Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

राजस्थान विनियामक विधेयक 2020

दिनांक
13/03/2020
स्थान
जयपुर


माननीय अध्यक्ष महोदय, राजस्थान विनियामक विधेयक 2020 पर हमारे कई सदस्यों ने अपनी भावनाएं व्यक्त कीं, मैं उन सबका आभारी हूं। माननीय नेता प्रतिपक्ष ने अभी जो अपनी भावनाएं बताईं और शिकायतें कीं, मैं समझता हूं कि लोकतंत्र में ये अच्छी परंपरा है। कि चुनाव जीतकर कोई जाए तब भी, जो विपक्ष होता है उसकी भावनाओं की कद्र करना लोकतंत्र को मजबूत करता है। और यही भावना हमारे कई नेताओं ने समय-समय पर प्रकट की है, उसी भावना के अनुरूप हम लोग चलना चाहते हैं। ये कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं होती है। ये लड़ाई विचारधाराओ की होती है, कार्यक्रमों की होती है और उसके आधार पर हम लोग अपनी-अपनी पार्टियों में रहकर काम करते हैं और उसी रूप में हम लोग चाहेंगे कि सदन की गरिमा उसकी प्रतिष्ठा उसका मान-सम्मान बनाए रखने में, चाहे विपक्ष में हों या सत्ता पक्ष के हों और चाहे साथी दूसरे हों, सब मिलकर ही कर सकते हैं। मैं यकीन दिलाना चाहूंगा अध्यक्ष महोदय, इसमें हमारी तरफ से कोई कमी नहीं आएगी। हम चाहेंगे कि हम आपका सहयोग लेकर के आगे बढ़ें। मुझे खुशी इस बात की हुई कि आपने, मैं आज कहने वाला ही था, पर आज आपने इस बात की पहल करी, मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि जो कॉमन मुद्दे होंगे राजस्थान के उसके अंदर आप लोग केंद्र के अंदर सहयोग करने में हमेशा तत्पर रहेंगे, मैं अभी इस बात को कहने वाला ही था। पर आपने शुरु कर दी मुझे इस बात की प्रसन्नता है, मैं कहना चाहूंगा कि कई राज्य हैं देश के अंदर जैसे महाराष्ट्र भी हैं उसमें, जहां पर पक्ष-विपक्ष के लोग जो उनके कॉमन कॉज होते हैं अपने स्टेट के उसको लेकर के वो लोग चाहे मंत्रियों से बात करनी हो, वो पहले अपने राज्य के हितों की बात करते हैं। और मैं चाहूंगा कि क्यों नहीं, जो आपने भावना प्रकट की है मैं उसका सम्मान करता हूं और मैं खुद चाहूंगा कि ऐसे मुद्दे हैं क्योंकि आपने बार-बार कहा है, पिछली बार भी आपने कहा था कि हम आरोप झूठे लगाते हैं। माननीय नेता प्रतिपक्ष इन आंकड़ों का आधार होता है। ये खाली कहने से ही कम नहीं हो गये हैं कि केंद्र सरकार मदद नहीं कर रही है या वो मदद कर रही है, ये सब आंकड़े हैं जो बताते हैं कि वास्तव में किस वक्त के अंदर में कितना पैसा कटौती की गई है। कहां पैसा रुका है हमारा, कहां फाइनेंस कमीशन की अभी रिकमंडेशन की आप बात कर रहे थे, वो अभी की बात है, आगे फायदा मिलेगा उसका। और जिस रूप में पिछले बरसों के अंदर चाहे सरकार आपकी रही, आप आंकड़े उठाकर देख लीजिए, हमारी गवर्नमेंट थी पहले, तब वाजपेयी जी थे प्रधानमंत्री, हमें कोई शिकायत नहीं रही। आपकी गवर्नमेंट आई बाद में, डॉ. मनमोहन सिंह जी थे प्रधानमंत्री, आपको जितना फाइनेंस पिछली सरकार में मिला अभी, आपकी अपनी पार्टी की एनडीए गवर्नमेंट में, उससे भी ज्यादा आपको डॉ. मनमोहन सिंह जी के वक्त में मिला था, ये तो आंकड़े बताते हैं। इस रूप में हमेशा जो स्थिति बनती है वो कहना पड़ता है सदन के अंदर। सदन में आकर के आदमी क्यों असत्य बोलेगा। और क्यों मैं कहूंगा बार-बार, अगर सच्चाई नहीं है तो उसका आधार कुछ तो होगा। आपने इतनी अच्छी पैरवी करी केंद्र सरकार की, जैसे कि हम लोग यहां खड़े होकर के खाली आरोप लगाते हैं और विकास की बात नहीं करते हैं। आपके पास जो आंकड़े हैं वो ही आंकड़े मेरे पास हैं। अगर आप चाहेंगे तो मैं अपने अधिकारियों को आपके साथ मीटिंग करवा सकता हूं। आपको वो कन्वेंस कर सकते हैं कि वास्तव में कहां-कहां पर हमें जितनी ग्रांट मिलनी चाहिए, जीएसटी की किश्तें मिलनी चाहिए, सीएसटी का पैसा मिलना चाहिए वो कहां-कहां नहीं मिल पा रहा है। आप कन्वेंस हो जाएंगे, मैं दावे के साथ कह सकता हूं। और जो आप आंकड़े बताते हैं वो आंकड़े बताते हैं 2019-20 का इस बजट से कंपेयर करते हैं। 2019-20 के आंकड़े जो आप बताते हो वो हमारे वक्त के आंकड़े हैं। उसको आप बताते हो कि अभी आपने उसमें कम कर दिया, अभी तक तो उसकी, मार्च तक खर्चा होता है मार्च तक का। और मार्च के अंदर पूरा जब खर्चा मालूम पड़ता है उसके बाद में एजी स्टैंप लगाता है वो आंकड़े बताए जाते हैं। आप कंपेयर उनसे क्यों नहीं करते हो कि आपके वक्त में कितना था और अभी कितना है। और आप उनको कंपेयर नहीं करते हो कि कितना आपने बजट के प्रोविजन में रखा और कितना आपने खर्च किया। वो कभी आप नहीं बताते हो। आप हाउस को इंप्रेस करने के लिए खाली आंकड़े बताते हो हमारे वक्त में पहले इतना था अब इतना हो गया। और एक्चुअल में कितना खर्च हुआ मालूम पड़ेगा अभी मार्च के अंदर। मैं आपको निवेदन करना चाहूंगा आपने पिछली बार भी एक आरोप लगाया था, 2014-15 के अपने बजट में कांग्रेस सरकार के 2014 की तुलना में 2013-14 के बजट में 23 पर्सेंट की वृद्धि करी। पिछली बार आप सरकार में आए तो आपने, हमारी पूर्व मुख्यमंत्री मैडम को बड़ा कॉम्प्लीमेंट दिया आपने कि पता नहीं वो जाने कहां से पैसा लेकर के आती थीं, कभी पैसों के लिए मना नहीं करती थीं। मैं बताऊं कहां से पैसा लाती थीं, वो कोई चोरी-वोरी नहीं करती थीं, सिंपल बात थी कि जब आप सत्ता में आए, उसके पहले जितना पैसा आता था केंद्र से, वो आता था जो राजीव गांधी ने जो सिस्टम बनाया था कि पैसा सीधा दिल्ली से जाना चाहिए गांवों तक जाना चाहिए, स्कीमों को जाना चाहिए सीधा। तो उस वक्त तक जो है एनआरएचएम में या सर्व शिक्षा अभियान में, एनआरडीडब्ल्यू, पीएमजेवायपी में ये तमाम पैसा आता था उन कार्यकारी एजेंसियों में पैसा इकट्ठा होता था। और आपकी गवर्नमेंट आने के बाद में एनडीए गवर्नमेंट आने के बाद में सिस्टम बदल दिया। तमाम पैसा जो कॉन्ट्रिब्यूशन फंड होता है, आप समझ सकते हैं क्या होता है उसमें जमा होने लग गया इस कारण से राजस्व संग्रहण जो है 2014-15 में कांग्रेस सरकार के वक्त में जो पैसा आया था उसमें सीधी बढ़ोतरी हो गई 23 पर्सेंट की बढ़ोतरी हो गई। आपने कहा कि भाजपा सरकार 2014-15 में बीजेपी सरकार ने बजट में अपने कांग्रेस सरकार के 2013-14 के बजट की तुलना में राजस्व संग्रहण में 23 पर्सेंट की बढ़ोतरी कर दी, बिल्कुल आधारहीन है।

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