Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

नवनिर्मित महाविद्यालय भवनों का लोकार्पण समारोह

दिनांक
14/07/2021
स्थान
जयपुर


मुझे खुशी है कि आज एकसाथ में जिस प्रकार से 11 कॉलेजों के लोकार्पण और दो कॉलेजों के शिलान्यास का कार्यक्रम संभव हुआ, उसके लिए मैं तमाम साथियों को और इन क्षेत्र की जनता को बधाई देता हूं। कॉलेज का बनना और प्रारंभ होना एक क्षेत्र के लिए बहुत बड़ा संदेश जाता है और जिस मुल्क में शिक्षा के क्षेत्र में सबकुछ संभव हो, उसकी संभावनाएं अपार होती हैं आगे बढ़ने की। राजीव गांधी ने जो सपना देखा था 21st सेंचुरी का, तब भी उनका सपना था कि हम लोग डेवलपिंग कंट्री कहलाते हैं दुनिया के अंदर और विकसित राष्ट्र इतना आगे बढ़ चुके हैं, इतना बड़ा गैप है कि हमें इतनी मेहनत करनी चाहिए जिससे कि जब 21st सेंचुरी आए उस वक्त में हम लोग नई शताब्दी में कम से कम हम लोग भी पूरा प्रयास करके विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में कैसे पहुंचें और वो ही सपना देखा, इसलिए आज आप देख रहे हो कि किस प्रकार से कंप्यूटर क्रांति हुई, मोबाइल फोन आ गए, इंटरनेट की सेवाएं आ गईं और सबकुछ संभव हो गया। उसी प्रकार से पंडित नेहरू जब थे आजादी के वक्त में और ये ऐसा वक्त आया था कि आजादी जब मिली तो डॉक्टर्स, इंजीनियर्स, शिक्षक रिसर्चर्स सब चले गए अपने मुल्क में यूके के अंदर, तब जो सोच थी पंडित नेहरू की कि अगर हम अपने पैरों पर खड़े नहीं होंगे आने वाले वक्त में तो जो विकास का सपना देख रहे हैं देश के लिए और देश के नवनिर्माण के लिए, वो कभी भी पूरा नहीं हो सकता क्योंकि इंजीनियर्स, रिसर्चर्स, वैज्ञानिक, डॉक्टर्स, शिक्षक, प्रोफेसर्स को हमें खुद को तैयार करना पड़ेगा। इसीलिए उनकी दूरदृष्टि थी, उस वक्त में एम्स जैसी संस्थाएं बनीं, आईआईटी-आईआईएम-इसरो-भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर जैसी संस्थाओं का निर्माण उस वक्त में हो गया आजादी मिलते ही, शुरुआत कर दी गई उसकी, उसके परिणाम आज हम देख रहे हैं। आज ये श्रेष्ठ संस्थाएं कहलाती हैं जो उस जमाने के अंदर बनी, आज इनका जाल बिछ रहा है देश के अंदर, आईआईटी, राजस्थान जैसे प्रदेश के अंदर भी कभी सोचा भी नहीं था कि आज एम्स आ जाएगा, आईआईटी जोधपुर में, आईआईएम उदयपुर में, आईआईआईटी कोटा के अंदर और इतने विश्वविद्यालय आप सुन रहे हो बार-बार मंत्री जी से और साथियों से, कितने विश्वविद्यालय खुल गए अनेकों, चाहे मेडिकल की यूनिवर्सिटी हो, चाहे वो कॉलेज हों, चाहे कृषि विश्वविद्यालय हों, चाहे टेक्नीकल यूनिवर्सिटीज हों, लॉ यूनिवर्सिटीज हों और कई संस्थाएं आ गईं जिनका नाम सुनते थे, निफ्ट आ गई, एफटीटीआई आ गई। तो ये जो सभी सेक्टर्स में जो प्रगति हुई है उच्च शिक्षा के अंदर, राजस्थान भी उससे अछूता नहीं रहा है, उस रूप में हम लोगों ने तैयारी कर रखी है। इसी रूप में राजस्थान में एक के बाद एक संस्थाएं खुलती जा रही हैं, जब-जब सरकार आई है आपके आशीर्वाद से, हम लोगों ने शिक्षा के क्षेत्र में कमी नहीं रखी। पहले जब, 20 साल पहले जब मैं देख रहा था, जब पहली बार मुझे मौका मिला सेवा करने का प्रदेशवासियों की, तो मैंने देखा कि शिक्षा में हम लोग बहुत पिछड़े हुए हैं, महिला शिक्षा में और ज्यादा पिछड़े हुए हैं, एससी-एसटी के लोग और ज्यादा पिछड़े हुए हैं, आज 20 साल में वो स्थिति नहीं है, अगर आंकड़े उठाकर देखेंगे तो हम बहुत आगे बढ़ चुके हैं और इसीलिए इस बार जब सरकार बनी, तो अभी ठीक कह रहे थे हमारे साथी धारीवाल जी भी, 123 कॉलेज खोलना एकसाथ में, 123 कॉलेज दो बजट के अंदर और जो कॉलेज मांग की जिस हमारे साथी ने विधायक ने, उनको कॉलेज दे दी गई। कुछ साथियों ने कहा कि महिला कॉलेज की हमें आवश्यकता पड़ेगी, तो हमने महिला कॉलेज की भी घोषणा कर दी, बल्कि हमने ये नीतिगत घोषणा कर दी है कि जहां 500 लड़कियां पढ़ रही होंगी जिस स्कूल के अंदर, उसको कन्वर्ट कर देंगे कॉलेज के अंदर, ये घोषणा कर दी है अभी हमने और मुझे अभी-अभी मालूम पड़ा कि करीब 25 जगह से आंकड़े आ गए हैं कि हमारे यहां स्कूल में 500 से अधिक है, कहीं 700, कहीं 800 लड़कियां पढ़ रही हैं, इसके मायने हैं कि हमें वहां पर भी प्रोसेस करके कॉलेज खोलनी पड़ेंगी। तो ये आप सोच सकते हैं कि किस प्रकार का सपना जो हम सब देख चुके हैं कि शिक्षा जगत में हम लोग पीछे नहीं रहें और गर्ल्स एजुकेशन में भी आगे आना बहुत आवश्यक है सबसे। राजीव गांधी ने जो अमेंडमेंट किए थे 73-74, अवसर मिले मेयर बनने के, प्रमुख-प्रधान बनने के, महिलाओं को गांवों में सरपंच बनने के, कौन सरपंच बनाने देता था गावों में महिलाओं को? आप सोच सकते हैं, आपको मालूम है, कभी नंबर आता ही नहीं था, न एससी, न एसटी, न ओबीसी, न महिलाओं का। आज गांवों में और शहरों में जो सरपंच और पार्षद और बन रहे हैं जो कुछ भी, वो आप देखते हैं कि किस रूप में उनको अवसर मिले हैं, साथ में शिक्षा का होना भी बहुत आवश्यक है और वो सपना मैं समझता हूं कि जो देखा है कि हर ब्लॉक में कॉलेज कैसे बने, ये भी नीतिगत फैसला है कि धीरे-धीरे हम चाहेंगे कि हर ब्लॉक में एक कॉलेज बन जाए, छात्रों को दूर नहीं जाना पड़े। कई तो गांवों में लड़कियों को भेजते ही नहीं हैं दूर शहरों के अंदर परिवारवाले और नहीं भेजने के चक्कर में वो अनपढ़ रह जाती हैं, उनके लिए सुविधाएं मिल जाएंगी, जहां 500 बच्चियां होंगी वहां हम कॉलेज खोल देंगे। इस प्रकार से मैं समझता हूं कि जो एक राजस्थान में माहौल बन चुका है, उसको लगातार आगे कन्टीन्यू करने की आवश्यकता है। अब मेडिकल कॉलेज हैं, इक्का-दुक्का कोई जयपुर में, जोधपुर में दो-तीन-चार मेडिकल कॉलेज, उदयपुर में, बीकानेर में, अजमेर में, कोटा में हुआ करती थीं, आज हम 33 जिलों में मेडिकल कॉलेज खोल रहे हैं, 30 जिलों में तो सेंशन हो गई है भारत सरकार से भी और काम शुरू भी हो गया है कई मेडिकल कॉलेजों का, हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज होना आप सोच सकते हैं, आने वाले वक्त में जहां मेडिकल कॉलेज खुल जाती है, उसके बाद में वहां जो प्रतिभाएं निकलती हैं तो डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल्स, सीएचसी-पीएचसी- ट्रॉमा सेंटर, सब सेंटर तक आराम हो जाता है और जहां पर मेडिकल कॉलेज होती हैं वहां पर उसका जो मेन अस्पताल होता है वहां पर सब तरह की फैसेलिटीज होती हैं। तो कितना बड़ा लाभ उस जिले के लोगों को मिलेगा, उसकी कल्पना नहीं कर सकते। कहां तो वो संभागीय मुख्यालय पर जाता है आदमी, तकलीफ पाता है, अगर जिले में ही उसको सारी स्पेशलाइज्ड सुविधाएं मिल जाएंगी, इस प्रकार की सोच के साथ में हम आगे बढ़ रहे हैं। अभी मेरे साथियों ने, भंवरसिंह भाटी जी ने सब बातें बता दीं आपको कि किस प्रकार से स्टाफ की और गेस्ट फैकल्टी की जरूरत होगी तो वो हमने छूट दे दी है, किस प्रकार से हम लोग कोचिंग में जो बच्चे हैं, जो साधन संपन्न नहीं हैं उनको 75 हजार रुपए प्रतिवर्ष मिलेंगे कोचिंग करने के लिए, जो अच्छी प्रेस्टीजियस कॉलेज हैं उनमें एडमिशन के लिए। धारीवाल जी कह रहे थे कि कोटा में तो कोचिंग का जाल बिछा हुआ है, बिलकुल ठीक कहा है, कोटा का नाम पूरे देश के गांव-गांव तक पहुंच चुका है कि राजस्थान में कोटा एक नगरी है जहां पर कोचिंग क्लासेज के माध्यम से जो बच्चे निकलते हैं, उनकी संभावना बहुत अधिक है, तो आप देखते हैं कि लाखों बच्चे वहां पर हॉस्टलों में रह रहे हैं और जो उन्होंने सुझाव दिया है कि कोविड के अंदर किस प्रकार से प्रारंभ करें, वो फैसला भी हम जल्द ही करने का प्रयास करेंगे। तो ये जो स्थिति मैं आपको बता रहा था, ये माहौल अब बन चुका है राजस्थान के अंदर और हमें इस माहौल को बनाए रखना है सबके सहयोग से और जनजागरण भी करना पड़ेगा जिससे कि विद्या का महत्व लोग समझ सकें। जमाना बदल गया है अब तो वो ही जाति, वो ही वर्ग आगे बढ़ेगा जिसमें शिक्षा ज्यादा होगी। आज जो मैंने कहा आपको कि आज तकनीकी का जमाना आ गया है, इंटरनेट और ईमेल की सेवाएं मिलने लग गई हैं, दुनिया मुट्ठी में हो गई है, आपके मोबाइल फोन में पूरी दुनिया की जानकारी आप ले सकते हो गूगल से, कहां हम पहुंच गए हैं, उस जमाने के अंदर शिक्षा नहीं होगी वो समाज कभी आगे नहीं बढ़ सकता। तो हम सबका नैतिक कर्त्तव्य भी है और विशेष रूप से चाहे वो ब्यूरोक्रेसी हो और चाहे वो जनप्रतिनिधि हों क्योंकि जरूरत ही यह है कि हम समाज को कैसे मैसेज दें, जिससे कि अधिक से अधिक समाज के लोग शिक्षा से जुड़ें, कोई बालक-बालिका शिक्षा से वंचित नहीं रहे, ये माहौल बनाकर हम आगे बढ़ सकते हैं और मैं उम्मीद करता हूं कि उस दिशा में हम लगातार आगे बढ़ते जा रहे हैं, विश्वविद्यालय हमने यहां पर डॉ. अंबेडकर के नाम से भी खोला है, पत्रकारिता के लिए अलग से विश्वविद्यालय चल रहा है और स्किल डेवलपमेंट का अलग से विश्वविद्यालय है।

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