सकते हो, डिजिटल मीडिया के बारे में, आप सोच सकते हो, हालात देश के गंभीर हैं, अगर हमने नहीं सोचा टाइमली, विरोध नहीं किया तो हम अपने कर्त्तव्य को पूरा नहीं करेंगे और आने वाली पीढ़ियां हमें माफ भी नहीं करेंगी, इसलिए हमको बोलना पड़ता है।

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