Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

Talking to media at SMS Stadium, Jaipur | 26 January

दिनांक
26/01/2023
स्थान
जयपुर


सवाल- गणतंत्र दिवस के लिए क्या कुछ कहेंगे
जवाब- गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं प्रदेशवासियों को, प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी ये शुभ दिन जो है हम सबको याद दिलाता है उस जमाने की जब हम लोग गुलाम थे और सामंतशाही थी, जो माहौल था गुलामी का, उसकी कल्पना ही नहीं कर सकते। हमारे उन सेनानियों ने ज्ञात - अज्ञात शहीद जो बड़े-बड़े नेता थे, गांधी जी के सानिध्य में जो संघर्ष किया गया, पंडित नेहरू, सरदार पटेल, मौलाना आजाद सरीखे लोग, फिर अंबेडकर साहब ने संविधान बनाया और आज हम अमृत महोत्सव मना रहे हैं, अब भी चिंता का विषय लगा हुआ है, जो देश में तनाव है, हिंसा का माहौल है, अमीरी-गरीबी के बीच में खाई बढ़ती जा रही है, महंगाई और बेरोजगारी ऊपर से है, आज शुभ दिन पर भी बोलना पड़ता है क्योंकि ये मुद्दे ऐसे बर्निंग हैं, इन पर ध्यान जाना जरूरी है सरकार का, चाहे सरकार राज्यों की हो, चाहे केंद्र की हो, सब मिलकर ही हम लोग कैसे इन मुद्दों को हल कर सकते हैं। मेरा मानना है कि देशवासियों को, प्रदेशवासियों को भी संज्ञान लेना चाहिए कि राहुल गांधी को इतनी टफ यात्रा क्यों करनी पड़ी? टफ यात्रा क्यों करनी पड़ी, ये सोच के ये मुद्दे जो हैं इस पर भारत सरकार का ध्यान, उन पर दबाव पड़ेगा तो कुछ जनता का भला होगा, ये ही सोचकर मैं समझता हूं कि उनका एक संकल्प था, वो 30 तारीख को गांधी जी की पुण्यतिथि पर सफल होने जा रहा है, तो ये स्थिति है। मैं इस मौके पर पूरे प्रदेशवासियों को विश्वास दिलाता हूं कि हमारी सरकार लोककल्याणकारी सरकार है, सोशल सिक्योरिटी को महत्व देती है, इसीलिए हम जो स्कीम्स लाए हैं एक के बाद, एक के बाद, एक के बाद, आगे भी हमारा प्रयास जारी रहेगा जो दिल को छूने वाली हैं, आम आदमी के, गरीब के, किसान के, पिछड़ों के, दलितों के, कोई समाज हो, छत्तीसों कौम की, ईडब्ल्यूएस भी क्यों नहीं हों, सबको जिनको जरूरत है सरकार की या कह दीजिए जो मतलब नीडी हैं, उनके लिए उनके साथ हमारी सरकार खड़ी मिलेगी हमेशा, चाहे कोरोना काल आया हो, चाहे उसके बगैर भी, हम लोग प्रयास करते रहे हैं कि पूरे प्रदेशवासियों को विश्वास दिलाएं कि हम, सरकार आपके साथ में मजबूती के साथ में आपके सुख-दुःख में खड़ी रहेगी भविष्य में।

सवाल- बीजेपी राइट टू हेल्थ बिल का विरोध कर रही है?
जवाब- वो प्राइवेट सेक्टर को खुश करने के लिए कर रही होगी, पर हम खुद भी चाहेंगे कि प्राइवेट सेक्टर को भी विश्वास में लें क्योंकि अल्टीमेटली तो पब्लिक सेक्टर और प्राइवेट सेक्टर मिलकर ही मैं समझता हूं कि जो सेवा का संकल्प है वो पूरा कर सकते हैं। तो सरकार कोई इनके खिलाफ नहीं है, उनके वाजिब कोई सुझाव होंगे, तो वो भी हम चाहेंगे कि स्वीकार करें, हम चाहेंगे कि सबको साथ मिलाकर करेंगे तभी तो ये कामयाब होगा हमारा सपना जो यूनिवर्सल हेल्थ सर्विसेज का है, राइट टू हेल्थ बिल लाना तो कानून बनना तो एक बात है, कानून लागू होना दूसरी बात है, जो देखा आपने 3 काले कानून जो किसानों के लिए आए थे तब देखा आपने कि वो लागू नहीं हो पाए, हम कोई काम ऐसा नहीं करना चाहते हैं, हमारे कोई प्रतिष्ठा का सवाल नहीं है कि बिल लाएं, थोप दें बिल को, सबको साथ लेकर, सबकी सलाह से हम चलेंगे, तभी मैं समझता हूं कि वो कानून बन पाएगा और कानून बनने के बाद में लागू हो पाएगा, ये हमारी खुद की भी मंशा है। पर प्राइवेट सेक्टर को मैं फिर अपील करना चाहूंगा कि कुछ खुद को आगे आना चाहिए, ये कुछ बातें ऐसी लिखी होती हैं जो एक आम इंसान के हित की होती हैं और उसमें अगर सरकार बिल लाती है तो दबाव पड़ता है सभी पर, चाहे सरकारी हो, चाहे गैर-सरकारी हो, सभी संस्थाओं पर और सब मिलकर ही हम गुड गवर्नेंस देने की बात करते हैं हेल्थ सेक्टर के अंदर भी, तो वो तभी दे पाएंगे। तो मेरा मानना है कि इसमें कोई, विपक्ष क्या करता है, उससे मुझे कोई सरोकार नहीं होना चाहिए क्योंकि उनके पास में मुद्दे 4 साल में कोई आ नहीं पाए हैं, तो वो बौखलाए हुए हैं, ऊपर से उनको बार-बार डांट पड़ती है कि तुम कर क्या रहे हो? 4 साल निकम्मापन क्यों दिखाया तुम लोगों ने? इसका जवाब उनका केंद्रीय नेतृत्व बार-बार पूछ रहा है, इसलिए बार-बार नड्डा साहब को आने की जरूरत पड़ती है, केंद्रीय मंत्री आते हैं या जो भी आते हैं नेता लोग, उनको पूछते हैं इनके पास कोई जवाब नहीं रहता है ये स्थिति है।

सवाल- वसुंधरा को भी अब तवज्जो देने लगे हैं, होर्डिंग-पोस्टर में जगह मिल रही है...
जवाब- वो उनकी पार्टी का अंदरूनी मामला है, तवज्जो दें, नहीं दें, वो उनके ऊपर है, हमारा रास्ता साफ है, हमारा रास्ता बिलकुल साफ है। हम जब 1998 में सरकार बनाई थी हमने, 156 सीटें आई थीं, जब मैं प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष था, तो मैं चाहूंगा कि मिशन 156, मिशन 156 लेकर चलें हम लोग, इस रूप में हमने काम शुरू कर दिया है, 4 साल बिताए हैं हमने, चारों बजट शानदार आए हैं, इस बार का बजट भी हमारा शानदार आएगा ये हमारा प्रयास है, हम चाहेंगे कि राजस्थान को देश में नंबर 1 स्टेट बनाएं, उसी दिशा में हम चल पड़े हैं, हमारी सारी योजनाएं वो ही योजनाएं हैं जो आज कई राज्य सरकारें तो उन्हें लेकर हमसे बातचीत भी कर रही हैं हमारे अधिकारियों से, स्कीमें अपना रही हैं, हमारे फैसलों को वो खुद मानते हैं, इवन ग्रामीण ओलंपिक भी हमने करवाया, तो सभी राज्य सरकारों ने उसको बहुत ही वेलकम किया, वो भी करवाने की सोच रही हैं। तो हमारे हर इश्यू जो हैं, हर फैसले जो हैं वो आज देश में चर्चा का विषय बने हुए हैं सब जगह पर, तो मैं उम्मीद करता हूं कि जो हमारी चाहे वो हेल्थ सर्विसेज की बात हो, उड़ान की बात हो, अर्बन जो हमने रोजगार दिया है उसकी बात हो, हर मुद्दा जो हमारा छोटा या बड़ा है, वो भी एक एग्जाम्पल बन गया है, अनुप्रति योजना भी क्यों नहीं हो बच्चों के लिए, लोगों को हम भेज रहे हैं विदेश भेज रहे हैं। तो राजस्थान का जो नौजवान है वो अगर विदेश जाएगा, दुनिया के लोग जा रहे हैं, अगर साधन सम्पन्न नहीं हैं, उनको सरकार भेजेगी, वो पढ़कर, तैयार होकर आएंगे, तो ये जो ह्यूमन रिसोर्स पैदा होगा, मानव संसाधन पैदा होगा, वो राज्य का होगा, यहां के बच्चों का होगा, तो वो राज्य की भी चिंता करेंगे और मैं समझता हूं कि आगे का आने वाला जो फ्यूचर है प्रदेश का भविष्य है उसमें हमें मानव संसाधन हमारा खुद का मिलेगा, हर चीज को हमने सोच-समझकर बनाया है, स्कॉलरशिप के प्रोग्राम हों या कोई प्रोग्राम हों। इसलिए प्रोग्राम तो हमारे एक से एक बढ़कर हैं, ओपीएस लागू किया, अब कई इकोनॉमिस्ट उसका विरोध भी कर रहे हैं, मेरा मानना है कि अगर 75 साल तक ओपीएस लागू रही और देश आज कहां से कहां पहुंचा, हम कहते हैं कि जहां सुईं नहीं बनती थी, आज कहां से कहां पहुंच गए हैं। आधुनिक भारत जो है वो बना है ओपीएस के साथ बना है, अब ओपीएस के बारे में इकोनॉमिस्ट अपनी-अपनी राय देते हैं, हो सकता है कि उनके आर्ग्यूमेंट्स में कोई बात हो, वो डिस्कशन करें हमारे अधिकारियों से, हम तैयार हैं कि उनसे डिस्कशन भी करें, हम उनका मार्गदर्शन लें क्योंकि बहुत बड़े इकोनॉमिस्ट के नाम आ रहे हैं, पर मेरा मानना है कि सोशल कमिटमेंट भी कोई चीज होती है, मानवता भी कोई चीज होती है और मानवीय दृष्टिकोण से भेदभाव क्यों हो? आर्मी में ओपीएस और बीएसएफ को ओपीएस नहीं, ये एक एग्जाम्पल ही सफिशिएंट है, ओपीएस आर्मी में, ओपीएस बीएसएफ में नहीं, पैरा मिलिट्री फोर्सेज में नहीं, ये भेदभाव कैसे चलेगा? जो ओपीएस ले रहे हैं वो डीए छोड़ने के लिए तैयार हैं क्या आज? उनको डीए हर बार मिलता है, ओपीएस ले रहे हो आप लोग, आप कह रहे हो कि बहुत ज्यादा ओपीएस के माध्यम से पेंशन मिल रही है, वो लोग अगर ओपीएस का डीए छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं और नए लोगों को आप छोड़ रहे हो किनके भरोसे? मार्केट के भरोसे छोड़ रहे हो, म्यूचुअल फंड और आपका मार्केट ये जो मुंबई शेयर मार्केट है, इसके भरोसे छोड़ रहे हो आप, ये कहां की समझदारी है और सालों पहले अमेरिका में मैं समझता हूं कि डिस्कशन-बातें हो चुकी हैं, कभी भी सोशल सिक्योरिटी को मार्केट पर नहीं छोड़ना चाहिए मेरा मानना है।

सवाल- इसके मद्देनजर जो 30 साल से सिलसिला चलता रहा राजस्थान में एक बार भाजपा की सरकार, एक बार कांग्रेस की सरकार, टूटने की उम्मीद है इस बार कुछ?
जवाब- जब मैंने मिशन 156 की बात की है, सोच-समझकर की होगी, सोच-समझकर की होगी, ये सिलसिला टूटना चाहिए, जब मैंने जान लगा दी है सरकार चलाने के अंदर, कोई कमी नहीं रखी है, रात-दिन मैंने एक कर दिया है और रात और दिन एक कर रहा हूं, किसी बात की चिंता नहीं की चाहे कोरोना आया हो, चाहे कोरोना मुझे 3 बार हो गया हो, करीब 500 वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग मैंने की हैं 500, सारी पॉलिटिकल पार्टियों को मैंने साथ लेने का प्रयास किया, धर्मगुरुओं को, आम लोगों को, कोई भूखा नहीं सोना चाहिए, दवाइयां फ्री, इंजेक्शन फ्री, क्या नहीं किया हम लोगों ने, हर चीज में मैं जान लगा रहा हूं, मेरी अंतिम सांस तक सेवा करूंगा, बार-बार बोल रहा हूं, कुछ सोचकर बोलता होऊंगा, मैं बिना सोचे कोई बात नहीं बोलता हूं, मुझे गॉड गिफ्ट है, मैं बोलता हूं तो दिल की आवाज जुबान पर आती है इसलिए बोल रहा हूं, तो मुझे लगता है कि इस बार तो जनता मेरा साथ देगी। पहले एक बार कर्मचारियों ने नाराजगी व्यक्त की, चुनाव में हमें हरवा दिया जब स्ट्राइक मैंने फेस की, 64 डेज की वो स्ट्राइक रखी, नो वर्क नो पे, बड़ा डिसीजन था, कुछ हमारी गलती भी रही, डायलॉग नहीं कर पाए हम लोग उनसे, मैं भी नया था और मुझे अनुभव भी नहीं था इस बात का कि वो नाराज क्यों हो रहे हैं, हो गई गलती, उनकी गलती रही, मेरी गलती रही, जो भी रही, फिर मोदी जी की हवा चल पड़ी देश के अंदर कि एक बार तो मोदी को लाओ ही लाओ और वो तब आएगा जब राजस्थान, दिल्ली, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ जीतेंगे, एक हवा चल पड़ी उसका फायदा मोदी जी को मिल गया, हम लोग 21 पर आ गए, जबकि काम करने में उस वक्त भी कोई कमी नहीं रखी, उन कामों को याद करके ही सरकार बनाई वापस, 2018 में जो सरकार हमारी आई है उसमें मुख्य कारण और 2008 में आई तब भी पुरानी सरकार की हमारी परफॉर्मेंस को लोगों ने याद किया और बल्कि मैं दावे के साथ में कह सकता हूं कि सरकार जाते ही 6 महीने में याद करने लग जाते हैं, 6 महीने ही कि अरे गलती हो गई ये तो, पुरानी सरकार अच्छी थी, तो वो जो माहौल बनता है, वो भी एक बड़ा कारण होता है सरकार वापस आने का। बाकी कारण तो होते ही हैं हमारे कार्यकर्ता, हमारी पार्टी संघर्ष करती है, सड़कों पर उतरती है और कमेंट्स करती रहती है जो सत्तारूढ़ के बारे में कमियां बताती रहती है, तो वो तो होता ही है, होना भी चाहिए, पर मुख्य जो है कि दिमाग में था कि भई पिछली बार हमने सरकार बदलकर गलती कर दी और इसीलिए इस बार पहले ही हवा बन गई थी कि सरकार आनी चाहिए और अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बनना चाहिए, ये पब्लिक की आवाज थी, पब्लिक की आवाज थी, पब्लिक की आवाज जो है, खलक की आवाज खुदा की आवाज होती है, वो ही आवाज थी।

सवाल- इस बार जादू चल रहा है, पब्लिक में नाराजगी भी नहीं है और आक्रोश भी नहीं है...
जवाब- इस बार न तो नाराजगी है पब्लिक में, न सरकार विरोधी नाराजगी है, न कर्मचारियों में नाराजगी है, न मोदी जी की वो हवा है जो पहले उन्होंने बना ली एक बार तो, वो हवा भी अब नहीं है, तो मैं उम्मीद करता हूं कि इस बार पब्लिक मेरा साथ देगी, पता नहीं मेरी अंतर्आत्मा क्यों कहती है कि चाहे हमारी कोई तरह की विपक्ष कमियां बताए, जनता उनको स्वीकार करने वाली नहीं है, किसी कॉर्नर से कोई बात आए, गलत-सलत आए कि सरकार नहीं बननी चाहिए चाहे मोदी जी पड़ाव डालें यहां पर, अभी से मुझे लग रहा है क्योंकि नड्डा साहब आ रहे हैं अभी और जो माहौल बन रहा है कि आरएसएस के मोहन भागवत जी भी आकर, उनके नंबर 2 भी आ रहे हैं यहां पर, तो राजस्थान को टार्गेट बनाया हुआ है देश के अंदर राजस्थान को, वो चाहते हैं कि राजस्थान हो टार्गेट, अशोक गहलोत टार्गेट क्योंकि सरकार जो है कर्नाटक में, महाराष्ट्र के अंदर और मध्यप्रदेश के अंदर, और कोई छोड़ा नहीं है, गोवा में भी और छोटे-मोटे राज्यों में भी हॉर्स ट्रेडिंग की गुजरात के अंदर भी की, इन्होंने मास्टरी की हुई है हॉर्स ट्रेडिंग की, सरकारें गिरा देते हैं ये, यहां इनकी पोल-पट्टी चल नहीं पाई। तो प्रदेशवासियों को, मेरे एमएलए को बार-बार मैं इसलिए बधाई देता हूं, धन्यवाद देता हूं कि अगर वो मेरा साथ नहीं देते तो आज मेरी सरकार टिकती नहीं, आज मैं मुख्यमंत्री के रूप में आपके सामने यहां पर खड़ा नहीं होता और जो मेरे दिल में भावना थी, जो मैंने फैसले किए उनसे मैं वंचित रह जाता, चाहे वो हेल्थ की हों, चाहे ओपीएस हो, ये लागू ही नहीं हो पाते। अगर मुझे चांस लगातार मिला, मेरी सरकार टिकी, इसलिए ये सब फैसले हो रहे हैं। तो जो फैसले हो रहे हैं और जो बेनिफिशियरी हैं उन सबको प्रदेशवासियों का, एमएलए का अहसान मानना चाहिए जिन्होंने मेरी सरकार बचाई है, सरकार बचती ही नहीं तो हम फैसले कैसे करते? तो मैं समझता हूं कि इस बार हम सब मिलकर, मुझे उम्मीद है कि पार्टी में भी एकता रहेगी, अंतिम वक्त तक एकता रहेगी, सब लोग समझ जाएंगे कि जनता का मूड क्या है और सब मिलकर यहां उतरेंगे मैदान में तो मिशन 156 लागू होगा और उसमें हम कामयाब होंगे, मुझे पूरा यकीन है, पता नहीं क्यों है, वो तो आने वाला वक्त बताएगा, ईश्वर बताएगा, पर मेरा मानना है कि पब्लिक में इस बार, 4 साल के बाद में सरकार विरोधी कोई लहर नहीं है, मुख्यमंत्री को बहुत भला आदमी कहते हैं, मैं नहीं कह रहा हूं, लोग कहते हैं, कितना भला है वो तो आप जानते हो, भला मतलब हमारा ध्यान रखता है, कोरोना में ध्यान रखा हमारा, सुख-दुःख में ध्यान रखा, और तो क्या, भला आदमी वही तो होता है! और राजनीति मुझे आती नहीं है, राजनीति तो मैं करता ही नहीं हूं, सेवा की राजनीति करता हूं और मेरा काम चल जाता है, सेवा की राजनीति सबसे बड़ी राजनीति होती है। गांधी जी ने कहा था कि राजनीति जो है उसका आधार रचनात्मक काम होना चाहिए और मेरी राजनीति भी पूरी तरह रचनात्मक कामों से ही टिकी हुई है और उसमें मैं कामयाब हुआ हूं।

सवाल- सियासत के जो जानकार हैं वो तो कहते हैं कि अशोक गहलोत 24 घंटे राजनीति करते हैं, उनसे बड़ा कोई राजनेता ही नहीं है, 24 आवर राजनीति करते हैं, पीएम मोदी के साथ आपको कंपेयर किया जाता है कि जिस प्रकार वो 24 घंटे राजनीति करते हैं उसी तरह कांग्रेस में अशोक गहलोत हैं, राष्ट्रीय स्तर पर 2 ही नेताओं का नाम लेते हैं, आप कह रहे हैं कि आप राजनीति नहीं करते?
जवाब- नहीं-नहीं ऐसी बात नहीं है, कई लोग राजनीति 24*7 ही करते हैं और मैं भी उनमें से एक हूं, इसमें तो कोई दो राय नहीं क्योंकि राजनीति या कोई भी काम करो दिल लगाकर करना चाहिए, जब तक आप पागलपन की हद तक राजनीति नहीं करो, पागलपन की हद तक अपना काम-धंधा नहीं करो, पागलपन की हद तक आप व्यापार नहीं करो या उद्यम नहीं करो या पागलपन तक आप पत्रकारिता नहीं करो तब तक कामयाब नहीं हो सकते हो, तो इसलिए उसके लिए पागल बनना पड़ता है।

सवाल- पेपर लीक एक बड़ा मुद्दा है और आप ही के विधायक इसके खिलाफ हैं
जवाब- वो डिस्कशन हो चुका है असेंबली के अंदर।

सवाल- राहुल जी के सुझाव के बाद कैबिनेट मंत्री अब पैदल यात्रा निकालने जा रहे हैं...
जवाब- ये ऑल इंडिया प्रोग्राम है, ऑल इंडिया प्रोग्राम है, इसको सबको मैं समझता हूं कि उसी रूप में हाथ से हाथ जोड़ो अभियान को लेकर निकलना चाहिए सबको।

सवाल- आपका अंतिम बजट है, हर वर्ग निगाहें टिकाए हुए है, बहुत उम्मीदे हैं कर्मचारी को, बताया जा रहा है कि बहुत बड़ी घोषणाएं करने जा रहे हैं, जिले, क्या पिटारे से निकलने वाला है, हालांकि उसकी बजट की गरिमा होती है लेकिन...
जवाब- अगर गरिमा होती है तो पूछ क्यों रहे हो? आपको अगर कोई सुझाव देना हो वो गरिमा से हटकर हो तो वो दे दीजिए मुझे सुझाव, मैं उसको मान लूंगा, पत्रकारों के लिए कुछ करना हो, कई काम तो मैंने बगैर मांगे हुए किए हैं और पेंशन तक किया, बच्चों का ख्याल रखा, मतलब पत्रकारिता को मैं एक अलग जो चौथा स्तंभ जो है, जितना महत्व मैं देता हूं, उतना हिंदुस्तान में कोई नहीं देता होगा और सबसे ज्यादा अन्याय करता है आपका मीडिया तो मेरे साथ ही करता है। वो न तो हमारी स्कीम्स को, न तो हमारे फैसलों को, जिस रूप में राष्ट्रीय स्तर पर उठाना चाहिए, आप तो उठाते हो लोकल लेवल पर, पर जिस रूप में राष्ट्रीय स्तर पर, जैसे यूपी के अंदर बुलडोजर चला दिया योगी जी ने, पूरे देश में मॉडल बना रहे हैं, कल रात को मैं आर्टिकल पढ़ रहा था कोई प्रिंट में या द वायर में किसी में आया था, आप कंपेयर करो, पता नहीं किसने लिखा, यहां 2019 से बुलडोजर चल रहे हैं, कोई 50 या 80 जगह बताई कोई जो उन्होंने फिगर लिए हैं जेडीए वगैरह सबसे, उसकी कोई चर्चा नहीं हो रही है और बुलडोजर धर्म के नाम पर चलता है, तो पूरे देश में चर्चा होती है। तो आप जाकर पढ़ना आर्टिकल को, मैंने रात को पढ़ा था, तो ये स्थिति अच्छी नहीं है। जो राज्य कोई किसी पार्टी का हो, कोई विज्ञापन दे या नहीं दे, कोई पैकेज दे या नहीं दे, मीडिया का पहला धर्म होना चाहिए कि वो ईमानदारी के साथ में, निष्पक्षता के साथ में सबके साथ न्याय करे, उसके बाद में उनको लगे कि कोई फेवर करना है कोई पैकेज के माध्यम से, तो वो एक विज्ञापन के रूप में कर सकते हैं, हमें ऐतराज नहीं है, पर हमारे यहां तो अन्याय ही हो रहा है। राजस्थान की सारी स्कीम्स मॉडल के रूप में हैं, अच्छा मेरा खुद का इंटरेस्ट नहीं है उसमें, मैं कुछ विज्ञापन खुद भी देता हूं राष्ट्रीय स्तर पर, इसलिए कि अगर देश के उन स्कीम्स को दबाव पड़ेगा वहां की जनता द्वारा वहां की सरकारों पर, तो कई लोगों का भला होगा देशवासियों का, यही मेरा एम रहता है। तो मैं उम्मीद करता हूं कि देश का मीडिया भी धीरे-धीरे गोदी मीडिया कहलाता है, वो टैग जो लग गया है उनके ऊपर, टैग अब हटना चाहिए, ये समय आ गया है, हर चीज की एक सीमा होती है, उसके भी आर्टिकल आने लग गए हैं, जो एन राम है जो हिंदू का जो पूर्व संपादक है, उन्होंने कल एक आर्टिकल लिखा है कि किस प्रकार से जो ये फिल्म बनी है बीबीसी की, उसको जिस रूप में रोका गया है, उसके बारे में बहुत कड़ा आर्टिकल उन्होंने लिखा है, ऐसे पत्रकार भी हैं जो निष्पक्ष होकर चलते हैं, तो गोदी मीडिया के नाम से जो कुछ हो रहा है देश के अंदर वो हमें अच्छा नहीं लग रहा है, मेरे जैसे आदमी को अगर कोई गोदी मीडिया, गोदी मीडिया, गोदी मीडिया वास्तव में गोदी मीडिया बन जाए तो मैं समझता हूं कि ये चौथे स्तंभ के लिए भी अच्छी बात नहीं है, शुभ संकेत नहीं है, उन सबसे निकलना चाहिए और निकलकर फिर निष्पक्षता की तरफ आना चाहिए, अपनी अंतर्आत्मा को पूछना चाहिए, अपनी जाकर बीवी को पूछना चाहिए पत्नी को कि क्या मैं ठीक बोल रहा हूं क्या एंकर के रूप में? ये भी कभी-कभी करना चाहिए, पत्नी भी अच्छी राय दे देगी कभी-कभी, घरवाले अच्छी राय दे देंगे कि आप क्या बोल रहे हो, मुझे मेरे दोस्त लोग क्या कह रहे हैं, मुझे मेरी सहेलियां क्या कह रही हैं, उनसे वो कुछ सीखें, मेरा तो यहां तक कहना है।

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