Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

एमएसएमई वेब पोर्टल का शुभारम्भ

दिनांक
12/06/2019
स्थान
जयपुर


उद्यम शुरू करने के लिए अब नहीं काटने होंगे चक्कर
राजस्थान को बनाएंगे इन्वेस्टर फ्रेण्डली स्टेट ः मुख्यमंत्री

जयपुर, 12 जून। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार राजस्थान में औद्योगिक निवेश के अनुकूल माहौल तैयार करेगी। उन्होंने कहा कि मात्र 6 माह में ही ऎसे कदम उठाए गए हैं, जिससे निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा और राजस्थान इन्वेस्टर फ्रेण्डली स्टेट बनेगा। मार्च माह में लाया गया सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (फैसिलिटेशन ऑफ एस्टेब्लिशमेंट एण्ड ऑपरेशन) अध्यादेश, 2019 तथा आज शुरू किया गया एमएसएमई वेब पोर्टल इसी दिशा में क्रांतिकारी कदम हैं।

श्री गहलोत बुधवार को मुख्यमंत्री कार्यालय के कॉन्फ्रेंस हॉल में एमएसएमई वेबपोर्टल www.rajudyogmitra.rajasthan.gov.in के शुभारम्भ समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस पहल से प्रदेश के युवाओं की चिंता दूर होगी और रोजगार के बडे़ अवसर उपलब्ध होंगे। इस मौके पर बड़ी संख्या में उपस्थित उद्यमियों को आश्वस्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें आपकी दिक्कतों का अहसास है। राज्य सरकार उद्यमों की स्थापना में आ रही बाधाएं दूर करने के लिए हमेशा तैयार है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान देश का पहला ऎसा राज्य है, जिसने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग स्थापित करने के लिए ऎसा ऎतिहासिक अध्यादेश लागू किया है। अब राज्य में उद्यम लगाने के लिए एमएसएमई उद्यमियों को तीन साल तक किसी प्रकार की स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होगी। इस वेबपोर्टल पर स्वघोषणा प्रपत्र भरकर ही उद्यमी अपना एमएसएमई उद्यम स्थापित कर सकेंगे। उन्हें किसी भी सरकारी दफ्तर के चक्कर नहीं काटने पडे़ंगे। उन्हें हर तरह के सरकारी हस्तक्षेप से मुक्ति मिलेगी और वे निश्चिंत होकर अपना कारोबार कर सकेंगे। आने वाले विधानसभा सत्र में ही इस अध्यादेश को बिल बनाकर एक्ट का रूप देंगे।


लाएंगे नई उद्योग नीति, प्रदेश में भी बनाएंगे एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल
मुख्यमंत्री ने कहा कि एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए भी प्रदेश में 10 हैक्टेयर तक कृषि भूमि का लैण्ड यूज चेंज करने की आवश्यकता नहीं है। सरकार जल्द ही नई उद्योग नीति लाएगी। नेशनल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल की तर्ज पर ही प्रदेश में भी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल बनाई जाएगी तथा सिंगल विण्डो सिस्टम को भी प्रभावी बनाया जाएगा। राजस्थान इण्डस्टि्रयल प्रमोशन स्कीम (रिप्स) को भी हम और अधिक इन्वेस्टर फ्रेण्डली बनाएंगे।

सौलर एवं विण्ड एनर्जी पॉलिसी में करेंगे सुधार
श्री गहलोत ने कहा कि मैंने मुख्यमंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल में प्रदेश में विण्ड एनर्जी की सम्भावनाओं को पहचानते हुए इस दिशा में शुरुआत की थी। आज राजस्थान में करीब 4500 मेगावाट विण्ड एनर्जी का उत्पादन हो रहा है। हमारी सरकार सौलर एवं विण्ड एनर्जी पॉलिसी को भी बेहतर बनाएगी।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने वेब पोर्टल पर सेल्फ डिक्लरेशन प्रपत्र भरने वाले उद्यमियों श्री अनिल भाटी, श्री परमजीत कपूर एवं श्री गौरव राजोरिया, श्री पवन शर्मा तथा श्री चेतन पनिया एवं श्री विजय पनिया को उनके द्वारा स्थापित की जाने वाली एमएसएमई इकाइयों के लिए ‘प्राप्ति का प्रमाण पत्र‘ प्रदान किया।

उद्योग मंत्री श्री परसादीलाल मीणा ने इस अवसर पर कहा कि इस अध्यादेश से प्रदेश में उद्योगों की स्थापना को गति मिलेगी। निवेश के अनुकूल माहौल बनेगा और रोजगार के अवसर बढे़ंगे। मुख्य सचिव श्री डीबी गुप्ता ने अध्यादेश एवं वेबपोर्टल के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि इस अध्यादेश के प्रभावी होने से उद्यमियों की परेशानियां दूर होंगी।

अतिरिक्त मुख्य सचिव, उद्योग श्री सुबोध अग्रवाल ने एमएसएमई सेक्टर के महत्व तथा वेबपोर्टल के बारे में प्रस्तुतीकरण दिया। इस अवसर पर नगरीय विकास मंत्री श्री शांति धारीवाल, वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री श्री सुखराम विश्नोई, उद्योग राज्यमंत्री श्री अर्जुन बामनिया, मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार श्री अरविंद मायाराम एवं सलाहकार (मुख्यमंत्री) श्री गोविंद शर्मा सहित विभिन्न विभागों के उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

मील का पत्थर बनेगा अध्यादेश
मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में नए उद्यमों के अनुकूल माहौल तैयार करने और निवेशकों की सुविधा के लिए कई सकारात्मक कदम उठाए हैं। एमएसएमई उद्यमियों को सरकारी दफ्तराें के चक्कर नहीं लगाने पड़ें और वे सिर्फ सेल्फ डिक्लेरेशन प्रपत्र भरकर ही अपना व्यवसाय शुरू कर सकें, इसके लिए राज्य सरकार ने 4 मार्च को ‘सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम (फैसेलिटेशन ऑफ एस्टेबिलेशमेन्ट एण्ड ऑपरेशन) अध्यादेश, 2019‘ अधिसूचित किया था और 24 मई को इसके नियम भी अधिसूचित कर दिए।

इस अध्यादेश के लागू होने से उद्यमी के समय की बचत होगी और वह अपना ध्यान उद्योग के विस्तार और उत्पादन बढ़ाने पर लगा सकेगा। उद्यमी सिर्फ सेल्फ डिक्लेरेशन प्रपत्र भरकर ही अपना व्यवसाय शुरू कर सकेंगे। इतना ही नहीं, उन्हें तीन साल तक विभिन्न विभागों की स्वीकृतियों एवं निरीक्षणों सहित कई तरह की विधिक एवं प्रशासनिक जटिलताओं से मुक्ति मिल जाएगी। इस अध्यादेश के क्रियान्वयन के लिए एक ऑनलाइन एप्लीकेशन भी तैयार की गई है। अध्यादेश के क्रियान्वयन के लिए राज्य स्तर पर निवेश संवर्धन ब्यूरो ;ठप्च्द्ध तथा जिला स्तर पर जिला उद्योग केंद्र नोडल एजेन्सी होंगे।

मुख्यमंत्री की सुशासन की भावना के तहत पारदर्शी एवं जवाबदेह प्रशासन देने की दिशा में यह अध्यादेश एक मील के पत्थर के रूप में देखा जा रहा है। श्री गहलोत के इस फैसले से प्रदेश में निवेश के अनुकूल माहौल बनेगा और एमएसएमई उद्यम ज्यादा से ज्यादा स्थापित हो सकेंगे।

अध्यादेश के प्रावधानों के अनुसार उद्यमी एक निर्धारित प्रारूप में इलेक्ट्रॉनिक अथवा भौतिक रूप से ‘‘उद्यम स्थापना करने का आशय‘‘(Declaration of Intent) नोडल एजेन्सी को प्रस्तुत करेगा और नोडल एजेन्सी द्वारा ‘‘प्राप्ति का प्रमाण-पत्र‘‘ (Acknowledgment Certificate) जारी किया जाएगा। इसके साथ ही उन्हें तीन वर्ष तक विभिन्न विभागों की स्वीकृति एवं निरीक्षणों से छूट मिल जाएगी। हालांकि उन्हें प्रदेश में पहले से प्रभावी सभी कानूनों के अनुरूप चलना होगा। तीन वर्ष का समय पूरा होने के बाद उद्यमों को अगले 6 माह में आवश्यक स्वीकृतियां प्राप्त करनी हाेंगी।

इस अध्यादेश में नये एमएसएमई उद्यमों को राज्य सरकार के अधिनियमों से सम्बन्धित स्वीकृतियों से मुक्ति तो दी ही गई है, साथ ही भारत सरकार के भी जिन अधिनियमों में राज्य सरकार को छूट प्रदान करने की शक्ति मिली हुई है, उनमें भी छूट का प्रावधान किया गया है।

Best viewed in 1024X768 screen settings with IE8 or Higher