Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

जे.ई.सी.सी में राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ की ओर से आयोजित कार्यक्रम में संबोधन:

दिनांक
23/02/2020
स्थान
जे.ई.सी.सी जयपुर


मुझे बहुत प्रसन्नता है कि व्यापार एवं उद्योग अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन आप लोगों ने किया, उस अवसर पर मुझे आप सबके बीच आने का सौभाग्य मिला, इस बात की मुझे बहुत प्रसन्नता है। और क्योंकि ये इतने महत्वपूर्ण कार्यक्रम का अहसास था कि सुबह आज में बिड़ला ऑडिटोरियम से सीधा एयरपोर्ट और एयरपोर्ट से सीधा बीकानेर नोखा से आकर के अभी मैं एयरपोर्ट से सीधा यहां आया हूं। मैंने बाबूलाल गुप्ता जी को कहलवाया कि हो सकता है कि 6 बज जाएं साढ़े 6 बज जाएं, आऊंगा मैं जरूर। पर मैंने कोशिश की वहां पर नोखा में कि मैं किसी ढंग से टाइम पर पहुंच जाऊं। तो मुझे खुशी है कि आपके बीच में हाजिर हूं। मेरे पूर्व वक्ताओं ने काफी बातें कहीं आप लोग 2 दिन बैठेंगे, चर्चाएं करेंगे और आपके सुझाव होंगे तो मैं आपको यकीन दिलाना चाहूंगा कि जो भी सुझाव आप देंगे विचार-मंथन के बाद में उस पर सरकार पूरी तरह गौर करेगी और प्रयास करेगी कि आपको अधिक से अधिक सुविधाएं कैसे मिल सकें। मैं सबसे पहले अपनी ओर से जो भी हमारे डेलिगेट्स आए हैं जयपुर और राजस्थान के बाहर के भी, उन सबका मैं हार्दिक स्वागत करता हूं और मुझे खुशी है कि जयपुर में आपने ये कार्यक्रम जो आपका 38वां कार्यक्रम है, 38वें कार्यक्रम के मायने रखते हैं जो आज आप यहां पर आयोजन करने जा रहे हैं। और ये समय जो बहुत उपयुक्त है, ऐसे सम्मेलन पूरे देश में होने चाहिए क्योंकि जो देश के हालात बना रखे हैं, बने हुए हैं वो चिंता का विषय बना हुआ है। किसी मुल्क की अर्थव्यवस्था अगर तकलीफ में होती है तो पूरा मुल्क तकलीफ में आ जाता है। अभी जो स्लो डाउन है, आर्थिक रूप से जो संकट की घड़ी है, इसमें कोई वर्ग ऐसा नहीं है जो ये कहे कि मेरा व्यापार बहुत ही फल रहा है फूल रहा है, मैं बहुत ही आराम की स्थिति में हूं। जहां मिलो, मुम्बई में, बैंगलुरु में, चेन्नई में, जयपुर में सब कहेंगे कि साहब अभी व्यापार थोड़ा ठंडा है। प्राइवेटली अगर बात करेंगे तो कहेंगे कि साहब बहुत तकलीफ में हम लोग हैं बहुत ही, चाहे वो रियल एस्टेट हो, ऑटोमोबाइल हो, चाहे व्यापार हो, चाहे वो स्टील का उद्योग हो, सारे लोग कहेंगे कि साहब बहुत संकट में हैं, बहुत व्यापार ठप्प चल रहा है और पब्लिकली बोलेंगे तो सब चुप रहेंगे, इस पर भी रहस्य है, यह भी रहस्य है। कि क्या रहस्य है कि पब्लिकली तो आप खुलकर बोल नहीं पा रहे हैं, तकलीफ में हम लोग सब हैं। और जब तकलीफ में हैं तो डेमोक्रेसी है। डेमोक्रेसी में ये बहुत आवश्यक है कि जिस प्रकार से आप सब लोग यहां आए हैं उसी प्रकार के अगर सम्मेलन सब जगह होते हैं, दिल्ली में हों चाहे और जगह हों, तो सरकार पर दबाव पड़ता है। चाहे सरकार किसी पार्टी की हो, किसी राज्य की हो या केंद्र की हो। दबाव पड़ता है तब जाकर के फैसले करने में या नए फैसले करने में या स्थिति को ठीक करने में मदद मिलती है। तो मैं उम्मीद करता हूं कि इसका भी अपना एक जो आपका निर्णय है उसका भी एक असर पड़ेगा चाहे वो राजस्थान सरकार हो चाहे वो केंद्र की सरकार हो और क्योंकि संकट में अगर हैं व्यापार, कोई भी व्यापार कोई भी देश अगर इन्वेस्टमेंट आएगा, डॉमेस्टिक हो या फॉरेन इन्वेस्टमेंट हो नंबर एक, नंबर दो एक्सपोर्ट होगा उस देश से, नंबर तीन परचेजिंग पॉवर बढ़ेगी तो ही व्यापार आगे बढ़ेगा फलेगा-फूलेगा। अभी परचेजिंग पॉवर लोगों की कम होती जा रही है, कम हो गई है और उसको बढ़ाना बहुत आवश्यक है। यूपीए गवर्नमेंट के वक्त में भी ऐसी स्थिति आई थी जब अंतर्राष्ट्रीय जगत में भी मंदी थी और देश के अंदर भी मंदी का दौर आया था। पर डॉ. मनमोहन सिंह जी थे जो अपने आप में बहुत बड़े विश्व की मानी हुई हस्ती हैं, एक्सपर्ट हैं इकोनॉमिक्स के। जिस रूप में पैसा पंप किया गया, जिस रूप में परचेजिंग पॉवर बढ़ाने के प्रयास किए गए उसके कारण मंदी रही पर उसका इम्पैक्ट कम दिखा लोगों को। अभी जो हालात हैं वो थोड़ा नाजुक हालात हैं। लोगों के ज़ेहन में ये बात है कि ये स्थिति बन सकती है किसी भी सरकार के वक्त में पर सरकार केंद्र में जो अभी है, उनको जितनी चिंता होनी चाहिए उतनी चिंता लोगों को नज़र नहीं आ रही है। हो सकता है कि नज़रिया लोगों का अलग हो। पर उनको लगता है कि और मुद्दे हो सकते हैं जो उस सरकार की प्रायोरिटी हों, उनके मेनिफेस्टो में हों वो अपनी जगह हो सकते हैं, पर जब पूरे मुल्क का फ्यूचर हो दांव पर लगा हुआ हो तो तमाम मुद्दों की प्रायोरिटी बदल जाती है। जैसे कुछ सरकारें बनती हैं एलाइंस से बनती हैं आपस के अंदर, गठजोड़ से बनती हैं तो उस वक्त में सीएमपी भी बनता है कॉमन मिनिमम प्रोग्राम भी बनता है जैसे वाजपेयी जी के वक्त बना था। कई पार्टियां उनके साथ में जुड़ीं जो कि उन पार्टियों में वाजपेयी जी भी थे, उसके अलावा भी पार्टियां थीं, तो कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बना कि हमारी प्रायोरिटी यही रहेगी जो हम लोग मिलकर बनाएंगे। इस सरकार को भी चाहिए कि पहले वो प्रायोरिटी वो तय करे जिस पर देश का फ्यूचर, देश के अलग वर्ग सभी व्यापारी वर्ग हों चाहे वो उद्यमी हों चाहे किसान हों चाहे मजदूर हों, छात्र हों युवा हों, उनका फ्यूचर कैसा है।

आज नौकरियां लग नहीं पा रही हैं, नौकरियां जा रही हैं। कई लोगों ने आप मजबूरी में संख्या कम की होगी आपने या आपने नहीं की होगी तो उद्यमी ने की होगी, छोटे-मोटे व्यापारी ने की होगी, तो सब जगह संख्या कम होने की रिपोर्ट आती है। तो नौजवान पीढ़ी तीन चौथाई से अधिक हो जिस मुल्क के अंदर, अगर हम समय रहते हुए उनका ध्यान नहीं रखेंगे तो वो ही लोग जो हैं, उनमें से ही फिर आप देखते हैं कि कई लोग जो खबरें आती हैं कि नौजवान कोई चोरी कर रहा है, कोई डकैती कर रहा है, कोई और कोई ऐसे काम कर रहा है जो उनको नहीं करने चाहिए, तो वो तमाम डिपेंड करता है कि व्यक्ति एक नौजवान के सामने क्या फ्यूचर है उसका। क्या वो सोचता है, किस प्रकार से उसको कॉन्फिडेंस उसको है कि नहीं कि मैं नौकरी करूंगा या काम-धंधे शुरु करूंगा या कोई उद्योग लगाऊंगा एंटरप्रेन्योर बनूंगा, ये तमाम डिपेंड करता है उसके ऊपर। उन हालातों में ये मुल्क चल रहा है। और जब नौकरियां जा रही हैं आ नहीं रही हैं, वादे किए गए थे 2 करोड़ नौकरियां लगाएंगे प्रतिवर्ष और लोगों को याद आता है भई 2 करोड़ के वाद किए थे और उसके बाद में भी कुछ नहीं हो रहा है। बल्कि नौकरियां लगनी तो दूर हैं, नौकरियां जा रही हैं। तो ये तमाम बातें जो हैं, उस माहौल में आप लोग यहां बैठे हुए हो। तो मैं उम्मीद करता हूं कि आप खुलकर के यहां चर्चा करेंगे। सरकारों से भी आप क्या उम्मीद करते हैं केंद्र से भी और राज्यों से भी, चाहे वो कृषि मंडी के व्यापारी हों चाहे वो किसी क्षेत्र के व्यापारी हों, उद्यमी हों। हम लोगों ने भी प्रयास किया, सरकार आते ही हम लोगों ने जो लघु एवं सूक्ष्म उद्यमी के लिए हम लोगों ने एमएसएमई 2019 एक्ट बनाया, जिसमें 3 साल तक कोई नौजवान को या किसी उद्यमी को सरकार के पास आने की जरूरत नहीं है। वो जमीन ले, कोई इंस्पेक्टर नहीं आएगा पूछने के लिए, कोई लाइसेंस नहीं लेना पड़ेगा, और न जमीन कन्वर्ट करवानी पड़ेगी। वो अपना उद्योग शुरु कर सकते हैं। इस प्रकार के हमने कई फैसले किए हैं, हमारी जो औद्योगिक नीतियां आई हैं अभी चाहे वो विकास की आई हों चाहे वो निर्यात की आई हों चाहे निवेश की आई हों, बहुत शानदार आई हैं। आपमें से जो उद्यमी बैठे होंगे या आपमें से जो जानकारी रखते होंगे, आज पूरे मुल्क के अंदर हमारी इंडस्ट्रियल पॉलिसी जो आई है, उनकी सब लोग तारीफ करते हैं। सब लोग मतलब सब लोग, जो मिलता है उद्यमी जनरली वो तारीफ नहीं करेगा। सरकार की कोई नीति की कोई आसानी से तारीफ नहीं होती है, ये आप जानते हैं इस बात को। बहुत मुश्किल से बड़ी कंजूसी करनी पड़ती है आप लोगों को। पर अगर नीति वास्तव में अच्छी है तो फिर तारीफ के अल्फाज़ निकलते ही निकलते हैं आपके मुंह से। अभी स्थिति ऐसी है कि शानदार पॉलिसी लाए हैं हम लोग, उसके अलावा हमारी सोलर पॉलिसी, हमारी विंड पॉलिसी, जो पॉलिसियां आ रही हैं वो बहुत ही शानदार आ रही हैं। उसके कारण से तमाम उद्यमी अभी वेलकम करते हैं, पर निवेश आना बहुत जरूरी है किसी राज्य के लिए भी और देश के लिए भी। बिना निवेश आए हुए न व्यापार बढ़ सकता है, न उद्यम बढ़ सकते हैं, न मजदूरी मिल सकती है, न परचेजिंग पॉवर बढ़ सकती है। बिना परचेजिंग पॉवर बढ़े हुए व्यापार कैसे आगे बढ़ेगा। सिंपल बात है। क्योंकि अभी संकट में अगर केंद्र है तो राज्य भी संकट से अछूते नहीं रहेंगे। आपने पढ़ा होगा मेरा स्टेटमेंट, करीब 19 हजार करोड़ रुपए जो हमें संविधान के अंतर्गत मिलते हैं राज्य को, जो टैक्स में हिस्सा होता है, जो ग्रांट होती है, हमारा सीएसटी का बकाया भी है, जीएसटी की किश्तें होती हैं। जीएसटी का कलेक्शऩ केंद्र का खुद का कम हो गया तो पूरे देश में उसकी कटौती हो रही है। अगर जीएसटी के और रिवेन्यू अगर कलेक्शन कम है जीएसटी के अलावा भी तो ग्रांट कम हो रही है। अगर राज्यों की स्कीम जो केंद्र की होती है, जिसमें 90 पर्सेंट केंद्र 10 पर्सेंट राज्य देते थे, चाहे पानी की योजनाएं थीं या दूसरी योजनाएं थीं 70:30, 60:40 अब सबको बराबर कर दिया। 50:50 पर्सेंट पर ला दिया। कहने का मतलब है कि अभी संकट के दौर सरकारों के सामने भी पैदा हो गए। उन स्थितियों में अभी सरकारें चल रही हैं केंद्र की भी राज्यों की भी चल रही हैं। तो आप सोच सकते हो कि संकट कैसे समाप्त हो, वो चिंता करने के लिए आप यहां बैठे हुए हो। हम आपकी चिंता में शरीक होना चाहते हैं ये मैं आपसे कहना चाहता हूं। इसीलिए मैं आया हूं कि हम जान सकें, पहचान सकें, बारीकी से अध्ययन कर सकें कि वास्तव में जो राजस्थान का जो व्यापारी है, उनको क्या-क्या समस्याएं हैं। अभी हमने प्री-बजट मीटिंग्स रखी थी तब भी कई सुझाव आए थे। कुछ हम लागू कर पाए हैं, कुछ पाएंगे। कर पाएंगे में प्रोसिजर चल रहा है, हम उम्मीद करते हैं कि जब ज्यादा राहत मिल पाएगी आप लोगों को, इस प्रकार से हमारा प्रयास है। पर एक सम्मेलन के माध्यम से जब आप दो दिन बैठेंगे और मुझे अच्छा लगा कि आपके मिश्रा जी ने ये बातें कहीं। इसीलिए मैं चाहता था कि वे बोलें अवश्य बोलें। हमारे वरिष्ठ हैं वो, श्याह बिहारी मिश्रा जी, तो मैंने कहा कि ये नहीं बोलेंगे तो ये अधिवेशन में मेरे सामने नहीं बोलेंगे तो मेरे लिए तो ये अधूरा रह जाएगा। इसलिए मैंने उनको इशारा किया कि आप तो माइक वाले की परवाह ही मत करो, बोले ही चले जाओ। हमारे इवेंट मैनेजमेंट वाले बड़े एक्सपर्ट होते हैं, लच्छेदार कमेंट्री, इम्प्रेसिव कमेंट तो मैंने कहा उस चक्कर में तो मेरा नाम पुकार लेंगे तो मैंने इशारा किया आप चलो। अच्छा लगा वो आए। वो इतने अनुभवी हैं, पूरे देश के अध्यक्ष हैं, सब राज्यों के अंदर तो एक अच्छा इम्पैक्ट था। तो मैं ये कहना चाहूंगा आपको कि कहें बातें उतनी कम हैं, ये तो नीतियों की बातें हैं और सरकार की नीति ये हमेशा रहेगी कि इस संकट की घड़ी में हम लोग कैसे बैलेंस करके चलें जिससे कि सरकार का रिवेन्यू भी रुके नहीं वरना तो केंद्र से वैसे भी इमदाद नहीं मिल रही है और फिर राज्यों से नहीं मिलेगी तो फिर कैसे काम चलेगा। हम लोग चाहेंगे कि बैलेंस करके ये समय निकालें और अच्छे दिन आएंगे की बातें पहले सुनते थे वो अच्छे दिन आए नहीं, दिन वो के वो ही रहे। और अच्छे दिन की अभी भी उम्मीद करनी चाहिए क्योंकि दूसरी बार उनको आपने कामयाब किया है। दूसरी बार कामयाब किया है आप लोगों ने, कामयाब भी उनको करते हो और फिर आरोप भी उनको देते हो कि ये काम कुछ हो नहीं रहा है। हम भी बुरे नहीं हैं आपके लिए हम भी आपके अपने हैं। हम भी आपके हैं वो जो बात छोड़ दीजिए हम आपके है कौन, वो बात नहीं है। हम आपके है आप हमारे हो। 70 साल से आप साथ दे रहे हो और बाबूलाल गुप्ताजी जैसे कई लोग हैं जिनका आशीर्वाद हमको मिलता रहता है। आप में से कई लोग होंगे जो, मैं कोई पॉलिटिकल बात नहीं कर रहा हूं, बस इशारों में कर रहा हूं। कहने का मतलब कि आप हमें ये मत समझो कि ये हमारे व्यापार के विरोधी है। मैंने 1977 में देखा कि जब पहली बार इंदिराजी चुनाव हार गई थी, तब से मैं देख रहा हूं मैं व्यापारियों के पास कृषि मंडियों में जाता हूं, बैठता हूं, चाय पीता हूं, मेरी नेचर है शुरू से मैं पांच बार मेंबर पार्लियामेंट रहा, तीन बार मैं केन्द्रीय मंत्री रहा इंदिरा गांधी के साथ में, राजीव गांधी के साथ में, नरसिम्हा राव जी के साथ में, तीन बार मैं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहा राजस्थान के अंदर दो बार मैं आईसीसी का महामंत्री बना। और तीसरी बार मैं आपकी दुआओं से मुख्यमंत्री हूं। पर मैं हमेशा जाता हूं कृषि मंडियों में वहां गपशप करता हूं। 1977 में लोग ये कहते थे कि साब पैसा तो हम कमाते हैं जब राज कांग्रेस का होता है तब कमाते हैं। उस वक्त भी ये सुनता था, अरे में जिन्दाबाद की बात नहीं कर रहा हूं मैं तो मन की बात कर रहा हूं। मन की बात सुननी पड़ती है हर वीक अपने को हर संडे को मन की बात सुनते हैं मैं दिल की बात कहना चाहता हूं आपको। उस वक्त से सुनता आ रहा हूं कि पैसा तो हम कमाते है जब कांग्रेस का राज होता है। और बीजेपी राज आते ही जनता पार्टी का राज आया उस वक्त में सारे धंधे ठप्प हो गए। आज भी मैं यही सुनता हूं । फिर पता नहीं कोई कारण होंगे उसमें रिसर्च करने की आवश्यकता है। मैंने कोई रिसर्च की भी है। कोई रिसर्च की भी है कि देश के व्यापारी वर्ग को किस तरह कन्विंस करें कौनसा रास्ता किसकी नीति कौन सा कार्यक्रम महात्मा गांधी के चले आ रहे है वो क्यों ज्यादा ठीक है। उस रिसर्च के आधार पर मैं कह सकता हूं कि आप लोग मान-सम्मान जो है वो महसूस करते हो कि ये लोग मान-सम्मान नहीं देते है तो एक पार्टी हमारी है। जनसंघ है या बीजेपी है एक महसूस करते है आप लोग तो उस धारणा को हम लोग आपका दिल जीतकर तोड़ना चाहेंगे हम चाहेंगे कि ऐसे काम करें ऐसी नीतियां लाएं, जिससे आप कहें आपको लगे कि हमें व्यापार के साथ-साथ मैं देश की चिंता करनी है जिसकी आज सबसे अधिक आवश्यकता है। आज सबसे बड़ी आवश्यकता इस बात की है। हमने भी राजस्थान में जैसे गौशाला वाला मामला था, हमने गायों के लिए आपको खुशी होगी जानकर, जब मैं मुख्यमंत्री था दूसरी बार राजस्थान के अंदर तब मैने गौमाता के लिए पहली बार अलग से निदेशालय बनाया। निदेशालय बनाया मैंने अलग। मुझे अभी बाबूलाल जी कह रहे थे कि 45 गौशाला ऐसी है आपके यहां क्या कहते है कृषि मंडी है जो गौशाला चलाती है। अच्छा लगा कृषि मंडियों वाले गौशालाएं चला रहे हैं। हमने भी इमदाद देने के लिए अलग से निदेशालय बनाया फिर अगली सरकार आई फिर खाली नाम बदल दिया कोई बात नहीं। 6-7 सौ करोड़ रुपए का सेस लगाया उसको हम लोग बांट रहे हैं गौशालाओं में, नंबर दो हमने एक नया काम किया गौशालाओं में जो विभाग बनाएंगे बाद में कि जो माहौल देश में है, आपने पढ़ा होगा आजकल आर्टिकल इतने आते हैं केन्द्र में इंग्लिश में हिन्दी में कि दुनिया भर के आर्टिकल ये कहते हैं, वही देश, वही राज्य प्रगति कर सकता है जहां पर सामाजिक समरसता हो, सामाजिक सौहार्द्र हो। जैसे हम कहते हैं कि एक परिवार में झगडे होते हैं, वो परिवार ऊपर नहीं आ सकता है कभी। जिस गांवों में झगड़े होते हैं गांवों में गुटबाजी चलती है, गांवो में विकास नहीं होता, वही बात लागू होती है जिले के लिए, प्रदेश के लिए और देश के लिए। ये बात तो मैं लंबे समय से कहता आया हूं अब मैं जो आर्टिकल पढ़ रहा हूं आजकल एक थीम आ गई है अगर जो देश की अर्थव्यवस्था की बात करें देश को आगे बढ़ाने की बात करें अगर ये सामाजिक सौहार्द्र नहीं होगा देश के अंदर सभी जाति सभी धर्म मिलकर नहीं चलेंगे, तो देश की इकॉनोमी नहीं सुधर सकती है। इकॉनोमी से जोड़ दिया है एक्सपर्ट्स ने विशेषज्ञों ने ये स्थिति बनी हुई है। राजस्थान में फॉर्च्यूनेटली मैंने एक साल पहले नॉन- वाइलेंस और पीस, शांति और अहिंसा का एक प्रकोष्ठ बनाया, सरकार के अंदर बनाया है और मैं चाहूंगा कि सभी धर्म के लोग मिलकर चलें। यहां के उद्योग- धंधे फले-फूले। आपके जितने भी संगठन है, व्यापारी वर्ग के लोग है, उद्यमी हैं, छोटे हैं बडे हैं, हम सब मिलकर कैसे राजस्थान में इस क्षेत्र को आगे बढ़ाएं, जिससे कि नौजवानों को उनका भविष्य दिखे और वो गलत रास्ते पर नहीं जाएं और सब मिलकर हम कैसे राजस्थान के विकास में भागीदार बनें ये हम सब की सोच होनी चाहिए और मैं उम्मीद करता हूं कि दो दिन आप करने के बाद में मैंने बाबूलाल गुप्ता जी को कहा है कि आपकी जो राजस्थान की कार्यकारिणी है सौ-डेढ़ सौ लोगों की जो भी है उनको आप अगले महीने बुलाएं जयपुर, मैं खुद आकर उनके साथ बैठूंगा। इंटरेक्शन करूंगा और घर पर बुलाउंगा चाय पर ये मैंने कहा उन्हें। तो ज्यादा प्रवचन की जरूरत नहीं है। एक बात कहकर अपनी बात समाप्त करता हूं। क्योंकि मैंने पहले भी कहा था अभी जो महेश जोशी जी कह रहे थे आपको निरोगी राजस्थान ये हमारी इस प्रकार की थीम बन गई है। हम चाहते हैं कि इस थीम के आधार पर सरकार हमारी इसको प्रायोरिटी बनाए कि किस प्रकार से प्रिवेंशन ऑफ मेडिसिन दवाओं की जरूरत नहीं पडे और सब लोग मिलकर हम लोग किस तरह इस दिशा मैं आगे बढ़ सकें। जिससे कि जो बीमार की स्थिति बनी हुई है जिसमें बड़े रूप में वो राज्य है देश के अंदर जहां पर पूरी तरह दवाईयां फ्री हैं। दवाईयां फ्री हैं और दवाईयों के साथ-साथ मैं हमने उन दवाईयों कि संख्या बढ़ा दी है। उनको हमने कर दिया है हार्ट की बीमारी, कैंसर की, किडनी की इन सबकी बीमारियों की दवाएं जोड़ दी हैं हम लोगों ने और ये हमने अभी किया है। तो ये हमने अभी फैसले किया है। और टैस्ट फ्री राजस्थान में, सोनोग्राफी फ्री, डायलिसिस फ्री, 60 साल के बड़े हैं, या बीपीएल हैं उनके लिए सीटी स्कैन फ्री, एमआरआई फ्री। मोदीजी जब थे मुख्यमंत्री गुजरात के उस वक्त से हम लोगों ने ये किया था। उनकी टीम यहां आई हमारी टीम वहां गई उनको बताने के लिए तो तब से हमने इस काम को किया जिसकी डब्लूएचओ ने तारीफ की, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने। दुनियाभर में इसकी चर्चा हुई, पूरे देश में हर राज्य में चर्चा हो रही है, इसको हमने और मजबूत किया है आने के बाद में और मैं चाहूंगा कि ये जो है बड़े रूप में इस काम को और आगे बढ़ाएं आपके आशीर्वाद से और इसी रूप में हमने निरोगी राजस्थान इस बार हाथ में लिया है कि और ज्यादा बीमार पड़े ही नहीं व्यक्ति, क्योंकि आप देखते हो कि दिल्ली आज, दिल्ली से कुछ साथी आए हैं आज हमारे, दिल्ली में जो पर्यावरण प्रदूषण फैल गया है, कितनी बार सुप्रीम कोर्ट कह रहा है इंडस्ट्रीज को बाहर भेज रहा है, तकलीफें होती हैं पर फिर भी हल नहीं निकल पा रहा है। दिल्ली में वाकई में सांस लेना मुश्किल हो जाता है। हम लोग भी जाकर आते हैं वापस तो महसूस होता है। तो आप समझ जाइएगा कि राजस्थान जो है हम चाहेंगे कि प्रदूषण की बीमारी खत्म हो साथ में पर्यावरण अच्छा बने और निरोगी राजस्थान को हम घर-घऱ पहुंचाना चाहते हैं। लाइफस्टाइल चेंज हो जीवनशैली चेंज हो, स्वच्छ रहे वातावरण घर के अंदर-बाहर का और बाकि स्पोर्ट्स भी है, योग भी है, नैचुरोपैथी भी है जो भी है, आयुर्वेद हो, यूनानी हो चाहे वो होम्योपैथी हो, सब जगह हम लोगों ने एक थीम दी है। कैंपेन शुरु हो गया है हमारा और जो अपनी कहावत है पुरानी जो आप शायद जानते होंगे, पहला सुख निरोगी काया, इस थीम को लेकर के चल रहे हैं हम लोग। सुख तो 7 बताए गए हैं, आपमें से कई लोग जानते होंगे, जानते हैं, कुछ लोग जानते हैं, आप जानते हैं। नहीं जानते हैं वो गूगल पर देख लेना। गूगल आपको सब बता देगा। राजीव गांधी जी आज जिंदा नहीं हैं पर उनका सपना था 21st सेंचुरी का कंप्यूटर भी और इंटरनेट भी और वाईफाई भी, मोबाइल फोन सब आ गए, हालांकि वो अलग बात है कि सोशल मीडिया के माध्यम से उसका उपयोग या दुरुपयोग सब होता है, पर जो मैं कहना चाहता हूं आपको पहला सुख निरोगी काया। मैं भी सुनाऊंगा आपको, मैंने गूगल से डाउनलोड आपके लिए किया है यहां बैठे-बैठे अभी। पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में हो माया जिसमें आप सब जानते हो माया का क्या महत्व है। पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में हो माया, तीजा सुख सुलक्षणा नारी पत्नी जो है सुलक्षणा नारी होनी चाहिए, चौथा सुख हो पुत्र आज्ञाकारी, पांचवां सुख हो सुंदर वास, छठा सुख हो अच्छा पास पड़ौसी वगैरह सब अच्छे होने चाहिए, सातवां सुख हो मित्र घनेरे अच्छे मित्र हों और जगत में नहीं हों दुःख तेरे। पर मैं कहना चाहूंगा, ये सभी सुख जो हैं, पहला सुख जो है अगर काया निरोगी नहीं है, शरीर स्वस्थ नहीं है तो ये बाकि के सुख किसी काम के नहीं लगते हैं व्यक्ति को। इतनी मैं आपसे अपील करना चाहूंगा आप कृपा करके इस सम्मेलन से संकल्प लेकर के जाएं कि हमारा ये अभियान जो सरकार का रहेगा निरोगी राजस्थान का उसको आप आगे बढ़ाएं। घर-घर में हम लोग लगाएंगे पैम्प्लेट भी, पोस्टर भी। एक-एक गांव में एक-एक, आप लोग भी नाम दे सकते हो सीएमएचओ को, डिप्टी सीएमएचओ को, सीएचसी, पीएचसी, सब-सेंटर में जो गांवों में सोशल वर्कर हैं, काम करना चाहता है, एक महिला एक पुरुष उनको हम बनाएंगे स्वास्थ्य मित्र बनाने जा रहे हैं जिनको कार्ड देंगे हम लोग। अगर गांव में कोई सीरियस बीमार है, ऐसी बीमारी जो मालूम नहीं पड़ रही है सीएचसी, पीएचसी को, वो धक्के खा रहा है, कोई गाइड करने वाला नहीं है तो वो हमारा जो स्वास्थ्य मित्र होगा, उसको लाइसेंस होगा एक प्रकार से कि बड़े अस्पताल में जाकर के प्रायोरिटी पर दिखा सके। इस प्रकार से ये हम लोगों ने प्रोग्राम शुरू किया है डॉ. डीबी शेट्टी हैं उनको बुलाया है बैंगलूरु से, मिस्टर शिवसरीन हैं दिल्ली में राजस्थान के हैं वो लिवर के एक्सपर्ट हैं उनको बुलाया उन्होंने कैंपेन शुरू कर दिया है। आपको जानकर खुशी होगी राजस्थान में दो हार्ट के रिप्लेसमेंट के, रिप्लेसमेंट के काम हो चुके हैं। एसएमएस के अंदर अभी बीते पंद्रह दिनों में ही दो हार्ट के रिप्लेसमेंट हो चुके हैं। आप कल्पना कीजिए हार्ट बदलना किसे कहते हैं। और जल्द ही हमने सेंशन दे दी है लिवर ट्रांसप्लांट का काम होने लग जाएगा एसएमएस में। तो राजस्थान को हम चाहते हैं कि एक अभी भी राजस्थान में दिल्ली के, पंजाब के, हरियाणा के लोग आते हैं। इतना पॉपुलर आपका एसएमएस हो चुका है एम्स के बराबर संख्या हो गई यहां पर। तो मैं चाहूंगा कि आप इस काम में मेरा साथ दें निरोगी राजस्थान के अंदर। और आपके मोहल्ले में आपके पड़ोस में, आपके गांवों के अंदर जो भी आपको लगे किस रूप में आप सोसाइटी बना कर के जैसे हमने जनता क्लीनिक शुरू की है, मोहल्ला क्लीनिक की तरह तो हम चाहेंगे कि सब तरह से हम लोग इस काम को पूरे राजस्थान की जनता खुद ही अभियान के रूप में आगे बढ़ाएगी तो ये काम ज्यादा कामयाब हो पाएगा। उसमें आपका आशीर्वाद चाहिए, आपका सहयोग चाहिए, आपका समर्थन चाहिए। यही बात कहता हुआ मैं पुनः आपको विश्वास दिलाता हूं, दो दिन की सम्मेलन की रिपोर्ट आप मेरे पास भेजेंगे। सरकार उस पर गौर करेगी हम चाहेंगे कि उस प्रकार आपको जो आपके सुझाव होते हैं उस पर हम लोग क्या कर सकते हैं। मुझे उम्मीद है कि हम सब मिलकर के सबका सपना एक ही होता है किस तरह हमारे प्रदेश, प्रदेशवासी किस तरह किस प्रकार से हम लोग सुखी और स्मृद्धिशाली बना सकें। क्योंकि अब ये राजस्थान वो नहीं रहा जो पहले हुआ करता था पहले सूखा और अकाल पड़ते रहते थे और पानी की बहुत समस्या रहती थी आज भी बहुत ज्यादा है फिर भी मानसून का मिजाज बदला है। और उसी रूप में हम चाहते हैं कि चहुंमुखी विकास राजस्थान का हो उसमें व्यापारी वर्ग की, उद्यमी कि भी सभी वर्गों की भागीदारी हो। यही बात कहते हुए मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, धन्यवाद, जय हिंद।

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