पण्डित जवाहरलाल नेहरू जी की पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि कार्यक्रम
दिनांक
27/05/2022 |
स्थान
रामनिवास बाग जयपुर
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पंडित नेहरू जी का जो विजन था, वो दूरदृष्टा थे, आज जो आधुनिक भारत है, उसमें उनके विजन का बहुत बड़ा योगदान है, उन्होंने आजादी के बाद से ही वो निर्णय किए जो आज सबके सामने हैं, चाहे वो साइंस से संबंधित हों, कृषि से संबंधित हों, हेल्थ से संबंधित हों, स्वास्थ्य से संबंधित हों, हर क्षेत्र में उन्होंने बड़े-बड़े बांध, बड़े-बड़े कल-कारखाने, बड़ी-बड़ी साइंटिफिक संस्थाएं बनाईं, एम्स जैसी इंस्टीट्यूट बनाई, प्लानिंग कमीशन बनाया, दुनिया में उनका एक अलग तरह का ऑरा था, सम्मान था पूरे मुल्क के, दुनिया के अंदर। पंचशील के सिद्धांत वो लेकर आए, तो वो बहुत बड़े मानवतावादी थे जिन्होंने 10-12 साल तो जेल में बिताए हैं उस जमाने के अंदर, आजादी की जंग के अंदर और प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में उनका योगदान कोई भूल नहीं सकता है। जरूरत इस बात की है उनकी जो सोच थी, वो वर्तमान नई पीढ़ी तक पहुंचे, जिसकी कमी महसूस की जा रही है, उसमें हम सबकी गलती है। जिस रूप में लगातार उनके विजन को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का काम करना चाहिए था, वो हम नहीं कर पाए, उससे कई बार भटकाव भी होता है। जेल में रहकर जो उन्होंने जो पुस्तकें लिखी हैं या जेल के बाहर जो लिखी हैं, विश्व इतिहास की झलक, भारत एक खोज, ये आज भी मौजूं है और जो विद्वान लोग हैं, साहित्यकार हैं, पत्रकार हैं, उनके जेहन में आज भी वो बातें हैं जो उसमें लिखी हुई हैं, उनके टीवी सीरियल बने हैं, पूरे मुल्क ने देखा भी है, कोई जमाना था। इसलिए वो महान हस्ती का जब दिन आता है, चाहे जन्मदिवस हो, तो बाल दिवस के रूप में क्यों मनाते हैं, आजादी के बाद से ही उनके जन्मदिवस को बाल दिवस के रूप में मनाया जा रहा है, पुण्यतिथि पर लोग याद करते है, उनके विजन को। इसलिए आज जब हम आते हैं तो मन में संकल्प लेते हैं कि कैसे जो उन्होंने शांति का, भाईचारे का, प्यार का, मोहब्बत का जो संदेश दिया था देशवासियों को, उस पर हम लोग आगे बढ़ें, देश में प्रदेश में सभी धर्म, सभी जाति, सभी वर्ग और सभी कार्यकर्ता राजनीतिक हों, सामाजिक हों, सब मिलकर प्यार से, भाईचारे से रहें और शांति कायम रहे, ये हमारा संकल्प होता है हमेशा।
सवाल- मौजूदा समय में आपका कहना है कि नेहरू के योगदान को भुलाया जा रहा है, जो उन्होंने नवभारत निर्माण की नींव रखी थी, उसको भुलाया जा रहा है?
जवाब- दुर्भाग्य से जो आज सरकार में बैठे हुए लोग हैं, उन्होंने जिस प्रकार से राहुल गांधी जी की छवि को डैमेज करने का षड्यंत्र किया सोशल मीडिया के माध्यम से, इसी प्रकार पंडित नेहरू की छवि को भी डैमेज करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, ऐसी हरकतों की हमने कल्पना भी नहीं की थी कि इस मुल्क के सामने ऐसी शक्तियां भी आएंगी कभी शासन के अंदर जो इस तरह की हरकतें भी कर सकती हैं कि सोशल मीडया का उपयोग होना तो अलग बात है, ये सोशल मीडिया लेकर ही राजीव गांधी जी आए थे और आज देखिए आप पंडित नेहरू के बारे में जो निम्न स्तर की बातें की गईं इसके माध्यम से, तो आप सोच सकते हो कि ये नई पीढ़ी को क्या प्रेरणा देंगे? इस प्रकार की हरकतें अगर होती हैं, सोशल मीडिया का दुरुपयोग करोड़ों-अरबों रुपए खर्च करके किया जा रहा है, टीमें बैठी हुई हैं पूरे देश के अंदर, कमेंट्स आते हैं, हम लोग कोई भी पोस्ट करेंगे तो ऐसे-ऐसे कमेंट्स आएंगे कि उनको पढ़कर भी क्या करें, कुछ पढ़कर अगर भला होता हो देश का, प्रदेश का या प्रदेशवासियों का, तो अच्छा लगता है अच्छे कमेंट्स के बारे में, पर इतने निम्न स्तर के कमेंट्स आते हैं और षड्यंत्र करके राहुल गांधी जी को भी और पंडित नेहरू जी को तो आप सबको मालूम है कि क्या-क्या नहीं कहा उनके बारे में। इलाहाबाद का जो आनंद भवन है, जहां पर बैठकर गांधी जी और सब लोगों ने आंदोलन चलाया था देश का फ्रीडम मूवमेंट का, मोतीलाल नेहरू का क्या बड़ा योगदान था उस जमाने में, जो सबसे बड़े वकील माने जाते थे देश के, क्या-क्या उन्होंने नहीं किया त्याग व बलिदान पूरे खानदान ने, आज उसके ऊपर अटैक हो रहा है, तो आप राजनीतिक अटैक करो, विचारधारा के आधार पर अटैक करो हमें कोई दिक्कत नहीं है, वो तो करना पड़ता है हर एक को भी, परंतु आप अगर व्यक्तिगत आक्षेप लगाओ, व्यक्तिगत जीवन के ऊपर अगर आप षड्यंत्र करके डैमेज करो, ये मैं समझता हूं कि ये शोभा नहीं देता है किसी भी पार्टी को, किसी भी नेता को, मेरा मानना है।
सवाल- मंत्री अशोक चांदना का एक ट्वीट आया है कि ब्यूरोक्रेसी जो है वो काम नहीं करने दे रही है..
जवाब- मुझे लगता है कि अभी अशोक चांदना जी ने जो पिछली बार जो किया था स्टेट लेवल का प्रोग्राम बहुत बड़ा प्रोग्राम था, शानदार प्रोग्राम था वो स्टेट स्पोर्ट्स का, उसी प्रकार से अब एक प्रोग्राम बहुत बड़ा होने जा रहा है ग्रामीण ओलंपिक, हिंदुस्तान में पहली बार राजस्थान में जो बजट घोषणाएं हैं, बजट घोषणा को करने का जो अभियान चल रहा है, वो इतिहास बनाएगा, करीब 30 लाख से ज्यादा लोग गांव-गांव में खेलेंगे, चाहे कबड्डी हो, वॉलीबॉल हो, जो भी खो-खो हो, तो इतना बड़ा भार उनके ऊपर आया हुआ है, हो सकता है कि वो टेंशन में आ गए हो, कोई कमेंट कर दिया हो, ज्यादा उसको गंभीरता से नहीं लेना चाहिए, उनसे बातचीत करेंगे, अभी पता नहीं, अभी मेरी बातचीत भी उनसे नहीं हुई है, होगी तो देख लेंगे, वो दबाव में काम कर रहे दिखते है, इतनी बड़ी जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई है, जब बात होगी तो देख लेंगे।