बिहार में एसआईआर के मुद्दे पर पूछे गए प्रश्न के जवाब में :
दिनांक
23/07/2025 |
स्थान
जयपुर
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28 तारीख को पेशी है, एफिडेविट दे दिया है इलेक्शन कमीशन ने, एफीडेविट जो सुप्रीम कोर्ट के जजों की भावना थी सलाह थी उसके अनुरूप नहीं दिया गया है,तो 28 तारीख को फैसला करेंगे क्या होना चाहिए, वो अलग इश्यू है, बाकी अब धनखड़ साहब के इस्तीफे और ये सब बातें चलती रहती हैं, नाम चलने लग गए हैं उससे हमें कोई ताल्लुक नहीं है, बनना है तो एनडीए गवर्नमेंट का बनना है उपराष्ट्रपति इसलिए हमें इसमें कोई ताल्लुक नहीं है।
श्री धनखड़ द्वारा स्वास्थ्य कारणों को इस्तीफे का कारण बताए जाने पर मीडिया द्वारा मेरी प्रतिक्रिया मांगे जाने पर :
मैं तो उसमें विश्वास नहीं करता, बहुत अच्छा स्वास्थ्य उनका है, दबाव में मैंने जरूर कहा था जोधपुर के अंदर, कि चेयरमैन राज्यसभा और स्पीकर लोकसभा दोनों दबाव में काम कर रहे हैं ये मैंने कहा था और धनखड़ साहब ने जयपुर में आकर कह दिया पूर्व विधायकों के एसोसिएशन की मीटिंग में कि मेरे पर कोई दबाव नहीं है मैं दबाव में काम करता नहीं हूं न किसी को दबाव में रखता हूं ये उन्होंने जुमला वहां पर बोला। वो तो अलग बात है, अब जो इस्तीफा हुआ है तब जो है मेरा जो स्टेटमेंट था दबाव में काम करते हैं कहीं न कहीं तो लिंक होगा, अब ये तो धनखड़ साहब जाने उनकी अंतरात्मा जाने, मैंने तो कह दी अपनी बात, धनखड़ साहब ने यहां आकर बोल भी गए कि मैं दबाव में नहीं हूं मैं स्वस्थ भी हूं और मेरे बारे में कह दिया कि उनका स्वास्थ्य अच्छा रहे मेरे पुराने मित्र हैं हमारे बचपन से संबंध हैं उनसे पारिवारिक सब बातें बोल दीं। दिल्ली में बोल गए वो 2027 तक मैं रहूंगा उपराष्ट्रपति कोई दैवीय शक्ति जो है ईश्वरीय शक्ति, वो कोई आ जाए तो अलग बात है मुझे हटना पड़े वरना मैं तो 2027 तक रहूंगा, जो व्यक्ति पंद्रह दिन पहले ये कह रहा है कि 2027 तक रहूंगा क्या कारण है कि अचानक उनका इस्तीफा हो गया ? और वो भी संवैधानिक पद, तो ये जो हम कहते हैं बार बार डेमोक्रेसी खत्म हो रही है देश से, डेमोक्रेसी खत्म हो रही है बार बार मैं बोल रहा हूं कि देश किस दिशा में जा रहा है, किस दिशा में जाएगा, कोई नहीं जानता है ये हालात बन गए हैं, कहां डेमोक्रेसी रही है, हिंदू राष्ट्र की बातें कर रहे हैं ये इतने बड़े मुल्क के अंदर और आपका सोशलिज्म और सेक्युलरिज्म, आप बताओ संविधान के अंदर प्रोविजन कर दिया गया, मूल भावना संविधान की यही थी। सुप्रीम कोर्ट कह चुका था पहले से ही कि संविधान की मूल भावना में सेक्युलरिज्म भी आता है, सोशलिज्म भी आता है, कई केसेस पहले हो चुके थे। इंदिरा गांधी ने जब ये इंट्रोड्यूस किया जो महान नेता थीं हमारी,उसके पहले भी जहां तक मुझे जानकारी है सुप्रीम कोर्ट इस पर फैसला दे चुका था कि भई ये इसमें कोई दिक्कत नहीं है ये तो इसका पार्ट है जो संविधान की भावना है मूल भावना उसमें संविधान में मूल भावना में जो ध्वनि निकलती है उसके अंदर सोशलिज्म भी और सेक्युलरिज्म तो मेन भावना उसकी है और जहां तक डिबेट आती है उसमें आता है कि जो अंबेडकर साहब ने भी जो अपना खुद का एक बनाया था ड्राफ्ट उसके अंदर ये भावनाएं थी। इसलिए अभी इस प्रकार से जो बातें कर रहे हैं, होसबले साहब बोल गए इसको निकाल दो संविधान से, तो जो राहुल गांधी जी कह रहे हैं संविधान बचाओ वो सब बातें जो हो रही हैं धनखड़ साहब का इस्तीफा हो, तरीका, जिस तरीके से हुआ, या सोशलिज्म की सेक्युलरिज्म की हटाने की बात की जा रही हो या इनकम टैक्स, ईडी,सीबीआई का दुरूपयोग किया जा रहा हो या जो दबाव में चल रहा है इलेक्शन कमिशन, देखिए आप एसआईआर, एसआईआर क्या हो रहा है बिहार के अंदर , खुला नाच हो रहा है, आप बताइए वोटर लिस्ट भी अगर आप उसमें भी वोटर लोग काटेंगे अपने खुद के सोर्स से तो कैसे डेमोक्रेसी चलेगी, महाराष्ट्र में क्या हुआ ? एकतरफा जीत गए ये लोग, राहुल जी ने आर्टिकल लिखा ,बार बार आगाह कर रहे देश को वो, ये खाली पॉलिटिकल पार्टियों की जिम्मेदारी नहीं है आम जनता की जिम्मेदारी भी है कि वो साथ निभाए, जो सच्चाई है जिसके साथ में, सच्चाई सरकार के साथ में है उनके साथ रहें, सच्चाई विपक्ष के साथ में है राहुल गांधी बोल रहे हैं उनका साथ दें, जब तक हम उस रूप में आगे नहीं बढ़ेंगे, तब तक ये बीजेपी आरएसएस की दादागिरी चलती रहेगी देश के अंदर और इस देश को भुगतना पड़ेगा ये मैं कहना चाहता हूं।