श्री अशोक गहलोत 01/12/1998 से 08/12/2003 एवं 13/12/2008 से 13/12/2013 तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे ।
उनका यह कार्यकाल अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धियों के अलावा अभूतपूर्व सूखा प्रबन्धन, विद्युत उत्पादन, संसाधनों का विकास,
रोजगार सृजन, औद्योगिक और पर्यटन विकास, कुशल वित्तीय प्रबन्धन और सुशासन के लिए जाना जाता है ।
मुख्यमंत्री के रूप में श्री गहलोत के पहले कार्यकाल के दौरान राजस्थान में इस सदी का भयंकार अकाल पड़ा ।
उन्होंने अत्यन्त ही प्रभावी और कुशल ढ़ंग से अकाल प्रबन्धन का कार्य किया ।
उस समय अकाल प्रभावित लोगों के पास इतना अनाज पहुंचाया गया था जितना अनाज ये लोग शायद अपनी फसलों से भी प्राप्त नहीं कर सकते थे ।
प्रतिपक्ष भी खाद्यान्न और चारे की अनुपलब्धता के सम्बन्ध में सरकार की तरफ अंगुली तक नहीं उठा सके क्योंकि श्री गहलोत ने
व्यक्तिगत रूप से अकाल राहत कार्यों की मॉनिटरिंग की थी । श्री गहलोत को गरीब की पीड़ा और उसके दुरूख दर्द की अनुभूति करने वाले राजनेता के रूप में जाना जाता है ।
मुख्यमंत्री के दूसरे कार्यकाल के दौरान पचपदरा बाड़मेर में रिफाइनरी, जयपुर मैट्रो रेल,
सूरतगढ़ में सुपर थर्मल पावर स्टेशन की दो इकाइयॉ, बाड़मेर लिफ्ट परियोजना, रतलाम से डूंगरपूर वाया बांसवाडा 188 कि.मी. रेल लाईन का निर्माण,
बाड़मेर जिले के नागाणा गांव में मंगला टर्मिनल से पाईप लाईन आदि मेगा प्रोजेक्टस प्रारम्भ किये गये। मुख्यमंत्री निरूशुल्क दवा योजना,
मुख्यमंत्री निःशुल्क जाँच योजना, वृद्धावस्था तथा एकलनारी (विधवा/परित्यक्ता/तलाकशुदा) पेंशन योजना, राजस्थान जननी शिशु सुरक्षा,
सुनवाई का अधिकार अधिनियम, मुख्यमंत्री ग्रामीण बी.पी.एल. आवास योजना ,राजस्थान लोक सेवाओं के प्रदान की गारन्टी अधिनियम ,
वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा योजना, उद्योगों के लिए एकल खिड़की योजना,मुख्यमंत्री पशुधन निरूशुल्क दवा योजना एवं अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं को प्रारम्भ किया।
जयपुर व जोधपुर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की। जोधपुर में IIT एवं NIFT
उदयपुर में IIM और बीकानेर में पशुधन विष्वविद्यालय की स्थापना की।
उन्होंने 'पानी बचाओ, बिजली बचाओ, सबको पढ़ाओ, वृक्ष लगाओ, बेटी बचाओ' का नारा दिया जिसे राज्य की जनता ने पूर्ण मनोयोग से अंगीकार किया ।
श्री गहलोत ने 17 दिसम्बर, 2018 को तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण किया।