Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

जवाहर बाल मंच द्वारा जयपुर में आयोजित "TITLI 2025" Children’s National Integration Camp में शिरकत करने के पश्चात मीडिया से बातचीत :

दिनांक
12/09/2025
स्थान
जयपुर


जवाहर बाल मंच द्वारा जयपुर में आयोजित "TITLI 2025" Children’s National Integration Camp में शिरकत करने के पश्चात मीडिया से बातचीत :

यह पहल अच्छी है, पहल जो की गई है जवाहर बाल मंच के रूप में छात्रों को भी नई पीढ़ी को अवसर मिलेगा कि वो संविधान की मूल भावना है उसके अनुरूप देश को समझने की बात भी आएगी और कांग्रेस की जो विचारधारा है उसकी नीतियां हैं उसके कार्यक्रम हैं, सिद्धांत हैं कांग्रेस के, बचपन से ही इनको जानकारी प्राप्त होगी, और जो इन्होंने अपना एजेंडा बनाया है वो बहुत ही शानदार है हर क्षेत्र को इन्होंने कोशिश की है छूने की, समाज को भी,वृद्धाश्रम जाना है तो वहां जाना है, सेवा करनी है तो सेवा करनी है, जो गांधी जी के रचनात्मक काम थे उस पे तवज्जो देनी है, कोई क्षेत्र छोड़ा ही नहीं है, पर्यावरण को नहीं छोड़ा है, तो बच्चों में अगर संस्कार अभी से ही ये डेवलप होंगे तो मैं समझता हूं उसके अंदर एक नई पीढ़ी डेवलप होगी तो आने वाले कल के जो है इनमें लीडरशिप की क्वालिटी पैदा होगी और वो लीडरशिप ऐसी होगी जो विचारधारा के आधार पर होगी,जो इतिहास को याद रखेंगे अगली पीढ़ियों के लिए, जो त्याग बलिदान हुए हैं फ्रीडम मूवमेंट के अंदर उनको लोग अब भुलाने की कोशिश कर रहे हैं, तो ये जो है उनको याद दिलाना बच्चों को कि देश में कैसे फ्रीडम मूवमेंट हुआ था कैसे - कैसे लोग फांसी के फंदे पर चढ़े, गोलियां खाई अंग्रेजों के राज में, जेलों में बंद रहे, पंडित नेहरू नौ साल बंद रहे होंगे ज़्यादा रहे होंगे, गांधी जेल गए, उस वक्त में जो पीढ़ियां थीं उनके जो त्याग बलिदान की कहानियां भी जब इनके सामने आएगी तो एक संकल्प करें ये भी हमें भी देश के लिए सब कुछ करने के लिए तैयार रहना चाहिए त्याग के लिए बलिदान के लिए कुर्बानी के लिए ये भावना हर देशवासी में फैल जाए उसका अपना बहुत बड़ा महत्व है, ये जो ये प्रयोग किया गया मैं समझता हूं इसका थोड़ा वक्त लगेगा, ऐसा नहीं है कि आज किया और कल परिणाम आ गए वो तो नहीं होगा, पर धीरे धीरे ये जब पूरे कंट्री में अभी बीस राज्यों में ये फैला है धीरे धीरे हर राज्य में फैलेगा हर जिले में फैलेगा तो एक भावना पैदा होगी बच्चों में, बहुत अच्छा प्रयोग किया गया, मैं तो बहुत इसको वेलकम करता हूं, मैं बहुत इंप्रेस हुआ हूं।

उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन के शपथ ग्रहण समारोह में पूर्व उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ के शामिल होने पर सवाल का उत्तर :


ये तो आप मुझे खबर दे रहे हो, ये खबर आप दे रहे हो कि धनखड़ साहब भी प्रकट हो गए हैं, अभी तक प्रकट नहीं हुए थे, ढूंढ रहे थे हम सब उनको, हम तो इंतजार कर रहे हैं राजस्थान वाले उनका क्योंकि राजस्थान के रहने वाले हैं, हमारे तो व्यक्तिगत भी संबंध अच्छे रहे हैं उनसे तो अब आपने मुझे जो खुशखबरी दी है तो मैं मालूम करता हूं कि वो कब मिलेंगे, क्या होगा, कहां मिलेंगे, यहां आएंगे या हमें जाना पड़ेगा, वो अब आज आपकी खबर के बाद में मैं कुछ कह सकता हूं।

प्रधानमंत्री श्री मोदी के मणिपुर के प्रस्तावित दौरे को लेकर पूछे गए सवाल के उत्तर में :


मोदी जी फॉर्मेलिटी कर रहे हैं देखो, बस 4 घंटे के लिए जाकर आ रहे हैं, मोदी जी को बहुत पहले जाना चाहिए था, मैनें तो मांग भी करी थी, मैनें गृह मंत्री जी को कहा अभी दो महीने पहले ही कि आप समझा क्यों नहीं पा रहे हो उनको, आप गृह मंत्री हो, मणिपुर जाने का क्या महत्व है, पीएम जाने का बहुत बड़ा महत्व होता है, वहां की जनता समझती है पीएम हमारी तरफ ध्यान दे रहे हैं और हमारी समस्याओं से वाकिफ हैं, उसी ढंग से फिर वहां के लोग भी बिहेव करते हैं। आज जो स्थिति बनी मणिपुर में हो सकता है पीएम पहले जाते तो हो सकता है उनमें जल्दी शांति पैदा हो जाती, पीएम पीएम होते हैं, वो जाएंगे तो तो लोग कहेंगे कि भई पीएम खुद आ गए इनको हमारी समस्या हमारी जो भावना है सीधा उनको अवसर मिलेगा समझने का, ये बात है।

पीएम मोदी जी की माताजी के सम्मान से जुड़े सवाल एवं मां- पिता के सम्मान पर मेरे विचार :

ये सब छोड़िए माता जी पिता जी का, सब लोग हर माता का सम्मान करते हैं, राहुल गांधी जी भी सम्मान करते हैं मोदी जी की मां का, कौन सम्मान नहीं करेगा ?

हर मां का सम्मान इस देश के अंदर है चाहे किसी की मां हो, पक्ष की हो विपक्ष की हो, क्या मां तो मां ही होती है, मां का कोई विकल्प है क्या दुनिया के अंदर ? उसके ऊपर इस प्रकार की बहस होना ही मैं समझता हूं उचित नहीं है।
मां के ऊपर बहस होना मैं समझता हूं ये अपने आप में अच्छी बात नहीं है, मां तो मां होती है सबकी।


पड़ोसी मुल्क नेपाल में बिगड़े हालातों एवं भारत की क्या भूमिका हो सकती थी पर मेरे विचार :

ये चिंता का विषय होना चाहिए क्योंकि देखिए अब पहले श्रीलंका फिर बांग्लादेश, अफगानिस्तान पहले था ही था और अब ये नेपाल जो हमारा पड़ोसी मुल्क है वहां पर इस प्रकार की घटनाएं हो रही हैं वो बिलकुल विचलित कर रही हैं हमारे देशवासियों को भी और इस पर मैं समझता हूं कि हमारे देश की भूमिका बहुत बड़ी होनी चाहिए थी वहां ऐसी स्थिति नहीं बने।

जो हमारा मुल्क इतना बड़ा मुल्क है सक्षम है लीडरशिप दे सकता है तो उसके रहते हुए पड़ोसी राज्यों में ये स्थिति बनी है इसको हमारे मुल्क की नैतिक जिम्मेदारी भी थी कि वो वहां पर ऐसी स्थिति पैदा ही नहीं हो। कौन षड्यंत्र कर रहा है, कौन मुल्क कर रहा है या नहीं कर रहा है सुनते रहते हैं आपस के अंदर , अफवाहें चलती रहती हैं, अब किस मुल्क का क्या हाथ है ये तो अलग बात है, विदेश मंत्रालय कह सकता है कुछ,हम तो कुछ कह नहीं सकते, इतना मैं कह सकता हूं कि हिंदुस्तान की जिम्मेदारी है कि वो हमारे पड़ोसी मुल्कों में शांति, प्यार मोहब्बत भाईचारा बना रहे और जो कल की घटना है बड़ी शर्मनाक घटना है जो नेपाल में हुई है, जो जनप्रतिनिधियों के साथ में बिहेव हुआ है या आगजनी हुई है ये तो मैं समझता हूं कि गांधी जी का देश हमारा उस मुल्क के लोग जब सुनते हैं तो लगता है दुनिया में ये क्या हो रहा है, हमारी अलग सोच है मतलब, राहुल गांधी की अलग सोच है वो पूरे गांधीवादी हैं वो खुद, कभी हिंसा का समर्थन नहीं कर सकते वो, मैं जानता हूं उनको व्यक्तिगत रूप से, उनकी जो सोच है प्यार की मोहब्बत की भाईचारे की, कहा न उन्होंने जो जुमला बोला था मोहब्बत की दुकान नफरत के बाजार में, इसके मायने क्या हैं, तो हमारे मुल्क की ये भावना है पर हमारे मुल्क की सरकार की फेलियर है कि वो इन बातों को रोक नहीं पाए।

हम बड़े मुल्क के लोग हैं, हिंदुस्तान की सरकार की जिम्मेदारी है कि पड़ोसी मुल्कों में कोई भी हिंसा नहीं हो इस प्रकार से बड़े रूप में, सरकार बदल जाए, प्राइम मिनिस्टर को भागना पड़े वहां से तो हमारे मुल्क की जिम्मेदारी बहुत बड़ी होती है वो निभाने में हम फेल रहे हैं ये मेरा मानना है।

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