गहलोत की अस्पताल परिसर में मीडियाकर्मियों से बातचीत
दिनांक
19/06/2015 |
स्थान
जयपुर
|
जयपुर, 19 जून। पूर्व मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने आज यहां सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री एवं हरियाणा के पूर्व राज्यपाल श्री जगन्नाथ पहाड़िया एवं राज्यसभा सदस्य श्री अश्क अली टाक की कुशलक्षेम पूछी। इस अवसर पर अस्पताल परिसर में की मीडिया कर्मियों से श्री गहलोत ने बातचीत की।
उनकी बातचीत इस प्रकार से है:-
प्रश्न - आज आप यहां श्री जगन्नाथ पहाड़िया जी से मिलने आये है, श्री अश्क अली टाक जी से मिलने आये है, कैसी तबियत है अब उनकी?
उत्तर - डॉक्टरों ने कहा है कि पहाड़िया जी की और टांक सहाब जी का इलाज ठीक चल रहा है। चिंता की कोई बात नहीं है।
प्रश्न - ललित मोदी विवादित मामले में सीएम वसुंधरा राजे पर भगोड़े की मदद करने का आरोप लगा। आपका क्या व्यू है?
उत्तर - वो तो जगजाहिर हो चुका है आप देख रहे हो, पूरा मीडिया, पूरा वर्ल्ड का, जो तथ्य सामने आये है गम्भीर तथ्य है और अब कुछ बचता ही नहीं है आर्गुयूमेन्ट के लिये। उनके पास क्या जवाब है? आज चार-पांच दिन हो गये है। प्रधानमंत्री जी खुद मौन है और मुख्यमंत्री महोदय खुद भी मौन है। खुले तौर पर सामने आ गया कि पैसा मॉरिशिस कैसे गया? हवाले से गया या कैसे गया, कैसे वहां की फर्जी कम्पनियांे से पैसा आया, मोदी की कम्पनियों से कैसे यहां पर पैसा ट्रांसफर हुआ, वंसुधरा जी के परिवार की कम्पनियों में। ये जगजाहिर है, खुली किताब की तरह है। जब हाईकोर्ट के अंदर ही फैसला हो चुका है, भारत सरकार ने कोर्ट में लिखकर दिया कि हम इसकी जांच करेंगे। और लॉजिकल कनक्ल्युजन तक लेकर जायेंगे। खुला खेल सामने आया है। वसुंधरा जी के ओर से जो पत्र लिखें गये है और भी गंभीर है। पूरे मुल्क से छिपाकर के किसी को ऐफिडेवीट देने की बातें भी करो, ये सोचना ही बहुत बड़ा जुर्म है मतलब, सोचना ही बहुत बड़ा मैं समझता हूं कि क्राइम है। आप अपने मुल्क से बात छिपाकर के दूसरे मुल्क के लोगों को ऐफिडेविट दे रहे हो सपोर्ट के लिये, अपनी बात कह सकते हो मानलो, पर आपको अधिकार नहीं है कि अपने मुल्क से छिपाने के बाद भी कहो। तो जो कुछ बाते है वो सब सामने आ चुकी है।
प्रश्न - उनका कहना था कि ऐसा ही था, मोदी दोषी ही था, तो जब कांग्रेस सरकार आयी तब एक्शन क्यूं नहीं लिया गया?
उत्तर - ये बातें तब हाईकोर्ट में चल रही थी। ये लोग कह रहे है कि कांग्रेस सरकार ने एक्शन क्यूं नहीं किया? उस वक्त में दिल्ली हाईकोर्ट में केस चल रहा था, जब सबज्यूडिशियस मामला होता है तब ये उचित नहीं होता कि आप उस पर कमेंट करे। जब इनकी सरकार आ गयी, उसके बाद में फैसला हो गया, डिसपोजल हो गयी एप्लीकेशन, और भारत सरकार के एडिशनल सॉलिस्टिर जनरल ने जाकर लिखकर दिया कि जो कुछ भी ये मामले है उसको हम देखेंगे और लॉजिकल कनक्ल्युजन तक लेकर जायेंगे और उसके बाद में हाईकोर्ट ने उसको डिसपोजल किया है। तो पहले कैसे करते, हम कार्रवाई। और दूसरा यह कि ये राज्य सरकार का काम नहीं है कि जो मामला है उसमें स्टेट गर्वेमेन्ट कुछ नहीं कर सकती है। यह फेमा का मामला है, एन्फोर्समेन्ट डिपार्टमेन्ट का मामला है, भारत सरकार का मामला है वो ही कर सकती है।
प्रश्न - पहले ये जुमला था कि रामबाग से सरकार चलती थी।
उत्तर - ये तो बात जगजाहिर है। अगर हमारी बात को वसुंधरा जी हमें दुश्मन नहीं मानकर के दोस्त मानती कि ये विपक्ष के लोग है, हमारे आलोचक है, विरोधी पार्टी की भूमिका निभा रहे है जैसाकि भैरोसिंह शेखावत सहाब के समय तक चल रहा था राजस्थान के अंदर। यह एक परम्परा कायम थी। मेरे ख्याल से यदि हमारी बात को माननीय मुख्यमंत्री महोदय वसुंधरा जी गंभीरता से लेती और तभी मोदी से पिन्ड छुडा लेती, तो आज उनकी यह दुर्गती नही होती, ये मेरा कहना है। देखिये सब बाते सामने है। और बाकी आप देखिये राजस्थान में क्या हो रहा है? आज प्राइमेरी हैल्थ सेन्टर को भी पीपीपी मोड पर ला रहे हो, आप चाहते क्या हो? आज गरीब आदमी पेमेन्ट करेंगा वहां पर। जब प्राइवेट सेक्टर जायेंगा वहां पर तो कितना लूटेंगा, क्या स्कीम है? क्या नियम कायदे है इसके? किसकों पता नही है।
ये यहां पर खड़े है नौजवान, ये कांटेªक्ट पर लगे हुये है, अब आये दिन मान लो इनके साथ कोई बात हो गयी, तो स्वास्थ्य मंत्री जी की ड्यूटी है, किस प्रकार से इसको हल करे। स्वास्थ्य मंत्री खुद हस्तक्षेप करे इस मामले में और इस मामले को निपटाये और इन्हें न्याय दिलवायें। मेरा मानना है।
प्रश्न - कानून व्यवस्था बिगड़ रही है
उत्तर - आज दिन अखबार खोलो, अखबार सुबह पढ़ो, अखबार खोलते ही आपको डकैती, चौरी, बलात्कार की खबरें मिलेगी। क्या कानून व्यवस्था है, सबको मालूम है।
----