Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

चहुँमुखी विकास के साथ सामाजिक सुरक्षा योजना एवं वित्तीय प्रबंधन की सराहना विकास खर्च में राजस्थान कई राज्यों से आगे


जयपुर, 26 जुलाई। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में शानदार वित्तीय प्रबंधन के परिणाम स्वरूप जहां प्रदेश में चहुँमुखी विकास की गंगा बह रही है वहां सामाजिक सुरक्षा की अनेक योजनाओं की राष्ट्रीय स्तर पर सराहना हो रही है। इसके साथ ही वित्त प्रबन्धन को लेकर तो नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के विश्लेषण में राजस्थान को ऋण स्थिरीकरण वाला राज्य मानते हुए कर एवं कर भिन्न राजस्व में प्रदेश की स्वस्थ वृद्धि को राजकोषीय समेकन की ओर वापसी बताया गया है।

प्रदेश में वित्तीय प्रबन्धन का ही परिणाम है कि राजस्व आधिक्य की निरंतरता बनी रहने के साथ राजकोषीय घाटे, ब्याज अदायगी और ऋण भार को निर्धारित मापदंडों में रखा गया है। राजस्थान में अनेक वित्तीय मानकों में श्रेष्ठ प्रदर्शन का परिणाम है कि गत चार वर्षों के दौरान अर्जित उपलब्धियों को विभिन्न स्तरों पर सराहा जा रहा है।

राज्य सरकार के श्रेष्ठ वित्तीय प्रबन्धन के फलस्वरूप राज्य लगातार चौथे वर्ष भी राजस्व आधिक्य में रहा। वर्ष 2013-14 में 1026 करोड़ रुपये का राजस्व आधिक्य अनुमानित है। सकल राज्य घरेलू उत्पाद की तुलना में राजकोषीय घाटा 2.48 अनुमानित है, जो तेरहवें वित्त आयोग एवं एफ.आर.बी.एम. एक्ट की निर्धारित सीमा 3 प्रतिशत से कम है।

यही नहीं राजस्व प्राप्तियों की तुलना में ब्याज अदायगी का प्रतिशत मात्र 12 है। सकल राज्य घरेलू उत्पाद की तुलना में कुल ऋण भार 25 प्रतिशत है, जो कि तेरहवें वित्त आयोग की अधिकतम सीमा 37.3 प्रतिशत से काफी कम है।

राज्य में योजनागत विकास के प्रति सरकार की संवेदनशीलता एवं प्रतिबद्धता इसी बात से स्पष्ट हो रही है कि गत चार वर्षों में आयोजना व्यय में निरंतर वृद्धि हो रही है। वित्तीय वर्ष 2009-10 में 17 हजार 448 करोड़, वर्ष 2010-11 में 20 हजार 863 करोड़, वर्ष 2011-12 में 25 हजार 43 करोड़ तथा वर्ष 2012-13 में 32 हजार 611 करोड़ रुपये व्यय हुए। इस प्रकार गत चार वर्षों में 95 हजार 965 करोड़ रुपये विभिन्न विकास कार्यों पर खर्च हुए।

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने प्रतिवेदन वर्ष 2011-12 में सामान्य श्रेणी के राज्यों के मुकाबले मानव विकास स्तर को बढ़ाने के उद्देश्य से समग्र विकासात्मक व्यय, सामाजिक, शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में राजस्थान के व्यय को अधिक माना है। वर्ष 2011-12 में सामान्य श्रेणी के राज्यों का समग्र व्यय 16.09, विकासात्मक व्यय 66.44, सामाजिक क्षेत्र व्यय 36.57, शिक्षा व्यय 17.18 तथा स्वास्थ्य क्षेत्र व्यय 4.30 प्रतिशत रहा, वहां राजस्थान में यह क्रमशः 16.80, 69, 38.75, 18.90, तथा 5.45 प्रतिशत रहा। प्रतिवेदन में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि राज्य में गत चार वर्षों के दौरान लोक व्यय की पर्याप्तता रही।

प्रतिवेदन के अनुसार कर राजस्व, कर भिन्न राजस्व एवं सकल राज्य घरेलू उत्पाद के मामले में तेरहवें वित्त आयोग तथा राज्य सरकार द्वारा मध्यमकालिक राज वित्तीय नीति विवरण में किये गये अनुमानों की तुलना में वास्तविक उपलब्धियां अधिक रही। कर राजस्व व कर-भिन्न राजस्व तेरहवें वित्त आयोग द्वारा किये गये मानकी आंकलनों से क्रमशः 14.4 एवं 61.8 प्रतिशत तथा एम.टी.एफ.पी.एस. के आंकलनों से क्रमशः 18.9 एवं 42.5 प्रतिशत अधिक रहा है।

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के प्रतिवेदन में प्रतिबद्ध व्यय शीर्षक में ब्याज अदायगी को भी आंकलनों की तुलना में कम माना है, वहां ऋण के टिकाऊपन की दृष्टि से राजस्थान को ऋण स्थिरीकरण की ओर से अग्रसर राज्य माना है। प्रतिवेदन के निष्कर्ष के अनुसार कर एवं कर भिन्न राजस्व में प्रदेश ने स्वस्थ वृद्धि दिखाकर राजकोषीय समेकन की ओर वापसी प्रदर्शित की है।

इसी तरह भारतीय रिजर्व बैंक के प्रतिवेदनों में भी राज्य के वित्तीय प्रबंधन को सराहा गया है। रिजर्व बैंक की राज्यों के बजट के सम्बंध में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2011-12 के संशोधित अनुमानों में इस अनुपात में सुधार करने वाले राज्यों में राजस्थान दूसरे स्थान पर रहा है। इसी प्रकार वर्ष 2012-13 की रिपोर्ट में 17 राज्यों के तुलनात्मक आंकडों के विश्लेषण के बाद सफल राज्य घरेलु उत्पाद की तुलना में राजकोषीय घाटे की दृष्टि से राजस्थान को तीसरे स्थान पर रखा गया है।
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