मीडिया से बातचीत
                                                                            
                                                                            
                                                                            
                                                                                
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 | स्थान जयपुर
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                                                                        पूर्व मंत्री श्री भरत सिंह जी के स्वास्थ्य को लेकर पूछे प्रश्न के जवाब में :
                                                                                                         देखिए भरत सिंह जी की तबियत में काफी इंप्रूवमेंट भी है, पिछली बार जब मैं आया था उससे बहुत अच्छा इंप्रूवमेंट है पर क्योंकि उनका हार्ट वीक भी है लंग्स में इन्फेक्शन भी है तो बायोप्सी होने में देरी हो रही है, बाकी तो वो पिछली बार से इंप्रूवमेंट है और उनको लिया गया है उस पे वेंटीलेटर पर तो ये प्रयास कर रहे हैं कि वेंटीलेटर हटे कैसे वापस डॉक्टर्स लोग उसमें लगे हुए हैं। 
अच्छी बात ये है कि उनके परिवार के लोगों ने भी कहा और मैंने भी महसूस किया कि डॉक्टर्स की टीम लगी हुई है वो टीम बकायदा मॉनिटरिंग ढंग से कर रही है और सब संतुष्ट हैं परिवार के लोग भी। ये स्थिति बनी है तो उम्मीद करते हैं कि अगर इंप्रूवमेंट इसी प्रकार आगे बढ़ा तो फिर वो जो बायोप्सी होनी बाकी है वो भी हो जाएगी और आगे का ट्रीमेंट भी अच्छा होगा।
बच्चों के खांसी के सिरप पीने से मृत्यु मामले को लेकर पूछे प्रश्न का जवाब :
देखिए ये तो सरकार पता नहीं क्या कारण है कि इतने दिन से हम सुन रहे हैं बच्चों की डेथ हो रही है या जगह जगह पर ये प्रोब्लेम आ रही है अलवर में, भरतपुर में, पता नहीं कहां कहां पर, सीकर में भी, जब मालूम है कि राजस्थान का नाम पूरे देश के अंदर मेडिकल को लेके स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर के आज नंबर 1 पर है, पूरे देश के हर राज्य में चर्चा होती है कि राजस्थान सरकार जो पहले थी कांग्रेस की तब पच्चीस लाख का इंश्योरेंस था वो और दवाएं फ्री, सीटी स्कैन फ्री,एमआरआई फ्री, ऑपरेशन फ्री ये कहीं हिन्दुस्तान में नहीं है कहीं पर, दुनिया में भी नहीं होगा, ये स्थिति राजस्थान सरकार ने बनाई थी तब अभिनव प्रयोग कर के, मैं तो बार बार मांग करता हूं कि भारत सरकार को हमारे प्रयोग को उसका विश्लेषण करना चाहिए उसको एग्जामिन करना चाहिए कि भई किस प्रकार हमनें इसको लागू किया क्योंकि लोगों को विश्वास नहीं होता कि पच्चीस लाख का बीमा हो सकता है क्या, ऑपरेशन फ्री हो सकते हैं क्या, एमआरआई फ्री हो सकती है क्या, सीटी स्कैन फ्री हो सकती है क्या, ब्लड टेस्ट फ्री हो सकते हैं क्या, लोगों को विश्वास नहीं होता बाकी राज्यों के अंदर कैसे हुआ होगा। 
मेरी मांग है केंद्र सरकार से भी अन्य राज्यों से भी, कई राज्य के लोग तो आके देख कर गए होंगे, कि इसका पूरा जो है विश्लेषण करे राजस्थान सरकार की योजनाओं का, कम से कम स्वास्थ्य योजनाओं का जिससे कि वहां के लोगों का भी भला हो, और ये संभव है, पच्चीस लाख का बीमा भी संभव है फ्री इलाज संभव है, ऑपरेशन फ्री है सारे टेस्ट फ्री हैं सीटी स्कैन फ्री है एमआरआई फ्री है, लोग विश्वास नहीं करते हैं, विश्वास नहीं करने के कारण से वो फैसला नहीं कर पा रहे हैं, भारत सरकार भी क्या कर रही है आयुष्मान भारत, इतना प्रचार किया लोगों को लोग समझते हैं कि ये स्कीम बड़ी दिखती है पांच लाख की वो भी खाली एक सोशियो इकोनॉमिक सेक्शन हुआ था डॉ. मनमोहन सिंह जी के वक्त में वो स्कीम खाली उन तक सीमित है, आम लोगों को मालूम नहीं रहता है, उनके लिए वो स्कीम है खाली, पूरे हिंदुस्तान के लोगों के लिए नहीं है। 
हमारी योजना जो थी राजस्थान की वो पूरे प्रदेशवासियों के लिए, रात दिन का फर्क है। पूरी पब्लिक के लिए करना और एक वर्ग के लिए करना बहुत बड़ा फर्क होता है। अब इन बातों को अगर गहराई में नहीं जाएंगे तो फैसला नहीं कर पाएंगे वरना भारत सरकार भी फैसला कर सकती है। 
कम से कम शिक्षा और स्वास्थ्य पूरी तरह फ्री होना चाहिए लोगों के लिए। जो अफोर्ड करने वाले होंगे पैसे वाले वो तो फायदा उठाएंगे नहीं वैसे ही प्राइवेट सेक्टर सेवाएं ले लेंगे बाकी लोगों को फ्री हो जाए ये सोशल सिक्योरिटी है। आप विश्वगुरु बनने की बात हम के रहे हैं तो शुरुआत यहीं से करो । 
ये गंभीरता से ले कहां रहे हैं भई ? यही तो मैं कह रहा हूं आपको, मान लो कहीं से गड़बड़ आया, पहले भी ऐसे एक घटना हुई थी आई ड्रॉप में गड़बड़ हो गई थी तो उसके बाद में बैन लग गया। ये प्राइवेट सेक्टर वाले पहले बड़े बड़े कैंप लगाते थे आई ऑपरेशन के लिए सोशल सर्विस करने के लिए उस पर रोक लग गई कि भई पूरा प्रोसेस एडॉप्ट करो, पहले परमिशन लो,दवाएं की जांच करवाओ, तो आज अगर मान लो ये सिरप वाली बात आई बच्चों के सिरप पीने की तो इमेडिएटली एक्शन होना चाहिए न।
कंपनी के सैंपल फेल होने पर उसके ऊपर बैन लगाने को लेकर पूछे गए प्रश्न के जवाब में :
तो भई अब लगा देते, अब कार्रवाई कर लो उनको, अब जेल भेज दो गड़बड़ की है तो , किसी सरकार में क्या हुआ उस वक्त में क्या फैसला हुआ क्या नहीं हुआ क्यों नहीं हुआ ये तो मैं अभी नहीं कह सकता, पर गलती किसी ने की हो किसी सरकार के अंदर उसके ऊपर मैं समझता हूं कार्रवाई होनी चाहिए मेरा मानना है।
मीडिया द्वारा कहने पर कि सरकार मान नहीं रही है सिरप से मौत हुई है और परिवारों के आरोप पर मेरा जवाब :
वो तो सरकार जांच करवाए और मैं कैसे कह सकता हूं, मैं कैसे कह सकता हूं, इसकी तो देखो मैं समझता हूं कि जो जांच का विषय है ये, बिना जांच के विषय के कमेंट करना उचित नहीं मेरे लिए भी, एक्चुअल में क्या हुआ होगा ये तो मैं समझता हूं कि सरकार की जो एजेंसियां हैं जांच करवाएं उस पर हमें विश्वास भी करना चाहिए, ब्लैकलिस्टेड है तो ठेका क्यों दिया गया ये बड़ा क्वेश्चन आपने पूछा, अगर ब्लैकलिस्टेड कोई फर्म की गई है तो उसको फिर कॉन्ट्रैक्ट क्यों दिया गया टेंडर क्यों दिया गया।
स्वास्थ्य मंत्री को लेकर पूछे गए प्रश्न के जवाब में :
मुझे नहीं मालूम कि स्वास्थ्य मंत्री ने क्या कहा है पर मेरा मानना है कि स्वास्थ्य मंत्री जी भी इस बात को जानते हैं वो भी मैं समझता हूं अनुभवी मंत्री रहे हुए हैं अनुभव रखते हैं अपना तो कुछ बात जांच करके कह रहे होंगे या वो जांच करवा रहे होंगे ये तो आप उनसे ही क्वेश्चन कर सकते हैं, मेरा मानना है कि एक्चुअल में ये ऐसे सेंसिटिव विषय है जिस पर कोई कमेंट करने के पहले सरकार की जो एजेंसियां हैं, लैबोरेट्रीज हैं आप ये मांग कर सकते हो अगर विश्वास नहीं हो तो राज्य के बाहर की लैबोरेटरी से और जांच करवा लीजिए ये मांग कर सकते हैं। अगर आपको विश्वास नहीं हो कि भई यहां के लैब ने ठीक जांच नहीं की है आप मांग कर सकते हो कि स्वास्थ्य मंत्री जी को चाहिए कि और जगह से जांच करवा लें ये बात समझ में आती है।
बिहार चुनाव को लेकर पार्टी द्वारा जिम्मेदारी दिए जाने के संदर्भ में सवाल का जवाब:
पार्टी जो हुकुम देती है वो तो कह रखा है आपको, वो पार्टी जब कोई आदेश जारी करती है तो हमारा धर्म बनता है हमारा कर्तव्य बनता है कि कैसे हम उसको निभाएं तो वो हमारी बातचीत शुरू हो गई है आपस के अंदर और हम लोग कल परसों आपस में मिल भी रहे हैं या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर रहे हैं तो हमने जो कार्यवाही करनी थी वो प्रारंभ कर दी है बातचीत शुरू हो गई है और चुनाव मैं समझता हूं चुनाव को हम सब को चुनौती के रूप में लेना है क्योंकि जिस प्रकार का माहौल देश में बन गया है उससे लोग चिंतित थे, वोट चोरी के आरोप लगे हैं, 65 लाख वोटों के अंदर वो कह रहे थे कि बाहर के लोग आ गए हैं इसलिए कटे हैं, इलेक्शन कमीशन बता नहीं पा रहा कि भई कौन से विदेशी आ गए थे जो वोट आपने काटे हैं तो क्वेश्चन मार्क कई लग चुके हैं चुनाव आयोग पर ऐसे माहौल में चुनाव हो रहे हैं बिहार के अंदर तो मैं समझता हूं कि इसको कांग्रेस भी हो आरजेडी भी हो तमाम विपक्षी पार्टियां बहुत गंभीरता से ले रही हैं और जिस प्रकार से ये चुनाव जीतने के लिए नए नए हथकंडे अपना रहे हैं आजकल, लोग चिंतित हैं उसको लेकर के, पैसे धनबल का प्रयोग वोटर लिस्टों  में गड़बड़ी, अब महाराष्ट्र के अंदर पांच बजे के बाद में रात को ग्यारह बजे तक पोलिंग हुई है अन्य कोई जगह मैंने तो कभी सुना नहीं दस बारह इलेक्शन मैंने लड़ लिए होंगे, एक दो जगह तो हो सकता है, एक दो जगह है सकता है ज्यादा लोग आ गए तो आपने दरवाजे बंद कर दिए और जब तक पूरा नहीं होगा तो पांच के बजाय सात बजे  आठ बजे नौ बजे तक पोलिंग हो जाए, रात को ग्यारह बजे पोलिंग चले ऐसा मैनें कभी देखा नहीं। तो क्वेश्चन मार्क तो कई तरह के हो गए हैं अब इलेक्शन कमीशन का व्यवहार तो ऐसा है उनको मैं क्या कहूं, वरना ये कहता मैं उनको अगर वो अपनी साख कायम रखते तो मैं कहता आप का फर्ज बनता है अगर आपने सुना है कोई बात जो मैं बोल रहा हूं या और भी कोई सुनी है तो आप खुद आगे बढ़ के निष्पक्ष जांच करवाओ कायदा तो ये होता है क्योंकि डेमोक्रेसी डिपेंड करती है चुनाव आयोग के भी ऊपर बहुत बड़ा निष्पक्ष चुनाव कैसे करवाएं।