Shri Ashok Gehlot

Former Chief Minister of Rajasthan, MLA from Sardarpura

मीडिया से बातचीत

दिनांक
07/10/2025
स्थान
जयपुर


पूर्व मंत्री स्व. श्री भरत सिंह जी को याद करते हुए मीडिया से बातचीत :

देखिए भरत सिंह जी के साथ में, उनके पिता जी मेंबर ऑफ पार्लियामेंट थे जुझार सिंह जी मैं भी एमपी रहा तब से ही संबंध रहे हैं, करीब 45 साल हो गए, मेरे मंत्री रहे भरत सिंह जी, बहुत ही प्रतिबद्ध काम के प्रति, ईमानदार,समर्पित पार्टी के लिए और स्ट्रेट फॉरवर्ड थे हमेशा और वो अचानक ही बीमार हो गए, अचानक ही, पहले कोटा में भर्ती रहे फिर जयपुर आए, मैं पहले मिलने गया आए थे जब, तब तो फिर भी थोड़े कमजोर लग रहे थे,परसों मैं मिला तो काफी अच्छी स्थिति लग रही थी उनकी, डॉक्टर भी कह रहे थे इंप्रूवमेंट हो रहा है और वेंटीलेटर हट जाएगा, कल रात को अचानक खबर आई कि वो तो चले गए। बहुत आघात लगा हम सबको ही, कांग्रेस पार्टी को क्षति हुई है, मुझे तो व्यक्तिगत रूप से बहुत आघात लगा और मैं समझता हूं कि पूरे हाड़ौती के लोगों को इस बारे में दुःख होगा कि एक ऐसा कर्मठ व्यक्ति जो आवाज उठाता था पूरे हाड़ौती के लिए वो चला गया। भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और उनके परिवारजनों को दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें।

मीडिया द्वारा कहने की स्व.श्री भरत सिंह जी अपनी बात खुलकर कहते थे :

यही तो मैंने कहा स्ट्रेट फॉरवर्ड थे वो और वो जब चुनाव नहीं जीते एमएलए का तो पंच बन गए गांव के अंदर, तो कहने का मतलब उनकी प्रतिबद्धता पंचायती राज के प्रति थी,इस प्रकार से व्यक्ति कोई सरपंच या पंच बन सकता है मंत्री रहा हुआ आदमी तो इस प्रकार से वो अलग व्यक्तित्व रखते थे अपना।

एसएमएस अस्पताल में हुए अग्निकांड की जांच न्यायिक आयोग से करवाने की मेरी मांग :

अब कितनी बार कह दिया इन लोगों को, कभी झालावाड़ के अंदर स्थिति बनती है बच्चे मर जाते हैं कभी वो जो कफ सिरप से बच्चे मरने लग गए, कभी आप देख रहे हो कि आग लग गई तो हम लोग वहां गए तो चिल्ला रहे थे परिवारजन कि हमारी जो मरे हुए जो हमारे परिवार वाले हैं उनकी बॉडी कहां है, मतलब ऐसी अव्यवस्था देखी नहीं कभी, मुख्यमंत्री जी आए रात को अगर उनसे मिलवा देते परिवारजनों को तो भी कम से कम लगता भई सरकार चिंतित है, मुख्यमंत्री जी को अपनी बात कहते, मुख्यमंत्री उनको यकीन दिलाते भई आपके साथ न्याय होगा हम पूरी कोशिश कर रहे हैं बचाने की वो भी गैप हो गया रात को और गैप होते ही गए, कोई सुनने वाला नहीं, किसी ने आकर बातचीत भी नहीं करी उनसे, तो वो अपने घर जाकर बताएंगे क्या तो चारों ओर से स्थिति ऐसी बनी कि जिससे की ज्यादा आक्रोश फैल गया वहां पर। हम ने जाकर देखा मुआयना किया वहां,पूरा जला हुआ एरिया था, पता नहीं क्या बीती होगी रात को, और कैसे मरे होंगे वो क्योंकि कहते हैं कि घुटन से भी मर गए तो ऐसी लापरवाही कभी देखी नहीं। मैंने जो मांग करी, मुख्य बात जो अब मैं कहना चाहता हूं मैंने जो मांग करी कि इसका जो है आयोग बिठाओ, न्यायिक आयोग बिठाओ, इसका मतलब क्या है , अगर कोई आयोग बैठता है तो खाली इस घटना की जांच नहीं होती, घटना के कारण क्या रहे हैं, कहां लापरवाही हुई है, क्यों ऐसी घटना होती है, संभावनाएं क्या होती हैं, कैसे संभावना समाप्त हो सकती है, क्या क्या कदम उठाने चाहिए सब बातों की जांच होती है। जब जांच होती है तो आगे कोई फ्यूचर में घटना नहीं हो अस्पताल के अंदर ये भी उसके अंदर रिपोर्ट आती है। इसलिए मैंने कहा कि आप ये लीपापोती वाली जांच करवा रहे हो, पांच सात लोगों की कमेटी बना दी, सात दिन रिपोर्ट दो, रिपोर्ट दे देंगे वो तो, बात खत्म हो जाएगी, दो चार लोगों को आप सस्पेंड कर दोगे। मैंने लॉन्गटर्म के लिए कहा था कि ये आप न्यायिक जांच बिठवाओ जिससे कि चाहे स्कूल हो अस्पताल हो जो भी शिकायत आ रही है उसकी रिपोर्ट भी तैयार हो साथ के अंदर, यही मेरा मानना है।

मीडिया द्वारा सरकार की जिम्मेदारी को लेकर उठाए प्रश्न तथा हमारी कांग्रेस सरकार की पॉपुलर योजनाओं को बंद करने, कमजोर करने पर मेरा रिएक्शन :

सरकार तो क्या, सरकार नाम की चीज है क्या ? आप प्रदेश में कहीं चले जाओ, पूरे प्रदेश के अंदर कहीं जाओ आप, टोंक के अंदर आप कहीं चले जाओ, आप को एक ही बात मिलेगी कि किस से जा के शिकायत करें, बिना पैसे दिए काम हो नहीं रहा है। मैं ये दावा नहीं करता कि कोई ये कांग्रेस शासन में या किसी भी पॉलिटिकल पार्टी के शासन में समाप्त हो जाता है करप्शन, होता है, अभी जो बेलगाम हो गया वो करप्शन उससे लोगों को ज्यादा तकलीफ हो रही है। बिना पैसे दिए सुनवाई नहीं होती है, खुली छूट मिल गई है, कोई मॉनिटरिंग नहीं हो रही है, अब दवाइयां फ्री कर दी हमनें , ऑपरेशन फ्री कर दिए, इलाज फ्री कर दिया, सीटी स्कैन फ्री, एमआरआई फ्री, कितना फायदा हुआ गांव गांव घर घर के अंदर अब वो कमजोर हो गई स्थिति, उसको ले कर लोगों में आक्रोश है। तो कई तरह के आक्रोश पैदा खुद ही कर रही है सरकार अपनी गलतियों से आक्रोश पैदा कर रही है। अब जो थैला है वो खाने वाला, फूड पैकेट वाला, अब वो अन्नपूर्णा योजना थी उसको बंद करने की क्या जरूरत थी। पूर्व सीएम मेरी फोटो लगी हुई थी उसके ऊपर थैले पर, वो फोटो हटा कर के पंडित भजनलाल की फोटो लग जाती मुख्यमंत्री की और स्कीम चालू रखते तो गरीबों का भला होता। इतनी पॉपुलर स्कीम है गांव गांव में, अभी मैं कहीं जाता हूं तो गांव की महिलाएं, बुजुर्ग सब आके कहते हैं सर वो थैला गायब हो गया, अब खाली थैला हमें पकड़ा रहे हैं, यह भी अजीब बात है कि आप प्रधानमंत्री की फोटो लगा कर के खाली थैला पकड़ाने की क्या ज़रूरत है आपको, उल्टा उससे सरकार की बेइज्जती हो रही है, अब इनको कौन समझाए ये बातें ? और ये बातें खाली पॉलिटिकल नहीं हैं,हकीकत है जो मैं बता रहा हूं आपको,वो इनके सरकार के हित में है, मेरा तो यही है कि सरकार का हित रहे जिससे की अच्छा शासन मिले उसका फायदा जनता को मिले, इसलिए मैं बार बार जो कहता हूं मैं कोई मुख्यमंत्री के खिलाफ में सरकार के खिलाफ नहीं बोल रहा हूं, अभी तो डेढ़ साल ही हुआ है इनको आए हुए, पांच साल इनको राज करना है, इसलिए बोल रहा हूं क्योंकि हम विपक्ष में हैं, अगर सरकार गुड गवर्नेंस देगी सुशासन देगी तो फायदा किसको होगा, जनता को होगा, जनता का फायदा देखना हमारा फ़र्ज़ बनता है इसलिए हम बार बार इनकी कमियों को बताते हैं। पेंशन नहीं मिलती है कई महीनों तक, नरेगा का पेमेंट नहीं हो रहा है, क्या बताएं आपको, सब जगह हाहाकार मचा हुआ है ये मैं कह सकता हूं।

1 लाख संविदाकर्मियों को लेकर पूछे गए प्रश्न के जवाब में :

भैया 1 लाख से अधिक लोग थे संविदाकर्मी, आप बताइए क्या बीत रही होगी इनके परिवार वालों पर ? 1 लाख से अधिक थे वो संविदाकर्मी उनको हम ने फैसला किया इनको परमानेंट करेंगे, रास्ता निकाल दिया, कैबिनेट में फैसला कर दिया, कोई चर्चा ही नहीं हो रही है उसके ऊपर। ठेकेदारी प्रथा वालों को भी हम चाहते थे वो भी परमानेंट हों कभी न कभी, रास्ता निकाल रहे थे उनके लिए भी, सरकार को चिंता ही नहीं है, क्या करें इस सरकार का ? क्या करें बताओ ?

मीडिया द्वारा कहने कि सरकार और ब्यूरोक्रेसी में कहीं न कहीं तालमेल नहीं है :

अब ये तो पता नहीं क्या क्या तालमेल है कि नहीं है वो तो वो जाने पर स्थिति अच्छी नहीं है ।

अंता उप चुनाव को लेकर पूछे गए प्रश्न के जवाब में :

अंता का चुनाव जीतेंगे, अंता का चुनाव जीतेंगे, प्रमोद जैन भाया पहले उम्मीदवार थे अब हमारे रंधावा साहब आ रहे हैं दिल्ली से, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जी सब आपस में बैठकर बातचीत करेंगे, अब कौन उम्मीदवार हो उसका फैसला भी आजकल में जल्दी होने की उम्मीद है और उसके बाद में सब लोग लग जाएंगे काम में और सीट निकाल लेंगे हम लोग।
मीडिया द्वारा श्री नरेश मीणा को लेकर प्रश्न के जवाब में :

वो नौजवान आदमी है, उनको थोड़ा सब्र रखना चाहिए, उनका लंबा कैरियर है, लंबा कैरियर है, मुझ से भी एक बार वो मिले थे, मैं चाहूंगा कि वो भी थोड़ा शांत स्वभाव रखें अपना, लंबी रेस का घोड़ा हो सकता है वो पर अपने जो उनका गुस्सा है उसको वो ठंडा कर लें, शांत दिमाग से बात करें सब को साथ लेकर चलने की बात करें तो उनका लंबा कैरियर है, वो हो सकता है कि वो कामयाब भी हों। जल्दबाजी करेंगे तो वो आप जानते हो जल्दबाजी करता है वो ठोकर खा जाता है ,हम चाहेंगे वो ठोकर नहीं खाएं।

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