Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अनुसूचित जाति विभाग द्वारा आयोजित 'इंदिरा शक्ति कार्यक्रम' में इंदिरा शक्ति मोबाइल ऐप का लॉन्च।

दिनांक
09/03/2022
स्थान
जयपुर


मुझे बहुत प्रसन्नता है कि इंदिरा शक्ति मोबाइल ऐप की लॉन्चिंग के अवसर पर मुझे आपके बीच में रहने का अवसर मिला, इसके लिए मैं राजेश लिलोठिया जी को धन्यवाद देता हूं और बहुत ही गरिमामय प्रोग्राम है, जिस रूप में आप यहां बैठे हुए हैं महिला शक्ति के रूप में, कल ही महिला दिवस था, तब मैंने दो-तीन बातें कही थीं, एक बात मैं रिपीट करना चाहूंगा कि महिलाओं का सशक्तिकरण इंदिरा गांधी जब प्रधानमंत्री बनीं तभी हो गया क्योंकि पूरी दुनिया के मुल्कों ने देखा कि हिंदुस्तान में एक महिला जो देश की प्रधानमंत्री हैं, किस प्रकार से शासन कर रही हैं और महिलाएं शासन कर सकती हैं यह ताकत इंदिरा गांधी ने पूरे देश को, दुनिया को दिखाया। उनके वक्त में ही परमाणु विस्फोट हुआ पोकरण के अंदर, उनके वक्त में ही पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए, बांग्लादेश बना, हरित क्रांति आई, गरीबी हटाओ के नारे दिए गए, 20 पॉइंट प्रोग्राम प्रस्तुत किया गया और एक आयरन लेडी के रूप में उनकी पहचान बनी। अटल बिहारी वाजपेयी जी को कहना पड़ा लोकसभा के अंदर कि इंदिरा गांधी दुर्गा का रूप हैं, आप समझ सकते हैं कि इंदिरा गांधी क्या थीं। इंदिरा गांधी जी को आप प्रतीक मानकर एक कॉन्फिडेंस रखें दिमाग के अंदर कि जिंदगी में आपको कैसे आगे बढ़ना है और राजीव गांधी जी ने भी जो 73वां- 74वां संविधान संशोधन किया, उसके बाद में महिलाओं को जो अवसर मिले हैं, प्रधान बनने के, प्रमुख बनने के, मेयर बनने के, सरपंच बनने के, वार्ड पंच बनने के, पहले नहीं मिल सकते थे। पहले पुरुष प्रधान इस देश के अंदर महिला को कौन सरपंच बनाए, एक इक्का-दुक्का छोड़ दीजिए। आज कानून बनने के बाद में महिलाएं लाखों की तादाद में सब पदों पर आ रही हैं, तो आप सोच सकते हैं कि किस रूप के अंदर महिलाओं का एम्पावरमेंट हो रहा है। उसी रूप में हमें सोचना पड़ेगा कि कैसे हम लोग आने वाले वक्त के अंदर, सरकार तो अपना काम करेगी, कोई कमी नहीं आने देगी पर बजट में हम कोशिश करते हैं कि महिलाओं को एक मैसेज दें, अभी इस बार मैंने बजट में 1 करोड़ 33 लाख महिलाओं को स्मार्ट फोन देने का फैसला किया है। इसी तरह चिरंजीवी योजना है, 5 लाख रुपए का पहले बीमा था, उसको मैंने 10 लाख रुपए का किया है, अब सरकारी अस्पताल में जाओगे आप लोग, तो इलाज बिलकुल निःशुल्क होगा आपका, अंदर जाओ, बाहर निकलो, चाहे वहां पर भर्ती हों, चाहे भले ही आईपीडी हो, ओपीडी हो, सब फ्री रहेगा। इसको मैं आपसे इसलिए जोड़ रहा हूं कि जब मैंने पहली बार 10 साल पहले दूसरी बार मुख्यमंत्री था, तब मैंने दवाइयां फ्री की थीं और टैस्ट फ्री किए थे। तो एक गांव का व्यक्ति मुझे मिला, उसने कहा कि साहब आपका फैसला बहुत अच्छा फैसला है, इससे लड़कियां बच जाएंगी, घरों में लड़कियां बच जाएंगी। मैंने कहा कि क्यों, क्या हुआ? कैसे बच जाएंगी? लड़के नहीं बचेंगे क्या? दवाइयां उनको भी फ्री मिलेंगी। तो कहने लगे कि नहीं-नहीं, मां-बाप जो हैं, वो अगर लड़का या लड़की बीमार होते हैं, लड़का होता है तब तो उसको ले जाते हैं अस्पताल के अंदर कि पैसा दो पैसा खर्च कर देंगे, कोई बात नहीं, लड़की है तो कहते हैं कि अपने आप ठीक हो जाएगी, कौन पैसा खर्च करे। अब आपने मुफ्त कर दिया, निःशुल्क कर दीं दवाइयां और टैस्ट, अब मां-बाप लड़की को भी इलाज करवाने के लिए लेकर जाएंगे क्योंकि पैसा लगेगा नहीं उसका। तो आप सोच सकते हैं कि इतना बड़ा फर्क पड़ता है हर फैसले से। अभी अध्यक्ष जी बता रहे थे आपको, चाहे पेंशन हो चाहे कोई काम हो, अल्टीमेटली लाभ जो है महिलाओं को मिलता ही मिलता है, आज हमने जो ओल्ड एज पेंशन लागू की है पूरे देश के अंदर चर्चा हो रही है उसकी, अभी चंद घंटे पहले ही छत्तीसगढ़ के चीफ मिनिस्टर ने भी बजट पेश किया छत्तीसगढ़ में, वहां उन्होंने भी घोषणा कर दी है, शुरुआत हो गई है, हमने की, छत्तीसगढ़ ने की, अब केंद्र सरकार हो, चाहे राज्य सरकारें हों, सबको करना पड़ेगा और वो ही सिक्योरिटी देती है आपको। एक व्यक्ति 35 साल तक नौकरी करता है, अगर 35 साल की नौकरी में उसको डर सताए कि पता नहीं मेरा बुढ़ापे के अंदर क्या होगा क्योंकि पेंशन तो मिलेगी नहीं क्योंकि नई पेंशन योजना अलग तरह की थी। उसमें पैसा सब जमा होकर फिर शेयर मार्केट में जाता, म्यूचुअल फंड में जाता, शेयर मार्केट ऊपर-नीचे होता रहता है, पता नहीं कितनी पेंशन मिलेगी या नहीं मिलेगी, किसी को नहीं मालूम होता है और अब जो है ओल्ड एज पेंशन के अंदर पूरी सिक्योरिटी होती है, कई बार तनख्वाह से ज्यादा पेंशन मिलती है क्योंकि डीए जुड़ता जाता है उसके अंदर। सरकार पर भार आता है, पर कोई नई बात नहीं है, जब ये लागू हुई थी 50 साल पहले, तब भी आ रहा था और ऐसे ही देश विकास कर रहा था, ऐसे ही पेंशन दी जा रही थी, सबकुछ होता था, पर कम से कम बुढ़ापे के अंदर पेंशन पूरी मिलती है, कई लोग तो खर्च भी नहीं कर पाते हैं और जब उसकी मृत्यु होती है व्यक्ति की, तो उसकी पत्नी को पेंशन मिलती है। अगर बच्ची कोई घर में है, जो कोई विधवा हो गई है या कोई एकल नारी कुछ है, उसको भी मिलती है और शानदार पेंशन है पुरानी पेंशन। तो हमने कहा कि यह मानवीय दृष्टिकोण से भी जरूरी है कि हमें पुरानी पेंशन लागू करनी चाहिए। उसमें आलोचना भी हो रही है मेरी, तीन-चार मैंने आर्टिकल पढ़े इकोनॉमिक्स टाइम्स के, टाइम्स ऑफ इंडिया में लिख रहे हैं ये आर्थिक विशेषज्ञ, एक्सपर्ट लोग कि खर्चा बढ़ जाएगा, रिफॉर्म्स का उलटी चली गई गवर्नमेंट, आलोचना कर रहे हैं, उनकी समझ में धीरे-धीरे आएगा, ये मानवीय पक्ष है, अगर आप देश चलाते हो, तो हमें एक मजदूर भी होता है, आज देश का निर्माण हुआ है, बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स-अट्टालिकाएं खड़ी हो जाती हैं, तो मजदूर है इसलिए होती हैं, खाली मशीनों से नहीं होती हैं, मशीनों के साथ में मजदूर काम करता है, पसीना बहाता है, तब जाकर बिल्डिंग खड़ी होती है। जब वो बूढ़ा हो जाता है, उसको सोशल सिक्योरिटी चाहिए, सरकार उसको पूरी तरह पेंशन दे, उनका सिक्योर करे बुढ़ापा, यह हमारी ड्यूटी होनी चाहिए, इस भावना से काम करना चाहिए और ये पेंशन जो नई आई है, इसकी तरफ ध्यान जा नहीं रहा है सरकारों का, अब जाएगा। इस पर मैंने कहा, ह्यूमन राइट्स कमीशन जो है वो कह रहा है कि आप वापस इसको रिव्यू करो, मानव अधिकार आयोग खुद कह रहा है, इनका बनाया हुआ है वो कह रहा है नंबर एक, नंबर दो, जो ज्यूडीशियरी का कमीशन है पे कमीशन न्यायिक सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट, लोअर कोर्ट सबका, वो कह रहा है कि हम नहीं मानेंगे इसको, आप हमारे लिए ओल्ड पेंशन लाओ, वो कह रहा है, जो जजेज हैं, वो लागू नहीं करना चाहते अपने यहां पर। जब लागू की गई तो मिलिट्री कैडर वालों को अलग रखा गया, उनके लिए ओल्ड पेंशन रहेगी, क्या मतलब हुआ भई? तो इस प्रकार से आप देखिएगा कि केरल, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, पंजाब, ऑलरेडी 5-6 राज्यों ने एक कमेटी बनाई रिव्यू करने के लिए, इतना दबाव पड़ा उनके ऊपर। तो कहने का मतलब यह है, इस प्रकार के माहौल के अंदर ये पेंशन लागू थी जिसकी कोई सिक्योरिटी नहीं थी, पता नहीं उनकी पेंशन का पैसा जमा हो रहा है वो कहाँ जाएगा उसका, उस वक्त में क्या होगा। अब जाकर जैसे ही मैंने फैसला किया, पूरे राजस्थान के अंदर जो है लोगों में इतनी खुशी की लहर फैल गई कि कोई सोच नहीं सकता है। एक घटना मुझे बताई गई कि किसी पत्रकार ने पूछा किसी कर्मचारी को, ये तो नाच-गाने तो आप देख रहे हो कि पूरे राजस्थान में हुए थे, कई वीडियो देखे होंगे आपने, खूब नाचे, ढोल बजाए, सचिवालय सब जगह किया। तो एक पत्रकार ने पूछा कर्मचारी को कि तुम्हें कैसा लग रहा है ? तो वो 30 सैकंड तक तो चुप रहा, फिर नाचने लग गया कि ऐसा लगता है, कि मेरे पास शब्द नहीं हैं कि मैं किन शब्दों में बताऊं, किन शब्दों में बताऊं कि भई कैसा लग रहा है, मैं नाचकर ही बता सकता हूं कि ऐसा लगता है। तो कहने का मतलब है कि जो हमें गवर्नेंस अच्छी करनी है, तो प्रतिभाएं जो हैं वो क्यों आएगी सरकार के अंदर, अगर उनको लगेगा कि लाइफ हमारी सिक्योर नहीं है बुढ़ापे के अंदर, वो प्राइवेट में जाएगा। इसलिए ये पेंशन योजना से प्रतिभाएं भी आएंगी सरकार के अंदर, अच्छी प्रतिभाएं आएंगी तो अच्छी गवर्नेंस देंगे हम लोग, शासन करेंगे, अच्छे अधिकारी होंगे, कर्मचारी होंगे, सब तरह से ये पेंशन योजना बहुत शानदार रही है।
हमारे अध्यक्ष जी जब शिक्षा मंत्री थे तो अंग्रेजी स्कूलें खोलीं इन्होंने, बड़ा प्रयोग किया, आज लॉटरी लग रही है, लॉटरी खुलती है वहां पर भर्ती होने के लिए, नंबर नहीं आ रहा है, हमने पहले 1200 स्कूलें खोलीं, फिर कह दिया कि 5 हजार की आबादी वाले सब गांवों में स्कूल खोल देंगे और मैं ये कहना चाहूंगा आज के इस मुबारक मौके पर, इसके लिए कोई धन की कमी आएगी नहीं, कभी भी नहीं आएगी, जितनी स्कूलें खुलवाओगे, उतनी स्कूलें खुलेंगी, यह मैं निवेदन करना चाहता हूं। कोई आपके दिमाग में हो कहीं जगह जहां पढ़ाई के लिए बच्चे आने के लिए तैयार हों, तो मैं तैयार हूं उसके लिए, कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि मैं, मेरे बचपन का बता रहा हूं आपको, हम जब पढ़ते थे स्कूल के अंदर 50 साल पहले, तब अंग्रेजी की खिलाफत में आंदोलन चलते थे, अंग्रेजी हमारे क्या काम आएगी, तमिलनाडु में, कर्नाटक के अंदर, आंध्रप्रदेश में, वहां पर हिंदी के खिलाफ आंदोलन चलते थे, हिंदी हमारे क्या काम आएगी, हिंदी हमारे ऊपर मत थोपो। कोई अगर हिंदी में लिखा हुआ होता था बोर्ड तो जला देते थे वो लोग और हम लोग जला देते थे अंग्रेजी का बोर्ड, वो माहौल था। हमने भी इंग्लिश सीखी नहीं, पार्लियामेंट में मेंबर बन गए जाकर दिल्ली के अंदर, देखकर पता चला कि दिल्ली में तो अंग्रेजी का ही बोलबाला है पार्लियामेंट के अंदर, हिंदी के अच्छे-अच्छे विद्वान आते हैं बनकर मेंबर ऑफ पार्लियामेंट, अंग्रेजी हावी रहती है क्योंकि अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा बनी हुई है। अगर बचपन में आप सीखोगे तो अच्छी फ्लूएंट इंग्लिश बोल सकते हो, वरना थोड़ी बहुत समझ जाओ आप अलग बात है, काम चलाऊ बोल लो भले ही जैसे हम लोग करते हैं, अच्छी इंग्लिश नहीं बोल सकते हम लोग। अब जो बच्चों को हमने भर्ती करवाया है, डोटासरा जी की सोच थी इनकी, मैं इनको मुबारकबाद देता हूं, जिसके कारण से बच्चा जो है तीन साल का, चार साल का मतलब प्री-प्राइमरी कहते हैं उसको? प्री-प्राइमरी शुरू कर रहे हैं, 1 हजार स्कूलों में प्री-प्राइमरी शुरू कर रहे हैं। 1-1 लाख रुपए लगता है प्राइवेट स्कूलों के अंदर फीस लगती है, दे सकते हैं क्या गरीब आदमी? इसका मतलब गरीब आदमी इंग्लिश नहीं पढ़ सकता? राज करे वो पैसेवाला करेगा, फीस वो दे सकता है। अब हमने जो शुरू किया है उसके अंदर बच्चे प्री में भी, प्राइमरी में भी जा रहे हैं और पूरा हम लोग जब बचपन में जाएगा तो वो इंग्लिश बोलना सीख जाएगा, 10 हजार हम अलग कैडर बना रहे है अंग्रेजी पढ़ाने वालों का अलग कैडर बनेगा राजस्थान में, 10 हजार पदों से हम शुरुआत कर रहे हैं, आने वाले वक्त में जितनी स्कूलें बनेंगी, उतनी और भर्ती होती जाएगी अंग्रेजी मास्टरों की, यह मैं कहना चाहता हूं। आपमें से भी टीचर बनना चाहें अंग्रेजी की, तो पढ़ना शुरू कर दो अंग्रेजी को, नौकरी जल्दी लग जाएगी। तो कहने का मतलब है कि आने वाले वक्त के अंदर हम चाहेंगे कि अभी कॉलेज की बात आपको, मैंने पिछली बार 123 कॉलेज खोलीं, उसमें से 33 कॉलेज महिलाओं की थीं। फिर मैंने घोषणा कर दी कि 500 बच्चियां जिस स्कूल में होंगी, उस स्कूल को ही कॉलेज बना दिया जाएगा, कॉलेज खुल जाएगा, उसके अंतर्गत 36 कॉलेज खोल दी इस बार हमने, तो पूरी तरह हम लोग ध्यान दे रहे हैं कि किस प्रकार से महिलाओं का सशक्तिकरण करें अब आपका जो एप आया है नया, अब बता दीजिए आप, प्रियंका जी ने तो कह ही दिया न कि 40 पर्सेंट महिलाओं को टिकट, सोनिया गांधी जी ट्राय कर रही हैं पार्लियामेंट और असेंबली में टिकट मिले महिलाओं को 33 पर्सेंट और प्रियंका गांधी ने जो है 40 पर्सेंट महिलाओं को टिकट देने का वादा किया था, देकर रहीं वो यूपी के अंदर, जीतें या हारें अलग बात है, आज नहीं तो कल स्थिति अच्छी होगी और महिलाओं के दम पर होगी ये मैं कह सकता हूं। तो ये जो है, पुलिस में भी हमने भर्ती शुरू कर दी थी, 50 पर्सेंट कर दिया है हमने नगर पालिका, स्थानीय निकायों के अंदर, पंचायतों में आरक्षण और कई ऐप बने हैं, पुलिस की अलग फोर्स है जो अभय कमांड कहलाती है, वो ध्यान रख रही है लड़कियों का भी, जो मनचले लड़के होते हैं उनके बारे में क्या करना है, सबकुछ कर रहे हैं, सरकार कर रही है, पर ये जो राजेश जी ने ऐप बनवाया है, इसके लिए मैं इनको मुबारकबाद देता हूं। ये पूरे प्रदेशवासियों के लिए, पूरे देशवासियों के लिए है ये, हर लड़की के लिए है। जो ऐप डाउनलोड करेगा, वो 4 लोगों को चाहे उसके परिवार के लोग हों, चाहे उसके मित्र लोग हों, उनको वो इत्तिला कर सकते हैं क्राइसिस के वक्त में, अच्छा प्रयोग किया है, मैं समझता हूं कि इंदिरा गांधी के नाम से करने का एक मैसेज होगा। उसी रूप में आप महिलाएं और जो हमारी गर्ल्स हैं, जो भी हैं उन सबको इसका फायदा उठाना चाहिए और मैं उम्मीद करता हूं कि आने वाले वक्त के अंदर हम सब मिलकर क्या कर सकते हैं महिलाओं के लिए, एम्पावरमेंट के लिए, स्वयं सहायता समूह बन रहे हैं, उनको हम प्रोत्साहन दे रहे हैं। तो टाइम नहीं है कि मैं सब बातें आपको इस मौके पर बताऊं पर आप कम से कम, अभी प्रोग्राम भी लाइव चल रहा है मेरे फेसबुक अकाउंट पर और पहले भी हमने जब कभी असेंबली में बोलते हैं हम लोग या बात करते हैं, तो वो रिकॉर्ड हो जाता है यूट्यूब पर भी या फेसबुक अकाउंट पर भी। आपको चाहिए कि आप कम से कम देखें कि सरकार की योजनाएं क्या हैं, बजट मैंने पेश किया, 3 घंटे बोला मैं हाउस के अंदर, सारे वर्गों के लिए वो उसके अंदर स्कीमें हैं सभी वर्गों के लिए। मैं चाहूंगा कि आप उसमें देखें, एक काम आप मेरा करें और वो काम यह है कि आप कम से कम अपने मोहल्ले के अंदर, अपने गांव के अंदर जो मिलने वाले आपके हैं, उनको लाभ कैसे मिल सकता है उस बजट से, इतनी स्कीमें उसके अंदर हैं, गरीब तक पहुंचती नहीं हैं, वो पढ़ा-लिखा नहीं है, समझता नहीं है, उसमें आप अपनी भूमिका अदा करें। आप एनजीओ बनाएं या एनजीओ बना हुआ है तो जोड़ें उससे, या बिना एनजीओ भी आप काम कर सकते हैं, ये आपको काम करना चाहिए। जितना गरीब की सेवा करेंगे, मैं समझता हूं कि वो गणेश की सेवा होगी। हम गणेश जी को पूजने जाते हैं, तो गरीब की सेवा गणेश जी की सेवा है, यह सोचकर सरकार काम कर रही है, गरीब को गणेश मानकर हम लोग फैसला कर रहे हैं, जो अध्यक्ष जी ने आपको अभी कहा, सोशल सिक्योरिटी पर हमारा जोर है और मैं समझता हूं कि उसी रूप में आने वाले वक्त में और हम जो भी योजनाएं लेकर आएंगे, वो ऐसी लेकर आएंगे जिससे कि राजस्थान का चहुंमुखी विकास भी हो और लोगों की समस्याओं का समाधान भी हो। मुझे खुशी है कि एक ऐप बना इंदिरा शक्ति मोबाइल ऐप, लॉन्चिंग हो गई, अब उसका हम सब उपयोग करेंगे और आप मुख्यमंत्री के आवास पर पधारी हो, इसलिए आप सबका स्वागत है यहां पर मेरी तरफ से। आप आइए, समस्या डिस्कस कीजिए, मैं समझता हूं कि हमेशा आपका यहां स्वागत रहेगा, निर्मल पंवार जी ने अपनी यूनिवर्सिटी के बच्चों को लेकर आए तो इसके लिए इनका धन्यवाद, यही बात कहता हुआ मैं अपनी बात समाप्त करता हूँ, बहुत-बहुत आपका स्वागत है, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, आपके उज्जवल भविष्य के लिए मेरी शुभकामनाएं, धन्यवाद।

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