मीडिया से बातचीत
                                                                            
                                                                            
                                                                            
                                                                                
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 | स्थान जयपुर
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                                                                        श्री राहुल गांधी जी पर भाजपा द्वारा लगातार हमले किए जाने पर : 
ये नई बात नहीं है, नई बात नहीं है, जब कभी राहुल जी गए हैं बाहर, वो अपनी बात कहते हैं, बात वही कहते हैं जो यहां पार्लियामेंट के अंदर या बाहर बोलते हैं, नई बात नहीं बोलते वो,  और आजकल तो मीडिया है इंटरनेट है सबकुछ है, कौन सी बात है जो यहां बोलते हैं तो दुनिया नहीं सुनती, वही बात जो यहां बोलते हैं वही बात वहां बोलते हैं। 
तो ये जो इनके पास कहने को कुछ है नहीं इसलिए ये इस प्रकार की बात करते हैं जिससे कि जनता भ्रमित हो जाए कि वास्तव में राहुल जी को विदेश में जाके क्या बोल गए वो, मेरा मानना है कि मोदी जी ने खुद ने कहा कि मेरे प्रधानमंत्री बनने के पहले हालात ये थे देश के अंदर लोग कहते थे हम किस घड़ी में पैदा हुए ऐसा कुछ शब्द बोले थे वो इस देश के अंदर कि इस देश में कुछ नहीं हो सकता है,कुछ नहीं हो सकता है कुछ नहीं हो रहा है और पता नहीं ऐसा शब्द काम में लिए जो बहुत ऑब्जेक्शनेबल था उस वक्त में कि कहां हम पैदा हो गए इस प्रकार से मायने उसके ये थे, तो अगर मुल्क के बारे में ये कहें चौदह के पहले कुछ नहीं था मुल्क हम वहां पैदा ही क्यों हुए तो आप सोच सकते हो उनके मायने क्या थे?
तो पब्लिक को इस प्रकार भ्रमित करने का काम इसलिए करते हैं ये बहुत घबरा गए हैं, घबरा गए हैं और राहुल गांधी जिस प्रकार अटैक कर रहे हैं चाहे वो वोट चोरी का हो, बेरोज़गारी का हो, महंगाई का हो या ध्रुवीकरण का हो अब लोग धीरे धीरे सब समझ गए हैं बातों को कि हमें ध्रुवीकरण के नाम पर बिना मतलब हमें भ्रमित किया जा रहा है। 
घबरा कर के इस प्रकार के आरोप लगाते हैं राहुल गांधी पर। वो कोई नई बात नहीं बोलते जो कि पहली बार बोली हो वहां पर। ये मेरा मानना है।
श्री सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी एवं उनकी पत्नी द्वारा विरोध से जुड़े सवाल के जवाब में : 
देखिए सोनम वांगचुक जो है वो इतना बड़ा एक्टिविस्ट है शिक्षा के ऊपर, पर्यावरण के ऊपर, अनेकों सबजेक्ट पर वो एक्टिविस्ट की तरह काम करते हैं और पूरे लेह लद्दाख के अंदर उनका हाइएस्ट रिस्पेक्ट है, ये मोदी के समर्थक थे, कहीं जाते थे तो मोदी के बारे में बोलते थे, उनकी तारीफों के पुल बांधते थे, अचानक क्या हो गया कि वो उनको धाराएं ऐसी लगानी पड़ीं कि आप उनको जोधपुर जेल भेज दो ? समझ के परे है। ये उनकी पत्नी ने लिखा है तो सोच समझ के लिखा है, पत्नी बहुत समझदार हैं और पत्नी ने लगातार जो पत्र लिख रही हैं, मीडिया में बात कर रही हैं उसको मैं समझता हूं सरकार को लेना चाहिए गंभीरता से, अविलंब उनको छोड़ना चाहिए मेरा मानना है, अविलंब छुड़वाना चाहिए।
राजस्थान विश्वविद्यालय में NSUI कार्यकर्ताओं के साथ की गई हिंसा से संबंधित प्रश्न का जवाब : 
इनकी मैं घोर निंदा करता हूं भर्त्सना करता हूं ये देश को प्रदेश को किस दिशा में ले जाएंगे बहुत चिंता लग गई है हम लोगों को कि आप शस्त्र पूजा करवा रहे हो विश्विद्यालय के अंदर, शस्त्र पूजा विश्विद्यालय के अंदर शिक्षा के जो पावन जगह है वहां करवाने का क्या तुक है? क्या मैसेज देना चाहते हैं आप ? अनावश्यक वहां  आपस में नइत्तफाकी हुई और जिस प्रकार उनके पास डंडे होते हैं आरएसएस के पास में क्या डंडे इसलिए काम आते हैं जो शांतिपूर्ण तरीके से अहिंसक तरीके से कोई आंदोलन करे जो डेमोक्रेसी में जायज है, धरना देना प्रदर्शन करना यह जायज है डेमोक्रेसी के अंदर और नॉन वॉयलेंस तरीके से अहिंसा के तरीके से उसको आप उन डंडों से पिटाई करो, पिटाई करो, कल मैं मिलके आया मरीज से जो मेघवाल है क्या उसकी पिटाई करी कोई सोच नहीं सकता, टांके आए हैं उसके सिर के ऊपर। बीस बाईस लोगों ने एक साथ उस पर हमला किया। ये आरएसएस का चरित्र कब से बन गया? चाल चरित्र चेहरा बीजेपी आरएसएस बोलते थे, हालात क्या बन गए, किस प्रकार बच्चों को पीटा गया ,151 में बंद किया गया और उसके बाद में और धाराएं जोड़ कर के नॉन बेलेबल बना दिया गैर जमानती बना दिया उनको भेज दिया J.C  के अंदर, ये जो स्थिति बनती जा रही है ये बहुत खतरनाक है, विपक्षी पार्टियों के साथ में दुश्मनी की तरह व्यवहार करना डेमोक्रेसी में कहां तक उचित है ? 
डेमोक्रेसी में तो अगर आप विपक्ष आवाज नहीं उठाएगा तो डेमोक्रेसी किस बात की है ? विपक्ष आवाज उठाएगा आलोचना करेगा तब डेमोक्रेसी जिंदा रहेगी मजबूत रहेगी। जिस दिन आप आवाज बंद कर दोगे विपक्ष को हिंसा के माध्यम से डरा के धमका के, मुकदमे बना कर के, अगर विपक्ष की आवाज बंद हो जाएगी डेमोक्रेसी कहां रहेगी फिर ? ये क्यों नहीं सोचते ये लोग ? ये सोचेंगे भी नहीं कभी मुझे लगता है, पब्लिक को सोचना पड़ेगा ये किस दिशा में ले जाना चाहते हैं देश को मेरा मानना है, और पुलिस दबाव में काम कर रही है, पुलिस कमिश्नर से हम ने बात करी मिस्टर जूली ने बात करी, उन्होंने कहा ठीक है आज सुबह पकड़ा है पेश करेंगे कोर्ट के अंदर शाम तक पेश कर देंगे, पेश क्या करना है, पेश करने के बजाय आरएसएस के दबाव में सरकार के दबाव में और ज्यादा धाराएं जोड़ कर के उनकी ऐसी स्थिति कर दी कि कोर्ट जमानत देना चाहे तो नहीं दे सकता है। JC करवा दी उन लोगों को ये क्या तरीका है बताइए आप लोग। क्या तरीका है, ये NSUI के छात्र हैं उनका हक बनता है कि हम अपनी बात कहें, ये स्थिति कर दी इन्होंने, चुनाव करवा नहीं रहे ये लोग, चुनाव करवाएंगे तो नई लीडरशिप पैदा होगी इन्हीं में से, चाहे वो ABVP के हों चाहे NSUI के हों चाहे AISF के हों या SFI के हों, कोई हों वो चुनाव में तो उतरे मैदान में, रोक अलग लगा दी पिटाई अलग कर रहे हो आप, पिटाई भी कर रहे हो चुनाव नहीं करवा रहे हो ये कहां की समझदारी है बताइए आप ? तो ये स्थिति जो बन रही है वो अच्छी नहीं बन रही है राजस्थान के अंदर भी, माहौल अच्छा था राजस्थान के अंदर, आज स्थिति ऐसी बनती जा रही है। मैं तो घोर निंदा करता हूं जिस प्रकार का व्यवहार कर रही है पुलिस और जो जिस प्रकार से पिटाई की गई इन बच्चों की छात्रों की NSUI कार्यकर्ताओं की मैं इसकी निंदा करता हूं।