पूर्व उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के मुद्दे और देश में वर्तमान राजनीतिक हालात पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में :
दिनांक
23/07/2025 |
स्थान
जयपुर
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देखिए कांग्रेस का स्टैंड बिल्कुल क्लियर है इसके अंदर क्योंकि अभी उस पर डिबेट भी चलती है कि कांग्रेस पहले तो अविश्वास प्रस्ताव भी ले कर आई थी उनके खिलाफ में, शिकायत भी थी कांग्रेस को हाउस के अंदर भी हाउस के बाहर भी, और अब कांग्रेस नेता और प्रवक्ता कहते हैं कि प्राइम मिनिस्टर मोदी जी को समझाया चाहिए उनको, मनाना चाहिए, इस्तीफा दबाव नहीं डालें, यह बहस छिड़ रही है, मैं इस राय का हूं कि कांग्रेस पहले भी ठीक थी, सही वर्जन था उनका, हर जगह, पार्लियामेंट हो, राज्यसभा हो, लोकसभा हो, असेंबली हो , जो चेयर करता है स्पीकर के रूप में या चेयरमैन के रूप में हमेशा विपक्ष को उनसे शिकायत रहती ही रहती है क्योंकि विपक्ष चाहता है भई हमें ज्यादा टाइम मिले हम अपनी बात कह सकें, स्वीकार की चेयरमैन की मजबूरी भी होती है, कई लोग बायस्ड भी हो जाते हैं इसलिए कहते हैं स्पीकर बनने के बाद में उसका किसी पार्टी से ताल्लुक नहीं रहता है, इसलिए ये धारणा है, धारणा क्या है हकीकत होनी चाहिए पर फिर भी लोग टिल्ट रहते हैं थोड़े बहुत वो हम देखते हैं कि स्पीकर बनने के बाद में भी कई लोग जो हैं झुकाव रहता है अपनी पार्टी के प्रति, नहीं रहना चाहिए वैसे तो, नहीं रहना चाहिए, हमारे यहां सीपी जोशी जी थे, मदेरणा साहब थे, आप पता कर लीजिए मदेरणा साहब के वक्त में इतना निष्पक्ष हो के हाउस चलाया, तो होता है, कई लोग थोड़ा बहुत टिल्ट हो जाते हैं। अब मैं आपको कहना चाहूंगा, अब जो कांग्रेस कह रही है, कि भई मोदी जी को मनाना चाहिए, मनाना चाहिए था, अब तक तो बात खत्म हो गई, या मतलब उनके अच्छे कामों के बारे में ही चर्चा हो रही है, तो मैं कहना चाहूंगा कि कांग्रेस की शिकायत ये है उस वक्त तो ये सभापति थे,हम विपक्ष में थे तो अपनी बात कहते थे, उनके बारे में राय रखते थे, अब जिस प्रकार से उनका इस्तीफा हुआ है उसको लेके कांग्रेस को शिकायत है, ये संवैधानिक पद होते हैं राष्ट्रपति के, उप राष्ट्रपति के, प्रधानमंत्री के, लोकसभा के स्पीकर के, राज्यसभा के चेयरमैन के, ये संवैधानिक पद हैं, इसकी एक अलग गरिमा है संवैधानिक पदों की, जिस रूप में व्यवहार करके, हम तो ये मानते हैं कि उनका स्वास्थ्य ठीक है, मेरी धारणा ये है, स्वास्थ्य ठीक है, कभी वो खुद बोलेंगे तो बताएंगे आपको, मेरी दृष्टि में स्वास्थ्य ठीक था, दिन भर उन्होंने काम भी किया,अचानक क्या हुआ कि शाम को इस्तीफा हो गया, अचानक क्या हुआ? और पूरा देश चौकन्ना हो गया, चौंक गया ये क्या हुआ, ये नौबत क्यों आई ? उपराष्ट्रपति का पद जो है उसकी गरिमा है और तरीके से आप बात करते, जो भी करते, रास्ता अपनाते आप, पता नहीं वो धनखड़ साहब रहना चाहते थे कि नहीं रहना चाहते थे या रखना चाहते थे कि नहीं रखना चाहते थे बीजेपी या उनके हाईकमान।