मुख्यमंत्री और भगौड़े ललित मोदी प्रकरण में गहलोत की मीडियाकर्मियों से बातचीत
दिनांक
19/06/2015 |
स्थान
जयपुर
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जयपुर, 19 जून। पूर्व मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने आज यहां अपने सरकारी निवास पर मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे और आर्थिक अपराधों के आरोपी देश के भगौड़े ललित मोदी को लेकर मीडियाकर्मियों से बातचीत की।
मीडियाकर्मियों के साथ श्री गहलोत की बातचीत इस प्रकार से है -
प्रश्न - भारतीय जनता पार्टी ने ललित मोदी के मामले में वसुंधरा जी को क्लीन चिट दे दी है। इस बारे में आपका क्या कहना है, आप जब सरकार में आये तो किस तरह के उनके संबंध में और किस तरह की ब्लैकमनी आपने देखी और अब इन्होंने क्लीन चिट दी है, क्या कहना है?
उत्तर - क्लीन चिट किस रूप में दी है, वो तो जो कुछ आरोप लगे हैं वो तथ्यों के आधार पर लगे हैं, तथ्यों के आधार पर ही इनको खण्डन करना चाहिए। खाली ये कहने से काम नहीं चलता कि मोदी का होटल कहां है हमें क्या पता या उनकी कम्पनी कहां है, पता कहां है हमंे नहीं मालूम। ये इतना गम्भीर मामला हो गया कि उसे गम्भीरता से लेना चाहिए। जिस ढंग से मीडिया ने इसको गम्भीरता से लिया है, उसे पूरा देश देख रहा है। आज सरकार में बैठे मुखिया को चाहिए कि वो ऐसा स्पष्टीकरण दें जो लोगों को कन्वींस कर सके। मैं समझता हूं कि इस मामले में वसुंधरा जी चारों ओर से घिर चुकी हैं क्योंकि जो कृत्य किये गये हैं, किस रूप में फर्जी तरीके से पैसा मॉरीशस गया होगा, मॉरीशस से पैसा आया है ललित मोदी की कम्पनियों में कि एक 10 रुपये का शेयर लगभग एक लाख रुपये में आप बेच रहे हो, पैसा ट्रांसफर कर रहे हो, तो कितना धोखा दोगे पब्लिक को ये तो बताओ कम से कम।
प्रश्न - मोदी जी ने चुनावी वादा किया था कि न खाउंगा, न खाने दूंगा। क्या आपको लगता है कि वो इस वादे पर खरे उतर रहे हैं?
उत्तर - देखिए, अगर कांग्रेस होती इनकी जगह तो अभी तक मुख्यमंत्री का इस्तीफा हो गया होता। कांग्रेस हाईकमान ने हमेशा, जब कभी कोई इश्यू बना है, आरोप लगे हैं, चाहे केन्द्रीय मंत्री हों, नटवरसिंह जी हों, अश्विनी कुमार जी हों, पवन बंसल जी हों, शशि थरूर जी हों, अशोक चव्हाण जी मुख्यमंत्री हों, अगर पब्लिक की निगाह के अंदर एक बार आरोप लग गये हैं, पब्लिक परसेप्शन के अंदर तो पब्लिक इंटरेस्ट में उनका इस्तीफा लिया गया। अब मोदी जी कितना साहस दिखाते हैं, वो वक्त बतायेगा। क्योंकि मोदी जी ने कहा कि मैं ना खाउंगा और ना खाने दूंगा। अब ये उनकी परीक्षा की घड़ी आ गई है।
प्रश्न - शंकर सिंह वाघेला और वीरभ्रद सिंह जी के सीबीआई की रेड हुई है .. इसको आप?
उत्तर - ये तो आप देख रहे हो कि ये जो टाईमिंग है। देखिए अगर मान लो किसी ने गलती की है तो कानून अपना काम करे। कोई छोटा हो या बड़ा हो। उसमें किसी को ऐतराज नहीं होता है। कानून को अपना काम करना ही चाहिए तभी डेमोक्रसी जिंदा रहेगी। पर जो टाईमिंग चूज की गई है। एक के बाद एक, छगन भुजबल हो चाहे वो शंकर सिंह वाघेला हो, वीरभद्र सिंह जी हों चाहे वो केजरीवाल के 22 विधायक हों। एक साथ में माहौल को डायवर्ट करने का प्रयास बीजेपी कर रही है पिछले 5 दिन से ये मेरा मानना है। और ये डायवर्ट कर नहीं पायेगी क्योंकि इतने मजबूत आरोप लग चुके हैं। एक भगौड़ा आदमी जो 4 साल से भागा हुआ है उसके लिए जिस रूप में आप पत्र लिख रहे हो, जगजाहिर हो चुका है। फिर आप इस मुल्क से छिपाकर के कहते हो कि देश के लोगों को मालूम नहीं पड़ना चाहिए। ये बहुत बड़ा क्राईम है। ये तो सब बातें सामने आ रही हैं। राजस्थान का किस्सा तो अलग तरह का हो गया है। और ये मुद्दा आज इतना इतना बड़ा मुद्दा है जिसको उस रूप में डील करना चाहिए। सफाई के लिए ऐसे उन लोगों को बिठा दिया गया जिनको तो सफाई देनी ही थी। चाहे वो बीजेपी के अध्यक्ष अशोक परनामी जी हों, राजेन्द्र राठौड़ जी हों, वो तो आप जानते हो कि किस रूप में वो डिफेण्ड करते हैं। बिना तथ्यों के डिफेण्ड करते हैं और बिना तथ्यों के ही आरोप लगाते हैं, वो ही राजनीति का उनका अंग रहा है, तो उस रूप में वो बात करते हैं।
प्रश्न - क्या आपको लगता है कि ये मॉरीशस के थ्रू मनी रूट हुई है ये राजस्थान में ही करप्शन से ही लगाई गई है क्या कांग्रेस का ये मानना है?
उत्तर - देखिए, रुपये के उपर ये लिखा तो होता नहीं है। मगर परसेप्शन ये बन गया कि उस पांच साल के अंदर जो लूट मची हुई थी। वो लूट जगजाहिर थी, उस वक्त में हमने मुख्यमंत्री महोदया वसुंधरा जी को बहुत तरीके से कन्वे करने का प्रयास भी किया था। विपक्ष में रहते हुए जो हमारा धर्म बनता है। हमने कहा रामबाग होटल मंे अधिकारियों को भेजा जाता है आपके द्वारा। हमने कहा वहां सौदे होते हैं, फाईलें वहां क्लीयर होती है। ज्यादा अटैक किये तो मोदी जी शिफ्ट हो गये मुम्बई में। यहां के अधिकारी जाते थे वहां पर अपनी ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए। यहां के लोग जाते थे अपने काम करवाने के लिए। तो ये जो इतना कुछ हुआ 5 साल में, वो तो जगजाहिर है, क्या क्या यहां नहीं हुआ। आमेर की हवेलियां तक। पुरातत्व विभाग की बातें तो करते हैं, बाते करते हैं कि कैसे उनको बचाया जाये, धरोहर को बचाया जाये और उसी सरकार ने हवेलियों को खाली करवाकर, बेनामी आदमियों को खड़ा कर दिया गया और उनको मालिक बनाकर खरीद ली गई हवेलियां। आश्चर्य होता है। हमने सरकार में आने के बाद में हवेलियों को वापस कब्जे में ले लिया, कोई मांगने आ ही नहीं रहा। और भी कई किस्से हुए थे, कारपेट गायब हो गये, खासा कोठी के। पुलिस की रिपोर्ट कोर्ट में पेश हुई मैंने सुना है उसको बदलवाने के लिए उस पर दबाव था, बदलवा दी गई है रिपोर्ट। कारपेट गायब हो गये, मुकदमा दर्ज हुआ है, आप सफाई दो ना कि इसमें हमारी गलती नहीं है कि कारपेट यहां पड़े हैं, वहां पड़े हैं, पता नहीं कहां है। नम्बर प्लेट जो थी, गाड़ियों की नम्बर प्लेट। इतना बड़ा करप्शन होने जो रहा था, वो तो ठीक रहा हम लोग आ गये सरकार में और बचा लिया राजस्थान के लोगों को, वरना करोड़ों-अरबों रुपये का घोटाला हो जाता। एक क्या कितने ही घोटाले गिनाये इन लोगों के। उस वक्त में तो ये आंखें बंद करके बैठे रहे। सौदे होते गये, अब जब सब कुछ हो गया है, पूरे देश को मालूम पड़ गया, पैसा कैसे गया होगा मॉरीशस, कैसे आया होगा। तब जाकर ये बातें की जा रही हैं, और सफाई दी जा रही है। अरे सफाई देने वालों की थोड़ा बहुत तो अंतरात्मा कहती होगी कि तुम क्या बोल रहे हो, अपनी कुर्सी बचाने के लिए अगर बिना तथ्यों के बोलोगो, आपकी अंतरात्मा आपको माफ नहीं करेगी।
प्रश्न - कांग्रेस पर राजनीति करने का आरोप लगा रही है बीजेपी।
उत्तर - कांग्रेस कोई राजनीति नहीं कर रही है। वो तो उस वक्त में सबज्यूडिश था मामला। हाईकोर्ट में केस पेंडिंग था, दिल्ली के अंदर, यही केस जो आया है, मॉरीशस रूट वाला। जिसको मैं कहता हूं वसुंधरा मॉडल, एक नया देश के अंदर सामने आया है, जिसमें आप पैसा भेजो, पैसा फर्जी कम्पनियों में आये और पैसा अपने परिवार में ट्रांसफर हो। ये नया मॉडल सामने आया है। अब कालेधन का जो मॉडल अरूण जेटली जी का आया है, पीछे रह गया है, एक नया मॉडल सामने आया है।
प्रश्न - वसुंधरा को क्लीन चिट दी है, उन्होंने सीधे-सीधे आप पर आरोप लगाये हैं, वैभव गहलोत पर आरोप लगाये हैं कि उनकी कम्पनी मॉरीशस में 10 रुपये का शेयर खरीदा, 40 लाख में बेचा, उस कम्पनी का आज तक पता नहीं लगा है...
उत्तर - हमारे परिवार की ना तो कोई कम्पनी है और ना कोई ऐसे आरोप लगे हैं।
प्रश्न - नहीं, वैभव गहलोत जिस कम्पनी के लीगल एडवाईजर है, 50 हजार वेतन जिसमें उठा रहे हैं, उस कम्पनी का शेयर 40-40 हजार में बेचा गया।
उत्तर - ऐसा है, वैभव गहलोत तो एक होटल के निर्माण में लीगल एडवाईजर के तौर पर काम कर रहे थे, उसके अलावा उनका वहां कोई इंटरेस्ट ही नहीं। ये बातें तो पहले तमाम पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन में, तमाम आरोप लग चुके हैं, हाईकोर्ट के अंदर, सुप्रीम कोर्ट तक जा चुके थे और हमने कैविएट फाईल भी नहीं की थी और तमाम आरोप वहां पर खारिज हो चुके थे, ये जगजाहिर है। अब इनके पास कहने को बचता नहीं है, इसलिए ऐसी बातें कह रहे हैं। और फिर भी मानलो किसी कम्पनी ने कोई बेईमानी की है, तो कानून अपना काम करे, कौन रोक रहा है उनको। तो वैभव गहलोत वहां कहां आता है, उसका तो कोई एक नया पैसा नहीं लगा हुआ।
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