पीसीसी मुख्यालय पर मीडिया से बातचीत
दिनांक
13/09/2025 |
स्थान
जयपुर
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पीसीसी मुख्यालय पर मीडिया से बातचीत
'वोट चोर गद्दी छोड़ ' हर गांव तक बात पहुंच गई, हर गांव तक बात पहुंच गई कि भई वोटों की चोरी हो रही है इसलिए चुनाव जीते जा रहे हैं, ये बहुत खतरनाक है, डेमोक्रेसी के लिए खतरनाक है, डेमोक्रेसी में सबसे पहला काम होता है चुनाव आयोग का वो निष्पक्ष चुनाव करवाए ,कोई पार्टी जीते कोई उम्मीदवार जीते अलग बात है, फिर जिस प्रकार का व्यवहार किया गया, राहुल गांधी जी ने एक क्वेश्चन रेज़ किया कि भई आप हमें मशीन रीडेबल दे नहीं रहे हो आप वर्ना हम फटाफट इस काम को कर सकते थे तो आप जो है हमें मजबूरी में छह महीने लगे, छह महीने में हमने नतीजे पर पहुंचे हम लोग, लगभग एक लाख फर्जी वोट निकले अगर इलेक्शन कमीशन जांच करवा देता उस वक्त, इलेक्शन कमीशन जांच करवा देता उस वक्त तो उसमें कितने वोट कहां गड़बड़ हुई कहां नहीं हुई स्पष्ट हो जाता, और कायदा ये होता आजतक आजादी के वक्त में जब आपको मालूम है हिंदुस्तान पाकिस्तान बना था तब कितने लोग हिन्दुस्तान आए होंगे कितने लोग पाकिस्तान गए होंगे तब भी इलेक्शन कमीशन ने चुनाव करवा दिए जबकि शिक्षा नहीं थी वक्त में, लोग चिन्ह को नहीं समझते थे पढ़ नहीं सकते उस से लगाकर आज तक का इतिहास है,चुनाव लगातार हो रहे हैं, चुनाव आयोग के जो चेयरमैन हैं न और उनके जो मेंबर हैं उनकी गलतियों से उनके व्यवहार से ये स्थिति बनी है देश के अंदर और ये इतना सीरियस प्वाइंट बन गया ,पहले शक था ईवीएम पर देशवासियों को क्योंकि अब अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी जापान सब जगह वोट बैलेट से होता है, पहले वहां भी मशीनें थी वो शक था ही पहले से ही, सुप्रीम कोर्ट तक लोग गए तो उन्होंने कहा वीवीपेट लगा दो, ये चल रहा था अब ये जो नया जो सर्वे हुआ है इधर आप दो महीने पहले चुनाव के आप एसआईआर करवा रहे हो ये डेढ़ साल पहले होता अगर आपको इंटेंसिव ये करना था आपको ये सर्वे वोटर लिस्ट का कम से कम एक डेढ़ साल पहले शुरू होता इतना बड़ा काम ये है, आपने दो महीने पहले डेढ़ महीने पहले ये शुरू कर दिया असंभव है कोई गलती बताए भी, उसकी अपील भी होती है, प्रोसेस पूरा होता है उसमें आप वो काम कर नहीं सकते,कब तो अपील करोगे, कब क्या करोगे कुछ पता नहीं पड़ता है ऐसी स्थिति में चलता है तो ऐसी स्थिति जब हम लोग इश्यू प्रारंभ हुआ है तो उसके अंदर तमाम तरह की गड़बड़ियां पैदा हुईं शक शुभा पैदा हुआ पूरे देश के अंदर और पता नहीं एसआईआर में क्या क्या करेंगे 65 लाख वोट काट दिए हैं कब तो उनकी अपील हो, कब अपील में सुनवाई हो तो डेढ़ महीने पहले चुनाव में एसआईआर करवाते हैं क्या , ये बेवकूफियों से सब कुछ हो रहा है इसलिए राहुल गांधी जी ने खड़गे साहब ने कहा है प्रदेश कांग्रेस कमेटियों को आप तमाम लोगों से मीटिंग करो और आप सबसे साइन करवाओ कि वोट की चोरी किस प्रकार हो रही है और अगर वोट की चोरी होगी निष्पक्ष चुनाव कभी हो नहीं पाएंगे , निष्पक्ष चुनाव नहीं होंगे तो डेमोक्रेसी को खतरा है देश के अंदर मुख्य बात ये है और डेमोक्रेसी को बचाना हर नागरिक का अधिकार है क्योंकि अधिकार नहीं है कर्तव्य है, अगर वोट चोरी नहीं रुकी निष्पक्ष चुनाव नहीं हुए चुनाव आयोग के तो आप बताइए वोट का अधिकार चला जाएगा। आम आदमी की जिम्मेदारी है अपने वोट के अधिकार को बचाने के लिए इस अभियान में हिस्सेदारी करे और वोट चोरी जो एक कैंपेन चल रहा है वो कामयाब करे।
जासूसी के मसले पर :
ये बहुत सीरियस मामला है उसमें जूली साहब अगर गए भी हैं राज्यपाल के पास में आप बताइए दो कैमरा एक्स्ट्रा लगा दिए और उसका जो कंट्रोल सिस्टम है वो स्पीकर साहब ने अपने चैंबर में रखा है, खाली वो खुद देख सकते हैं या उनका प्राइवेट सेक्रेटरी देख सकता है,ये तो बहुत बड़ा क्राइम किया गया है इसको तो जांच होनी चाहिए इसकी तो, आप को क्या अधिकार है कि आप ,दो कैमरे लगे हुए थे पहले से ही, राज्यसभा में, लोकसभा में असेंबली में लगते हैं और पूरा देश देखता है जब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से या जब डिबेट होती है यूट्यूब के माध्यम से सब देख सकते हैं कौन क्या बोल रहा है पर आप अलग कैमरा लगा दो विपक्ष की तरफ, क्या बात कर रहे हैं वो आपस के अंदर, क्या नहीं कर रहे हैं और पूरा स्पीकर के पास में खबर पहुंचती जाए, डोटासरा वाला मामला था यही तो था, हाउस एडजर्न था उस वक्त में, आप इनफॉर्मल कई बार बात करते हैं जुमला बोल देते हैं ये क्या कांग्रेस वाले क्या बीजेपी वाले बोल देते हैं तो क्या आप उन जुमलों को ले के जो हाउस में प्रोसेसिंग में बोला नहीं गया है तब भी आप उसको ले के आप ऐसे कमेंट करवा दो डोटासरा जी पर, ये तो एमएलए बनने लायक ही नहीं है , ये क्या अधिकार है स्पीकर का किसी माननीय सदस्य को कहे तुम माननीय सदस्य बनने लायक नहीं हो, उनकी एब्सेंस में वो भी, एब्सेंस में, ऐसा नहीं है सबके सामने कहा हो वो बात नहीं है पर आपने डिबेट करवा दी कोई कह रहा है पाँच साल के लिए निकाल दो कोई कह रहा है 4 साल के लिए निकाल दो ये जो माहौल बनाया हाउस के अंदर मैं समझता हूं उचित नहीं है इनको सोचना चाहिए था अब जो ये इनकी जांच होनी चाहिए गवर्नर के पास गए ये लोग , गवर्नर को जांच करानी चाहिए, हाउस को चाहिए कि वास्तव में कैमरे क्यों लगे है?
कैमरे का पेमेंट किसने किया?
क्या हुआ तमाम बातें आ चुकी हैं।