Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर संबोधन।

दिनांक
13/02/2020
स्थान
जयपुर


मैं बहुत आभारी हूं, और धन्यवाद देता हूं माननीय सदस्यों ने अपने-अपने सुझाव भी दिए और सरकार की जो कमियां थीं, या खामियां थीं उसकी ओर ध्यान आकर्षित किया। यही परंपरा मैं समझता हूं कि संविधान बना था तब से ही लागू की गई है कि जब भी कभी बजट सेशन होगा या साल का प्रथम सेशन होगा उसमें राज्यपाल महोदय अभिभाषण देंगे और माननीय सदस्य उस पर चर्चा करेंगे। पर मुझे दुःख है कि और समझ से परे है कि माननीय राज्यपाल महोदय यहां पधारे, अभिभाषण आरंभ हुआ बिना कोई कारण के बिना कोई तर्क के। मैं पूछना चाहूंगा नेता प्रतिपक्ष को और तमाम साथियों को, क्या कारण था कि आप खड़े हो गए, विरोध प्रकट किया। आर्ग्यूमेंट कुछ नहीं किया और बायकॉट कर गए। क्या तुक था, कोई तुक था ? कोई तुक था, बताइए आप। कोई तुक नहीं था, कोई कारण नहीं, कोई बात नहीं। कोई माहौल भी ऐसा नहीं था कि आप गुस्से में बाहर चले जाते। वो भी समझ में आता। लंबे अरसे बाद में माननीय अध्यक्ष महोदय एक राज्यपाल महोदय ऐसे आए जिन्होंने ये परंपरा पुन: कायम करी कि राज्यपाल अगर आए अभिभाषण करने के लिए, तो वो खाली एक लाइन पढ़कर वापस नहीं जाए, पूरा भाषण पढ़े। उन्होंने पूरा अभिभाषण पढ़ा, हम सबको अच्छा लगा, आपको क्यों नहीं अच्छा लगा इसका कारण बताओ। क्या बात थी, आपने मुझको कमियां बताईं, मुझको अच्छा लग रहा था, यही होना चाहिए लोकतंत्र के अंदर। आपने सुझाव दिए, मुझे अच्छा लगा, ये तो परंपरा समझ में आती है। पर सालभर में अगर हमारी कमियां भी रहीं तो आपको मौका मिल रहा था 4 घंटे बोलने के लिए। उस दिन क्या था, उस दिन क्या था कि बिना कोई कारण के अभिभाषण आप ज्यादा, बाद में पढ़ा होगा कि नहीं पढ़ा होगा या बाद में भाषण सुन लिया होगा, उसकी बजाय उस दिन भाषण सुनते आप सब लोग। ज्यादा अच्छे ढंग से आप अपनी बात कह सकते थे। पर पता नहीं, क्या सोचकर के आए, क्या आपकी प्लानिंग थी, ये समझ के परे है। मैं महसूस करता हूं कि जिस प्रकार से आप माहौल बता रहे थे अभी, कि कहां आप लोकतंत्र में गिरावट ला रहे हो। गिरावट हम नहीं ला रहे हैं, गिरावट ला रहे हैं आप और आपकी पार्टी के नेता। देखा आपने दिल्ली के अंदर, अरे सत्ता पक्ष के लोग गृहयुद्ध भड़का रहे हैं, कहां जा रहा है लोकतंत्र। किसको कहते हो आप लोग कि हम लोग लोकतंत्र को नीचे ला रहे हैं। अरे जिसने, मुल्क को आजाद करवाया जिस पार्टी ने, जिसकी सरकार आज यहां पर है, जिसने संविधान के निर्माण में भागीदारी निभाई, वो कैसे लोकतंत्र को कमजोर कर सकते हैं, हमारी कल्पना के भी बाहर है। आपकी पार्टी के लोग मुख्यमंत्री को आतंकवादी बताते हैं, आपके लोग इन गद्दारों को, गोली मारो गद्दारों को, ये भाषण देते हैं, केंद्रीय मंत्री। आपके मुख्यमंत्री, ऐसे नहीं मान रहे हैं तो गोली से मानेंगे, ये कल्पना के, आप जैसे व्यक्ति जो नेता प्रतिपक्ष हैं, पुरानी पीढ़ी के आदमी हो गए, आप बताइए कोई मुख्यमंत्री की जुबान से निकल सकता है अपनी अवाम के लिए कि ऐसे नहीं मानेंगे तो गोली से मानेंगे। कहां जा रहा है मुल्क, कहां जा रहा है। और भी कई मंत्रियों ने क्या-क्या बातें कहीं, यहां भी कहा गया की मुख्यमंत्री अराजतकता फैला रहे हैं। हम अराजकता फैला रहे हैं? जब यहाँ हमारे शांति मार्च निकला 4-5 लाख लोग साथ चले, पूरे मुल्क में मैसेज गया कि शांति मार्च निकाला, सरकार के मुख्यमंत्री ने खुद ने उसको लीड किया। आपको मालूम है, एक जगह नारा नहीं लगा उसके अंदर, तख्तियां लेकर चल रहे थे लोग। आपको मालूम है, डिवाइडर पर कई गमले लगे हुए हैं, एक फूल नहीं टूटा वहां पर, आपको मालूम है। जो झंडे लेकर चल रहे थे, तिरंगा झंडा लेकर चल रहे थे, एक झंडा नीचे नहीं गिरा। एक मैसेज गया देश के अंदर, ऐसा भी शांति मार्च होता है। और यूपी के अंदर 15 लोग मारे गए, 15 लोग मारे गए। बदला लूंगा मैं, ये मुख्यमंत्री बोल रहा है, बदला लूंगा मैं जनता से, क्या बोल सकते है मुख्यमत्री? किसी ने विरोध किया प्रधानमंत्री ने, गृहमंत्रीजी ने कि आपको ये नहीं बोलना चाहिए था। ये राजधर्म का निर्वहन नहीं कर रहे हैं, जैसा कि वाजपेयी जी ने कहा था। मोदीजी को कहा, राजधर्म का निर्वहन नहीं किया आपने। मानवता को कलंक लग गया है। क्या मुंह लेकर के जाऊंगा मैं दुनिया के मुल्कों के अंदर, क्या मुंह लेकर के जाऊंगा मैं बताइए, क्या मुंह लेकर के जाऊंगा। अभी तो शुरुआत हुई है, अभी तो शुरुआत हुई है। तो जिस मुल्क में ऐसे हालात बन गए हों, उसमें आप सबसे, पक्ष-विपक्ष से मैं कहना चाहूंगा कि राजस्थान की परंपरा बहुत शानदार है जिसका आप बार-बार ज़िक्र करते हो। हम चाहेंगे कि कॉन्शियस क्या कहती है इस पर भी आओ आप लोग, कॉन्शियस क्या कहती है। आएंगे आप लोग, आएंगे आपकी पार्टी के लोग मैं दावे के साथ में कह सकता हूं। लोग कहेंगे क्या हो रहा है, दो लोग राज कर रहे हैं देश के अंदर, दो लोग राज कर रहे हैं। इसलिए टाइम बताएगा कि कौन सत्य के रास्ते पर चल रहा है और किसका रास्ता असत्य है। खुद की नाकामियों को छिपाने के लिए, जब बर्बाद हो रहा है देश, अर्थव्यवस्था बर्बाद हो रही है उसका नुकसान हमारे राजस्थान को भी हो रहा है। 17 हजार करोड़ रुपए जो हैं, हमारे जीएसटी और जो हिस्सा मिलता है केंद्र का संविधान के अंतर्गत,वो कटौती हो रही है राजस्थान के अंदर। मैं आपसे आग्रह करूंगा कि ऐसे मामलों में, जो कॉमन मामले हैं उसके अंदर आप जाकर के हमारी पैरवी करें, किस प्रकार से पैसे कट रहे हैं। 25 एमपी जिता के भेजे बीजेपी के जनता ने, वो 25 एमपी वहां क्या कर रहे हैं। कोई पैरवी कर रहा है। रेल बजट आ गया है रेल बजट, जो हमारी स्कीमें थीं बांसवाड़ा-डूंगरपुर की, करौली सरमथरा- गंगापुरसिटी की, अजमेर टोंक, माधोपुर की, मैमोकोच फैक्ट्री आई थी, आपके प्रयास से आई थी, मैमू कोच फैक्ट्री आई थी भीलवाड़ा के अंदर, आपकी सरकार आ गई, हमारी सरकार बदल गई, क्या कसूर किया जनता ने आपका, आप 5 साल तक सत्ता में रहे, चारों प्रोजेक्ट और पांचवां रिफाइनरी, 26 पर्सेंट हिस्सेदारी क्यों। अभी आप बोल रहे हो कि 26 पर्सेंट हिस्सेदारी क्यों। मैं पूछना चाहूंगा आपको कि 5 साल बाद में आपने वापस प्रधानमंत्री को बुलाया और वापस आपने कहा कि जमीन हमारी, तेल हमारा, बिजली हमारी,पानी हमारा फिर भी 26 पर्सेंट भागीदारी ही क्यों, आपकी मुख्यमंत्री बोलती थीं। मैं पूछना चाहूंगा 5 साल के बाद में 4 प्रोजेक्ट तो रेलवे के खत्म और रिफाइनरी को क्यों आपने उसको बर्बाद करके बाद में 26 पर्सेंट भागीदारी ही क्यों रखी आपने, मैं पूछना चाहता हूं आपसे। है कोई जवाब आपके पास? आपने अच्छे सुझाव दिए, अच्छी बात है। आज आपका मूड जो था वो सुझाव देने का भी था और मैं कहना चाहूंगा आपको गृहमंत्री के रूप में अपनी जो भूमिका बताई, इससे मैं सहमत नहीं हूं। जिस रूप में, आप तो गृहमंत्री थे क्या उस वक्त में, हमें तो डाउट है। राजस्थान की जनता को डाउट था। जाते थे आप पीएचक्यू के अंदर बार-बार और मॉनिटरिंग करते थे, और मॉनिटरिंग क्या करते थे, जो अधिकारी काम करते थे उनको डिस्टर्ब करते थे आप। ये गृहमंत्री का काम नहीं होता है। ये गृहमंत्री का काम नहीं होता है कि आप रोज-रोज जाओ, नहीं-नहीं आप तो बातें ऐसी जरूर करोगे औॅर मैं कहना चाहूंगा कि ये गृहमंत्री का काम नहीं है कि रोज जाकर वहां पर जाकर बैठ जाएं। अरे जो गृहमंत्री अपनी, जो गृहमंत्री एक एडिशनल एसपी का ट्रांसफर नहीं कर सकता, वो क्या वहां जाकर के बैठेगा। गृहमंत्री थानेदार का ट्रांसफर नहीं कर सकता वो क्या वहां जाकर के बैठेगा। आप खुद दुःखी थे मुझे सब मालूम है। जो लोग मिलने आते थे आपसे बेचारे रोते कि गृहमंत्री खुद ही कह रहा है मैं क्या करूं मेरी चलती ही नहीं है। ये स्थिति है, अरे मेरे को नहीं पूरे राजस्थान को पता था। ऐसी स्थिति में चलाई आपने।
माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने अभी इतनी आलोचना की, हमने बुरा नहीं माना। हमने कहा ग्राफ बढ़ रहा है। कौन थानेदार जो है रिपोर्ट दर्ज नहीं करेगा, आपने कहा। माननीय मैं नेता प्रतिपक्ष से पूछना चाहता हूं, क्या आपके पक्ष के सदस्य नहीं जानते थे आपको कि थाने का माहौल क्या होता है। कितने लोग बिना एफआईआर के वापस जाते हैं, मन ही मन धमेणे लेते हैं, धमेणे लेते हैं मन ही मन में कि चलती ही नहीं है तो क्या करें, थानेदार ने हमारी सुनवाई नहीं करी, बदतमीजी से पेश आता है, कई लोग जाते ही नहीं हैं थाने के अंदर कि जाकर के वो रेकारे से बात करेगा, बदतमीजी से बात करेगा, क्या जाएं वहां पर। और आपने कहा कि हमने इतना बड़ा निर्णय किया है कंट्री के अंदर, पहला प्रदेश राजस्थान है जिसने कहा है अगर एफआईआर दर्ज वहां नहीं होगी तो एसपी के वहां एफआईआर दर्ज करो। और एक और चीज है आपने कहा कि नेता प्रतिपक्ष आपने कहा कि बताना फिगर, सुनिए आप, 187 एफआईआर दर्ज हुई है एससी के यहाँ पर नंबर वन, नंबर दो इस आदेश मात्र से, आगे क्या, आपको बायकॉट करना है क्या, माननीय सदस्य क्या आप इनको ब्रीफ कर रहे हो, कृपा करके सुनने का कष्ट करो हम लोगों को। आपने हमारी योजनाओं की, हमारी स्कीमों की, हमने उसको सुना। मैं कहना चाहूंगा, इसका बहुत इंपैक्ट पड़ा है। थानेदार खुद समझ गया अगर मैंने कहीं वापस भेज दिया किसी को, शिकायत मेरी हो जाएगी एसपी ऑफिस में। अधिकांश जगह इसलिए थाने में वापस ज्यादा एफआईआर दर्ज होने लग गई। और हमने पहले ही कहा था संख्या बढ़ेगी, इसकी हमें चिंता नहीं रहेगी। हम उसको बर्दाश्त भी करेंगे और जनता को जवाब भी देंगे। तो कम से कम थाने के अंदर एक भी आदमी वापस नहीं लौटना चाहिए। हमने स्वागत कक्ष बनाना शुरु किया वहां पर, बनने लग गए हैं स्वागत कक्ष, कम से कम आदमी को लगे मैं थाने में जाकर आराम से बैठकर बात कर सकता हूं।
हमने जो हीनियस क्राइम के लिए अलग से प्रकोष्ठ बनाया है, तमाम जिलों में हमने डीवायएसपी रैंक की महिला अधिकारी लगाया है हमने महिलाओं की सुरक्षा के लिए, उनके केस को अलग से डील करने के लिए। जो रीफॉर्म्स किए हैं, उनको आपको एप्रिशिएट करना चाहिए था, आप तो गृहमंत्री रहे हुए थे। आप एप्रिशिएट करते तो हमें अच्छा लगता। उसकी आप धज्जियां उड़ा रहे हो कि ऐसा कोई मामला नहीं है, मामला दर्ज करने की कौन मना करता है। ये तो बहुत आश्चर्य की बात है। माननीय अध्यक्ष महोदय, हालात बड़े गंभीर हैं, जिस रूप में मैंने अभी आपको बताया कि जो कटौती हो रही है हमारी, वो हमारे लिए चिंता का विषय बना हुआ है, किस प्रकार से एक के बाद एक फैसले हो रहे हैं और जीएसटी से हमें हिस्सा नहीं मिल रहा है, सीएसटी हमारा बकाया था, वो नहीं मिल पा रहा है और टैक्स का जो हिस्सा था. बेरोजगारी की बात आपने करी, मैं पूछना चाहूंगा 45 साल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी जो है वो आज की तारीख के अंदर है। जो पहले 2011-12 के अंदर 2.2 थी आज 6.1 हो गई है। मैं पूछना चाहूंगा जिस प्रकार हालात बने हैं देश के अंदर अर्थव्यवस्था के, एक के बाद एक, मिस्टर पनगड़िया आए छोड़कर चले गए अरविंद सुब्रहमण्यम थे एडवाइजर टू प्राइममिनिस्टर, वापस चले गए, रघुराम राजन आरबीआई के गवर्नर उन्होंने इस्तीफा दे दिया, क्या कारण था। सबने कहा कि जिस प्रकार के हालात बन रहे हैं, अर्थव्यवस्था आईसीयू में जा रही है। उन हालातों में राज्यों की हिस्सा कटौती हो रही है, बेरोजगारी बढ़ती जा रही है, नौकरियां लगने की बजाय नौकरियां जा रही हैं लोगों की, इसका जवाब कौन देगा। क्या इसका इंपैक्ट राजस्थान पर नहीं पड़ेगा, क्या इसका इम्पैक्ट और राज्यों पर नहीं पड़ेगा। ये हालात जब देश में हो गए हैं तो हमें राजस्थान के लिए चिंतित होना स्वाभाविक है, ये मैं आपको निवेदन करना चाहता हूं। और हमारे लिए सबसे बड़ी बात है किस प्रकार नौकरियां लोगों को मिलें। आपने कहा कि आपने कितनी नौकरियां लगा दीं। मैं कहना चाहूंगा आपको नौकरियां फिगर तो मैं बताऊंगा आपको, किस प्रकार से आज 1 लाख 17 हजार 909 नौकरियां, इसमें 34 हजार 243 नौकरियां लग गई हैं, 34 हजार 527 नौकरियों की नियुक्तियां जो हैं प्रक्रियाधीन हैं, रिजल्ट आ चुके हैं और 45 हजार 774 पदों के विज्ञापन जारी कर दिए गए हैं। अब आप कह रहे हैं, अभी आपने कहा माननीय नेता प्रतिपक्ष महोदय कि हमारे वक्त की नौकरियां आप लगा रहे हो। आप भूल जाते हो, पिछली बार जब हम सत्ता में थे, 1 लाख 87 हजार नौकरियां हमने लगा दी थीं, 1 लाख 50 हजार नौकरियां पाइपलाइन में थीं, कोई हाईकोर्ट में स्टे हो गया कहीं हो गया, तो क्या आप आए थे तो क्या आपने आगे वो नौकरियां नहीं लगाई थीं। ये आपका कौनसा आर्ग्यूमेंट हुआ कि आपके वक्त की नौकरियां निकाली हुई थीं, बिल्कुल ठीक कहा आपने, आपके वक्त में विज्ञापन निकाले गए थे, रुक गए थे हम आ गए सरकार के अंदर, हमने उसको आगे बढ़ाया और उस पर नौकरियां लगा रहे हैं, उसमें क्या दिक्कत हो रही है। आपने भी यही काम किया था। तो ये इस प्रकार से आपके आर्ग्यूमेंट में कोई दम नहीं है। हमने वादा किया उसको निभाया है और 1 लाख 17 हजार 900 नौकरियां दे रहे हैं हम लोग, ये मैं कह सकता हूं आपको। आपने जिस प्रकार से धज्जियां उड़ाई हैं प्रोग्रामों की, हर चीज को आपने मिसइंटरप्रिटेट किया। यूपीए गवर्नमेंट ने भी अधिकार आधारित युग की शुरुआत करी थी। आरटीई लेकर आए, आरटीआई लेकर के आए जिसको आपने कमजोर कर दिया। हम जनसूचना प्लेटफॉर्म लेकर के आए हैं। पूरे देश के अंदर राजस्थान एकमात्र राज्य है जिसमें आरटीआई की जो सूचनाएं हैं बगैर मांगे हुए हम ऑनलाइन कर रहे हैं उनको। 14 विभागों में कर दी हैं हम लोगों ने, उसका बड़ा अच्छा मैसेज गया है और इसको हम चाहेंगे कि पूरी तरह से सूचनाएं सभी विभागों की, किसी को मांगने की जरूरत ही नहीं पड़े, सेक्शन 4 के अंतर्गत हम लोग, ये हमने काम शुरु किया है और जो फूड सिक्योरिटी एक्ट है, मनरेगा है, और मुझे कहते हुए अफसोस है कि मनरेगा प्रधानमंत्री ने कहा कि ये कांग्रेस का स्पार्क के रूप में साबित होगा, बजट कम कर रहे हैं वो लोग, राज्यों में और कम मिल रहा है। आपके वक्त में मुश्किल से 15 लाख लोग लगे हुए थे 2018 के अंदर। हमारी गवर्नमेंट आते ही हमने अभियान चलाया, काम मांगो अभियान चलाया और 30 लाख लोगों को लगाया हमने 1 साल के अंदर और साथ में आपको जानकर के दुःख होगा माननीय अध्यक्ष महोदय कि आज अक्टूबर से गरीब मजदूरों को मजदूरी नहीं मिल पा रही है। 1950 करोड़ रुपया जो है केंद्र ने अटका रखे थे। अब जाकर के 700-800 करोड़ रुपए हमने एक पत्र लिखा है प्रधानमंत्री को तब रिलीज़ हुए हैं। तो जो योजना आपको वरदान साबित हो रही थी देश के लिए, उससे पहले अकाल सूखे पड़ते थे, आप जानते हो क्या स्थिति वहां रहती थी, टाइम पर मजदूरी नहीं खुलती थी, चारा नहीं मिलता था पशुओं को, पानी की व्यवस्था नहीं होती थी। आज नरेगा क्रांतिकारी फैसला हुआ उसमें आज इतनी राजनीति हो रही है वो आपके सामने है। इसलिए मैं कहना चाहूंगा कि जिस रूप में आपने कहा कि जो काम हम लोगों ने शुरु किए हैं, जो आपके सामने हैं तो उसमें से बकाया पेमेंट मजदूरों का ही होगा तो क्या होगा आप खुद देख सकते हैं। रिफाइनरी के लिए आपने बात करी। माननीय अध्यक्ष महोदय आपके माध्यम से मैं कहना चाहूंगा बहुत संक्षिप्त में, रिफाइनरी की मॉनिटरिंग हम लोग खुद कर रहे हैं। रिफाइनरी का हमने नहीं लिखा होगा अभिभाषण के अंदर, पर इसके मायने ये नहीं है कि हमारी प्रायोरिटी कुछ कम हुई हो। आज रिफाइनरी के अंदर भागीदारी 26 रही है, वो तो मैंने आपको बता दिया पर 20 हजार 372 करोड़ रुपए के वर्क ऑर्डर जारी हो चुके हैं, आपकी जानकारी के लिए 2 हजार 679 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। तो 44 हजार करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट है लगभग उसमें 20 हजार 372 करोड़ के वर्क ऑर्डर जारी हो चुके हैं, ये मैं कहना चाहता हूं आपको, इसलिए आप निश्चिंत रहें।

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